< मरकुस 14 >

1 दो दिन के बाद फ़सह और 'ईद — ए — फ़ितर होने वाली थी और सरदार काहिन और फ़क़ीह मौक़ा ढूँड रहे थे कि उसे क्यूँकर धोखे से पकड़ कर क़त्ल करें।
তদা নিস্তাৰোৎসৱকিণ্ৱহীনপূপোৎসৱযোৰাৰম্ভস্য দিনদ্ৱযে ঽৱশিষ্টে প্ৰধানযাজকা অধ্যাপকাশ্চ কেনাপি ছলেন যীশুং ধৰ্ত্তাং হন্তুঞ্চ মৃগযাঞ্চক্ৰিৰে;
2 क्यूँकि कहते थे ई'द में नहीं “ऐसा न हो कि लोगों में बलवा हो जाए”
কিন্তু লোকানাং কলহভযাদূচিৰে, নচোৎসৱকাল উচিতমেতদিতি|
3 जब वो बैत अन्नियाह में शमौन जो पहले कौढ़ी था उसके घर में खाना खाने बैठा तो एक औरत जटामासी का बेशक़ीमती इत्र संगे मरमर के इत्र दान में लाई और इत्र दान तोड़ कर इत्र को उसके सिर पर डाला।
অনন্তৰং বৈথনিযাপুৰে শিমোনকুষ্ঠিনো গৃহে যোশৌ ভোৎকুমুপৱিষ্টে সতি কাচিদ্ যোষিৎ পাণ্ডৰপাষাণস্য সম্পুটকেন মহাৰ্ঘ্যোত্তমতৈলম্ আনীয সম্পুটকং ভংক্ত্ৱা তস্যোত্তমাঙ্গে তৈলধাৰাং পাতযাঞ্চক্ৰে|
4 मगर कुछ अपने दिल में ख़फ़ा हो कर कहने लगे “ये इत्र किस लिए ज़ाया किया गया।
তস্মাৎ কেচিৎ স্ৱান্তে কুপ্যন্তঃ কথিতৱংন্তঃ কুতোযং তৈলাপৱ্যযঃ?
5 क्यूँकि ये इत्र तक़रीबन तीन सौ दिन की मज़दूरी से ज़्यादा की क़ीमत में बिक कर ग़रीबों को दिया जा सकता था” और वो उसे मलामत करने लगे।
যদ্যেতৎ তৈল ৱ্যক্ৰেষ্যত তৰ্হি মুদ্ৰাপাদশতত্ৰযাদপ্যধিকং তস্য প্ৰাপ্তমূল্যং দৰিদ্ৰলোকেভ্যো দাতুমশক্ষ্যত, কথামেতাং কথযিৎৱা তযা যোষিতা সাকং ৱাচাযুহ্যন্|
6 ईसा ने कहा “उसे छोड़ दो उसे क्यूँ दिक़ करते हो उसने मेरे साथ भलाई की है।
কিন্তু যীশুৰুৱাচ, কুত এতস্যৈ কৃচ্ছ্ৰং দদাসি? মহ্যমিযং কৰ্ম্মোত্তমং কৃতৱতী|
7 क्यूँकि ग़रीब और ग़ुरबा तो हमेशा तुम्हारे पास हैं जब चाहो उनके साथ नेकी कर सकते हो; लेकिन मैं तुम्हारे पास हमेशा न रहूँगा।
দৰিদ্ৰাঃ সৰ্ৱ্ৱদা যুষ্মাভিঃ সহ তিষ্ঠন্তি, তস্মাদ্ যূযং যদেচ্ছথ তদৈৱ তানুপকৰ্ত্তাং শক্নুথ, কিন্ত্ৱহং যুভাভিঃ সহ নিৰন্তৰং ন তিষ্ঠামি|
8 जो कुछ वो कर सकी उसने किया उसने दफ़्न के लिए मेरे बदन पर पहले ही से इत्र मला।
