< मत्ती 27 >

1 जब सुबह हुई तो सब सरदार काहिनों और क़ौम के बुज़ुर्गों ने ईसा के ख़िलाफ़ मशवरा किया कि उसे मार डालें।
prabhAte jAte pradhAnayAjakalokaprAcInA yIzuM hantuM tatpratikUlaM mantrayitvA
2 और उसे बाँध कर ले गए, और पीलातुस हाकिम के हवाले किया।
taM badvvA nItvA pantIyapIlAtAkhyAdhipe samarpayAmAsuH|
3 जब उसके पकड़वाने वाले यहूदाह ने ये देखा, कि वो मुजरिम ठहराया गया, तो अफ़्सोस किया और वो तीस रुपऐ सरदार काहिन और बुज़ुर्गों के पास वापस लाकर कहा।
tato yIzoH parakarevvarpayitA yihUdAstatprANAdaNDAjJAM viditvA santaptamanAH pradhAnayAjakalokaprAcInAnAM samakSaM tAstrIMzanmudrAH pratidAyAvAdIt,
4 “मैंने गुनाह किया, कि बेक़ुसूर को क़त्ल के लिए पकड़वाया।” उन्हों ने कहा “हमें क्या! तू जान।”
etannirAgonaraprANaparakarArpaNAt kaluSaM kRtavAnahaM| tadA ta uditavantaH, tenAsmAkaM kiM? tvayA tad budhyatAm|
5 वो रुपऐऊँ को मक़दिस में फेंक कर चला गया। और जाकर अपने आपको फाँसी दी।
tato yihUdA mandiramadhye tA mudrA nikSipya prasthitavAn itvA ca svayamAtmAnamudbabandha|
6 सरदार काहिन ने रुपऐ लेकर कहा “इनको हैकल के ख़ज़ाने में डालना जायज़ नहीं; क्यूँकि ये ख़ून की क़ीमत है।”
pazcAt pradhAnayAjakAstA mudrA AdAya kathitavantaH, etA mudrAH zoNitamUlyaM tasmAd bhANDAgAre na nidhAtavyAH|
7 पस उन्होंने मशवरा करके उन रुपऐऊँ से कुम्हार का खेत परदेसियों के दफ़्न करने के लिए ख़रीदा।
anantaraM te mantrayitvA videzinAM zmazAnasthAnAya tAbhiH kulAlasya kSetramakrINan|
8 इस वजह से वो खेत आज तक ख़ून का खेत कहलाता है।
ato'dyApi tatsthAnaM raktakSetraM vadanti|
9 उस वक़्त वो पूरा हुआ जो यरमियाह नबी के ज़रिए कहा गया था कि जिसकी क़ीमत ठहराई गई थी, “उन्होंने उसकी क़ीमत के वो तीस रुपऐ ले लिए, (उसकी क़ीमत कुछ बनी इस्राईल ने ठहराई थी)
itthaM sati isrAyelIyasantAnai ryasya mUlyaM nirupitaM, tasya triMzanmudrAmAnaM mUlyaM
10 और उसको कुम्हार के खेत के लिए दिया, जैसा ख़ुदावन्द ने मुझे हुक्म दिया।”
mAM prati paramezvarasyAdezAt tebhya AdIyata, tena ca kulAlasya kSetraM krItamiti yadvacanaM yirimiyabhaviSyadvAdinA proktaM tat tadAsidhyat|
11 ईसा हाकिम के सामने खड़ा था, और हाकिम ने उससे पूछा, क्या तू यहूदियों का बादशाह है? ईसा ने उस से कहा, “तू ख़ुद कहता है।”
anantaraM yIzau tadadhipateH sammukha upatiSThati sa taM papraccha, tvaM kiM yihUdIyAnAM rAjA? tadA yIzustamavadat, tvaM satyamuktavAn|
12 जब सरदार काहिन और बुज़ुर्ग उस पर इल्ज़ाम लगा रहे थे, उसने कुछ जवाब न दिया।
kintu pradhAnayAjakaprAcInairabhiyuktena tena kimapi na pratyavAdi|
13 इस पर पीलातुस ने उस से कहा “क्या तू नहीं सुनता, ये तेरे ख़िलाफ़ कितनी गवाहियाँ देते हैं?”
tataH pIlAtena sa uditaH, ime tvatpratikUlataH kati kati sAkSyaM dadati, tat tvaM na zRNoSi?
