< लूका 23 >

1 फिर पूरी मज्लिस उठी और 'ईसा को पीलातुस के पास ले आई।
ⲁ̅ⲞⲨⲞϨ ⲀϤⲦⲰⲚϤ ⲚϪⲈⲠⲞⲨⲘⲎϢ ⲦⲎⲢϤ ⲀⲨⲈⲚϤ ϨⲀ ⲠⲒⲖⲀⲦⲞⲤ.
2 और उन्होंने उस पर इल्ज़ाम लगा कर कहने लगे, “हम ने मालूम किया है कि यह आदमी हमारी क़ौम को गुमराह कर रहा है। यह क़ैसर को ख़िराज देने से मनह करता और दा'वा करता है कि मैं मसीह और बादशाह हूँ।”
ⲃ̅ⲀⲨⲈⲢϨⲎⲦⲤ ⲆⲈ ⲚⲈⲢⲔⲀⲦⲎⲄⲞⲢⲒⲚ ⲈⲢⲞϤ ⲈⲨϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ ϪⲈ ⲪⲀⲒ ⲀⲚϪⲈⲘϤ ⲈⲦⲪⲰⲚϨ ⲘⲠⲈⲚⲈⲐⲚⲞⲤ ⲈⲂⲞⲖ ⲞⲨⲞϨ ⲈϤⲦⲀϨⲚⲞ ⲈϢⲦⲈⲘϮ ϨⲰϮ ⲘⲠⲞⲨⲢⲞ ⲈϤϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ ⲈⲢⲞϤ ϪⲈ ⲀⲚⲞⲔ ⲠⲈ ⲠⲬⲢⲒⲤⲦⲞⲤ ⲠⲞⲨⲢⲞ.
3 पीलातुस ने उस से पूछा, “अच्छा, तुम यहूदियों के बादशाह हो?” ईसा ने जवाब दिया, जी, “आप ख़ुद कहते हैं।”
ⲅ̅ⲠⲒⲖⲀⲦⲞⲤ ⲆⲈ ⲀϤϢⲈⲚϤ ⲈϤϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ ϪⲈ ⲚⲐⲞⲔ ⲠⲈ ⲠⲞⲨⲢⲞ ⲚⲦⲈⲚⲒⲒⲞⲨⲆⲀⲒ ⲚⲐⲞϤ ⲆⲈ ⲀϤⲈⲢⲞⲨⲰ ⲚⲀϤ ϪⲈ ⲚⲐⲞⲔ ⲠⲈⲦϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ.
4 फिर पीलातुस ने रहनुमा इमामों और हुजूम से कहा, “मुझे इस आदमी पर इल्ज़ाम लगाने की कोई वजह नज़र नहीं आती।”
ⲇ̅ⲠⲒⲖⲀⲦⲞⲤ ⲆⲈ ⲠⲈϪⲀϤ ⲚⲚⲒⲀⲢⲬⲒⲈⲢⲈⲨⲤ ⲚⲈⲘ ⲚⲒⲘⲎϢ ϪⲈ ⲚϮϪⲈⲘ ϨⲖⲒ ⲚⲈⲦⲒⲀ ⲀⲚ ϦⲈⲚⲠⲀⲒⲢⲰⲘⲒ.
5 मगर वो और भी ज़ोर देकर कहने लगे कि ये तमाम यहूदिया में बल्कि गलील से लेकर यहाँ तक लोगों को सिखा सिखा कर उभारता है
ⲉ̅ⲚⲐⲰⲞⲨ ⲆⲈ ⲚⲀⲨϪⲈⲘϪⲞⲘ ⲈⲨϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ ϪⲈ ϤϢⲐⲞⲢⲦⲈⲢ ⲘⲠⲒⲖⲀⲞⲤ ⲈϤϮⲤⲂⲰ ϦⲈⲚϮⲒⲞⲨⲆⲈⲀ ⲦⲎⲢⲤ ⲈⲀϤⲈⲢϨⲎⲦⲤ ⲒⲤϪⲈⲚ ϮⲄⲀⲖⲒⲖⲈⲀ ϢⲀ ⲠⲀⲒⲘⲀ.
6 यह सुन कर पीलातुस ने पूछा, “क्या यह शख़्स गलील का है?”
ⲋ̅ⲠⲒⲖⲀⲦⲞⲤ ⲆⲈ ⲈⲦⲀϤⲤⲰⲦⲈⲘ ⲚⲀϤϢⲒⲚⲒ ϪⲈ ⲀⲚ ⲞⲨⲄⲀⲖⲒⲖⲈⲞⲤ ⲠⲈ ⲠⲀⲒⲢⲰⲘⲒ.
7 जब उसे मालूम हुआ कि ईसा गलील यानी उस इलाक़े से है, जिस पर हेरोदेस अनतिपास की हुकूमत है तो उस ने उसे हेरोदेस के पास भेज दिया, क्यूँकि वह भी उस वक़्त येरूशलेम में था।
ⲍ̅ⲞⲨⲞϨ ⲈⲦⲀϤⲈⲘⲒ ϪⲈ ⲞⲨⲈⲂⲞⲖ ϦⲈⲚⲠⲈⲢϢⲒϢⲒ ⲚⲎⲢⲰⲆⲎⲤ ⲠⲈ ⲀϤⲞⲨⲞⲢⲠϤ ϨⲀ ⲎⲢⲰⲆⲎⲤ ⲈϤⲬⲎ ϨⲰϤ ϦⲈⲚⲒⲈⲢⲞⲤⲀⲖⲎⲘ ϦⲈⲚⲚⲒⲈϨⲞⲞⲨ ⲈⲦⲈⲘⲘⲀⲨ.
