< मत्ती 23 >
1 उस वक़्त ईसा ने भीड़ से और अपने शागिर्दों से ये बातें कहीं,
ᎿᎭᏉᏃ ᏥᏌ ᏚᏬᏁᏔᏅᎩ ᎤᏂᏣᏘ ᎠᎴ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ,
2 “फ़क़ीह और फ़रीसीमूसा के शरी'अत की गधी पर बैठे हैं।
ᎯᎠ ᏄᏪᏒᎩ; ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ ᎠᎴ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᎼᏏ ᎤᏪᏍᎩᎸ ᎠᏂᎾ;
3 पस जो कुछ वो तुम्हें बताएँ वो सब करो और मानो, लेकिन उनकी तरह काम न करो; क्यूँकि वो कहते हैं, और करते नहीं।
ᎾᏍᎩ ᎯᏳᏍᏗ ᏂᎦᎥ ᎪᎱᏍᏗ ᏗᏥᎧᎿᎭᏩᏚᎦ ᎨᏦᏎᎮᏍᏗ ᏕᏥᎧᎿᎭᏩᏕᎨᏍᏗ ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏂᏣᏛᏁᎮᏍᏗ; ᎠᏎᏃ ᎾᏍᎩ ᎾᎾᏛᏁᎲᎢ ᏞᏍᏗ ᏱᏂᏣᏛᏁᎮᏍᏗ; ᎠᏂᏁᎪᏰᏃ ᎠᏎᏃ ᎥᏝ ᎾᏍᎩ ᏱᎾᎾᏛᏁᎰᎢ.
4 वो ऐसे भारी बोझ जिनको उठाना मुश्किल है, बाँध कर लोगों के कँधों पर रखते हैं, मगर ख़ुद उनको अपनी उंगली से भी हिलाना नहीं चाहते।
ᏓᎾᏓᎵᏢᏍᎪᏰᏃ ᏗᎦᎨᏛ ᏗᎵᏒᏍᏗ ᎠᎴ ᎤᏕᏯᏙᏗ ᏗᎵᏒᏍᏗᏱ, ᎾᏍᎩᏃ ᏴᏫ ᏓᏂᏃᎭᏝᎲᏍᎪᎢ; ᎠᏎᏃ ᎤᏅᏒ ᎥᏝ ᏌᏉ ᎠᏂᏰᏌᏛ ᏴᎬᏅᏓ ᏱᏙᎬᏂᏖᎸᎲᎦ.
5 वो अपने सब काम लोगों को दिखाने को करते हैं; क्यूँकि वो अपने ता'वीज़ बड़े बनाते और अपनी पोशाक के किनारे चौड़े रखते हैं।
ᏂᎦᏗᏳᏍᎩᏂ ᏚᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎲ ᏴᏫᏉ ᎬᏩᏂᎪᏩᏛᏗᏱ ᎤᏂᏰᎸᏐᎢ. ᏗᏯᏖᎾ ᏂᏓᏅᏁᎰ ᏧᎾᎬᏓᏃᏍᏗ, ᎠᎴ ᏓᏂᏯᏛᎥᏍᏗᏍᎪ ᏕᎦᏓᎷᏯᏛ ᏧᎾᏄᏬ;
6 ज़ियाफ़तों में सद्र नशीनी और इबादतख़ानों में आ'ला दर्जे की कुर्सियाँ।
ᎠᎴ ᎤᏂᎸᏉᏙ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᏧᎾᏂᏢᏗᏱ ᏓᎾᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎬᎢ, ᎠᎴ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᏕᎦᏍᎩᎸ ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ,
7 और बाज़ारों में सलाम और आदमियों से रब्बी कहलाना पसन्द करते हैं।
ᎠᎴ ᎨᏥᏲᎵᏍᏗᏱ ᏗᎦᏃᏙᏗᏱ, ᎠᎴ ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ, ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ, ᎬᏩᏃᏎᏗᏱ ᏴᏫ.
