< लूका 6 >

1 फिर सबत के दिन यूँ हुआ कि वो खेतों में से होकर जा रहा था, और उसके शागिर्द बालें तोड़ — तोड़ कर और हाथों से मल — मलकर खाते जाते थे।
অচৰঞ্চ পৰ্ৱ্ৱণো দ্ৱিতীযদিনাৎ পৰং প্ৰথমৱিশ্ৰামৱাৰে শস্যক্ষেত্ৰেণ যীশোৰ্গমনকালে তস্য শিষ্যাঃ কণিশং ছিত্ত্ৱা কৰেষু মৰ্দ্দযিৎৱা খাদিতুমাৰেভিৰে|
2 और फ़रीसियों में से कुछ लोग कहने लगे, “तुम वो काम क्यूँ करते हो जो सबत के दिन करना ठीक नहीं।”
তস্মাৎ কিযন্তঃ ফিৰূশিনস্তানৱদন্ ৱিশ্ৰামৱাৰে যৎ কৰ্ম্ম ন কৰ্ত্তৱ্যং তৎ কুতঃ কুৰুথ?
3 ईसा ने जवाब में उनसे कहा, “क्या तुम ने ये भी नहीं पढ़ा कि जब दाऊद और उसके साथी भूखे थे तो उसने क्या किया?
যীশুঃ প্ৰত্যুৱাচ দাযূদ্ তস্য সঙ্গিনশ্চ ক্ষুধাৰ্ত্তাঃ কিং চক্ৰুঃ স কথম্ ঈশ্ৱৰস্য মন্দিৰং প্ৰৱিশ্য
4 वो क्यूँकर ख़ुदा के घर में गया, और नज़्र की रोटियाँ लेकर खाई जिनको खाना काहिनों के सिवा और किसी को ठीक नहीं, और अपने साथियों को भी दीं।”
যে দৰ্শনীযাঃ পূপা যাজকান্ ৱিনান্যস্য কস্যাপ্যভোজনীযাস্তানানীয স্ৱযং বুভজে সঙ্গিভ্যোপি দদৌ তৎ কিং যুষ্মাভিঃ কদাপি নাপাঠি?
5 फिर उसने उनसे कहा, “इब्न — ए — आदम सबत का मालिक है।”
পশ্চাৎ স তানৱদৎ মনুজসুতো ৱিশ্ৰামৱাৰস্যাপি প্ৰভু ৰ্ভৱতি|
6 और यूँ हुआ कि किसी और सबत को वो 'इबादतख़ाने में दाख़िल होकर ता'लीम देने लगा। वहाँ एक आदमी था जिसका दाहिना हाथ सूख गया था।
অনন্তৰম্ অন্যৱিশ্ৰামৱাৰে স ভজনগেহং প্ৰৱিশ্য সমুপদিশতি| তদা তৎস্থানে শুষ্কদক্ষিণকৰ একঃ পুমান্ উপতস্থিৱান্|
7 और आलिम और फ़रीसी उसकी ताक में थे, कि आया सबत के दिन अच्छा करता है या नहीं, ताकि उस पर इल्ज़ाम लगाने का मौक़ा' पाएँ।
তস্মাদ্ অধ্যাপকাঃ ফিৰূশিনশ্চ তস্মিন্ দোষমাৰোপযিতুং স ৱিশ্ৰামৱাৰে তস্য স্ৱাস্থ্যং কৰোতি নৱেতি প্ৰতীক্ষিতুমাৰেভিৰে|
8 मगर उसको उनके ख़याल मा'लूम थे; पस उसने उस आदमी से जिसका हाथ सूखा था कहा, “उठ, और बीच में खड़ा हो!“
তদা যীশুস্তেষাং চিন্তাং ৱিদিৎৱা তং শুষ্ককৰং পুমাংসং প্ৰোৱাচ, ৎৱমুত্থায মধ্যস্থানে তিষ্ঠ|
9 ईसा ने उनसे कहा, “मैं तुम से ये पूछता हूँ कि आया सबत के दिन नेकी करना ठीक है या बदी करना? जान बचाना या हलाक करना?”
তস্মাৎ তস্মিন্ উত্থিতৱতি যীশুস্তান্ ৱ্যাজহাৰ, যুষ্মান্ ইমাং কথাং পৃচ্ছামি, ৱিশ্ৰামৱাৰে হিতম্ অহিতং ৱা, প্ৰাণৰক্ষণং প্ৰাণনাশনং ৱা, এতেষাং কিং কৰ্ম্মকৰণীযম্?