অস্যা যথাসাধ্যং তথৈৱাকৰোদিযং, শ্মশানযাপনাৎ পূৰ্ৱ্ৱং সমেত্য মদ্ৱপুষি তৈলম্ অমৰ্দ্দযৎ|
9 मैं तुम से सच कहता हूँ कि, तमाम दुनिया में जहाँ कहीं इन्जील की मनादी की जाएगी, ये भी जो इस ने किया उस की यादगारी में बयान किया जाएगा।”
অহং যুষ্মভ্যং যথাৰ্থং কথযামি, জগতাং মধ্যে যত্ৰ যত্ৰ সুসংৱাদোযং প্ৰচাৰযিষ্যতে তত্ৰ তত্ৰ যোষিত এতস্যাঃ স্মৰণাৰ্থং তৎকৃতকৰ্ম্মৈতৎ প্ৰচাৰযিষ্যতে|
10 फिर यहूदाह इस्करियोती जो उन बारह में से था, सरदार काहिन के पास चला गया ताकि उसे उनके हवाले कर दे।
১০ততঃ পৰং দ্ৱাদশানাং শিষ্যাণামেক ঈষ্কৰিযোতীযযিহূদাখ্যো যীশুং পৰকৰেষু সমৰ্পযিতুং প্ৰধানযাজকানাং সমীপমিযায|
11 वो ये सुन कर ख़ुश हुए और उसको रुपऐ देने का इक़रार किया और वो मौक़ा ढूँडने लगा कि किस तरह क़ाबू पाकर उसे पकड़वा दे।
১১তে তস্য ৱাক্যং সমাকৰ্ণ্য সন্তুষ্টাঃ সন্তস্তস্মৈ মুদ্ৰা দাতুং প্ৰত্যজানত; তস্মাৎ স তং তেষাং কৰেষু সমৰ্পণাযোপাযং মৃগযামাস|
12 ई'द 'ए फ़ितर के पहले दिन या'नी जिस रोज़ फ़सह को ज़बह किया करते थे “उसके शागिर्दों ने उससे कहा? तू कहाँ चाहता है कि हम जाकर तेरे लिए फ़सह खाने की तैयारी करें।”
১২অনন্তৰং কিণ্ৱশূন্যপূপোৎসৱস্য প্ৰথমেঽহনি নিস্তাৰোত্মৱাৰ্থং মেষমাৰণাসমযে শিষ্যাস্তং পপ্ৰচ্ছঃ কুত্ৰ গৎৱা ৱযং নিস্তাৰোৎসৱস্য ভোজ্যমাসাদযিষ্যামঃ? কিমিচ্ছতি ভৱান্?
13 उसने अपने शागिर्दो में से दो को भेजा और उनसे कहा “शहर में जाओ एक शख़्स पानी का घड़ा लिए हुए तुम्हें मिलेगा, उसके पीछे हो लेना।
১৩তদানীং স তেষাং দ্ৱযং প্ৰেৰযন্ বভাষে যুৱযোঃ পুৰমধ্যং গতযোঃ সতো ৰ্যো জনঃ সজলকুম্ভং ৱহন্ যুৱাং সাক্ষাৎ কৰিষ্যতি তস্যৈৱ পশ্চাদ্ যাতং;
14 और जहाँ वो दाख़िल हो उस घर के मालिक से कहना ‘उस्ताद कहता है? मेरा मेहमानख़ाना जहाँ मैं अपने शागिर्दों के साथ फ़सह खाउँ कहाँ है।’
১৪স যৎ সদনং প্ৰৱেক্ষ্যতি তদ্ভৱনপতিং ৱদতং, গুৰুৰাহ যত্ৰ সশিষ্যোহং নিস্তাৰোৎসৱীযং ভোজনং কৰিষ্যামি, সা ভোজনশালা কুত্ৰাস্তি?