8 मगर तुम रब्बी न कहलाओ, क्यूँकि तुम्हारा उसताद एक ही है और तुम सब भाई हो
ᏂᎯᏍᎩᏂ ᏞᏍᏗ ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ, ᏰᏦᏎᎮᏍᏗ; ᎠᏏᏴᏫᏰᏃ ᏗᏤᏲᎲᏍᎩ, ᎾᏍᎩ ᎦᎶᏁᏛ; ᏂᎦᏛᏃ ᏂᎯ ᎢᏣᎵᏅᏟᏉ.
9 और ज़मीन पर किसी को अपना बाप न कहो, क्यूँकि तुम्हारा ‘बाप’ एक ही है जो आसमानी है।
ᎠᎴ ᏞᏍᏗ ᎩᎶ ᎡᏙᏓ ᎡᏦᏎᎸᎩ ᎠᏂ ᎡᎶᎯ; ᎠᏏᏴᏫᏉᏰᏃ ᎢᏥᏙᏓ, ᎾᏍᎩ ᎦᎸᎳᏗ ᏨᏤᎭ.
10 और न तुम हादी कहलाओ, क्यूँकि तुम्हारा हादी एक ही है, या'नी मसीह।
ᎠᎴ ᏞᏍᏗ ᏍᏆᏘᏂᏙᎯ ᏰᏦᏎᎮᏍᏗ ᏂᎯ, ᎠᏏᏴᏫᏉᏰᏃ ᏗᏣᏘᏂᏙᎯ, ᎾᏍᎩ ᎦᎶᏁᏛ.
11 लेकिन जो तुम में बड़ा है, वो तुम्हारा ख़ादिम बने।
ᎩᎶᏍᎩᏂ ᎤᏟ ᎠᏥᎸᏉᏗᏳ ᎨᏎᏍᏗ ᏂᎯ ᎢᏤᎲᎢ, ᎾᏍᎩ ᎡᏥᏅᏏᏓᏍᏗ ᎨᏎᏍᏗ.
12 जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वो छोटा किया जाएगा; और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वो बड़ा किया जाएगा।”
ᎩᎶᏃ ᎤᏩᏒᏉ ᎢᎠᏓᏌᎳᏗᏍᎨᏍᏗ ᎡᎳᏗ ᎢᏯᎬᏁᏗ ᎨᏎᏍᏗ; ᎩᎶᏃ ᎤᏩᏒᏉ ᎡᎳᏗ ᎾᏓᏛᏁᎮᏍᏗ ᎠᏥᏌᎳᏙᏗ ᎨᏎᏍᏗ.
13 “ऐ रियाकार; आलिमों और फ़रीसियो तुम पर अफ़सोस कि आसमान की बादशाही लोगों पर बन्द करते हो, क्यूँकि न तो आप दाख़िल होते हो, और न दाख़िल होने वालों को दाख़िल होने देते हो।
ᏂᎯᏍᎩᏂ ᎤᏲᎢᏳ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ ᏗᏦᏪᎵᏍᎩ ᎠᎴ ᎢᏥᏆᎵᏏ ᎢᏣᏠᎾᏍᏗ! ᏕᏥᏍᏚᏁᎰᏰᏃ ᏴᏫ ᎦᎸᎳᏗ ᎤᏤᎵᎪᎯ; ᎥᏝᏰᏃ ᎢᏨᏒ ᏱᏥᏴᎯᎰᎢ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᎤᎾᏁᎳᎩ ᏩᏂᏴᎭ ᏱᏗᏤᎵᏎᎰ ᏩᏂᏴᎯᎯ.