10 और उन सब पर नज़र करके उससे कहा, “अपना हाथ बढ़ा!” उसने बढ़ाया और उसका हाथ दुरुस्त हो गया।
১০পশ্চাৎ চতুৰ্দিক্ষু সৰ্ৱ্ৱান্ ৱিলোক্য তং মানৱং বভাষে, নিজকৰং প্ৰসাৰয; ততস্তেন তথা কৃত ইতৰকৰৱৎ তস্য হস্তঃ স্ৱস্থোভৱৎ|
11 वो आपे से बाहर होकर एक दूसरे से कहने लगे कि हम ईसा के साथ क्या करें।
১১তস্মাৎ তে প্ৰচণ্ডকোপান্ৱিতা যীশুং কিং কৰিষ্যন্তীতি পৰস্পৰং প্ৰমন্ত্ৰিতাঃ|
12 और उन दिनों में ऐसा हुआ कि वो पहाड़ पर दुआ करने को निकला और ख़ुदा से दुआ करने में सारी रात गुज़ारी।
১২ততঃ পৰং স পৰ্ৱ্ৱতমাৰুহ্যেশ্ৱৰমুদ্দিশ্য প্ৰাৰ্থযমানঃ কৃৎস্নাং ৰাত্ৰিং যাপিতৱান্|
13 जब दिन हुआ तो उसने अपने शागिर्दों को पास बुलाकर उनमें से बारह चुन लिए और उनको रसूल का लक़ब दिया:
১৩অথ দিনে সতি স সৰ্ৱ্ৱান্ শিষ্যান্ আহূতৱান্ তেষাং মধ্যে
14 या'नी शमौन जिसका नाम उसने पतरस भी रख्खा, और अन्द्रियास, और या'क़ूब, और यूहन्ना, और फ़िलिप्पुस, और बरतुल्माई,
১৪পিতৰনাম্না খ্যাতঃ শিমোন্ তস্য ভ্ৰাতা আন্দ্ৰিযশ্চ যাকূব্ যোহন্ চ ফিলিপ্ বৰ্থলমযশ্চ
15 और मत्ती, और तोमा, और हलफ़ी का बेटा या'क़ूब, और शमौन जो ज़ेलोतेस कहलाता था,
১৫মথিঃ থোমা আল্ফীযস্য পুত্ৰো যাকূব্ জ্ৱলন্তনাম্না খ্যাতঃ শিমোন্
16 और या'क़ूब का बेटा यहुदाह, और यहुदाह इस्करियोती जो उसका पकड़वाने वाला हुआ।
১৬চ যাকূবো ভ্ৰাতা যিহূদাশ্চ তং যঃ পৰকৰেষু সমৰ্পযিষ্যতি স ঈষ্কৰীযোতীযযিহূদাশ্চৈতান্ দ্ৱাদশ জনান্ মনোনীতান্ কৃৎৱা স জগ্ৰাহ তথা প্ৰেৰিত ইতি তেষাং নাম চকাৰ|
17 और वो उनके साथ उतर कर हमवार जगह पर खड़ा हुआ, और उसके शागिर्दों की बड़ी जमा'अत और लोगों की बड़ी भीड़ वहाँ थी, जो सारे यहुदिया और येरूशलेम और सूर और सैदा के बहरी किनारे से उसकी सुनने और अपनी बीमारियों से शिफ़ा पाने के लिए उसके पास आई थी।
১৭ততঃ পৰং স তৈঃ সহ পৰ্ৱ্ৱতাদৱৰুহ্য উপত্যকাযাং তস্থৌ ততস্তস্য শিষ্যসঙ্ঘো যিহূদাদেশাদ্ যিৰূশালমশ্চ সোৰঃ সীদোনশ্চ জলধে ৰোধসো জননিহাশ্চ এত্য তস্য কথাশ্ৰৱণাৰ্থং ৰোগমুক্ত্যৰ্থঞ্চ তস্য সমীপে তস্থুঃ|
18 और जो बदरूहों से दुःख पाते थे वो अच्छे किए गए।
