< लूका 8 >

1 थोड़े 'अरसे के बाद यूँ हुआ कि वो ऐलान करता और ख़ुदा की बादशाही की ख़ुशख़बरी सुनाता हुआ शहर — शहर और गाँव — गाँव फिरने लगा, और वो बारह उसके साथ थे।
অপৰঞ্চ যীশু ৰ্দ্ৱাদশভিঃ শিষ্যৈঃ সাৰ্দ্ধং নানানগৰেষু নানাগ্ৰামেষু চ গচ্ছন্ ইশ্ৱৰীযৰাজৎৱস্য সুসংৱাদং প্ৰচাৰযিতুং প্ৰাৰেভে|
2 और कुछ 'औरतें जिन्होंने बुरी रूहों और बिमारियों से शिफ़ा पाई थी, या'नी मरियम जो मग़दलिनी कहलाती थी, जिसमें से सात बदरूहें निकली थीं,
তদা যস্যাঃ সপ্ত ভূতা নিৰগচ্ছন্ সা মগ্দলীনীতি ৱিখ্যাতা মৰিযম্ হেৰোদ্ৰাজস্য গৃহাধিপতেঃ হোষে ৰ্ভাৰ্য্যা যোহনা শূশানা
3 और युहन्ना हेरोदेस के दिवान ख़ूज़ा की बीवी, और सूसन्ना, और बहुत सी और 'औरतें भी थीं; जो अपने माल से उनकी ख़िदमत करती थी।
প্ৰভৃতযো যা বহ্ৱ্যঃ স্ত্ৰিযঃ দুষ্টভূতেভ্যো ৰোগেভ্যশ্চ মুক্তাঃ সত্যো নিজৱিভূতী ৰ্ৱ্যযিৎৱা তমসেৱন্ত, তাঃ সৰ্ৱ্ৱাস্তেন সাৰ্দ্ধম্ আসন্|
4 फिर जब बड़ी भीड़ उसके पास जमा हुई और शहर के लोग उसके पास चले आते थे, उसने मिसाल में कहा,
অনন্তৰং নানানগৰেভ্যো বহৱো লোকা আগত্য তস্য সমীপেঽমিলন্, তদা স তেভ্য একাং দৃষ্টান্তকথাং কথযামাস| একঃ কৃষীবলো বীজানি ৱপ্তুং বহিৰ্জগাম,
5 “एक बोने वाला अपने बीज बोने निकला, और बोते वक़्त कुछ राह के किनारे गिरा और रौंदा गया और हवा के परिन्दों ने उसे चुग लिया।
ততো ৱপনকালে কতিপযানি বীজানি মাৰ্গপাৰ্শ্ৱে পেতুঃ, ততস্তানি পদতলৈ ৰ্দলিতানি পক্ষিভি ৰ্ভক্ষিতানি চ|
6 और कुछ चट्टान पर गिरा और उग कर सूख गया, इसलिए कि उसको नमी न पहुँची।
কতিপযানি বীজানি পাষাণস্থলে পতিতানি যদ্যপি তান্যঙ্কুৰিতানি তথাপি ৰসাভাৱাৎ শুশুষুঃ|
7 और कुछ झाड़ियों में गिरा और झाड़ियों ने साथ — साथ बढ़कर उसे दबा लिया।
কতিপযানি বীজানি কণ্টকিৱনমধ্যে পতিতানি ততঃ কণ্টকিৱনানি সংৱৃদ্ধ্য তানি জগ্ৰসুঃ|
8 और कुछ अच्छी ज़मीन में गिरा और उग कर सौ गुना फल लाया।” ये कह कर उसने पुकारा, “जिसके सुनने के कान हों वो सुन ले।”
তদন্যানি কতিপযবীজানি চ ভূম্যামুত্তমাযাং পেতুস্ততস্তান্যঙ্কুৰযিৎৱা শতগুণানি ফলানি ফেলুঃ| স ইমা কথাং কথযিৎৱা প্ৰোচ্চৈঃ প্ৰোৱাচ, যস্য শ্ৰোতুং শ্ৰোত্ৰে স্তঃ স শৃণোতু|
9 उसके शागिर्दों ने उससे पूछा कि ये मिसाल क्या है।
ততঃ পৰং শিষ্যাস্তং পপ্ৰচ্ছুৰস্য দৃষ্টান্তস্য কিং তাৎপৰ্য্যং?