15 वो आप तुम को एक बड़ा मेहमानख़ाना आरास्ता और तैयार दिखाएगा वहीं हमारे लिए तैयारी करना।”
১৫ততঃ স পৰিষ্কৃতাং সুসজ্জিতাং বৃহতীচঞ্চ যাং শালাং দৰ্শযিষ্যতি তস্যামস্মদৰ্থং ভোজ্যদ্ৰৱ্যাণ্যাসাদযতং|
16 पस शागिर्द चले गए और शहर में आकर जैसा ईसा ने उन से कहा था वैसा ही पाया और फ़सह को तैयार किया।
১৬ততঃ শিষ্যৌ প্ৰস্থায পুৰং প্ৰৱিশ্য স যথোক্তৱান্ তথৈৱ প্ৰাপ্য নিস্তাৰোৎসৱস্য ভোজ্যদ্ৰৱ্যাণি সমাসাদযেতাম্|
17 जब शाम हुई तो वो उन बारह के साथ आया।
১৭অনন্তৰং যীশুঃ সাযংকালে দ্ৱাদশভিঃ শিষ্যৈঃ সাৰ্দ্ধং জগাম;
18 और जब वो बैठे खा रहे थे तो ईसा ने कहा “मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुम में से एक जो मेरे साथ खाता है मुझे पकड़वाएगा।”
১৮সৰ্ৱ্ৱেষু ভোজনায প্ৰোপৱিষ্টেষু স তানুদিতৱান্ যুষ্মানহং যথাৰ্থং ৱ্যাহৰামি, অত্ৰ যুষ্মাকমেকো জনো যো মযা সহ ভুংক্তে মাং পৰকেৰেষু সমৰ্পযিষ্যতে|
19 वो दुखी होकर और एक एक करके उससे कहने लगे, “क्या मैं हूँ?”
১৯তদানীং তে দুঃখিতাঃ সন্ত একৈকশস্তং প্ৰষ্টুমাৰব্ধৱন্তঃ স কিমহং? পশ্চাদ্ অন্য একোভিদধে স কিমহং?
20 उसने उनसे कहा, “वो बारह में से एक है जो मेरे साथ थाल में हाथ डालता है।
২০ততঃ স প্ৰত্যৱদদ্ এতেষাং দ্ৱাদশানাং যো জনো মযা সমং ভোজনাপাত্ৰে পাণিং মজ্জযিষ্যতি স এৱ|
21 क्यूँकि इब्न — ए आदम तो जैसा उसके हक़ में लिखा है जाता ही है लेकिन उस आदमी पर अफ़सोस जिसके वसीले से इब्न — ए आदम पकड़वाया जाता है, अगर वो आदमी पैदा ही न होता तो उसके लिए अच्छा था।”
২১মনুজতনযমধি যাদৃশং লিখিতমাস্তে তদনুৰূপা গতিস্তস্য ভৱিষ্যতি, কিন্তু যো জনো মানৱসুতং সমৰ্পযিষ্যতে হন্ত তস্য জন্মাভাৱে সতি ভদ্ৰমভৱিষ্যৎ|
22 और वो खा ही रहे थे कि उसने रोटी ली और बर्क़त देकर तोड़ी और उनको दी और कहा “लो ये मेरा बदन है।”