১৮অমেধ্যভূতগ্ৰস্তাশ্চ তন্নিকটমাগত্য স্ৱাস্থ্যং প্ৰাপুঃ|
19 और सब लोग उसे छूने की कोशिश करते थे, क्यूँकि क़ूव्वत उससे निकलती और सब को शिफ़ा बख़्शती थी।
১৯সৰ্ৱ্ৱেষাং স্ৱাস্থ্যকৰণপ্ৰভাৱস্য প্ৰকাশিতৎৱাৎ সৰ্ৱ্ৱে লোকা এত্য তং স্প্ৰষ্টুং যেতিৰে|
20 फिर उसने अपने शागिर्दों की तरफ़ नज़र करके कहा, “मुबारिक़ हो तुम जो ग़रीब हो, क्यूँकि ख़ुदा की बादशाही तुम्हारी है।”
২০পশ্চাৎ স শিষ্যান্ প্ৰতি দৃষ্টিং কুৎৱা জগাদ, হে দৰিদ্ৰা যূযং ধন্যা যত ঈশ্ৱৰীযে ৰাজ্যে ৱোঽধিকাৰোস্তি|
21 “मुबारिक़ हो तुम जो अब भूखे हो, क्यूँकि आसूदा होगे “मुबारिक़ हो तुम जो अब रोते हो, क्यूँकि हँसोगे
২১হে অধুনা ক্ষুধিতলোকা যূযং ধন্যা যতো যূযং তৰ্প্স্যথ; হে ইহ ৰোদিনো জনা যূযং ধন্যা যতো যূযং হসিষ্যথ|
22 “जब इब्न — ए — आदम की वजह से लोग तुम से 'दुश्मनी रख्खेंगे, और तुम्हें निकाल देंगे, और ला'न — ता'न करेंगे।”
২২যদা লোকা মনুষ্যসূনো ৰ্নামহেতো ৰ্যুষ্মান্ ঋতীযিষ্যন্তে পৃথক্ কৃৎৱা নিন্দিষ্যন্তি, অধমানিৱ যুষ্মান্ স্ৱসমীপাদ্ দূৰীকৰিষ্যন্তি চ তদা যূযং ধন্যাঃ|
23 “उस दिन ख़ुश होना और ख़ुशी के मारे उछलना, इसलिए कि देखो आसमान पर तुम्हारा अज्र बड़ा है; क्यूँकि उनके बाप — दादा नबियों के साथ भी ऐसा ही किया करते थे।
২৩স্ৱৰ্গে যুষ্মাকং যথেষ্টং ফলং ভৱিষ্যতি, এতদৰ্থং তস্মিন্ দিনে প্ৰোল্লসত আনন্দেন নৃত্যত চ, তেষাং পূৰ্ৱ্ৱপুৰুষাশ্চ ভৱিষ্যদ্ৱাদিনঃ প্ৰতি তথৈৱ ৱ্যৱাহৰন্|
24 “मगर अफ़सोस तुम पर जो दौलतमन्द हो, क्यूँकि तुम अपनी तसल्ली पा चुके।
২৪কিন্তু হা হা ধনৱন্তো যূযং সুখং প্ৰাপ্নুত| হন্ত পৰিতৃপ্তা যূযং ক্ষুধিতা ভৱিষ্যথ;
25 “अफ़सोस तुम पर जो अब सेर हो, क्यूँकि भूखे होगे। “अफ़सोस तुम पर जो अब हँसते हो, क्यूँकि मातम करोगे और रोओगे।
২৫ইহ হসন্তো যূযং ৱত যুষ্মাভিঃ শোচিতৱ্যং ৰোদিতৱ্যঞ্চ|
26 “अफ़सोस तुम पर जब सब लोग तुम्हें अच्छा कहें, क्यूँकि उनके बाप — दादा झूठे नबियों के साथ भी ऐसा ही किया करते थे।”
২৬সৰ্ৱ্ৱৈলাকৈ ৰ্যুষ্মাকং সুখ্যাতৌ কৃতাযাং যুষ্মাকং দুৰ্গতি ৰ্ভৱিষ্যতি যুষ্মাকং পূৰ্ৱ্ৱপুৰুষা মৃষাভৱিষ্যদ্ৱাদিনঃ প্ৰতি তদ্ৱৎ কৃতৱন্তঃ|