14 उसने एक बात का भी उसको जवाब न दिया, यहाँ तक कि हाकिम ने बहुत ता'ज्जुब किया।
tathApi sa teSAmekasyApi vacasa uttaraM noditavAn; tena so'dhipati rmahAcitraM vidAmAsa|
15 और हाकिम का दस्तूर था, कि ईद पर लोगों की ख़ातिर एक क़ैदी जिसे वो चाहते थे छोड़ देता था।
anyacca tanmahakAle'dhipateretAdRzI rAtirAsIt, prajA yaM kaJcana bandhinaM yAcante, tameva sa mocayatIti|
16 उस वक़्त बरअब्बा नाम उन का एक मशहूर क़ैदी था।
tadAnIM barabbAnAmA kazcit khyAtabandhyAsIt|
17 पस जब वो इकटठे हुए तो पीलातुस ने उस से कहा, “तुम किसे चाहते हो कि तुम्हारी ख़ातिर छोड़ दूँ? बरअब्बा को या ईसा को जो मसीह कहलाता है?”
tataH pIlAtastatra militAn lokAn apRcchat, eSa barabbA bandhI khrISTavikhyAto yIzuzcaitayoH kaM mocayiSyAmi? yuSmAkaM kimIpsitaM?
18 क्यूँकि उसे मा'लूम था, कि उन्होंने उसको जलन से पकड़वाया है।
tairIrSyayA sa samarpita iti sa jJAtavAn|
19 और जब वो तख़्त — ए आदालत पर बैठा था तो उस की बीवी ने उसे कहला भेजा “तू इस रास्तबाज़ से कुछ काम न रख क्यूँकि मैंने आज ख़्वाब में इस की वजह से बहुत दु: ख उठाया है।”
aparaM vicArAsanopavezanakAle pIlAtasya patnI bhRtyaM prahitya tasmai kathayAmAsa, taM dhArmmikamanujaM prati tvayA kimapi na karttavyaM; yasmAt tatkRte'dyAhaM svapne prabhUtakaSTamalabhe|
20 लेकिन सरदार काहिनों और बुज़ुर्गों ने लोगों को उभारा कि बरअब्बा को माँग लें, और ईसा को हलाक कराएँ।
anantaraM pradhAnayAjakaprAcInA barabbAM yAcitvAdAtuM yIzuJca hantuM sakalalokAn prAvarttayan|
21 हाकिम ने उनसे कहा इन दोनों में से किसको चाहते हो कि तुम्हारी ख़ातिर छोड़ दूँ? उन्होंने कहा “बरअब्बा को।”
tato'dhipatistAn pRSTavAn, etayoH kamahaM mocayiSyAmi? yuSmAkaM kecchA? te procu rbarabbAM|
22 पीलातुस ने उनसे कहा “फिर ईसा को जो मसीह कहलाता है क्या करूँ?” सब ने कहा “वो मस्लूब हो।”
tadA pIlAtaH papraccha, tarhi yaM khrISTaM vadanti, taM yIzuM kiM kariSyAmi? sarvve kathayAmAsuH, sa kruzena vidhyatAM|
23 उसने कहा “क्यूँ? उस ने क्या बुराई की है?” मगर वो और भी चिल्ला — चिल्ला कर कहने लगे “वो मस्लूब हो!”