10 उसने कहा, “तुम को ख़ुदा की बादशाही के राज़ों की समझ दी गई है, मगर औरों को मिसाल में सुनाया जाता है, ताकि 'देखते हुए न देखें, और सुनते हुए न समझें।
১০ততঃ স ৱ্যাজহাৰ, ঈশ্ৱৰীযৰাজ্যস্য গুহ্যানি জ্ঞাতুং যুষ্মভ্যমধিকাৰো দীযতে কিন্ত্ৱন্যে যথা দৃষ্ট্ৱাপি ন পশ্যন্তি শ্ৰুৎৱাপি ম বুধ্যন্তে চ তদৰ্থং তেষাং পুৰস্তাৎ তাঃ সৰ্ৱ্ৱাঃ কথা দৃষ্টান্তেন কথ্যন্তে|
11 वो मिसाल ये है, कि “बीज ख़ुदा का कलाम है।
১১দৃষ্টান্তস্যাস্যাভিপ্ৰাযঃ, ঈশ্ৱৰীযকথা বীজস্ৱৰূপা|
12 राह के किनारे के वो हैं, जिन्होंने सुना फिर शैतान आकर कलाम को उनके दिल से छीन ले जाता है ऐसा न हो कि वो ईमान लाकर नजात पाएँ।
১২যে কথামাত্ৰং শৃণ্ৱন্তি কিন্তু পশ্চাদ্ ৱিশ্ৱস্য যথা পৰিত্ৰাণং ন প্ৰাপ্নুৱন্তি তদাশযেন শৈতানেত্য হৃদযাতৃ তাং কথাম্ অপহৰতি ত এৱ মাৰ্গপাৰ্শ্ৱস্থভূমিস্ৱৰূপাঃ|
13 और चट्टान पर वो हैं जो सुनकर कलाम को ख़ुशी से क़ुबूल कर लेते हैं, लेकिन जड़ नहीं पकड़ते मगर कुछ 'अरसे तक ईमान रख कर आज़माइश के वक़्त मुड़ जाते हैं।
১৩যে কথং শ্ৰুৎৱা সানন্দং গৃহ্লন্তি কিন্ত্ৱবদ্ধমূলৎৱাৎ স্ৱল্পকালমাত্ৰং প্ৰতীত্য পৰীক্ষাকালে ভ্ৰশ্যন্তি তএৱ পাষাণভূমিস্ৱৰূপাঃ|
14 और जो झाड़ियों में पड़ा उससे वो लोग मुराद हैं, जिन्होंने सुना लेकिन होते होते इस ज़िन्दगी की फ़िक्रों और दौलत और 'ऐश — ओ — अशरत में फ़ँस जाते हैं और उनका फल पकता नहीं।
১৪যে কথাং শ্ৰুৎৱা যান্তি ৱিষযচিন্তাযাং ধনলোভেন এহিকসুখে চ মজ্জন্ত উপযুক্তফলানি ন ফলন্তি ত এৱোপ্তবীজকণ্টকিভূস্ৱৰূপাঃ|
15 मगर अच्छी ज़मीन के वो हैं, जो कलाम को सुनकर 'उम्दा और नेक दिल में संभाले रहते है और सब्र से फल लाते हैं।”
১৫কিন্তু যে শ্ৰুৎৱা সৰলৈঃ শুদ্ধৈশ্চান্তঃকৰণৈঃ কথাং গৃহ্লন্তি ধৈৰ্য্যম্ অৱলম্ব্য ফলান্যুৎপাদযন্তি চ ত এৱোত্তমমৃৎস্ৱৰূপাঃ|
16 “कोई शख़्स चराग़ जला कर बरतन से नहीं छिपाता न पलंग के नीचे रखता है, बल्कि चिराग़दान पर रखता है ताकि अन्दर आने वालों को रौशनी दिखाई दे।
১৬অপৰঞ্চ প্ৰদীপং প্ৰজ্ৱাল্য কোপি পাত্ৰেণ নাচ্ছাদযতি তথা খট্ৱাধোপি ন স্থাপযতি, কিন্তু দীপাধাৰোপৰ্য্যেৱ স্থাপযতি, তস্মাৎ প্ৰৱেশকা দীপ্তিং পশ্যন্তি|
17 क्यूँकि कोई चीज़ छिपी नहीं जो ज़ाहिर न हो जाएगी, और न कोई ऐसी छिपी बात है जो माँ'लूम न होगी और सामने न आए