27 “लेकिन मैं सुनने वालों से कहता हूँ कि अपने दुश्मनों से मुहब्बत रख्खो, जो तुम से 'दुश्मनी रख्खें उसके साथ नेकी करो।
২৭হে শ্ৰোতাৰো যুষ্মভ্যমহং কথযামি, যূযং শত্ৰুষু প্ৰীযধ্ৱং যে চ যুষ্মান্ দ্ৱিষন্তি তেষামপি হিতং কুৰুত|
28 जो तुम पर ला'नत करें उनके लिए बर्क़त चाहो, जो तुमसे नफ़रत करें उनके लिए दुआ करो।
২৮যে চ যুষ্মান্ শপন্তি তেভ্য আশিষং দত্ত যে চ যুষ্মান্ অৱমন্যন্তে তেষাং মঙ্গলং প্ৰাৰ্থযধ্ৱং|
29 जो तेरे एक गाल पर तमाचा मारे दूसरा भी उसकी तरफ़ फेर दे, और जो तेरा चोग़ा ले उसको कुरता लेने से भी मनह' न कर।
২৯যদি কশ্চিৎ তৱ কপোলে চপেটাঘাতং কৰোতি তৰ্হি তং প্ৰতি কপোলম্ অন্যং পৰাৱৰ্ত্ত্য সম্মুখীকুৰু পুনশ্চ যদি কশ্চিৎ তৱ গাত্ৰীযৱস্ত্ৰং হৰতি তৰ্হি তং পৰিধেযৱস্ত্ৰম্ অপি গ্ৰহীতুং মা ৱাৰয|
30 जो कोई तुझ से माँगे उसे दे, और जो तेरा माल ले ले उससे तलब न कर।
৩০যস্ত্ৱাং যাচতে তস্মৈ দেহি, যশ্চ তৱ সম্পত্তিং হৰতি তং মা যাচস্ৱ|
31 और जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उनके साथ वैसा ही करो।”
৩১পৰেভ্যঃ স্ৱান্ প্ৰতি যথাচৰণম্ অপেক্ষধ্ৱে পৰান্ প্ৰতি যূযমপি তথাচৰত|
32 “अगर तुम अपने मुहब्बत रखनेवालों ही से मुहब्बत रख्खो, तो तुम्हारा क्या अहसान है? क्यूँकि गुनाहगार भी अपने मुहब्बत रखनेवालों से मुहब्बत रखते हैं।
৩২যে জনা যুষ্মাসু প্ৰীযন্তে কেৱলং তেষু প্ৰীযমাণেষু যুষ্মাকং কিং ফলং? পাপিলোকা অপি স্ৱেষু প্ৰীযমাণেষু প্ৰীযন্তে|
33 और अगर तुम उन ही का भला करो जो तुम्हारा भला करें, तो तुम्हारा क्या अहसान है? क्यूँकि गुनहगार भी ऐसा ही करते हैं।
৩৩যদি হিতকাৰিণ এৱ হিতং কুৰুথ তৰ্হি যুষ্মাকং কিং ফলং? পাপিলোকা অপি তথা কুৰ্ৱ্ৱন্তি|
34 और अगर तुम उन्हीं को क़र्ज़ दो जिनसे वसूल होने की उम्मीद रखते हो, तो तुम्हारा क्या अहसान है? गुनहगार भी गुनहगारों को क़र्ज़ देते हैं ताकि पूरा वसूल कर लें
৩৪যেভ্য ঋণপৰিশোধস্য প্ৰাপ্তিপ্ৰত্যাশাস্তে কেৱলং তেষু ঋণে সমৰ্পিতে যুষ্মাকং কিং ফলং? পুনঃ প্ৰাপ্ত্যাশযা পাপীলোকা অপি পাপিজনেষু ঋণম্ অৰ্পযন্তি|
