< लूका 23 >

1 फिर पूरी मज्लिस उठी और 'ईसा को पीलातुस के पास ले आई।
ⲁ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲧⲱⲟⲩⲛ ⲛϭⲓ ⲡⲙⲏⲏⲏϣⲉ ⲧⲏⲣϥ ⲁⲩⲛⲧϥ ⲉⲣⲁⲧϥ ⲙⲡⲓⲗⲁⲧⲟⲥ
2 और उन्होंने उस पर इल्ज़ाम लगा कर कहने लगे, “हम ने मालूम किया है कि यह आदमी हमारी क़ौम को गुमराह कर रहा है। यह क़ैसर को ख़िराज देने से मनह करता और दा'वा करता है कि मैं मसीह और बादशाह हूँ।”
ⲃ̅ⲁⲩⲁⲣⲭⲓ ⲇⲉ ⲛⲕⲁⲧⲏⲅⲟⲣⲓ ⲙⲙⲟϥ ⲉⲩϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲁⲛϩⲉ ⲉⲡⲁⲓ ⲉϥϣⲧⲟⲣⲧⲣ ⲙⲡⲉⲛϩⲉⲑⲛⲟⲥ ⲁⲩⲱ ⲉϥⲕⲱⲗⲩ ⲉϯϣⲱⲙ ⲙⲡⲣⲣⲟ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲁⲛⲅ ⲡⲣⲣⲟ ⲡⲉⲭⲥ
3 पीलातुस ने उस से पूछा, “अच्छा, तुम यहूदियों के बादशाह हो?” ईसा ने जवाब दिया, जी, “आप ख़ुद कहते हैं।”
ⲅ̅ⲁⲡⲓⲗⲁⲧⲟⲥ ⲇⲉ ϫⲛⲟⲩϥ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲛⲧⲟⲕ ⲡⲉ ⲡⲣⲣⲟ ⲛⲓⲟⲩⲇⲁⲓ ⲛⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲁϥⲟⲩⲱϣⲃ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲛⲧⲟⲕ ⲡⲉⲧϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ
4 फिर पीलातुस ने रहनुमा इमामों और हुजूम से कहा, “मुझे इस आदमी पर इल्ज़ाम लगाने की कोई वजह नज़र नहीं आती।”
ⲇ̅ⲡⲉϫⲉ ⲡⲓⲗⲁⲧⲟⲥ ⲙⲡⲙⲏⲏϣⲉ ϫⲉ ⲛϯϭⲛ ⲗⲁⲁⲩ ⲁⲛ ⲛⲛⲟⲃⲉ ϩⲙ ⲡⲉⲓⲣⲱⲙⲉ
5 मगर वो और भी ज़ोर देकर कहने लगे कि ये तमाम यहूदिया में बल्कि गलील से लेकर यहाँ तक लोगों को सिखा सिखा कर उभारता है
ⲉ̅ⲛⲧⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲁⲩⲧⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲩϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ϥϣⲧⲟⲣⲧⲣ ⲙⲡⲗⲁⲟⲥ ⲉϥϯ ⲥⲃⲱ ϩⲛ ϯⲟⲩⲇⲁⲓⲁ ⲧⲏⲣⲥ ⲉⲁϥⲁⲣⲭⲓ ϫⲓⲛ ⲧⲅⲁⲗⲓⲗⲁⲓⲁ ϣⲁ ϩⲣⲁⲓ ⲉⲡⲉⲓⲙⲁ
6 यह सुन कर पीलातुस ने पूछा, “क्या यह शख़्स गलील का है?”