14 ऐ रियाकार; आलिमों और फ़रीसियो तुम पर अफ़सोस, कि तुम बेवाओं के घरों को दबा बैठते हो, और दिखावे के लिए ईबादत को तुल देते हो; तुम्हें ज़्यादा सज़ा होगी।”
ᎤᏲᎢᏳ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ ᏗᏦᏪᎵᏍᎩ ᎠᎴ ᎢᏥᏆᎵᏏ ᎢᏣᏠᎾᏍᏗ! ᏕᏥᏒᏁᎰᏰᏃ ᏧᏃᏑᎶᏨᎯ ᏓᏂᏁᎸᎢ, ᎠᎴ ᎢᏣᏠᎾᏍᏛ ᎪᎯᏗᏳ ᎢᏣᏓᏙᎵᏍᏗᏍᎪᎢ. ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎤᏟᎯᏳ ᎢᎦᎢ ᎢᏥᎩᎵᏲᎢᏍᏗ ᎨᏎᏍᏗ.
15 “ऐ रियाकार; फ़क़ीहो और फ़रीसियो तुम पर अफ़सोस, कि एक मुरीद करने के लिए तरी और ख़ुश्की का दौरा करते हो, और जब वो मुरीद हो चुकता है तो उसे अपने से दूगना जहन्नुम का फ़र्ज़न्द बना देते हो।” (Geenna )
ᎤᏲᎢᏳ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ ᏗᏦᏪᎵᏍᎩ ᎠᎴ ᎢᏥᏆᎵᏏ ᎢᏣᏠᎾᏍᏗ! ᏕᏣᏕᏲᎰᏰᏃ ᎠᎺᏉᎯ ᎠᎴ ᎦᏙᎯ ᎡᏥᏲᎰ ᎠᏏᏴᏫ ᏄᏍᏛ ᎢᏦᎯᏳᏒ ᎪᎯᏳᎲᏍᎩ ᎢᏰᏨᏁᏗᏱ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏁᏨᎦ ᏔᎵ ᎢᏳᏩᎫᏗ ᎤᏟ ᏨᏍᎩᏃᎢ ᎤᏪᏥ ᏁᏨᏁᎰ ᎡᏍᎦᏉ ᎢᏨᏒ. (Geenna )
16 “ऐ अंधे राह बताने वालो, तुम पर अफ़्सोस! जो कहते हो, अगर कोई मक़दिस की क़सम खाए तो कुछ बात नहीं; लेकिन अगर मक़दिस के सोने की क़सम खाए तो उसका पाबन्द होगा।
ᎤᏲᎢᏳ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ, ᏗᏥᎨᏫ ᏗᏣᏓᏘᏂᏙᎯ! ᎯᎠ ᎢᏥᏪᏍᎩ; ᎩᎶ ᎢᎠᏎᎵᏛᏍᎨᏍᏗ ᎢᎧᏁᎢᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎤᏛᏅ-ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ, ᎠᏎᏉᏉ ᎾᏍᎩ; ᎩᎶᏍᎩᏂ ᎢᎧᏁᎢᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎠᏕᎸ ᏓᎶᏂᎨ ᎤᏛᎾ-ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ ᎠᎲᎢ, ᎾᏍᎩ ᎠᏍᏓᏱᏳ ᎤᏚᏓᎳ.
17 ऐ अहमक़ों! और अँधों सोना बड़ा है, या मक़्दिस जिसने सोने को मुक़द्दस किया।
ᎢᏥᏁᎫ ᎠᎴ ᏗᏥᎨᏫ! ᎦᏙ ᎤᏍᏗ ᎤᏟ ᎦᎸᏉᏗᏳ, ᎠᏕᎸᏍᎪ ᏓᎶᏂᎨᎢ, ᎤᏛᎾ-ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱᎨ ᎾᏍᎩ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᏥᏂᎬᏁᎭ ᎠᏕᎸ ᏓᎶᏂᎨᎢ?