35 मगर तुम अपने दुश्मनों से मुहब्बत रख्खो, और नेकी करो, और बग़ैर न उम्मीद हुए क़र्ज़ दो तो तुम्हारा अज्र बड़ा होगा और तुम ख़ुदा के बेटे ठहरोगे, क्यूँकि वो न — शुक्रों और बदों पर भी महरबान है।
৩৫অতো যূযং ৰিপুষ্ৱপি প্ৰীযধ্ৱং, পৰহিতং কুৰুত চ; পুনঃ প্ৰাপ্ত্যাশাং ত্যক্ত্ৱা ঋণমৰ্পযত, তথা কৃতে যুষ্মাকং মহাফলং ভৱিষ্যতি, যূযঞ্চ সৰ্ৱ্ৱপ্ৰধানস্য সন্তানা ইতি খ্যাতিং প্ৰাপ্স্যথ, যতো যুষ্মাকং পিতা কৃতঘ্নানাং দুৰ্ৱ্টত্তানাঞ্চ হিতমাচৰতি|
36 जैसा तुम्हारा आसमानी बाप रहीम है तुम भी रहम दिल हो।”
৩৬অত এৱ স যথা দযালু ৰ্যূযমপি তাদৃশা দযালৱো ভৱত|
37 “'ऐबजोई ना करो, तुम्हारी भी 'ऐबजोई न की जाएगी। मुजरिम न ठहराओ, तुम भी मुजरिम ना ठहराए जाओगे। इज्ज़त दो, तुम भी इज्ज़त पाओगे।
৩৭অপৰঞ্চ পৰান্ দোষিণো মা কুৰুত তস্মাদ্ যূযং দোষীকৃতা ন ভৱিষ্যথ; অদণ্ড্যান্ মা দণ্ডযত তস্মাদ্ যূযমপি দণ্ডং ন প্ৰাপ্স্যথ; পৰেষাং দোষান্ ক্ষমধ্ৱং তস্মাদ্ যুষ্মাকমপি দোষাঃ ক্ষমিষ্যন্তে|
38 दिया करो, तुम्हें भी दिया जाएगा। अच्छा पैमाना दाब — दाब कर और हिला — हिला कर और लबरेज़ करके तुम्हारे पल्ले में डालेंगे, क्यूँकि जिस पैमाने से तुम नापते हो उसी से तुम्हारे लिए नापा जाएगा।“
৩৮দানানিদত্ত তস্মাদ্ যূযং দানানি প্ৰাপ্স্যথ, ৱৰঞ্চ লোকাঃ পৰিমাণপাত্ৰং প্ৰদলয্য সঞ্চাল্য প্ৰোঞ্চাল্য পৰিপূৰ্য্য যুষ্মাকং ক্ৰোডেষু সমৰ্পযিষ্যন্তি; যূযং যেন পৰিমাণেন পৰিমাথ তেনৈৱ পৰিমাণেন যুষ্মৎকৃতে পৰিমাস্যতে|
39 “और उसने उनसे एक मिसाल भी दी “क्या अंधे को अंधा राह दिखा सकता है? क्या दोनों गड्ढे में न गिरेंगे?”
৩৯অথ স তেভ্যো দৃষ্টান্তকথামকথযৎ, অন্ধো জনঃ কিমন্ধং পন্থানং দৰ্শযিতুং শক্নোতি? তস্মাদ্ উভাৱপি কিং গৰ্ত্তে ন পতিষ্যতঃ?
40 शागिर्द अपने उस्ताद से बड़ा नहीं, बल्कि हर एक जब कामिल हुआ तो अपने उस्ताद जैसा होगा।
৪০গুৰোঃ শিষ্যো ন শ্ৰেষ্ঠঃ কিন্তু শিষ্যে সিদ্ধে সতি স গুৰুতুল্যো ভৱিতুং শক্নোতি|
41 तू क्यूँ अपने भाई की आँख के तिनके को देखता है, और अपनी आँख के शहतीर पर ग़ौर नहीं करता?
৪১অপৰঞ্চ ৎৱং স্ৱচক্ষুষি নাসাম্ অদৃষ্ট্ৱা তৱ ভ্ৰাতুশ্চক্ষুষি যত্তৃণমস্তি তদেৱ কুতঃ পশ্যমি?