ⲋ̅ⲡⲓⲗⲁⲧⲟⲥ ⲇⲉ ⲛⲧⲉⲣⲉϥⲥⲱⲧⲙ ϫⲉ ⲧⲅⲁⲗⲓⲗⲁⲓⲁ ⲁϥϣⲓⲛⲉ ϫⲉ ⲟⲩⲅⲁⲗⲓⲗⲁⲓⲟⲥ ⲡⲉ ⲡⲣⲱⲙⲉ
7 जब उसे मालूम हुआ कि ईसा गलील यानी उस इलाक़े से है, जिस पर हेरोदेस अनतिपास की हुकूमत है तो उस ने उसे हेरोदेस के पास भेज दिया, क्यूँकि वह भी उस वक़्त येरूशलेम में था।
ⲍ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲧⲉⲣⲉϥⲓⲙⲉ ϫⲉ ⲟⲩⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ ⲧⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ ⲛϩⲏⲣⲱⲇⲏⲥ ⲡⲉ ⲁϥϫⲟⲟⲩϥ ϣⲁ ϩⲏⲣⲱⲇⲏⲥ ⲉϥϩⲛ ⲑⲓⲉⲣⲟⲥⲟⲗⲩⲙⲁ ϩⲱⲱϥ ϩⲛ ⲛⲉⲓϩⲟⲟⲩ
8 हेरोदेस ईसा को देख कर बहुत ख़ुश हुआ, क्यूँकि उस ने उस के बारे में बहुत कुछ सुना था, और इस लिए काफ़ी दिनों से उस से मिलना चाहता था। अब उस की बड़ी ख़्वाहिश थी, कि ईसा को कोई मोजिज़ा करते हुए देख सके।
ⲏ̅ⲛⲧⲉⲣⲉ ϩⲏⲣⲱⲇⲏⲥ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ⲉⲓⲏⲥ ⲁϥⲣⲁϣⲉ ⲉⲙⲁⲧⲉ ⲛⲉϥⲟⲩⲉϣ ⲛⲁⲩ ⲅⲁⲣ ⲉⲣⲟϥ ⲡⲉ ϩⲓⲧⲛ ϩⲉⲛⲛⲟϭ ⲛⲟⲩⲟⲓϣ ϫⲉ ⲛⲉϥⲥⲱⲧⲙ ⲉⲧⲃⲏⲏⲧϥ ⲁⲩⲱ ⲛⲉϥϩⲉⲗⲡⲓⲍⲉ ⲉⲛⲁⲩ ⲉⲩⲙⲁⲉⲓⲛ ⲉϥⲓⲣⲉ ⲙⲙⲟϥ
9 उस ने उस से बहुत सारे सवाल किए, लेकिन ईसा ने एक का भी जवाब न दिया।
ⲑ̅ⲁϥϫⲛⲟⲩϥ ⲇⲉ ϩⲛ ϩⲉⲛⲙⲏⲏϣⲉ ⲛϣⲁϫⲉ ⲛⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲙⲡϥⲟⲩⲱϣⲃⲉϥ ⲗⲁⲁⲩ
10 रहनुमा इमाम और शरी'अत के उलमा साथ खड़े बड़े जोश से उस पर इल्ज़ाम लगाते रहे।
ⲓ̅ⲛⲉⲩⲁϩⲉ ⲇⲉ ⲉⲣⲁⲧⲟⲩ ⲡⲉ ⲛϭⲓ ⲛⲁⲣⲭⲓⲉⲣⲉⲩⲥ ⲙⲛ ⲛⲉⲅⲣⲁⲙⲙⲁⲧⲉⲩⲥ ⲉⲩⲕⲁⲧⲏⲅⲟⲣⲓ ⲙⲙⲟϥ ⲉⲙⲁⲧⲉ
11 फिर हेरोदेस और उस के फ़ौजियों ने उसको ज़लील करते हुए उस का मज़ाक़ उड़ाया और उसे चमकदार लिबास पहना कर पीलातुस के पास वापस भेज दिया।
ⲓ̅ⲁ̅ⲁϩⲏⲣⲱⲇⲏⲥ ⲇⲉ ⲥⲟϣϥ ⲙⲛ ⲛⲉϥⲥⲧⲣⲁⲧⲉⲩⲙⲁ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲥⲱⲃⲉ ⲙⲙⲟϥ ⲁⲩϭⲟⲟⲗⲉϥ ⲛⲟⲩϩⲃⲥⲱ ⲉⲥⲟⲩⲟⲃⲉϣ ⲁⲩϫⲟⲟⲩϥ ⲙⲡⲓⲗⲁⲧⲟⲥ
12 उसी दिन हेरोदेस और पीलातुस दोस्त बन गए, क्यूँकि इस से पहले उन की दुश्मनी चल रही थी।
ⲓ̅ⲃ̅ⲁⲩⲣϣⲃⲏⲣ ⲉⲛⲉⲩⲉⲣⲏⲟⲩ ϩⲙ ⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲉⲧⲙⲙⲁⲩ ⲛϭⲓ ϩⲏⲣⲱⲇⲏⲥ ⲙⲛ ⲡⲓⲗⲁⲧⲟⲥ ⲛⲉⲩϣⲟⲟⲡ ⲅⲁⲣ ⲡⲉ ϩⲛ ⲟⲩⲙⲛⲧϫⲁϫⲉ ⲙⲛ ⲛⲉⲩⲉⲣⲏⲩ
13 फिर पीलातुस ने रहनुमा इमामों, सरदारों और अवाम को जमा करके;