18 फिर कहते हो ‘अगर कोई क़ुर्बानगाह की क़सम खाए तो कुछ बात नहीं; लेकिन जो नज़्र उस पर चढ़ी हो अगर उसकी क़सम खाए तो उसका पाबन्द होगा।’
ᎠᎴ, ᎩᎶ ᎢᎧᏁᎢᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎠᏥᎸ-ᎨᎳᏍᏗᏱ, ᎠᏎᏉᏉ ᎾᏍᎩ; ᎩᎶᏍᎩᏂ ᎢᎧᏁᎢᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎠᎵᏍᎪᎸᏔᏅᎯ ᎾᎿᎭᎠᎲᎢ, ᎾᏍᎩ ᎠᏍᏓᏱᏳ ᎤᏚᏓᎳ.
19 ऐ अंधो! नज़्र बड़ी है या क़ुर्बानगाह जो नज़्र को मुक़द्दस करती है?
ᎢᏥᏁᎫ ᎠᎴ ᏗᏥᎨᏫ! ᎦᏙ ᎤᏍᏗ ᎤᏟ ᎦᎸᏉᏗᏳ, ᎠᎵᏍᎪᎸᏔᏅᎯᏍᎪ, ᎠᏥᎸᎨ-ᎨᎳᏍᏗᏱ, ᎾᏍᎩ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᏥᏂᎬᏁᎭ ᎠᎵᏍᎪᎸᏔᏅᎯ?
20 पस, जो क़ुर्बानगाह की क़सम खाता है, वो उसकी और उन सब चीज़ों की जो उस पर हैं क़सम खाता है।
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎩᎶ ᎢᎠᏎᎵᏛᏍᎨᏍᏗ ᎢᎧᏁᎢᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎠᏥᎸᎨᎳᏍᏗᏱ, ᎧᏁᎢᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᎠᎴ ᏂᎦᎥ ᎪᎱᏍᏗ ᎾᎿᎭᎠᎲᎢ.
21 और जो मक़दिस की क़सम खाता है वो उसकी और उसके रहनेवाले की क़सम खाता है।
ᎠᎴ ᎩᎶ ᎢᎧᏁᎢᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎤᏛᏅ-ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ, ᎧᏁᎢᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᎠᎴ ᎾᎿᎭᎦᏁᎳ.
22 और जो आस्मान की क़सम खाता है वह ख़ुदा के तख़्त की और उस पर बैठने वाले की क़सम भी खाता है।”
ᎠᎴ ᎩᎶ ᎢᎧᏁᎢᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎦᎸᎳᏗ, ᎧᏁᎢᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏪᏗᏱ ᎠᎴ ᎾᎿᎭᎤᏬᎵ.
23 “ऐ रियाकार; आलिमों और फ़रीसियो तुम पर अफ़सोस कि पुदीना सौंफ़ और ज़ीरे पर तो दसवाँ हिस्सा देते हो, पर तुम ने शरी'अत की ज़्यादा भारी बातों या'नी इन्साफ़, और रहम, और ईमान को छोड़ दिया है; लाज़िम था ये भी करते और वो भी न छोड़ते।”
ᎤᏲᎢᏳ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ ᏗᏦᏪᎵᏍᎩ ᎠᎴ ᎢᏥᏆᎵᏏ ᎢᏣᏠᎾᏍᏗ! ᎠᏍᎪᎯᏁᏰᏃ ᎢᏣᎫᏱᏍᎪ ᏒᏟ ᎠᎴ ᎡᏒ ᎠᎴ ᎦᎻᏂ; ᏕᏥᏃᎯᏯᏍᎪᏃ ᎤᏟ ᎤᎵᏍᎨᏛᏯ ᎨᏒ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ, ᏚᏳᎪᏛ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎠᏓᏙᎵᏍᏗᏱ, ᎠᎴ ᎪᎯᏳᏗᏱ. ᎾᏍᎩᏍᎩᏂ ᎯᎠ ᏱᏂᏣᏛᏁᎴᎢ, ᎠᎴ ᏐᎢ ᏂᏥᏃᎯᏴᎾᏉ ᏱᎨᏎᎢ.