১৭যন্ন প্ৰকাশযিষ্যতে তাদৃগ্ অপ্ৰকাশিতং ৱস্তু কিমপি নাস্তি যচ্চ ন সুৱ্যক্তং প্ৰচাৰযিষ্যতে তাদৃগ্ গৃপ্তং ৱস্তু কিমপি নাস্তি|
18 पस ख़बरदार रहो कि तुम किस तरह सुनते हो? क्यूँकि जिसके पास नहीं है वो भी ले लिया जाएगा जो अपना समझता है।”
১৮অতো যূযং কেন প্ৰকাৰেণ শৃণুথ তত্ৰ সাৱধানা ভৱত, যস্য সমীপে বৰ্দ্ধতে তস্মৈ পুনৰ্দাস্যতে কিন্তু যস্যাশ্ৰযে ন বৰ্দ্ধতে তস্য যদ্যদস্তি তদপি তস্মাৎ নেষ্যতে|
19 फिर उसकी माँ और उसके भाई उसके पास आए, मगर भीड़ की वजह से उस तक न पहुँच सके।
১৯অপৰঞ্চ যীশো ৰ্মাতা ভ্ৰাতৰশ্চ তস্য সমীপং জিগমিষৱঃ
20 और उसे ख़बर दी गई, “तेरी माँ और तेरे भाई बाहर खड़े हैं, और तुझ से मिलना चाहते हैं।”
২০কিন্তু জনতাসম্বাধাৎ তৎসন্নিধিং প্ৰাপ্তুং ন শেকুঃ| তৎপশ্চাৎ তৱ মাতা ভ্ৰাতৰশ্চ ৎৱাং সাক্ষাৎ চিকীৰ্ষন্তো বহিস্তিষ্ঠনতীতি ৱাৰ্ত্তাযাং তস্মৈ কথিতাযাং
21 उसने जवाब में उनसे कहा, “मेरी माँ और मेरे भाई तो ये हैं, जो ख़ुदा का कलाम सुनते और उस पर 'अमल करते हैं।”
২১স প্ৰত্যুৱাচ; যে জনা ঈশ্ৱৰস্য কথাং শ্ৰুৎৱা তদনুৰূপমাচৰন্তি তএৱ মম মাতা ভ্ৰাতৰশ্চ|
22 फिर एक दिन ऐसा हुआ कि वो और उसके शागिर्द नाव में सवार हुए। उसने उनसे कहा, “आओ, झील के पार चलें” वो सब रवाना हुए।
২২অনন্তৰং একদা যীশুঃ শিষ্যৈঃ সাৰ্দ্ধং নাৱমাৰুহ্য জগাদ, আযাত ৱযং হ্ৰদস্য পাৰং যামঃ, ততস্তে জগ্মুঃ|
23 मगर जब नाव चली जाती थी तो वो सो गया। और झील पर बड़ी आँधी आई और नाव पानी से भरी जाती थी और वो ख़तरे में थे।
২৩তেষু নৌকাং ৱাহযৎসু স নিদদ্ৰৌ;
24 उन्होंने पास आकर उसे जगाया और कहा, “साहेब! साहेब! हम हलाक हुए जाते हैं!” उसने उठकर हवा को और पानी के ज़ोर — शोर को झिड़का और दोनों थम गए और अम्न हो गया।
২৪অথাকস্মাৎ প্ৰবলঝঞ্ভ্শগমাদ্ হ্ৰদে নৌকাযাং তৰঙ্গৈৰাচ্ছন্নাযাং ৱিপৎ তান্ জগ্ৰাস| তস্মাদ্ যীশোৰন্তিকং গৎৱা হে গুৰো হে গুৰো প্ৰাণা নো যান্তীতি গদিৎৱা তং জাগৰযাম্বভূৱুঃ| তদা স উত্থায ৱাযুং তৰঙ্গাংশ্চ তৰ্জযামাস তস্মাদুভৌ নিৱৃত্য স্থিৰৌ বভূৱতুঃ|
25 उसने उनसे कहा, “तुम्हारा ईमान कहाँ गया?” वो डर गए और ता'अज्जुब करके आपस में कहने लगे, “ये कौन है? ये तो हवा और पानी को हुक्म देता है और वो उसकी मानते हैं!”