ⲓ̅ⲅ̅ⲁⲡⲓⲗⲁⲧⲟⲥ ⲇⲉ ⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲛⲁⲣⲭⲓⲉⲣⲉⲩⲥ ⲛⲙⲛⲛⲁⲣⲭⲱⲛ ⲙⲛ ⲡⲗⲁⲟⲥ
14 उन से कहा, “तुम ने इस शख़्स को मेरे पास ला कर इस पर इल्ज़ाम लगाया है कि यह क़ौम को उकसा रहा है। मैं ने तुम्हारी मौजूदगी में इस का जायज़ा ले कर ऐसा कुछ नहीं पाया जो तुम्हारे इल्ज़ामात की तस्दीक़ करे।
ⲓ̅ⲇ̅ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲁⲧⲉⲧⲛⲓⲛⲉ ⲛⲁⲓ ⲙⲡⲉⲓⲣⲱⲙⲉ ϩⲱⲥ ⲉϥϣⲧⲟⲣⲧⲣ ⲙⲡⲗⲁⲟⲥ ⲉⲓⲥ ϩⲏⲏⲧⲉ ⲇⲉ ⲁⲓⲕⲣⲓⲛⲉ ⲙⲙⲟϥ ⲙⲡⲉⲧⲛⲙⲧⲟ ⲉⲃⲟⲗ ⲙⲡⲓϩⲉ ⲉⲗⲁⲁⲩ ⲛⲛⲟⲃⲉ ⲛϩⲏⲧϥ ⲛⲁⲓ ⲉⲧⲉⲧⲛⲕⲁⲧⲏⲅⲟⲣⲓ ⲙⲙⲟϥ ⲛϩⲏⲧⲟⲩ
15 हेरोदेस भी कुछ नहीं मालूम कर सका, इस लिए उस ने इसे हमारे पास वापस भेज दिया है। इस आदमी से कोई भी ऐसा गुनाह नहीं हुआ कि यह सज़ा — ए — मौत के लायक़ है।
ⲓ̅ⲉ̅ⲁⲗⲗⲁ ⲙⲡⲉ ⲡⲕⲉϩⲏⲣⲱⲇⲏⲥ ϩⲉ ⲉⲟⲩⲟⲛ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲣⲟϥ ⲁϥⲧⲛⲛⲟⲟⲩϥ ⲅⲁⲣ ⲛⲁⲛ ⲁⲩⲱ ⲉⲓⲥ ϩⲏⲏⲧⲉ ⲙⲡϥⲣ ⲗⲁⲁⲩ ⲉϥⲙⲡϣⲁ ⲙⲡⲙⲟⲩ
16 इस लिए मैं इसे कोड़ों की सज़ा दे कर रिहा कर देता हूँ।”
ⲓ̅ⲋ̅ϯⲛⲁⲡⲁⲓⲇⲉⲩⲉ ϭⲉ ⲙⲙⲟϥ ⲧⲁⲕⲁⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ
17 [अस्ल में यह उस का फ़र्ज़ था कि वह ईद के मौक़े पर उन की ख़ातिर एक क़ैदी को रिहा कर दे]।
ⲓ̅ⲍ̅
18 लेकिन सब मिल कर शोर मचा कर कहने लगे, “इसे ले जाएँ! इसे नहीं बल्कि बर — अब्बा को रिहा करके हमें दें।”
ⲓ̅ⲏ̅ⲁⲩϫⲓϣⲕⲁⲕ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲉⲩϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ϥⲓ ⲡⲁⲓ ⲕⲱ ⲛⲁⲛ ⲉⲃⲟⲗ ⲃⲃⲁⲣⲁⲃⲃⲁⲥ
19 (बर — अब्बा को इस लिए जेल में डाला गया था कि वह क़ातिल था और उस ने शहर में हुकूमत के ख़िलाफ़ बग़ावत की थी)।
ⲓ̅ⲑ̅ⲡⲁⲓ ⲉⲛⲧⲁⲩⲛⲟϫϥ ⲉⲡⲉϣⲧⲉⲕⲟ ⲉⲧⲃⲉ ⲟⲩⲥⲧⲁⲥⲓⲥ ⲉⲁⲥϣⲱⲡⲉ ϩⲛ ⲧⲡⲟⲗⲉⲓⲥ ⲛⲙⲟⲩϩⲱⲧⲃ
20 पीलातुस ईसा को रिहा करना चाहता था, इस लिए वह दुबारा उन से मुख़ातिब हुआ।
ⲕ̅ⲁⲡⲓⲗⲁⲧⲟⲥ ⲇⲉ ⲟⲛ ϣⲁϫⲉ ⲛⲙⲙⲁⲩ ⲉϥⲟⲩⲱϣ ⲉⲕⲁ ⲓⲏⲥ ⲉⲃⲟⲗ
21 लेकिन वह चिल्लाते रहे, “इसे मस्लूब करें, इसे मस्लूब करें।”
ⲕ̅ⲁ̅ⲛⲧⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲁⲩⲁϣⲕⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲣⲟϥ ⲉⲩϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲥⲧⲁⲩⲣⲟⲩ ⲙⲙⲟϥ ⲥⲧⲁⲩⲣⲟⲩ ⲙⲙⲟϥ