২২অপৰঞ্চ তেষাং ভোজনসমযে যীশুঃ পূপং গৃহীৎৱেশ্ৱৰগুণান্ অনুকীৰ্ত্য ভঙ্ক্ত্ৱা তেভ্যো দত্ত্ৱা বভাষে, এতদ্ গৃহীৎৱা ভুঞ্জীধ্ৱম্ এতন্মম ৱিগ্ৰহৰূপং|
23 फिर उसने प्याला लेकर शुक्र किया और उनको दिया और उन सभों ने उस में से पिया।
২৩অনন্তৰং স কংসং গৃহীৎৱেশ্ৱৰস্য গুণান্ কীৰ্ত্তযিৎৱা তেভ্যো দদৌ, ততস্তে সৰ্ৱ্ৱে পপুঃ|
24 उसने उनसे कहा “ये मेरा वो अहद का ख़ून है जो बहुतेरों के लिए बहाया जाता है।
২৪অপৰং স তানৱাদীদ্ বহূনাং নিমিত্তং পাতিতং মম নৱীননিযমৰূপং শোণিতমেতৎ|
25 मैं तुम से सच कहता हूँ कि अंगूर का शीरा फिर कभी न पिऊँगा; उस दिन तक कि ख़ुदा की बादशाही में नया न पिऊँ।”
২৫যুষ্মানহং যথাৰ্থং ৱদামি, ঈশ্ৱৰস্য ৰাজ্যে যাৱৎ সদ্যোজাতং দ্ৰাক্ষাৰসং ন পাস্যামি, তাৱদহং দ্ৰাক্ষাফলৰসং পুন ৰ্ন পাস্যামি|
26 फिर हम्द गा कर बाहर ज़ैतून के पहाड़ पर गए।
২৬তদনন্তৰং তে গীতমেকং সংগীয বহি ৰ্জৈতুনং শিখৰিণং যযুঃ
27 और ईसा ने उनसे कहा “तुम सब ठोकर खाओगे क्यूँकि लिखा है, ‘मैं चरवाहे को मारूँगा और भेड़ें इधर उधर हो जाएँगी।’
২৭অথ যীশুস্তানুৱাচ নিশাযামস্যাং মযি যুষ্মাকং সৰ্ৱ্ৱেষাং প্ৰত্যূহো ভৱিষ্যতি যতো লিখিতমাস্তে যথা, মেষাণাং ৰক্ষকঞ্চাহং প্ৰহৰিষ্যামি ৱৈ ততঃ| মেষাণাং নিৱহো নূনং প্ৰৱিকীৰ্ণো ভৱিষ্যতি|
28 मगर मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊँगा।”
২৮কন্তু মদুত্থানে জাতে যুষ্মাকমগ্ৰেঽহং গালীলং ৱ্ৰজিষ্যামি|
29 पतरस ने उससे कहा, “चाहे सब ठोकर खाएँ लेकिन मैं न खाउँगा।”
২৯তদা পিতৰঃ প্ৰতিবভাষে, যদ্যপি সৰ্ৱ্ৱেষাং প্ৰত্যূহো ভৱতি তথাপি মম নৈৱ ভৱিষ্যতি|
30 ईसा ने उससे कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ। कि तू आज इसी रात मुर्ग़ के दो बार बाँग देने से पहले तीन बार मेरा इन्कार करेगा।”
৩০ততো যীশুৰুক্তাৱান্ অহং তুভ্যং তথ্যং কথযামি, ক্ষণাদাযামদ্য কুক্কুটস্য দ্ৱিতীযৱাৰৰৱণাৎ পূৰ্ৱ্ৱং ৎৱং ৱাৰত্ৰযং মামপহ্নোষ্যসে|