২৫স তান্ বভাষে যুষ্মাকং ৱিশ্ৱাসঃ ক? তস্মাত্তে ভীতা ৱিস্মিতাশ্চ পৰস্পৰং জগদুঃ, অহো কীদৃগযং মনুজঃ পৱনং পানীযঞ্চাদিশতি তদুভযং তদাদেশং ৱহতি|
26 फिर वो गिरासीनियों के 'इलाक़े में जा पहुँचे जो उस पार गलील के सामने है।
২৬ততঃ পৰং গালীল্প্ৰদেশস্য সম্মুখস্থগিদেৰীযপ্ৰদেশে নৌকাযাং লগন্ত্যাং তটেঽৱৰোহমাৱাদ্
27 जब वो किनारे पर उतरा तो शहर का एक मर्द उसे मिला जिसमें बदरूहें थीं, और उसने बड़ी मुद्दत से कपड़े न पहने थे और वो घर में नहीं बल्कि क़ब्रों में रहा करता था।
২৭বহুতিথকালং ভূতগ্ৰস্ত একো মানুষঃ পুৰাদাগত্য তং সাক্ষাচ্চকাৰ| স মনুষো ৱাসো ন পৰিদধৎ গৃহে চ ন ৱসন্ কেৱলং শ্মশানম্ অধ্যুৱাস|
28 वो ईसा को देख कर चिल्लाया और उसके आगे गिर कर बुलन्द आवाज़ से कहने लगा, “ऐ ईसा! ख़ुदा के बेटे, मुझे तुझ से क्या काम? मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि मुझे 'ऐज़ाब में न डाल।”
২৮স যীশুং দৃষ্ট্ৱৈৱ চীচ্ছব্দং চকাৰ তস্য সম্মুখে পতিৎৱা প্ৰোচ্চৈৰ্জগাদ চ, হে সৰ্ৱ্ৱপ্ৰধানেশ্ৱৰস্য পুত্ৰ, মযা সহ তৱ কঃ সম্বন্ধঃ? ৎৱযি ৱিনযং কৰোমি মাং মা যাতয|
29 क्यूँकि वो उस बदरूह को हुक्म देता था कि इस आदमी में से निकल जा, इसलिए कि उसने उसको अक्सर पकड़ा था; और हर चन्द लोग उसे ज़ंजीरों और बेड़ियों से जकड़ कर क़ाबू में रखते थे, तो भी वो ज़ंजीरों को तोड़ डालता था और बदरूह उसको वीरानों में भगाए फिरती थी।
২৯যতঃ স তং মানুষং ত্যক্ত্ৱা যাতুম্ অমেধ্যভূতম্ আদিদেশ; স ভূতস্তং মানুষম্ অসকৃদ্ দধাৰ তস্মাল্লোকাঃ শৃঙ্খলেন নিগডেন চ ববন্ধুঃ; স তদ্ ভংক্ত্ৱা ভূতৱশৎৱাৎ মধ্যেপ্ৰান্তৰং যযৌ|
30 ईसा ने उससे पूछा, “तेरा क्या नाम है?” उसने कहा, “लश्कर!” क्यूँकि उसमें बहुत सी बदरूहें थीं।
৩০অনন্তৰং যীশুস্তং পপ্ৰচ্ছ তৱ কিন্নাম? স উৱাচ, মম নাম বাহিনো যতো বহৱো ভূতাস্তমাশিশ্ৰিযুঃ|
31 और वो उसकी मिन्नत करने लगीं कि “हमें गहरे गड्ढे में जाने का हुक्म न दे।” (Abyssos g12)
৩১অথ ভূতা ৱিনযেন জগদুঃ, গভীৰং গৰ্ত্তং গন্তুং মাজ্ঞাপযাস্মান্| (Abyssos g12)