22 फिर पीलातुस ने तीसरी दफ़ा उन से कहा, “क्यूँ? उस ने क्या जुर्म किया है? मुझे इसे सज़ा — ए — मौत देने की कोई वजह नज़र नहीं आती। इस लिए मैं इसे कोड़े लगवा कर रिहा कर देता हूँ।”
ⲕ̅ⲃ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ⲙⲡⲙⲉϩ ϣⲟⲙⲛⲧ ⲛⲥⲟⲡ ϫⲉ ⲟⲩ ⲅⲁⲣ ⲡⲉ ⲡⲡⲉⲑⲟⲟⲩ ⲉⲛⲧⲁ ⲡⲁⲓ ⲁⲁϥ ⲙⲡⲓϩⲉ ⲉⲗⲁⲁⲩ ⲙⲙⲟⲩ ⲉⲣⲟϥ ϯⲛⲁⲡⲁⲓⲇⲉⲩⲉ ϭⲉ ⲙⲙⲟϥ ⲧⲁⲕⲁⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ
23 लेकिन वह बड़ा शोर मचा कर उसे मस्लूब करने का तक़ाज़ा करते रहे, और आख़िरकार उन की आवाज़ें ग़ालिब आ गईं।
ⲕ̅ⲅ̅ⲛⲧⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲁⲩⲙⲟⲩⲛ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ ϩⲉⲛⲛⲟϭ ⲛⲥⲙⲏ ⲉⲩⲁⲓⲧⲓ ϫⲉ ⲥⲧⲁⲩⲣⲟⲩ ⲙⲙⲟϥ ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲣⲉⲛⲉⲩⲥⲙⲏ ϭⲙϭⲟⲙ
24 फिर पीलातुस ने फ़ैसला किया कि उन का मुतालबा पूरा किया जाए।
ⲕ̅ⲇ̅ⲁⲡⲓⲗⲁⲧⲟⲥ ⲇⲉ ⲕⲣⲓⲛⲉ ⲉⲉⲓⲣⲉ ⲙⲡⲉⲩⲁⲓⲧⲏⲙⲁ
25 उस ने उस आदमी को रिहा कर दिया जो अपनी हुकूमत के ख़िलाफ़ हरकतों और क़त्ल की वजह से जेल में डाल दिया गया था जबकि ईसा को उस ने उन की मर्ज़ी के मुताबिक़ उन के हवाले कर दिया।
ⲕ̅ⲉ̅ⲁϥⲕⲱ ⲉⲃⲟⲗ ⲙⲡⲉⲛⲧⲁⲩⲛⲟϫϥ ⲉⲡⲉϣⲧⲉⲕⲟ ⲉⲧⲃⲉ ⲧⲉⲥⲧⲁⲥⲓⲥ ⲙⲛ ⲫⲱⲧⲃ ⲡⲉⲧⲉ ⲛⲉⲩⲁⲓⲧⲓ ⲙⲙⲟϥ ⲁϥϯ ⲇⲉ ⲛⲓⲏⲥ ⲙⲡⲉⲩⲟⲩⲱϣ
26 जब फ़ौजी ईसा को ले जा रहे थे तो उन्हों ने एक आदमी को पकड़ लिया जो लिबिया के शहर कुरेन का रहने वाला था। उस का नाम शमौन था। उस वक़्त वह देहात से शहर में दाख़िल हो रहा था। उन्हों ने सलीब को उस के कँधों पर रख कर उसे ईसा के पीछे चलने का हुक्म दिया।
ⲕ̅ⲋ̅ⲁⲩⲱ ⲉⲩϫⲓ ⲙⲙⲟϥ ⲉⲃⲟⲗ ⲁⲩⲁⲙⲁϩⲧⲉ ⲛⲟⲩⲕⲩⲣⲏⲛⲁⲓⲟⲥ ϫⲉ ⲥⲓⲙⲱⲛ ⲉϥⲛⲏⲟⲩ ⲉϩⲣⲁⲓ ϩⲛ ⲧⲥⲱϣⲉ ⲁⲩⲧⲁⲗⲉ ⲡⲉϥⲥⲧⲁⲩⲣⲟⲥ ⲉϫⲱϥ ⲉϥⲓⲧϥ ϩⲓ ⲡⲁϩⲟⲩ ⲛⲓⲏⲥ
27 एक बड़ा हुजूम उस के पीछे हो लिया जिस में कुछ ऐसी औरतें भी शामिल थीं जो सीना पीट पीट कर उस का मातम कर रही थीं।
ⲕ̅ⲍ̅ⲛⲉⲣⲉ ⲟⲩⲙⲏⲏϣⲉ ⲇⲉ ⲙⲡⲗⲁⲟⲥ ⲟⲩⲏϩ ⲛⲥⲱϥ ⲙⲛ ⲛⲉϩⲓⲟⲙⲉ ⲛⲁⲓ ⲉⲛⲉⲩⲛⲉϩⲡⲉ ⲡⲉ ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲩⲧⲟⲓⲧ ⲉⲣⲟϥ
