< मरकुस 15 >

1 और फ़ौरन सुबह होते ही सरदार काहिनों ने और बुज़ुर्गों और फ़क़ीहों और सब सद्र 'ए अदालत वालों समेत सलाह करके ईसा को बन्धवाया और ले जा कर पीलातुस के हवाले किया।
Immediately in the morning the chief priests, with the elders and scribes, and the whole council, held a consultation, and bound Jesus, and carried him away, and delivered him to Pilate.
2 और पीलातुस ने उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का बादशाह है?” उसने जवाब में उस से कहा, “तू ख़ुद कहता है।”
Pilate asked him, "Are you the King of the Jews?" He answered, "You say so."
3 और सरदार काहिन उस पर बहुत सी बातों का इल्ज़ाम लगाते रहे।
The chief priests accused him of many things.
4 पीलातुस ने उस से दोबारा सवाल करके ये कहा “तू कुछ जवाब नहीं देता देख ये तुझ पर कितनी बातों का इल्ज़ाम लगाते है।”
Pilate again asked him, "Have you no answer? See how many things they testify against you."
5 ईसा ने फिर भी कुछ जवाब न दिया यहाँ तक कि पीलातुस ने ताअ'ज्जुब किया।
But Jesus made no further answer, and Pilate was amazed.
6 और वो 'ईद पर एक क़ैदी को जिसके लिए लोग अर्ज़ करते थे छोड़ दिया करता था।
Now at the feast he used to release to them one prisoner, whom they requested.
7 और बर'अब्बा नाम एक आदमी उन बाग़ियों के साथ क़ैद में पड़ा था जिन्होंने बग़ावत में ख़ून किया था।
There was one called Barabbas, bound with those who had made insurrection, who in the insurrection had committed murder.
8 और भीड़ उस पर चढ़कर उस से अर्ज़ करने लगी कि जो तेरा दस्तूर है वो हमारे लिए कर।
And the crowd went up and began to ask him to do for them according to his custom.
9 पीलातुस ने उन्हें ये जवाब दिया, “क्या तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारी ख़ातिर यहूदियों के बादशाह को छोड़ दूँ?”
Pilate answered them, saying, "Do you want me to release to you the King of the Jews?"
10 क्यूँकि उसे मा'लूम था कि सरदार काहिन ने इसको हसद से मेरे हवाले किया है।
For he perceived that for envy the chief priests had delivered him up.
11 मगर सरदार काहिनों ने भीड़ को उभारा ताकि पीलातुस उनकी ख़ातिर बर'अब्बा ही को छोड़ दे।
But the chief priests stirred up the crowd, that he should release Barabbas to them instead.
12 “पीलातुस ने दोबारा उनसे कहा फिर जिसे तुम यहूदियों का बादशाह कहते हो? उसे मैं क्या करूँ।”
Pilate again asked them, "What then should I do to him whom you call the King of the Jews?"
13 वो फिर चिल्लाए “वो मस्लूब हो।”
They shouted again, "Crucify him."
14 पीलातुस ने उनसे कहा “क्यूँ? उस ने क्या बुराई की है?” वो और भी चिल्लाए “वो मस्लूब हो!”
Pilate said to them, "Why, what evil has he done?" But they shouted all the louder, "Crucify him."
15 पीलातुस ने लोगों को ख़ुश करने के इरादे से उनके लिए बर'अब्बा को छोड़ दिया और ईसा को कोड़े लगवाकर हवाले किया कि मस्लूब हो।
Pilate, wishing to please the crowd, released Barabbas to them, and handed over Jesus, when he had flogged him, to be crucified.
16 और सिपाही उसको उस सहन में ले गए, जो प्रैतोरियुन कहलाता है और सारी पलटन को बुला लाए।
The soldiers led him away within the court, which is the Praetorium; and they called together the whole cohort.