24 “ऐ अंधे राह बताने वालो; जो मच्छर को तो छानते हो, और ऊँट को निगल जाते हो।
ᏗᏥᎨᏫ ᏗᏣᏓᏘᏂᏙᎯ! ᏙᏒ ᎢᏥᎿᎭᏐᎸᏍᏗᏍᎩ ᎨᎻᎵᏃ ᎢᏥᎩᏍᎩ.
25 ऐ रियाकार; आलिमों और फ़रीसियो तुम पर अफ़सोस कि प्याले और रक़ाबी को ऊपर से साफ़ करते हो, मगर वो अन्दर लूट और ना'परहेज़गारी से भरे हैं।
ᎤᏲᎢᏳ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ ᏗᏦᏪᎵᏍᎩ ᎠᎴ ᎢᏥᏆᎵᏏ ᎢᏣᏠᎾᏍᏗ! ᎢᏦᏑᎴᏍᎪᏰᏃ ᎦᏚᎢᏗᏢ ᎤᎵᏍᏈᏗ ᎠᎴ ᎠᏖᎵᏙ, ᎠᏎᏃ ᎠᏫᏂᏗᏢ ᎤᎧᎵᏨᎯ ᎨᏐ ᎠᏎᏉ ᎠᏓᎩᎡᏗ ᎨᏒᎢ ᎠᎴ ᏚᏳᎪᏛ ᏂᎨᏒᎾ.
26 ऐ अंधे फ़रीसी; पहले प्याले और रक़ाबी को अन्दर से साफ़ कर ताकि ऊपर से भी साफ़ हो जाए।”
ᎯᏆᎵᏏ ᏘᎨᏫ! ᎢᎬᏱ ᎯᏅᎦᎸ ᎠᏫᏂᏗᏢ ᎤᎵᏍᏈᏗ ᎠᎴ ᎠᏖᎵᏙ, ᎦᏚᎢᏗᏢᏃ ᎾᏍᏉ ᏧᏓᏅᎦᎸᏛ ᎨᏎᏍᏗ.
27 “ऐ रियाकार; आलिमों और फ़रीसियो तुम पर अफ़सोस कि तुम सफ़ेदी फिरी हुई क़ब्रों की तरह हो, जो ऊपर से तो ख़ूबसूरत दिखाई देती हैं, मगर अन्दर मुर्दों की हड्डियों और हर तरह की नापाकी से भरी हैं।
ᎤᏲᎢᏳ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ ᏗᏦᏪᎵᏍᎩ ᎠᎴ ᎢᏥᏆᎵᏏ ᎢᏣᏠᎾᏍᏗ! ᎾᏍᎩᏯᏉᏰᏃ ᏂᎯ ᏧᏁᎬ ᎢᏗᎬᏁᎸᎯ ᏓᏤᎵᏍᏛᎢ, ᎾᏍᎩ ᎦᏚᎢᏗᏢ ᎤᏙᎯᏳᎯ ᏧᏬᏚᎯᏳ ᏥᎨᏐᎢ, ᎠᏎᏃ ᎠᏫᏂᏗᏢ ᏧᎧᎵᏨᎯ ᏥᎨᏐ ᏧᏂᏲᎱᏒᎯ ᏧᏂᎪᎳ ᎠᎴ ᏂᎦᎥ ᎦᏓᎭ ᎨᏒᎢ
28 इसी तरह तुम भी ज़ाहिर में तो लोगों को रास्तबाज़ दिखाई देते हो, मगर बातिन में रियाकारी और बेदीनी से भरे हो।”
ᎾᏍᎩᏯᏉᏍᎩᏂ ᎾᏍᏉ ᏂᎯ ᎦᏚᎢᏗᏢ ᎢᏣᏓᏅᏘᏳ ᏅᏩᏍᏙᎢ ᏴᏫ ᏗᎨᏣᎧᏃᏗᏱ, ᎠᏎᏃ ᎠᏫᏂᏗᏢ ᎢᏥᎧᎵᏨᎯ ᎨᏐ ᎢᏣᏠᎾᏍᏛᎢ ᎠᎴ ᎤᏲᎢ.