31 लेकिन उसने बहुत ज़ोर देकर कहा, “अगर तेरे साथ मुझे मरना भी पड़े तोभी तेरा इन्कार हरगिज़ न करूँगा।” इसी तरह और सब ने भी कहा।
৩১কিন্তু স গাঢং ৱ্যাহৰদ্ যদ্যপি ৎৱযা সাৰ্দ্ধং মম প্ৰাণো যাতি তথাপি কথমপি ৎৱাং নাপহ্নোষ্যে; সৰ্ৱ্ৱেঽপীতৰে তথৈৱ বভাষিৰে|
32 फिर वो एक जगह आए जिसका नाम गतसिमनी था और उसने अपने शागिर्दों से कहा, “यहाँ बैठे रहो जब तक मैं दुआ करूँ।”
৩২অপৰঞ্চ তেষু গেৎশিমানীনামকং স্থান গতেষু স শিষ্যান্ জগাদ, যাৱদহং প্ৰাৰ্থযে তাৱদত্ৰ স্থানে যূযং সমুপৱিশত|
33 और पतरस और या'क़ूब और यूहन्ना को अपने साथ लेकर निहायत हैरान और बेक़रार होने लगा।
৩৩অথ স পিতৰং যাকূবং যোহনঞ্চ গৃহীৎৱা ৱৱ্ৰাজ; অত্যন্তং ত্ৰাসিতো ৱ্যাকুলিতশ্চ তেভ্যঃ কথযামাস,
34 और उसने कहा “मेरी जान निहायत ग़मगीन है यहाँ तक कि मरने की नौबत पहुँच गई है तुम यहाँ ठहरो और जागते रहो।”
৩৪নিধনকালৱৎ প্ৰাণো মেঽতীৱ দঃখমেতি, যূযং জাগ্ৰতোত্ৰ স্থানে তিষ্ঠত|
35 और वो थोड़ा आगे बढ़ा और ज़मीन पर गिर कर दुआ करने लगा, कि अगर हो सके तो ये वक़्त मुझ पर से टल जाए।
৩৫ততঃ স কিঞ্চিদ্দূৰং গৎৱা ভূমাৱধোমুখঃ পতিৎৱা প্ৰাৰ্থিতৱানেতৎ, যদি ভৱিতুং শক্যং তৰ্হি দুঃখসমযোযং মত্তো দূৰীভৱতু|
36 और कहा “ऐ अब्बा ऐ बाप तुझ से सब कुछ हो सकता है इस प्याले को मेरे पास से हटा ले तोभी जो मैं चाहता हूँ वो नहीं बल्कि जो तू चाहता है वही हो।”
৩৬অপৰমুদিতৱান্ হে পিত ৰ্হে পিতঃ সৰ্ৱ্ৱেং ৎৱযা সাধ্যং, ততো হেতোৰিমং কংসং মত্তো দূৰীকুৰু, কিন্তু তন্ মমেচ্ছাতো ন তৱেচ্ছাতো ভৱতু|
37 फिर वो आया और उन्हें सोते पाकर पतरस से कहा “ऐ शमौन तू सोता है? क्या तू एक घड़ी भी न जाग सका।
৩৭ততঃ পৰং স এত্য তান্ নিদ্ৰিতান্ নিৰীক্ষ্য পিতৰং প্ৰোৱাচ, শিমোন্ ৎৱং কিং নিদ্ৰাসি? ঘটিকামেকাম্ অপি জাগৰিতুং ন শক্নোষি?