28 ईसा ने मुड़ कर उन से कहा, “येरूशलेम की बेटियो! मेरे वास्ते न रोओ बल्कि अपने और अपने बच्चों के वास्ते रोओ।
ⲕ̅ⲏ̅ⲁⲓⲏⲥ ⲇⲉ ⲕⲟⲧϥ ⲉⲡⲁϩⲟⲩ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲛϣⲉⲉⲣⲉ ⲛⲑⲓⲉⲣⲟⲥⲟⲗⲩⲙⲁ ⲙⲡⲣⲣⲓⲙⲉ ⲛⲁⲓ ⲡⲗⲏⲛ ⲣⲓⲙⲉ ⲛⲧⲟϥ ⲛⲏⲧⲛ ⲙⲛ ⲛⲉⲧⲛϣⲏⲣⲉ
29 क्यूँकि ऐसे दिन आएँगे जब लोग कहेंगे, मुबारिक़ हैं वह जो बाँझ हैं, जिन्हों ने न तो बच्चों को जन्म दिया, न दूध पिलाया।’
ⲕ̅ⲑ̅ϫⲉ ⲉⲓⲥ ϩⲏⲏⲧⲉ ⲟⲩⲛ ϩⲉⲛϩⲟⲟⲩ ⲛⲏⲟⲩ ⲛⲥⲉϫⲟⲟⲥ ⲛϩⲏⲧⲟⲩ ϫⲉ ⲛⲁⲓⲁⲧⲟⲩ ⲛⲛⲁϭ ⲣⲏⲛ ⲙⲛ ⲛϩⲏ ⲉⲧⲉ ⲙⲡⲟⲩⲙⲓⲥⲉ ⲙⲛ ⲛⲉⲕⲓⲃⲉ ⲉⲧⲉ ⲙⲡⲟⲩⲧⲥⲛⲕⲟ
30 फिर लोग पहाड़ों से कहने लगेंगे, हम पर गिर पड़ो, और पहाड़ियों से कि ‘हमें छुपा लो।”’
ⲗ̅ⲧⲟⲧⲉ ⲥⲉⲛⲁⲁⲣⲭⲓ ⲛϫⲟⲟⲥ ⲛⲛⲧⲟⲟⲩ ϫⲉ ϩⲉ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲉϫⲱⲛ ⲁⲩⲱ ⲛⲥⲓⲃⲉⲧ ϫⲉ ϩⲟⲃⲥⲛ
31 “क्यूँकि अगर हरे दरख़्त से ऐसा सुलूक किया जाता है तो फिर सूखे के साथ क्या कुछ न किया जाएगा?”
ⲗ̅ⲁ̅ϫⲉ ⲉϣϫⲉ ⲥⲉⲉⲓⲣⲉ ⲛⲛⲁⲓ ϩⲙ ⲡϣⲉ ⲉⲧⲟⲩⲱⲧ ⲉⲉⲓⲉ ⲟⲩ ⲡⲉⲧⲛⲁϣⲱⲡⲉ ϩⲙ ⲡⲉⲧϣⲟⲩⲱⲟⲩ
32 दो और मर्दों को भी मस्लूब करने के लिए बाहर ले जाया जा रहा था। दोनों मुजरिम थे।
ⲗ̅ⲃ̅ⲁⲩⲛ ⲕⲉⲥⲟⲟⲛⲉ ⲇⲉ ⲥⲛⲁⲩ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲙⲟⲟⲩⲧⲟⲩ ⲛⲙⲙⲁϥ
33 चलते चलते वह उस जगह पहुँचे जिस का नाम खोपड़ी था। वहाँ उन्हों ने ईसा को दोनों मुजरिमों समेत मस्लूब किया। एक मुजरिम को उस के दाएँ हाथ और दूसरे को उस के बाएँ हाथ लटका दिया गया।
ⲗ̅ⲅ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲧⲉⲣⲟⲩⲉⲓ ⲉϫⲙ ⲡⲙⲁ ⲉϣⲁⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲟϥ ϫⲉ ⲡⲉⲕⲣⲁⲛⲓⲟⲛ ⲁⲩⲥⲧⲁⲩⲣⲟⲩ ⲙⲙⲟϥ ⲛⲙⲙⲁⲩ ⲙⲛ ⲡⲕⲉⲥⲟⲟⲛⲉ ⲥⲛⲁⲩ ⲟⲩⲁ ⲙⲉⲛ ϩⲓ ⲟⲩⲛⲁⲙ ⲙⲙⲟϥ ⲟⲩⲁ ⲇⲉ ϩⲓϩⲃⲟⲩⲣ ⲙⲙⲟϥ
34 ईसा ने कहा, “ऐ बाप, इन्हें मुआफ़ कर, क्यूँकि यह जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं।” उन्हों ने पर्ची डाल कर उस के कपड़े आपस में बाँट लिए।
ⲗ̅ⲇ̅ⲁⲩⲡⲱϣ ⲛⲛⲉϥϩⲟⲓⲧⲉ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲛⲉϫ ⲕⲗⲏⲣⲟⲥ ⲉϫⲱⲟⲩ