42 और जब तू अपनी आँख के शहतीर को नहीं देखता तो अपने भाई से क्यूँकर कह सकता है, कि भाई ला उस तिनके को जो तेरी आँख में है निकाल दूँ? ऐ रियाकार। पहले अपनी आँख में से तो शहतीर निकाल, फिर उस तिनके को जो तेरे भाई की आँख में है अच्छी तरह देखकर निकाल सकेगा।
৪২স্ৱচক্ষুষি যা নাসা ৱিদ্যতে তাম্ অজ্ঞাৎৱা, ভ্ৰাতস্তৱ নেত্ৰাৎ তৃণং বহিঃ কৰোমীতি ৱাক্যং ভ্ৰাতৰং কথং ৱক্তুং শক্নোষি? হে কপটিন্ পূৰ্ৱ্ৱং স্ৱনযনাৎ নাসাং বহিঃ কুৰু ততো ভ্ৰাতুশ্চক্ষুষস্তৃণং বহিঃ কৰ্ত্তুং সুদৃষ্টিং প্ৰাপ্স্যসি|
43 “क्यूँकि कोई अच्छा दरख़्त नहीं जो बुरा फल लाए, और न कोई बुरा दरख़्त है जो अच्छा फल लाए।”
৪৩অন্যঞ্চ উত্তমস্তৰুঃ কদাপি ফলমনুত্তমং ন ফলতি, অনুত্তমতৰুশ্চ ফলমুত্তমং ন ফলতি কাৰণাদতঃ ফলৈস্তৰৱো জ্ঞাযন্তে|
44 हर दरख़्त अपने फल से पहचाना जाता है, क्यूँकि झाड़ियों से अंजीर नहीं तोड़ते और न झड़बेरी से अंगूर।
৪৪কণ্টকিপাদপাৎ কোপি উডুম্বৰফলানি ন পাতযতি তথা শৃগালকোলিৱৃক্ষাদপি কোপি দ্ৰাক্ষাফলং ন পাতযতি|
45 “अच्छा आदमी अपने दिल के अच्छे ख़ज़ाने से अच्छी चीज़ें निकालता है, और बुरा आदमी बुरे ख़ज़ाने से बुरी चीज़ें निकालता है; क्यूँकि जो दिल में भरा है वही उसके मुँह पर आता है।”
৪৫তদ্ৱৎ সাধুলোকোঽন্তঃকৰণৰূপাৎ সুভাণ্ডাগাৰাদ্ উত্তমানি দ্ৰৱ্যাণি বহিঃ কৰোতি, দুষ্টো লোকশ্চান্তঃকৰণৰূপাৎ কুভাণ্ডাগাৰাৎ কুৎসিতানি দ্ৰৱ্যাণি নিৰ্গমযতি যতোঽন্তঃকৰণানাং পূৰ্ণভাৱানুৰূপাণি ৱচাংসি মুখান্নিৰ্গচ্ছন্তি|
46 “जब तुम मेरे कहने पर 'अमल नहीं करते तो क्यूँ मुझे 'ख़ुदावन्द, ख़ुदावन्द' कहते हो।
৪৬অপৰঞ্চ মমাজ্ঞানুৰূপং নাচৰিৎৱা কুতো মাং প্ৰভো প্ৰভো ইতি ৱদথ?
47 जो कोई मेरे पास आता और मेरी बातें सुनकर उन पर 'अमल करता है, मैं तुम्हें बताता हूँ कि वो किसकी तरह है।
৪৭যঃ কশ্চিন্ মম নিকটম্ আগত্য মম কথা নিশম্য তদনুৰূপং কৰ্ম্ম কৰোতি স কস্য সদৃশো ভৱতি তদহং যুষ্মান্ জ্ঞাপযামি|
48 वो उस आदमी की तरह है जिसने घर बनाते वक़्त ज़मीन गहरी खोदकर चट्टान पर बुनियाद डाली, जब तूफ़ान आया और सैलाब उस घर से टकराया, तो उसे हिला न सका क्यूँकि वो मज़बूत बना हुआ था।
৪৮যো জনো গভীৰং খনিৎৱা পাষাণস্থলে ভিত্তিং নিৰ্ম্মায স্ৱগৃহং ৰচযতি তেন সহ তস্যোপমা ভৱতি; যত আপ্লাৱিজলমেত্য তস্য মূলে ৱেগেন ৱহদপি তদ্গেহং লাডযিতুং ন শক্নোতি যতস্তস্য ভিত্তিঃ পাষাণোপৰি তিষ্ঠতি|
49 लेकिन जो सुनकर 'अमल में नहीं लाता वो उस आदमी की तरह है जिसने ज़मीन पर घर को बे — बुनियाद बनाया, जब सैलाब उस पर ज़ोर से आया तो वो फ़ौरन गिर पड़ा और वो घर बिल्कुल बरबाद हुआ।”
৪৯কিন্তু যঃ কশ্চিন্ মম কথাঃ শ্ৰুৎৱা তদনুৰূপং নাচৰতি স ভিত্তিং ৱিনা মৃদুপৰি গৃহনিৰ্ম্মাত্ৰা সমানো ভৱতি; যত আপ্লাৱিজলমাগত্য ৱেগেন যদা ৱহতি তদা তদ্গৃহং পততি তস্য মহৎ পতনং জাযতে|

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