38 जागो और दुआ करो, ताकि आज़माइश में न पड़ो रूह तो मुसतैद है मगर जिस्म कमज़ोर है।”
৩৮পৰীক্ষাযাং যথা ন পতথ তদৰ্থং সচেতনাঃ সন্তঃ প্ৰাৰ্থযধ্ৱং; মন উদ্যুক্তমিতি সত্যং কিন্তু ৱপুৰশক্তিকং|
39 वो फिर चला गया और वही बात कह कर दुआ की।
৩৯অথ স পুনৰ্ৱ্ৰজিৎৱা পূৰ্ৱ্ৱৱৎ প্ৰাৰ্থযাঞ্চক্ৰে|
40 और फिर आकर उन्हें सोते पाया क्यूँकि उनकी आँखें नींद से भरी थीं और वो न जानते थे कि उसे क्या जवाब दें।
৪০পৰাৱৃত্যাগত্য পুনৰপি তান্ নিদ্ৰিতান্ দদৰ্শ তদা তেষাং লোচনানি নিদ্ৰযা পূৰ্ণানি, তস্মাত্তস্মৈ কা কথা কথযিতৱ্যা ত এতদ্ বোদ্ধুং ন শেকুঃ|
41 फिर तीसरी बार आकर उनसे कहा “अब सोते रहो और आराम करो बस वक़्त आ पहुँचा है देखो; इब्न — ए आदम गुनाहगारों के हाथ में हवाले किया जाता है।
৪১ততঃপৰং তৃতীযৱাৰং আগত্য তেভ্যো ঽকথযদ্ ইদানীমপি শযিৎৱা ৱিশ্ৰাম্যথ? যথেষ্টং জাতং, সমযশ্চোপস্থিতঃ পশ্যত মানৱতনযঃ পাপিলোকানাং পাণিষু সমৰ্প্যতে|
42 उठो चलो देखो मेरा पकड़वाने वाला नज़दीक आ पहुँचा है।”
৪২উত্তিষ্ঠত, ৱযং ৱ্ৰজামো যো জনো মাং পৰপাণিষু সমৰ্পযিষ্যতে পশ্যত স সমীপমাযাতঃ|
43 वो ये कह ही रहा था कि फ़ौरन यहूदाह जो उन बारह में से था और उसके साथ एक बड़ी भीड़ तलवारें और लाठियाँ लिए हुए सरदार काहिनों और फ़क़ीहों की तरफ़ से आ पहुँची।
৪৩ইমাং কথাং কথযতি স, এতৰ্হিদ্ৱাদশানামেকো যিহূদা নামা শিষ্যঃ প্ৰধানযাজকানাম্ উপাধ্যাযানাং প্ৰাচীনলোকানাঞ্চ সন্নিধেঃ খঙ্গলগুডধাৰিণো বহুলোকান্ গৃহীৎৱা তস্য সমীপ উপস্থিতৱান্|
44 और उसके पकड़वाने वाले ने उन्हें ये निशान दिया था जिसका मैं बोसा लूँ वही है उसे पकड़ कर हिफ़ाज़त से ले जाना।
৪৪অপৰঞ্চাসৌ পৰপাণিষু সমৰ্পযিতা পূৰ্ৱ্ৱমিতি সঙ্কেতং কৃতৱান্ যমহং চুম্বিষ্যামি স এৱাসৌ তমেৱ ধৃৎৱা সাৱধানং নযত|
45 वो आकर फ़ौरन उसके पास गया और कहा, “ऐ रब्बी!” और उसके बोसे लिए।
৪৫অতো হেতোঃ স আগত্যৈৱ যোশোঃ সৱিধং গৎৱা হে গুৰো হে গুৰো, ইত্যুক্ত্ৱা তং চুচুম্ব|
46 उन्होंने उस पर हाथ डाल कर उसे पकड़ लिया।
৪৬তদা তে তদুপৰি পাণীনৰ্পযিৎৱা তং দধ্নুঃ|
47 उन में से जो पास खड़े थे एक ने तलवार खींचकर सरदार काहिन के नौकर पर चलाई और उसका कान उड़ा दिया।
৪৭ততস্তস্য পাৰ্শ্ৱস্থানাং লোকানামেকঃ খঙ্গং নিষ্কোষযন্ মহাযাজকস্য দাসমেকং প্ৰহৃত্য তস্য কৰ্ণং চিচ্ছেদ|
48 ईसा ने उनसे कहा “क्या तुम तलवारें और लाठियाँ लेकर मुझे डाकू की तरह पकड़ने निकले हो?
৪৮পশ্চাদ্ যীশুস্তান্ ৱ্যাজহাৰ খঙ্গান্ লগুডাংশ্চ গৃহীৎৱা মাং কিং চৌৰং ধৰ্ত্তাং সমাযাতাঃ?
49 मैं हर रोज़ तुम्हारे पास हैकल में ता'लीम देता था, और तुम ने मुझे नहीं पकड़ा लेकिन ये इसलिए हुआ कि लिखा हुआ पूरा हों।”