32 वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा ग़ोल चर रहा था। उन्होंने उसकी मिन्नत की कि हमें उनके अन्दर जाने दे; उसने उन्हें जाने दिया।
৩২তদা পৰ্ৱ্ৱতোপৰি ৱৰাহৱ্ৰজশ্চৰতি তস্মাদ্ ভূতা ৱিনযেন প্ৰোচুঃ, অমুং ৱৰাহৱ্ৰজম্ আশ্ৰযিতুম্ অস্মান্ অনুজানীহি; ততঃ সোনুজজ্ঞৌ|
33 और बदरूहें उस आदमी में से निकल कर सूअरों के अन्दर गईं और ग़ोल किनारे पर से झपट कर झील में जा पड़ा और डूब मरा।
৩৩ততঃ পৰং ভূতাস্তং মানুষং ৱিহায ৱৰাহৱ্ৰজম্ আশিশ্ৰিযুঃ ৱৰাহৱ্ৰজাশ্চ তৎক্ষণাৎ কটকেন ধাৱন্তো হ্ৰদে প্ৰাণান্ ৱিজৃহুঃ|
34 ये माजरा देख कर चराने वाले भागे और जाकर शहर और गाँव में ख़बर दी।
৩৪তদ্ দৃষ্ট্ৱা শূকৰৰক্ষকাঃ পলাযমানা নগৰং গ্ৰামঞ্চ গৎৱা তৎসৰ্ৱ্ৱৱৃত্তান্তং কথযামাসুঃ|
35 लोग उस माजरे को देखने को निकले, और ईसा के पास आकर उस आदमी को जिसमें से बदरूहें निकली थीं, कपड़े पहने और होश में ईसा के पाँव के पास बैठे पाया और डर गए।
৩৫ততঃ কিং ৱৃত্তম্ এতদ্দৰ্শনাৰ্থং লোকা নিৰ্গত্য যীশোঃ সমীপং যযুঃ, তং মানুষং ত্যক্তভূতং পৰিহিতৱস্ত্ৰং স্ৱস্থমানুষৱদ্ যীশোশ্চৰণসন্নিধৌ সূপৱিশন্তং ৱিলোক্য বিভ্যুঃ|
36 और देखने वालों ने उनको ख़बर दी कि जिसमें बदरूहें थीं वो किस तरह अच्छा हुआ।
৩৬যে লোকাস্তস্য ভূতগ্ৰস্তস্য স্ৱাস্থ্যকৰণং দদৃশুস্তে তেভ্যঃ সৰ্ৱ্ৱৱৃত্তান্তং কথযামাসুঃ|
37 गिरासीनियों के आस पास के सब लोगों ने उससे दरख़्वास्त की कि हमारे पास से चला जा; क्यूँकि उन पर बड़ी दहशत छा गई थी। पस वो नाव में बैठकर वापस गया।
৩৭তদনন্তৰং তস্য গিদেৰীযপ্ৰদেশস্য চতুৰ্দিক্স্থা বহৱো জনা অতিত্ৰস্তা ৱিনযেন তং জগদুঃ, ভৱান্ অস্মাকং নিকটাদ্ ৱ্ৰজতু তস্মাৎ স নাৱমাৰুহ্য ততো ৱ্যাঘুট্য জগাম|
38 लेकिन जिस शख़्स में से बदरूहें निकल गई थीं, वो उसकी मिन्नत करके कहने लगा कि मुझे अपने साथ रहने दे, मगर ईसा ने उसे रुख़्सत करके कहा,
৩৮তদানীং ত্যক্তভূতমনুজস্তেন সহ স্থাতুং প্ৰাৰ্থযাঞ্চক্ৰে