35 हुजूम वहाँ खड़ा तमाशा देखता रहा जबकि क़ौम के सरदारों ने उस का मज़ाक़ भी उड़ाया। उन्हों ने कहा, “उस ने औरों को बचाया है। अगर यह ख़ुदा का चुना हुआ और मसीह है तो अपने आप को बचाए।”
ⲗ̅ⲉ̅ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲣⲉⲡⲗⲁⲟⲥ ⲡⲉ ⲁϩⲉⲣⲁⲧϥ ⲉⲩⲛⲁⲩ ⲡⲉ ⲁⲛⲕⲉⲁⲣⲭⲱⲛ ⲇⲉ ⲕⲱⲙϣ ⲛⲥⲱϥ ⲉⲩϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲁϥⲧⲟⲩϫⲉ ϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲙⲁⲣⲉϥⲧⲟⲩϫⲟϥ ⲉϣϫⲉ ⲡⲁⲓ ⲡⲉ ⲡⲉⲭⲥ ⲡⲥⲱⲧⲡ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ
36 फ़ौजियों ने भी उसे लान — तान की। उस के पास आ कर उन्हों ने उसे मय का सिरका पेश किया
ⲗ̅ⲋ̅ⲁⲛⲕⲉⲙⲁⲧⲟⲓ ⲇⲉ ⲥⲱⲃⲉ ⲛⲥⲱϥ ⲉⲩϯ ⲙⲡⲉⲩⲟⲩⲟⲓ ⲉⲣⲟϥ ⲙⲛ ⲟⲩϩⲙϫ
37 और कहा, “अगर तू यहूदियों का बादशाह है तो अपने आप को बचा ले।”
ⲗ̅ⲍ̅ⲉⲩϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲉϣϫⲉ ⲛⲧⲟⲕ ⲡⲉ ⲡⲣⲣⲟ ⲛⲓⲟⲩⲇⲁⲓ ⲙⲁⲧⲟⲩϫⲟⲕ
38 उस के सर के ऊपर एक तख़्ती लगाई गई थी जिस पर लिखा था, “यह यहूदियों का बादशाह है।”
ⲗ̅ⲏ̅ⲛⲉⲩⲛⲟⲩⲉⲡⲓⲅⲣⲁⲫⲏ ⲇⲉ ϩⲓϫⲱϥ ϫⲉ ⲡⲁⲓ ⲡⲉ ⲡⲣⲣⲟ ⲛⲓⲟⲩⲇⲁⲓ
39 जो मुजरिम उस के साथ मस्लूब हुए थे उन में से एक ने कुफ़्र बकते हुए कहा, “क्या तू मसीह नहीं है? तो फिर अपने आप को और हमें भी बचा ले।
ⲗ̅ⲑ̅ⲛⲉⲩⲛ ⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲛⲛⲥⲟⲟⲛⲉ ⲉⲧⲁϣⲉ ϫⲓⲟⲩⲁ ⲉⲣⲟϥ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲱⲥ ϫⲉ ⲙⲏ ⲛⲧⲟⲕ ⲁⲛ ⲡⲉ ⲡⲉⲭⲥ ⲙⲁⲧⲟⲩϫⲟⲕ ⲛⲙⲙⲁⲛ
40 लेकिन दूसरे ने यह सुन कर उसे डाँटा, क्या तू ख़ुदा से भी नहीं डरता? जो सज़ा उसे दी गई है वह तुझे भी मिली है।
ⲙ̅ⲁⲡⲕⲉⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲟⲩⲱϣⲃ ⲉϥⲁⲓⲡⲓⲧⲓⲙⲁ ⲛⲁϥ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲛⲕⲣ ϩⲟⲧⲉ ⲛⲧⲟⲕ ⲁⲛ ϩⲏⲧϥ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϫⲉ ⲉⲛϣⲟⲟⲡ ⲙⲡⲉⲓⲕⲣⲓⲙⲁ ⲟⲩⲱⲧ
41 हमारी सज़ा तो वाजिबी है, क्यूँकि हमें अपने कामों का बदला मिल रहा है, लेकिन इस ने कोई बुरा काम नहीं किया।”
ⲙ̅ⲁ̅ⲁⲛⲟⲛ ⲅⲁⲣ ⲇⲓⲕⲁⲓⲱⲥ ⲡⲉⲙⲡϣⲁ ⲅⲁⲣ ⲛⲛⲉⲛⲧⲁⲛⲁⲁⲩ ⲡⲉⲧⲛⲛⲁϫⲓ ⲙⲙⲟϥ ⲡⲁⲓ ⲇⲉ ⲙⲡϥⲣ ⲗⲁⲁⲩ ⲛϩⲱⲃ ⲉⲙⲉϣϣⲉ
42 फिर उस ने ईसा से कहा, “जब आप अपनी बादशाही में आएँ तो मुझे याद करें।”