৪৯মধ্যেমন্দিৰং সমুপদিশন্ প্ৰত্যহং যুষ্মাভিঃ সহ স্থিতৱানতহং, তস্মিন্ কালে যূযং মাং নাদীধৰত, কিন্ত্ৱনেন শাস্ত্ৰীযং ৱচনং সেধনীযং|
50 इस पर सब शगिर्द उसे छोड़कर भाग गए।
৫০তদা সৰ্ৱ্ৱে শিষ্যাস্তং পৰিত্যজ্য পলাযাঞ্চক্ৰিৰে|
51 मगर एक जवान अपने नंगे बदन पर महीन चादर ओढ़े हुए उसके पीछे हो लिया, उसे लोगों ने पकड़ा।
৫১অথৈকো যুৱা মানৱো নগ্নকাযে ৱস্ত্ৰমেকং নিধায তস্য পশ্চাদ্ ৱ্ৰজন্ যুৱলোকৈ ৰ্ধৃতো
52 मगर वो चादर छोड़ कर नंगा भाग गया।
৫২ৱস্ত্ৰং ৱিহায নগ্নঃ পলাযাঞ্চক্ৰে|
53 फिर वो ईसा को सरदार काहिन के पास ले गए; और अब सरदार काहिन और बुज़ुर्ग और फ़क़ीह उसके यहाँ जमा हुए।
৫৩অপৰঞ্চ যস্মিন্ স্থানে প্ৰধানযাজকা উপাধ্যাযাঃ প্ৰাচীনলোকাশ্চ মহাযাজকেন সহ সদসি স্থিতাস্তস্মিন্ স্থানে মহাযাজকস্য সমীপং যীশুং নিন্যুঃ|
54 पतरस फ़ासले पर उसके पीछे पीछे सरदार काहिन के दिवानख़ाने के अन्दर तक गया और सिपाहियों के साथ बैठ कर आग तापने लगा।
৫৪পিতৰো দূৰে তৎপশ্চাদ্ ইৎৱা মহাযাজকস্যাট্টালিকাং প্ৰৱিশ্য কিঙ্কৰৈঃ সহোপৱিশ্য ৱহ্নিতাপং জগ্ৰাহ|
55 और सरदार काहिन सब सद्रे — अदालत वाले ईसा को मार डालने के लिए उसके ख़िलाफ़ गवाही ढूँडने लगे मगर न पाई।
৫৫তদানীং প্ৰধানযাজকা মন্ত্ৰিণশ্চ যীশুং ঘাতযিতুং তৎপ্ৰাতিকূল্যেন সাক্ষিণো মৃগযাঞ্চক্ৰিৰে, কিন্তু ন প্ৰাপ্তাঃ|
56 क्यूँकि बहुतेरों ने उस पर झूठी गवाहियाँ तो दीं लेकिन उनकी गवाहियाँ सहीह न थीं।
৫৬অনেকৈস্তদ্ৱিৰুদ্ধং মৃষাসাক্ষ্যে দত্তেপি তেষাং ৱাক্যানি ন সমগচ্ছন্ত|
57 फिर कुछ ने उठकर उस पर ये झूठी गवाही दी।
৫৭সৰ্ৱ্ৱশেষে কিযন্ত উত্থায তস্য প্ৰাতিকূল্যেন মৃষাসাক্ষ্যং দত্ত্ৱা কথযামাসুঃ,
58 “हम ने उसे ये कहते सुना है मैं इस मक़दिस को जो हाथ से बना है ढाऊँगा और तीन दिन में दूसरा बनाऊँगा जो हाथ से न बना हो।”
৫৮ইদং কৰকৃতমন্দিৰং ৱিনাশ্য দিনত্ৰযমধ্যে পুনৰপৰম্ অকৰকৃতং মন্দিৰং নিৰ্ম্মাস্যামি, ইতি ৱাক্যম্ অস্য মুখাৎ শ্ৰুতমস্মাভিৰিতি|
59 लेकिन इस पर भी उसकी गवाही सही न निकली।
৫৯কিন্তু তত্ৰাপি তেষাং সাক্ষ্যকথা ন সঙ্গাতাঃ|
60 “फिर सरदार काहिन ने बीच में खड़े हो कर ईसा से पूछा तू कुछ जवाब नहीं देता? ये तेरे ख़िलाफ़ क्या गवाही देते हैं।”
৬০অথ মহাযাজকো মধ্যেসভম্ উত্থায যীশুং ৱ্যাজহাৰ, এতে জনাস্ত্ৱযি যৎ সাক্ষ্যমদুঃ ৎৱমেতস্য কিমপ্যুত্তৰং কিং ন দাস্যসি?
61 “मगर वो ख़ामोश ही रहा और कुछ जवाब न दिया? सरदार काहिन ने उससे फिर सवाल किया और कहा क्या तू उस यूसुफ़ का बेटा मसीह है।”
৬১কিন্তু স কিমপ্যুত্তৰং ন দৎৱা মৌনীভূয তস্যৌ; ততো মহাযাজকঃ পুনৰপি তং পৃষ্টাৱান্ ৎৱং সচ্চিদানন্দস্য তনযো ঽভিষিক্তস্ত্ৰতা?