tato'dhipatiravAdIt, kutaH? kiM tenAparAddhaM? kintu te punarucai rjagaduH, sa kruzena vidhyatAM|
24 जब पीलातुस ने देखा कि कुछ बन नहीं पड़ता बल्कि उल्टा बलवा होता जाता है तो पानी लेकर लोगों के रूबरू अपने हाथ धोए “और कहा, मैं इस रास्तबाज़ के ख़ून से बरी हूँ; तुम जानो।”
tadA nijavAkyamagrAhyamabhUt, kalahazcApyabhUt, pIlAta iti vilokya lokAnAM samakSaM toyamAdAya karau prakSAlyAvocat, etasya dhArmmikamanuSyasya zoNitapAte nirdoSo'haM, yuSmAbhireva tad budhyatAM|
25 सब लोगों ने जवाब में कहा “इसका ख़ून हमारी और हमारी औलाद की गर्दन पर।”
tadA sarvvAH prajAH pratyavocan, tasya zoNitapAtAparAdho'smAkam asmatsantAnAnAJcopari bhavatu|
26 इस पर उस ने बरअब्बा को उनकी ख़ातिर छोड़ दिया, और ईसा को कोड़े लगवा कर हवाले किया कि मस्लूब हो।
tataH sa teSAM samIpe barabbAM mocayAmAsa yIzuntu kaSAbhirAhatya kruzena vedhituM samarpayAmAsa|
27 इस पर हाकिम के सिपाहियों ने ईसा को क़िले में ले जाकर सारी पलटन उसके आस पास जमा की।
anantaram adhipateH senA adhipate rgRhaM yIzumAnIya tasya samIpe senAsamUhaM saMjagRhuH|
28 और उसके कपड़े उतार कर उसे क़िरमिज़ी चोग़ा पहनाया।
tataste tasya vasanaM mocayitvA kRSNalohitavarNavasanaM paridhApayAmAsuH
29 और काँटों का ताज बना कर उसके सिर पर रख्खा, और एक सरकंडा उस के दहने हाथ में दिया और उसके आगे घुटने टेक कर उसे ठठ्ठों में उड़ाने लगे; “ऐ यहूदियों के बादशाह, आदाब!”
kaNTakAnAM mukuTaM nirmmAya tacchirasi daduH, tasya dakSiNakare vetramekaM dattvA tasya sammukhe jAnUni pAtayitvA, he yihUdIyAnAM rAjan, tubhyaM nama ityuktvA taM tirazcakruH,
30 और उस पर थूका, और वही सरकंडा लेकर उसके सिर पर मारने लगे।
tatastasya gAtre niSThIvaM datvA tena vetreNa zira AjaghnuH|
31 और जब उसका ठठ्ठा कर चुके तो चोग़े को उस पर से उतार कर फिर उसी के कपड़े उसे पहनाए; और मस्लूब करने को ले गए।
itthaM taM tiraskRtya tad vasanaM mocayitvA punarnijavasanaM paridhApayAJcakruH, taM kruzena vedhituM nItavantaH|
32 जब बाहर आए तो उन्होंने शमौन नाम एक कुरेनी आदमी को पाकर उसे बेग़ार में पकड़ा, कि उसकी सलीब उठाए।
pazcAtte bahirbhUya kurINIyaM zimonnAmakamekaM vilokya kruzaM voDhuM tamAdadire|
33 और उस जगह जो गुल्गुता या'नी खोपड़ी की जगह कहलाती है पहुँचकर।
anantaraM gulgaltAm arthAt ziraskapAlanAmakasthAnamu pasthAya te yIzave pittamizritAmlarasaM pAtuM daduH,
34 पित मिली हुई मय उसे पीने को दी, मगर उसने चख कर पीना न चाहा।
kintu sa tamAsvAdya na papau|
35 और उन्होंने उसे मस्लूब किया; और उसके कपड़े पर्ची डाल कर बाँट लिए।
tadAnIM te taM kruzena saMvidhya tasya vasanAni guTikApAtena vibhajya jagRhuH, tasmAt, vibhajante'dharIyaM me te manuSyAH parasparaM| maduttarIyavastrArthaM guTikAM pAtayanti ca||yadetadvacanaM bhaviSyadvAdibhiruktamAsIt, tadA tad asidhyat,
36 और वहाँ बैठ कर उसकी निगहबानी करने लगे।
pazcAt te tatropavizya tadrakSaNakarvvaNi niyuktAstasthuH|