ⲙ̅ⲃ̅ⲁⲩⲱ ⲡⲉϫⲁϥ ϫⲉ ⲓⲏⲥ ⲁⲣⲓⲡⲁⲙⲉⲩⲉ ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲉⲕϣⲁⲛⲉⲓ ϩⲛ ⲧⲉⲕⲙⲛⲧⲣⲣⲟ
43 ईसा ने उस से कहा, “मैं तुझे सच बताता हूँ कि तू आज ही मेरे साथ फ़िरदोस में होगा।”
ⲙ̅ⲅ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛⲁϥ ϫⲉ ϩⲁⲙⲏⲛ ϯϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ⲛⲁⲕ ⲙⲡⲟⲟⲩ ϫⲉ ⲕⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲛⲙⲙⲁⲓ ϩⲙ ⲡⲡⲁⲣⲁⲇⲉⲓⲥⲟⲥ
44 बारह बजे से दोपहर तीन बजे तक पूरा मुल्क अंधेरे में डूब गया।
ⲙ̅ⲇ̅ⲛⲉ ⲡⲛⲁⲩ ⲇⲉ ⲛϫⲡ ⲡⲥⲟ ⲡⲉ ⲁⲩⲕⲁⲕⲉ ϣⲱⲡⲉ ⲉϫⲙ ⲡⲕⲁϩ ⲧⲏⲣϥ ϣⲁ ϫⲡ ⲯⲓⲧⲉ
45 सूरज तारीक हो गया और बैत — उल — मुक़द्दस के पाकतरीन कमरे के सामने लटका हुआ पर्दा दो हिस्सों में फट गया।
ⲙ̅ⲉ̅ⲉⲣⲉ ⲡⲣⲏ ⲇⲉ ⲛⲁϩⲱⲧⲡ ⲁⲡⲕⲁⲧⲁⲡⲉⲧⲁⲥⲙⲁ ⲙⲡⲉⲣⲡⲉ ⲡⲱϩ ϩⲓ ⲧⲉϥⲙⲏⲧⲉ
46 ईसा ऊँची आवाज़ से पुकार उठा, “ऐ बाप, मैं अपनी रूह तेरे हाथों में सौंपता हूँ।” यह कह कर उस ने दम तोड़ दिया।
ⲙ̅ⲋ̅ⲁⲓⲏⲥ ϫⲓϣⲕⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛⲥⲙⲏ ⲡⲉϫⲁϥ ϫⲉ ⲡⲁⲓⲱⲧ ϯϯ ⲙⲡⲁⲡⲛⲁ ⲉⲛⲉⲕϭⲓϫ ⲛⲧⲉⲣⲉϥϫⲉ ⲡⲁⲓ ⲇⲉ ⲁϥⲕⲁ ⲡⲧⲏⲟⲩ
47 यह देख कर वहाँ खड़े फ़ौजी अफ़्सर ने ख़ुदा की बड़ाई करके कहा, “यह आदमी वाक़'ई रास्तबाज़ था।”
ⲙ̅ⲍ̅ⲁⲫⲉⲕⲁⲧⲟⲛⲧⲁⲣⲭⲟⲥ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ⲉⲡⲉⲛⲧⲁϥϣⲱⲡⲉ ⲁϥϯ ⲉⲟⲟⲩ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲟⲛⲧⲱⲥ ⲛⲉ ⲟⲩⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥ ⲡⲉ ⲡⲉⲓⲣⲱⲙⲉ
48 और हुजूम के तमाम लोग जो यह तमाशा देखने के लिए जमा हुए थे यह सब कुछ देख कर छाती पीटने लगे और शहर में वापस चले गए।
ⲙ̅ⲏ̅ⲁⲩⲱ ⲙⲙⲏⲏϣⲉ ⲛⲧⲉⲣⲟⲩⲉⲓ ⲉⲛⲁⲩ ⲛⲧⲉⲣⲟⲩⲛⲁⲩ ⲉⲛⲉⲛⲧⲁⲩϣⲱⲡⲉ ⲁⲩϩⲓⲟⲩⲉ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲛⲉⲩⲙⲉⲥⲑⲏⲧ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲕⲟⲧⲟⲩ
49 लेकिन ईसा के जानने वाले कुछ फ़ासिले पर खड़े देखते रहे। उन में वह औरतें भी शामिल थीं जो गलील में उस के पीछे चल कर यहाँ तक उस के साथ आई थीं।
ⲙ̅ⲑ̅ⲛⲉⲣⲉⲛⲉⲧⲥⲟⲟⲩⲛ ⲇⲉ ⲙⲙⲟϥ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲡⲉ ⲁϩⲉⲣⲁⲧⲟⲩ ⲙⲡⲟⲩⲉ ⲙⲛ ⲛⲉϩⲓⲟⲙⲉ ⲉⲛⲉⲩⲟⲩⲏϩ ⲛⲥⲱϥ ϫⲓⲛ ⲧⲅⲁⲗⲓⲗⲁⲓⲁ ⲉⲩⲛⲁⲩ ⲉⲛⲁⲓ