29 “ऐ रियाकार; आलिमों और फ़रीसियो तुम पर अफ़सोस, कि नबियों की क़ब्रें बनाते और रास्तबाज़ों के मक़बरे आरास्ता करते हो।
ᎤᏲᎢᏳ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ ᏗᏦᏪᎵᏍᎩ ᎠᎴ ᎢᏥᏆᎵᏏ ᎢᏣᏠᎾᏍᏗ! ᏕᏦᏢᎯᏏᏍᎪᏰᏃ ᏕᎦᏂᏌᎲ ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ, ᎠᎴ ᏕᏦᏚᎢᏍᏗᏍᎪ ᏓᏤᎵᏍᏛ ᎤᎾᏓᏅᏘ;
30 और कहते हो, ‘अगर हम अपने बाप दादा के ज़माने में होते तो नबियों के ख़ून में उनके शरीक न होते।’
ᎯᎠᏃ ᏂᏥᏪᏍᎪᎢ; ᎢᏳᏃ ᎠᏴ ᏲᏤᎮ ᎾᎯᏳ ᏦᎩᏙᏓ ᏣᏁᎮᎢ, ᎥᏝ ᏱᏙᎦᏲᏣᎵᎪᏁᎴ ᎩᎬ ᏚᎾᏤᏪᎸ ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ.
31 इस तरह तुम अपनी निस्बत गवाही देते हो, कि तुम नबियों के क़ातिलों के फ़र्ज़न्द हो।
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎢᏨᏒ ᎬᏂᎨᏒ ᏂᏣᏓᏛᏁ ᎾᏍᎩ ᏗᏥᏙᏓ ᎨᏒ ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ ᏧᏂᎸᎯ.
32 ग़रज़ अपने बाप दादा का पैमाना भर दो।
ᎢᏥᎧᎵᏣᎪᎦ ᏗᏥᏙᏓ ᎤᎾᏟᎶᎥᎢ.
33 ऐ साँपों, ऐ अफ़'ई के बच्चो; तुम जहन्नुम की सज़ा से क्यूँकर बचोगे? (Geenna )
ᎢᎾᏛ ᏂᎯ! ᎤᏂᏍᎦᏎᏗ ᎢᎾᏛ ᏧᏁᏥ ᏂᎯ! ᎦᏙᏃ ᏱᎦᎵᏍᏙᏓ ᏰᏣᏗᏫᏏ ᎠᎩᎵᏲᎢᏍᏗ ᏗᎨᏒ ᏨᏍᎩᏃᎢ? (Geenna )
34 इसलिए देखो मैं नबियों, और दानाओं और आलिमों को तुम्हारे पास भेजता हूँ, उन में से तुम कुछ को क़त्ल और मस्लूब करोगे, और कुछ को अपने इबादतख़ानों में कोड़े मारोगे, और शहर ब शहर सताते फिरोगे।
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎬᏂᏳᏉ ᏕᏥᏅᎵ ᎾᎿᎭᏗᏤᎲ ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ ᎠᎴ ᎠᏂᎦᏔᎿᎭᎢ ᎠᎴ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ; ᎢᎦᏛᏃ ᏙᏓᏥᎵ ᎠᎴ ᏙᏓᏣᏛᏂ ᏓᏓᎿᎭᏩᏍᏛᎢ, ᎢᎦᏛᏃ ᏙᏓᏥᎵᎥᏂᎵ ᏗᏥᎳᏫᎢᏍᏗᏱ, ᎠᎴ ᎤᏲ ᏂᏙᏓᏨᏁᎵ ᏕᎦᏚᎿᎭᎥᎢ;