37 और उस का इल्ज़ाम लिख कर उसके सिर से ऊपर लगा दिया “कि ये यहूदियों का बादशाह ईसा है।”
aparam eSa yihUdIyAnAM rAjA yIzurityapavAdalipipatraM tacchirasa Urdvve yojayAmAsuH|
38 उस वक़्त उसके साथ दो डाकू मस्लूब हुए, एक दहने और एक बाएँ।
tatastasya vAme dakSiNe ca dvau cairau tena sAkaM kruzena vividhuH|
39 और राह चलने वाले सिर हिला — हिला कर उसको ला'न ता'न करते और कहते थे।
tadA pAnthA nijaziro lADayitvA taM nindanto jagaduH,
40 “ऐ मक़दिस के ढानेवाले और तीन दिन में बनाने वाले अपने आप को बचा; अगर तू ख़ुदा का बेटा है तो सलीब पर से उतर आ।”
he IzvaramandirabhaJjaka dinatraye tannirmmAtaH svaM rakSa, cettvamIzvarasutastarhi kruzAdavaroha|
41 इसी तरह सरदार काहिन भी फ़क़ीहों और बुज़ुर्गों के साथ मिलकर ठठ्ठे से कहते थे,
pradhAnayAjakAdhyApakaprAcInAzca tathA tiraskRtya jagaduH,
42 “इसने औरों को बचाया, अपने आप को नहीं बचा सकता, ये तो इस्राईल का बादशाह है; अब सलीब पर से उतर आए, तो हम इस पर ईमान लाएँ।
so'nyajanAnAvat, kintu svamavituM na zaknoti| yadIsrAyelo rAjA bhavet, tarhIdAnImeva kruzAdavarohatu, tena taM vayaM pratyeSyAmaH|
43 इस ने ख़ुदा पर भरोसा किया है, अगरचे इसे चाहता है तो अब इस को छुड़ा ले, क्यूँकि इस ने कहा था, मैं ख़ुदा का बेटा हूँ।”
sa Izvare pratyAzAmakarot, yadIzvarastasmin santuSTastarhIdAnImeva tamavet, yataH sa uktavAn ahamIzvarasutaH|
44 इसी तरह डाकू भी जो उसके साथ मस्लूब हुए थे, उस पर ला'न ता'न करते थे।
yau stenau sAkaM tena kruzena viddhau tau tadvadeva taM ninindatuH|
45 और दोपहर से लेकर तीसरे पहर तक तमाम मुल्क में अन्धेरा छाया रहा।
tadA dvitIyayAmAt tRtIyayAmaM yAvat sarvvadeze tamiraM babhUva,
46 और तीसरे पहर के क़रीब ईसा ने बड़ी आवाज़ से चिल्ला कर कहा “एली, एली, लमा शबक़तनी ऐ मेरे ख़ुदा, ऐ मेरे ख़ुदा, तू ने मुझे क्यूँ छोड़ दिया?”
tRtIyayAme "elI elI lAmA zivaktanI", arthAt madIzvara madIzvara kuto mAmatyAkSIH? yIzuruccairiti jagAda|
47 जो वहाँ खड़े थे उन में से कुछ ने सुन कर कहा “ये एलियाह को पुकारता है।”
tadA tatra sthitAH kecit tat zrutvA babhASire, ayam eliyamAhUyati|
48 और फ़ौरन उनमें से एक शख़्स दौड़ा और सोख़ते को लेकर सिरके में डुबोया और सरकंडे पर रख कर उसे चुसाया।
teSAM madhyAd ekaH zIghraM gatvA spaJjaM gRhItvA tatrAmlarasaM dattvA nalena pAtuM tasmai dadau|
49 मगर बाक़ियों ने कहा, “ठहर जाओ, देखें तो एलियाह उसे बचाने आता है या नहीं।”
itare'kathayan tiSThata, taM rakSitum eliya AyAti naveti pazyAmaH|
50 ईसा ने फिर बड़ी आवाज़ से चिल्ला कर जान दे दी।
yIzuH punarucairAhUya prANAn jahau|
51 और मक़दिस का पर्दा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया, और ज़मीन लरज़ी और चट्टानें तड़क गईं।
tato mandirasya vicchedavasanam UrdvvAdadho yAvat chidyamAnaM dvidhAbhavat,
52 और क़ब्रें खुल गईं। और बहुत से जिस्म उन मुक़द्दसों के जो सो गए थे, जी उठे।
bhUmizcakampe bhUdharovyadIryyata ca| zmazAne mukte bhUripuNyavatAM suptadehA udatiSThan,