17 और उन्हों ने उसे इर्ग़वानी चोग़ा पहनाया और काँटों का ताज बना कर उसके सिर पर रख्खा।
They clothed him with purple, and weaving a crown of thorns, they put it on him.
18 और उसे सलाम करने लगे “ऐ यहूदियों के बादशाह! आदाब।”
They began to salute him, "Greetings, King of the Jews."
19 और वो उसके सिर पर सरकंडा मारते और उस पर थूकते और घुटने टेक टेक कर उसे सज्दा करते रहे।
They struck his head with a reed, and spat on him, and bowing their knees, did homage to him.
20 और जब उसे ठठ्ठों में उड़ा चुके तो उस पर से इर्ग़वानी चोग़ा उतार कर उसी के कपड़े उसे पहनाए फिर उसे मस्लूब करने को बाहर ले गए।
When they had mocked him, they took the purple off of him, and put his own garments on him. They led him out to crucify him.
21 और शमौन नाम एक कुरेनी आदमी सिकन्दर और रुफ़स का बाप देहात से आते हुए उधर से गुज़रा उन्होंने उसे बेग़ार में पकड़ा कि उसकी सलीब उठाए।
And they forced one passing by, Simon of Cyrene, coming from the country, the father of Alexander and Rufus, to go with them, that he might carry his cross.
22 और वो उसे मुक़ाम'ए गुल्गुता पर लाए जिसका तरजुमा (खोपड़ी की जगह) है।
And they brought him to the place called Golgotha, which is translated, "The place of a skull."
23 और मुर मिली हुई मय उसे देने लगे मगर उसने न ली।
They offered him wine mixed with myrrh to drink, but he did not take it.
24 और उन्होंने उसे मस्लूब किया और उसके कपड़ों पर पर्ची डाली कि किसको क्या मिले उन्हें बाँट लिया।
Crucifying him, they parted his garments among them, casting lots on them, what each should take.
25 और पहर दिन चढ़ा था जब उन्होंने उसको मस्लूब किया।
It was nine in the morning, and they crucified him.
26 और उसका इल्ज़ाम लिख कर उसके ऊपर लगा दिया गया: “यहूदियों का बादशाह।”
The superscription of his accusation was written over him, "THE KING OF THE JEWS."
27 और उन्होंने उसके साथ दो डाकू, एक उसकी दाहिनी और एक उसकी बाईं तरफ़ मस्लूब किया।
With him they crucified two robbers; one on his right hand, and one on his left.
28 [तब इस मज़्मून का वो लिखा हुआ कि वो बदकारों में गिना गया पूरा हुआ]
And the Scripture was fulfilled which says, "And he was numbered with transgressors."
29 “और राह चलनेवाले सिर हिला हिला कर उस पर ला'नत करते और कहते थे वाह मक़दिस के ढाने वाले और तीन दिन में बनाने वाले।
Those who passed by blasphemed him, wagging their heads, and saying, "Ha. You who destroy the temple, and build it in three days,
30 सलीब पर से उतर कर अपने आप को बचा!”
save yourself and come down from the cross."
31 “इसी तरह सरदार काहिन भी फ़क़ीहों के साथ मिलकर आपस में ठठ्ठे से कहते थे इसने औरों को बचाया अपने आप को नहीं बचा सकता।
Likewise, also the chief priests mocking among themselves with the scribes said, "He saved others. He cannot save himself.
32 इस्राईल का बादशाह मसीह; अब सलीब पर से उतर आए ताकि हम देख कर ईमान लाएँ और जो उसके साथ मस्लूब हुए थे वो उस पर लानतान करते थे।”
Let the Christ, the King of Israel, now come down from the cross, that we may see and believe him." Those who were crucified with him insulted him.
33 जब दो पहर हुई तो पूरे मुल्क में अँधेरा छा गया और तीसरे पहर तक रहा।
Now when it was noon, there was darkness over the whole land until three in the afternoon.