39 “अपने घर को लौट कर लोगों से बयान कर, कि ख़ुदा ने तेरे लिए कैसे बड़े काम किए हैं।” वो रवाना होकर तमाम शहर में चर्चा करने लगा कि ईसा ने मेरे लिए कैसे बड़े काम किए।
৩৯কিন্তু তদৰ্থম্ ঈশ্ৱৰঃ কীদৃঙ্মহাকৰ্ম্ম কৃতৱান্ ইতি নিৱেশনং গৎৱা ৱিজ্ঞাপয, যীশুঃ কথামেতাং কথযিৎৱা তং ৱিসসৰ্জ| ততঃ স ৱ্ৰজিৎৱা যীশুস্তদৰ্থং যন্মহাকৰ্ম্ম চকাৰ তৎ পুৰস্য সৰ্ৱ্ৱত্ৰ প্ৰকাশযিতুং প্ৰাৰেভে|
40 जब ईसा वापस आ रहा था तो लोग उससे ख़ुशी के साथ मिले, क्यूँकि सब उसकी राह देखते थे।
৪০অথ যীশৌ পৰাৱৃত্যাগতে লোকাস্তং আদৰেণ জগৃহু ৰ্যস্মাত্তে সৰ্ৱ্ৱে তমপেক্ষাঞ্চক্ৰিৰে|
41 और देखो, याईर नाम एक शख़्स जो 'इबादतख़ाने का सरदार था, आया और ईसा के क़दमों पे गिरकर उससे मिन्नत की कि मेरे घर चल,
৪১তদনন্তৰং যাযীৰ্নাম্নো ভজনগেহস্যৈকোধিপ আগত্য যীশোশ্চৰণযোঃ পতিৎৱা স্ৱনিৱেশনাগমনাৰ্থং তস্মিন্ ৱিনযং চকাৰ,
42 क्यूँकि उसकी इकलौती बेटी जो तक़रीबन बारह बरस की थी, मरने को थी। और जब वो जा रहा था तो लोग उस पर गिरे पड़ते थे।
৪২যতস্তস্য দ্ৱাদশৱৰ্ষৱযস্কা কন্যৈকাসীৎ সা মৃতকল্পাভৱৎ| ততস্তস্য গমনকালে মাৰ্গে লোকানাং মহান্ সমাগমো বভূৱ|
43 और एक 'औरत ने जिसके बारह बरस से ख़ून जारी था, और अपना सारा माल हकीमों पर ख़र्च कर चुकी थी, और किसी के हाथ से अच्छी न हो सकी थी;
৪৩দ্ৱাদশৱৰ্ষাণি প্ৰদৰৰোগগ্ৰস্তা নানা ৱৈদ্যৈশ্চিকিৎসিতা সৰ্ৱ্ৱস্ৱং ৱ্যযিৎৱাপি স্ৱাস্থ্যং ন প্ৰাপ্তা যা যোষিৎ সা যীশোঃ পশ্চাদাগত্য তস্য ৱস্ত্ৰগ্ৰন্থিং পস্পৰ্শ|
44 उसके पीछे आकर उसकी पोशाक का किनारा हुआ, और उसी दम उसका ख़ून बहना बन्द हो गया।
৪৪তস্মাৎ তৎক্ষণাৎ তস্যা ৰক্তস্ৰাৱো ৰুদ্ধঃ|
45 इस पर ईसा ने कहा, “वो कौन है जिसने मुझे छुआ?” जब सब इन्कार करने लगे तो पतरस और उसके साथियों ने कहा, “ऐ साहेब! लोग तुझे दबाते और तुझ पर गिरे पड़ते हैं।”
৪৫তদানীং যীশুৰৱদৎ কেনাহং স্পৃষ্টঃ? ততোঽনেকৈৰনঙ্গীকৃতে পিতৰস্তস্য সঙ্গিনশ্চাৱদন্, হে গুৰো লোকা নিকটস্থাঃ সন্তস্তৱ দেহে ঘৰ্ষযন্তি, তথাপি কেনাহং স্পৃষ্টইতি ভৱান্ কুতঃ পৃচ্ছতি?