50 वहाँ एक नेक और रास्तबाज़ आदमी बनाम यूसुफ़ था। वह यहूदी अदालत — ए — अलिया का रुकन था
ⲛ̅ⲉⲓⲥ ⲟⲩⲣⲱⲙⲉ ⲇⲉ ⲉⲡⲉϥⲣⲁⲛ ⲡⲉ ⲓⲱⲥⲏⲫ ⲉⲩⲃⲟⲩⲗⲉⲩⲧⲏⲥ ⲡⲉ ⲣⲣⲱⲙⲉ ⲛⲁⲅⲁⲑⲟⲥ ⲛⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥ
51 लेकिन दूसरों के फ़ैसले और हरकतो पर रज़ामन्द नहीं हुआ था। यह आदमी यहूदिया के शहर अरिमतियाह का रहने वाला था और इस इन्तिज़ार में था कि ख़ुदा की बादशाही आए।
ⲛ̅ⲁ̅ⲡⲁⲓ ⲉⲛϥϥⲓ ⲁⲛ ⲙⲛ ⲡⲉⲩϣⲟϫⲛⲉ ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲩϩⲱⲃ ⲉⲩⲉⲃⲟⲗ ⲡⲉ ϩⲛ ⲁⲣⲓⲙⲁⲑⲁⲓⲁ ⲧⲡⲟⲗⲓⲥ ⲛⲓⲟⲩⲇⲁⲓ ⲡⲁⲓ ⲉⲛⲉϥϭⲱϣⲧ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲏⲧⲥ ⲛⲧⲙⲛⲧⲣⲣⲟ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ
52 अब उस ने पिलातुस के पास जा कर उस से ईसा की लाश ले जाने की इजाज़त माँगी।
ⲛ̅ⲃ̅ⲡⲁⲓ ϭⲉ ⲁϥϯ ⲡⲉϥⲟⲩⲟⲓ ⲉⲡⲓⲗⲁⲧⲟⲥ ⲁϥⲁⲓⲧⲓ ⲙⲡⲥⲱⲙⲁ ⲛⲓⲏⲥ
53 फिर लाश को उतार कर उस ने उसे कतान के कफ़न में लपेट कर चट्टान में तराशी हुई एक क़ब्र में रख दिया जिस में अब तक किसी को दफ़नाया नहीं गया था।
ⲛ̅ⲅ̅ⲁϥⲛⲧϥ ⲉⲡⲉⲥⲏⲧ ⲁϥⲕⲟⲟⲥϥ ϩⲛ ⲟⲩⲥⲓⲛⲇⲱⲛ ⲁϥⲕⲁⲁϥ ϩⲛ ⲟⲩⲙϩⲁⲟⲩ ⲉⲁⲩⲕⲉϩⲕⲱϩϥ ⲉⲙⲡⲟⲩⲕⲁ ⲗⲁⲁⲩ ⲛϩⲏⲧϥ ⲉⲛⲉϩ ⲁⲩⲱ ⲛⲧⲉⲣⲉϥⲕⲁⲁϥ ⲇⲉ ⲁⲩⲟⲩⲉϩ ⲟⲩⲱⲛⲉ ⲉⲣⲛ ⲧⲧⲁⲡⲣⲟ ⲙⲡⲉⲙϩⲁⲟⲩ ⲡⲁⲓ ⲉⲛⲉ ⲙⲟⲅⲓⲥ ⲉⲛⲉⲣⲉ ϣϫⲟⲩⲱⲧ ⲣⲣⲱⲙⲉ ⲛⲁϣ ⲥⲕⲣⲕⲱⲣϥ
54 यह तैयारी का दिन यानी जुमआ था, लेकिन सबत का दिन शुरू होने को था।
ⲛ̅ⲇ̅ⲛⲉ ⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲡⲉ ⲛⲧⲡⲁⲣⲁⲥⲕⲉⲩⲏ ⲉϩⲧⲟⲟⲩⲉ ⲙⲡⲥⲁⲃⲃⲁⲧⲟⲛ
55 जो औरतें ईसा के साथ गलील से आई थीं वह यूसुफ़ के पीछे हो लीं। उन्हों ने क़ब्र को देखा और यह भी कि ईसा की लाश किस तरह उस में रखी गई है।
ⲛ̅ⲉ̅ⲁⲛⲉϩⲓⲟⲙⲉ ⲇⲉ ⲟⲩⲁϩⲟⲩ ⲛⲥⲱϥ ⲛⲁⲉⲓ ⲉⲛⲧⲁⲩⲉⲓ ⲛⲙⲙⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ ⲧⲅⲁⲗⲓⲗⲁⲓⲁ ⲉⲩⲛⲁⲩ ⲉⲡⲉⲙϩⲁⲟⲩ ⲙⲛ ⲑⲉ ⲉⲛⲧⲁϥⲕⲁ ⲡⲉϥⲥⲱⲙⲁ ⲙⲙⲟⲥ
56 फिर वह शहर में वापस चली गईं और उस की लाश के लिए ख़ुश्बूदार मसाले तैयार करने लगीं।
ⲛ̅ⲋ̅ⲁⲩⲕⲟⲧⲟⲩ ⲇⲉ ⲁⲩⲥⲟⲃⲧⲉ ⲛϩⲉⲛϩⲏⲛⲉ ⲙⲛ ϩⲉⲛⲥⲧⲟ ⲁⲩⲱ ⲁⲩϭⲱ ⲙⲡⲥⲁⲃⲃⲁⲧⲟⲛ ⲕⲁⲧⲁ ⲧⲉⲛⲧⲟⲗⲏ

< लूका 23 >