35 ताकि सब रास्तबाज़ों का ख़ून जो ज़मीन पर बहाया गया तुम पर आए, रास्तबाज़ हाबिल के ख़ून से लेकर बरकियाह के बेटे ज़करियाह के ख़ून तक जिसे तुम ने मक़दिस और क़ुर्बानगाह के दर्मियान क़त्ल किया।
ᎾᏍᎩ ᎢᏥᎷᏤᏗᏱ ᏂᎦᏛ ᎣᏍᏛ ᎩᎬ ᎡᎶᎯ ᎤᏤᏬᏨᎯ, ᎤᏓᏅᏘ ᎡᏈᎵ ᎤᎩᎬ ᏅᏓᎬᏩᏓᎴᏅᏛ, ᏤᎦᎳᏯ ᎤᎩᎬ ᏇᎵᎦᏯ ᎤᏪᏥ ᏅᏛᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᏤᏥᎸ ᎤᏜᏓᏅᏛ ᎤᏛᎾ-ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ ᎠᏥᎸᏃ-ᎨᎳᏍᏗᏱ.
36 मैं तुम से सच कहता हूँ कि ये सब कुछ इसी ज़माने के लोगों पर आएगा।”
ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ ᎯᎠ ᏂᏨᏪᏎᎭ; ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏂᎦᏛ ᏓᏳᎾᎵᏱᎶᎮᎵ ᎯᎠ ᎪᎯ ᏣᏁᎭ.
37 “ऐ यरूशलीम ऐ यरूशलीम तू जो नबियों को क़त्ल करता और जो तेरे पास भेजे गए, उनको संगसार करता है, कितनी बार मैंने चाहा कि जिस तरह मुर्ग़ी अपने बच्चों को परों तले जमा कर लेती है, इसी तरह मैं भी तेरे लड़कों को जमा कर लूँ; मगर तुम ने न चाहा।
ᏥᎷᏏᎵᎻ! ᏥᎷᏏᎵᎻ! ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ ᏘᎯᎯ, ᎠᎴ ᎨᏣᎷᏤᏗᏱ ᎨᏥᏅᏒᎯ ᏅᏯ ᏛᏂᏍᏗᏍᎩ! ᏯᏃᎩᏳ ᎠᏆᏚᎵᏍᎬ ᎦᏥᏯᏟᏐᏗᏱ ᏗᏤᏥ, ᎾᏍᎩᏯ ᏣᏔᎦ ᏥᏕᎦᏟᏏᏍᎪ ᏧᏪᏥ ᎠᏂᏛ ᏗᎧᏃᎨᏂ ᎭᏫᏂᏗᏢ; ᎠᏎᏃ ᎥᏝ ᏱᏣᏚᎵᏍᎨᎢ.
38 देखो; तुम्हारा घर तुम्हारे लिए वीरान छोड़ा जाता है।
ᎬᏂᏳᏉ ᎢᏣᏤᎵ ᎦᎵᏦᏕ ᏅᏔ ᏁᏨᏁᎸ.
39 क्यूँकि मैं तुम से कहता हूँ, कि अब से मुझे फिर हरगिज़ न देखोगे; जब तक न कहोगे कि मुबारिक़ है वो जो दावन्द के नाम से आता है।”
ᎯᎠᏰᏃ ᏂᏨᏪᏎᎭ; ᎥᏝ ᏴᎨᏍᎩᎪᏩᏛ ᎪᎯ ᎢᏳᏓᎴᏅᏛ, ᎬᏂ ᎯᎠ ᏂᏥᏪᏒᎭ; ᎠᏥᎸᏉᏗᏳ ᎾᏍᎩ ᏱᎰᏩ ᏕᎤᏙᎥ ᏥᎦᎷᎯᏍᏗᎭ.