46 मगर ईसा ने कहा, “किसी ने मुझे छुआ तो है, क्यूँकि मैंने मा'लूम किया कि क़ुव्वत मुझ से निकली है।”
৪৬যীশুঃ কথযামাস, কেনাপ্যহং স্পৃষ্টো, যতো মত্তঃ শক্তি ৰ্নিৰ্গতেতি মযা নিশ্চিতমজ্ঞাযি|
47 जब उस 'औरत ने देखा कि मैं छिप नहीं सकती, तो वो काँपती हुई आई और उसके आगे गिरकर सब लोगों के सामने बयान किया कि मैंने किस वजह से तुझे छुआ, और किस तरह उसी दम शिफ़ा पा गई।
৪৭তদা সা নাৰী স্ৱযং ন গুপ্তেতি ৱিদিৎৱা কম্পমানা সতী তস্য সম্মুখে পপাত; যেন নিমিত্তেন তং পস্পৰ্শ স্পৰ্শমাত্ৰাচ্চ যেন প্ৰকাৰেণ স্ৱস্থাভৱৎ তৎ সৰ্ৱ্ৱং তস্য সাক্ষাদাচখ্যৌ|
48 उसने उससे कहा, “बेटी! तेरे ईमान ने तुझे अच्छा किया है, सलामत चली जा।”
৪৮ততঃ স তাং জগাদ হে কন্যে সুস্থিৰা ভৱ, তৱ ৱিশ্ৱাসস্ত্ৱাং স্ৱস্থাম্ অকাৰ্ষীৎ ৎৱং ক্ষেমেণ যাহি|
49 वो ये कह ही रहा था कि 'इबादतख़ाने के सरदार के यहाँ से किसी ने आकर कहा, तेरी बेटी मर गई: उस्ताद को तकलीफ़ न दे।”
৪৯যীশোৰেতদ্ৱাক্যৱদনকালে তস্যাধিপতে ৰ্নিৱেশনাৎ কশ্চিল্লোক আগত্য তং বভাষে, তৱ কন্যা মৃতা গুৰুং মা ক্লিশান|
50 ईसा ने सुनकर जवाब दिया, “ख़ौफ़ न कर; फ़क़त 'ऐतिक़ाद रख, वो बच जाएगी।”
৫০কিন্তু যীশুস্তদাকৰ্ণ্যাধিপতিং ৱ্যাজহাৰ, মা ভৈষীঃ কেৱলং ৱিশ্ৱসিহি তস্মাৎ সা জীৱিষ্যতি|
51 और घर में पहुँचकर पतरस, यूहन्ना और या'क़ूब और लड़की के माँ बाप के सिवा किसी को अपने साथ अन्दर न जाने दिया।
৫১অথ তস্য নিৱেশনে প্ৰাপ্তে স পিতৰং যোহনং যাকূবঞ্চ কন্যাযা মাতৰং পিতৰঞ্চ ৱিনা, অন্যং কঞ্চন প্ৰৱেষ্টুং ৱাৰযামাস|
52 और सब उसके लिए रो पीट रहे थे, मगर उसने कहा, “मातम न करो! वो मर नहीं गई बल्कि सोती है।”
৫২অপৰঞ্চ যে ৰুদন্তি ৱিলপন্তি চ তান্ সৰ্ৱ্ৱান্ জনান্ উৱাচ, যূযং মা ৰোদিষ্ট কন্যা ন মৃতা নিদ্ৰাতি|
53 वो उस पर हँसने लगे क्यूँकि जानते थे कि वो मर गई है।
৫৩কিন্তু সা নিশ্চিতং মৃতেতি জ্ঞাৎৱা তে তমুপজহসুঃ|
54 मगर उसने उसका हाथ पकड़ा और पुकार कर कहा, “ऐ लड़की, उठ!“
৫৪পশ্চাৎ স সৰ্ৱ্ৱান্ বহিঃ কৃৎৱা কন্যাযাঃ কৰৌ ধৃৎৱাজুহুৱে, হে কন্যে ৎৱমুত্তিষ্ঠ,
55 उसकी रूह वापस आई और वो उसी दम उठी। फिर ईसा ने हुक्म दिया, लड़की को कुछ खाने को दिया जाए।”
৫৫তস্মাৎ তস্যাঃ প্ৰাণেষু পুনৰাগতেষু সা তৎক্ষণাদ্ উত্তস্যৌ| তদানীং তস্যৈ কিঞ্চিদ্ ভক্ষ্যং দাতুম্ আদিদেশ|
56 माँ बाप हैरान हुए। उसने उन्हें ताकीद की कि ये माजरा किसी से न कहना।
৫৬ততস্তস্যাঃ পিতৰৌ ৱিস্মযং গতৌ কিন্তু স তাৱাদিদেশ ঘটনাযা এতস্যাঃ কথাং কস্মৈচিদপি মা কথযতং|

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