62 ईसा ने कहा, “हाँ मैं हूँ। और तुम इब्न — ए आदम को क़ादिर ए मुतल्लिक़ की दहनी तरफ़ बैठे और आसमान के बादलों के साथ आते देखोगे।”
৬২তদা যীশুস্তং প্ৰোৱাচ ভৱাম্যহম্ যূযঞ্চ সৰ্ৱ্ৱশক্তিমতো দক্ষীণপাৰ্শ্ৱে সমুপৱিশন্তং মেঘ মাৰুহ্য সমাযান্তঞ্চ মনুষ্যপুত্ৰং সন্দ্ৰক্ষ্যথ|
63 सरदार काहिन ने अपने कपड़े फाड़ कर कहा “अब हमें गवाहों की क्या ज़रूरत रही।
৬৩তদা মহাযাজকঃ স্ৱং ৱমনং ছিৎৱা ৱ্যাৱহৰৎ
64 तुम ने ये कुफ़्र सुना तुम्हारी क्या राय है? उन सब ने फ़तवा दिया कि वो क़त्ल के लायक़ है।”
৬৪কিমস্মাকং সাক্ষিভিঃ প্ৰযোজনম্? ঈশ্ৱৰনিন্দাৱাক্যং যুষ্মাভিৰশ্ৰাৱি কিং ৱিচাৰযথ? তদানীং সৰ্ৱ্ৱে জগদুৰযং নিধনদণ্ডমৰ্হতি|
65 तब कुछ उस पर थूकने और उसका मुँह ढाँपने और उसके मुक्के मारने और उससे कहने लगे “नबुव्वत की बातें सुना! और सिपाहियों ने उसे तमाचे मार मार कर अपने क़ब्ज़े में लिया।”
৬৫ততঃ কশ্চিৎ কশ্চিৎ তদ্ৱপুষি নিষ্ঠীৱং নিচিক্ষেপ তথা তন্মুখমাচ্ছাদ্য চপেটেন হৎৱা গদিতৱান্ গণযিৎৱা ৱদ, অনুচৰাশ্চ চপেটৈস্তমাজঘ্নুঃ
66 जब पतरस नीचे सहन में था तो सरदार काहिन की लौंडियों में से एक वहाँ आई।
৬৬ততঃ পৰং পিতৰেঽট্টালিকাধঃকোষ্ঠে তিষ্ঠতি মহাযাজকস্যৈকা দাসী সমেত্য
67 और पतरस को आग तापते देख कर उस पर नज़र की और कहने लगी “तू भी उस नासरी ईसा के साथ था।”
৬৭তং ৱিহ্নিতাপং গৃহ্লন্তং ৱিলোক্য তং সুনিৰীক্ষ্য বভাষে ৎৱমপি নাসৰতীযযীশোঃ সঙ্গিনাম্ একো জন আসীঃ|
68 उसने इन्कार किया और कहा “मैं तो न जानता और न समझता हूँ।” कि तू क्या कहती है फिर वो बाहर सहन में गया [और मुर्ग़ ने बाँग दी]।
৬৮কিন্তু সোপহ্নুত্য জগাদ তমহং ন ৱদ্মি ৎৱং যৎ কথযমি তদপ্যহং ন বুদ্ধ্যে| তদানীং পিতৰে চৎৱৰং গতৱতি কুক্কুটো ৰুৰাৱ|
69 वो लौंडी उसे देख कर उन से जो पास खड़े थे, फिर कहने लगी “ये उन में से है।”
৬৯অথান্যা দাসী পিতৰং দৃষ্ট্ৱা সমীপস্থান্ জনান্ জগাদ অযং তেষামেকো জনঃ|
70 “मगर उसने फिर इन्कार किया और थोड़ी देर बाद उन्होंने जो पास खड़े थे पतरस से फिर कहा बेशक तू उन में से है क्यूँकि तू गलीली भी है।”
৭০ততঃ স দ্ৱিতীযৱাৰম্ অপহ্নুতৱান্ পশ্চাৎ তত্ৰস্থা লোকাঃ পিতৰং প্ৰোচুস্ত্ৱমৱশ্যং তেষামেকো জনঃ যতস্ত্ৱং গালীলীযো নৰ ইতি তৱোচ্চাৰণং প্ৰকাশযতি|
71 “मगर वो ला'नत करने और क़सम खाने लगा में इस आदमी को जिसका तुम ज़िक्र करते हो नहीं जानता।”
৭১তদা স শপথাভিশাপৌ কৃৎৱা প্ৰোৱাচ যূযং কথাং কথযথ তং নৰং ন জানেঽহং|
72 और फ़ौरन मुर्ग़ ने दूसरी बार बाँग दी पतरस को वो बात जो ईसा ने उससे कही थी याद आई “मुर्ग़ के दो बार बाँग देने से पहले तू तीन बार इन्कार करेगा” और उस पर ग़ौर करके रो पड़ा।
৭২তদানীং দ্ৱিতীযৱাৰং কুক্কুটো ঽৰাৱীৎ| কুক্কুটস্য দ্ৱিতীযৰৱাৎ পূৰ্ৱ্ৱং ৎৱং মাং ৱাৰত্ৰযম্ অপহ্নোষ্যসি, ইতি যদ্ৱাক্যং যীশুনা সমুদিতং তৎ তদা সংস্মৃত্য পিতৰো ৰোদিতুম্ আৰভত|

< मरकुस 14 >