53 और उसके जी उठने के बाद क़ब्रों से निकल कर मुक़द्दस शहर में गए, और बहुतों को दिखाई दिए।
zmazAnAd vahirbhUya tadutthAnAt paraM puNyapuraM gatvA bahujanAn darzayAmAsuH|
54 पस सुबेदार और जो उस के साथ ईसा की निगहबानी करते थे, भुन्चाल और तमाम माजरा देख कर बहुत ही डर कर कहने लगे “बै — शक ये ख़ुदा का बेटा था।”
yIzurakSaNAya niyuktaH zatasenApatistatsaGginazca tAdRzIM bhUkampAdighaTanAM dRSTvA bhItA avadan, eSa Izvaraputro bhavati|
55 और वहाँ बहुत सी औरतें जो गलील से ईसा की ख़िदमत करती हुई उसके पीछे — पीछे आई थी, दूर से देख रही थीं।
yA bahuyoSito yIzuM sevamAnA gAlIlastatpazcAdAgatAstAsAM madhye
56 उन में मरियम मग़दलिनी थी, और या'क़ूब और योसेस की माँ मरियम और ज़ब्दी के बेटों की माँ।
magdalInI mariyam yAkUbyozyo rmAtA yA mariyam sibadiyaputrayo rmAtA ca yoSita etA dUre tiSThantyo dadRzuH|
57 जब शाम हुई तो यूसुफ़ नाम अरिमतियाह का एक दौलतमन्द आदमी आया जो ख़ुद भी ईसा का शागिर्द था।
sandhyAyAM satyam arimathiyAnagarasya yUSaphnAmA dhanI manujo yIzoH ziSyatvAt
58 उस ने पीलातुस के पास जा कर ईसा की लाश माँगी, इस पर पीलातुस ने दे देने का हुक्म दे दिया।
pIlAtasya samIpaM gatvA yIzoH kAyaM yayAce, tena pIlAtaH kAyaM dAtum Adideza|
59 यूसुफ़ ने लाश को लेकर साफ़ महीन चादर में लपेटा।
yUSaph tatkAyaM nItvA zucivastreNAcchAdya
60 और अपनी नई क़ब्र में जो उस ने चट्टान में खुदवाई थी रख्खा, फिर वो एक बड़ा पत्थर क़ब्र के मुँह पर लुढ़का कर चला गया।
svArthaM zaile yat zmazAnaM cakhAna, tanmadhye tatkAyaM nidhAya tasya dvAri vRhatpASANaM dadau|
61 और मरियम मग़दलिनी और दूसरी मरियम वहाँ क़ब्र के सामने बैठी थीं।
kintu magdalInI mariyam anyamariyam ete striyau tatra zmazAnasammukha upavivizatuH|
62 दूसरे दिन जो तैयारी के बाद का दिन था, सरदार काहिन और फ़रीसियों ने पीलातुस के पास जमा होकर कहा।
tadanantaraM nistArotsavasyAyojanadinAt pare'hani pradhAnayAjakAH phirUzinazca militvA pIlAtamupAgatyAkathayan,
63 ख़ुदावन्द हमें याद है “कि उस धोखेबाज़ ने जीते जी कहा था, मैं तीन दिन के बाद जी उठूँगा।
he maheccha sa pratArako jIvana akathayat, dinatrayAt paraM zmazAnAdutthAsyAmi tadvAkyaM smarAmo vayaM;
64 पस हुक्म दे कि तीसरे दिन तक क़ब्र की निगहबानी की जाए, कहीं ऐसा न हो कि उसके शागिर्द आकर उसे चुरा ले जाएँ, और लोगों से कह दें, वो मुर्दों में से जी उठा, और ये पिछला धोखा पहले से भी बुरा हो।”
tasmAt tRtIyadinaM yAvat tat zmazAnaM rakSitumAdizatu, nocet tacchiSyA yAminyAmAgatya taM hRtvA lokAn vadiSyanti, sa zmazAnAdudatiSThat, tathA sati prathamabhrAnteH zeSIyabhrAnti rmahatI bhaviSyati|
65 पीलातुस ने उनसे कहा “तुम्हारे पास पहरे वाले हैं जाओ, जहाँ तक तुम से हो सके उसकी निगहबानी करो।”
tadA pIlAta avAdIt, yuSmAkaM samIpe rakSigaNa Aste, yUyaM gatvA yathA sAdhyaM rakSayata|
66 पस वो पहरेदारों को साथ लेकर गए, और पत्थर पर मुहर करके क़ब्र की निगहबानी की।
tataste gatvA taddUrapASANaM mudrAGkitaM kRtvA rakSigaNaM niyojya zmazAnaM rakSayAmAsuH|

< मत्ती 27 >