34 तीसरे पहर ईसा बड़ी आवाज़ से चिल्लाया, “इलोही, इलोही लमा शबक़तनी?” जिसका तर्जुमा है, “ऐ मेरे ख़ुदा, ऐ मेरे ख़ुदा, तूने मुझे क्यूँ छोड़ दिया?”
Then at three in the afternoon Jesus called out with a loud voice, saying, "Elohi, Elohi, lema shabachthani?" which is translated, "My God, my God, why have you forsaken me?"
35 जो पास खड़े थे उन में से कुछ ने ये सुनकर कहा “देखो ये एलियाह को बुलाता है।”
Some of those who stood by, when they heard it, said, "Look, he is calling for Elijah."
36 और एक ने दौड़ कर सोख़ते को सिरके में डबोया और सरकंडे पर रख कर उसे चुसाया और कहा, “ठहर जाओ देखें तो एलियाह उसको उतारने आता है या नहीं।”
One ran, and filling a sponge full of vinegar, put it on a reed, and gave it to him to drink, saying, "Let him be. Let us see whether Elijah comes to take him down."
37 फिर ईसा ने बड़ी आवाज़ से चिल्ला कर जान दे दिया।
Jesus gave a loud cry, and gave up the spirit.
38 और हैकल का पर्दा उपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया।
The veil of the temple was torn in two from the top to the bottom.
39 और जो सिपाही उसके सामने खड़ा था उसने उसे यूँ जान देते हुए देखकर कहा “बेशक ये आदमी ख़ुदा का बेटा था।”
And when the centurion, who stood by opposite him, saw that he cried out like this and breathed his last, he said, "Truly this man was the Son of God."
40 कई औरतें दूर से देख रही थी उन में मरियम मग़दलिनी और छोटे या'क़ूब और योसेस की माँ मरियम और सलोमी थीं
There were also women watching from afar, among whom were both Mary Magdalene, and Mary the mother of James the younger and of Josi, and Salome;
41 जब वो गलील में था ये उसके पीछे हो लीं और उसकी ख़िदमत करती थीं और और भी बहुत सी औरतें थीं जो उसके साथ येरूशलेम से आई थीं।
who, when he was in Galilee, followed him, and served him; and many other women who came up with him to Jerusalem.
42 जब शाम हो गई तो इसलिए कि तैयारी का दिन था जो सबत से एक दिन पहले होता है।
When evening had now come, because it was the Preparation Day, that is, the day before the Sabbath,
43 अरिमतियाह का रहने वाला यूसुफ़ आया जो इज़्ज़तदार मुशीर और ख़ुद भी ख़ुदा की बादशाही का मुन्तज़िर था और उसने हिम्मत से पीलातुस के पास जाकर ईसा की लाश माँगी
Joseph of Arimathea, a prominent council member who also himself was looking for the Kingdom of God, came. He boldly went in to Pilate, and asked for the body of Jesus.
44 और पीलातुस ने ता'अज्जुब किया कि वो ऐसे जल्द मर गया? और सिपाही को बुला कर उस से पूछा उसको मरे देर हो गई?
Pilate was surprised that he was already dead; and summoning the centurion, he asked him whether he had been dead long.
45 जब सिपाही से हाल मा'लूम कर लिया तो लाश यूसुफ़ को दिला दी।
When he found out from the centurion, he granted the body to Joseph.
46 उसने एक महीन चादर मोल ली और लाश को उतार कर उस चादर में कफ़्नाया और एक क़ब्र के अन्दर जो चट्टान में खोदी गई थी रख्खा और क़ब्र के मुँह पर एक पत्थर लुढ़का दिया।
He bought a linen cloth, and taking him down, wound him in the linen cloth, and placed him in a tomb which had been cut out of a rock. He rolled a stone against the door of the tomb.
47 और मरियम मग़दलिनी और योसेस की माँ मरियम देख रही थी कि वो कहाँ रख्खा गया है।
Mary Magdalene and Mary, the mother of Josi, saw where he was placed.

< मरकुस 15 >