8 हेरोदेस ईसा को देख कर बहुत ख़ुश हुआ, क्यूँकि उस ने उस के बारे में बहुत कुछ सुना था, और इस लिए काफ़ी दिनों से उस से मिलना चाहता था। अब उस की बड़ी ख़्वाहिश थी, कि ईसा को कोई मोजिज़ा करते हुए देख सके।
ⲏ̅ⲎⲢⲰⲆⲎⲤ ⲆⲈ ⲈⲦⲀϤⲚⲀⲨ ⲈⲒⲎⲤⲞⲨⲤ ⲀϤⲢⲀϢⲒ ⲈⲘⲀϢⲰ ⲚⲀϤⲞⲨⲰϢ ⲄⲀⲢ ⲠⲈ ⲈⲚⲀⲨ ⲈⲢⲞϤ ⲒⲤϪⲈⲚ ⲞⲨⲘⲎϢ ⲚⲬⲢⲞⲚⲞⲤ ⲈⲐⲂⲈϪⲈ ⲚⲀϤⲤⲰⲦⲈⲘ ⲈⲐⲂⲎⲦϤ ⲞⲨⲞϨ ⲚⲀϤⲈⲢϨⲈⲖⲠⲒⲤ ⲈⲚⲀⲨ ⲈⲞⲨⲘⲎⲒⲚⲒ ⲚⲦⲞⲦϤ ⲈϤⲒⲢⲒ ⲘⲘⲞϤ.
9 उस ने उस से बहुत सारे सवाल किए, लेकिन ईसा ने एक का भी जवाब न दिया।
ⲑ̅ⲚⲀϤϢⲒⲚⲒ ⲆⲈ ⲘⲘⲞϤ ϦⲈⲚϨⲀⲚⲘⲎϢ ⲚⲤⲀϪⲒ ⲚⲐⲞϤ ⲆⲈ ⲘⲠⲈⲢⲈⲢⲞⲨⲰ ⲚϨⲖⲒ.
10 रहनुमा इमाम और शरी'अत के उलमा साथ खड़े बड़े जोश से उस पर इल्ज़ाम लगाते रहे।
ⲓ̅ⲚⲀⲨⲞϨⲒ ⲈⲢⲀⲦⲞⲨ ⲚϪⲈⲚⲒⲀⲢⲬⲒⲈⲢⲈⲨⲤ ⲚⲈⲘ ⲚⲒⲤⲀϦ ⲈⲨⲈⲢⲔⲀⲦⲎⲄⲞⲢⲒⲚ ⲈⲢⲞϤ ⲈⲘⲀϢⲰ.
11 फिर हेरोदेस और उस के फ़ौजियों ने उसको ज़लील करते हुए उस का मज़ाक़ उड़ाया और उसे चमकदार लिबास पहना कर पीलातुस के पास वापस भेज दिया।
ⲓ̅ⲁ̅ⲈⲦⲀϤϢⲞϢϤ ⲆⲈ ⲚϪⲈⲎⲢⲰⲆⲎⲤ ⲚⲈⲘ ⲚⲈϤⲘⲀⲦⲞⲒ ⲞⲨⲞϨ ⲈⲦⲀϤⲤⲰⲂⲒ ⲘⲘⲞϤ ⲀϤϪⲞⲖϨϤ ⲚⲞⲨϨⲈⲂⲤⲰ ⲈⲤⲪⲈⲢⲒⲰⲞⲨ ⲀϤⲞⲨⲞⲢⲠϤ ⲈⲠⲒⲖⲀⲦⲞⲤ.
12 उसी दिन हेरोदेस और पीलातुस दोस्त बन गए, क्यूँकि इस से पहले उन की दुश्मनी चल रही थी।
ⲓ̅ⲃ̅ⲀⲨⲈⲢϢⲪⲎⲢ ⲆⲈ ⲈⲚⲞⲨⲈⲢⲎⲞⲨ ⲚϪⲈⲠⲒⲖⲀⲦⲞⲤ ⲚⲈⲘ ⲎⲢⲰⲆⲎⲤ ϦⲈⲚⲠⲒⲈϨⲞⲞⲨ ⲈⲦⲈⲘⲘⲀⲨ ⲚⲀⲨϢⲞⲠ ⲄⲀⲢ ⲚϢⲞⲢⲠ ⲠⲈ ϦⲈⲚⲞⲨⲘⲈⲦϪⲀϪⲒ ⲈⲚⲞⲨⲈⲢⲎⲞⲨ.
13 फिर पीलातुस ने रहनुमा इमामों, सरदारों और अवाम को जमा करके;
ⲓ̅ⲅ̅ⲠⲒⲖⲀⲦⲞⲤ ⲆⲈ ⲈⲦⲀϤⲘⲞⲨϮ ⲈⲚⲒⲀⲢⲬⲒⲈⲢⲈⲨⲤ ⲚⲈⲘ ⲚⲒⲀⲢⲬⲰⲚ ⲚⲈⲘ ⲠⲒⲖⲀⲞⲤ
14 उन से कहा, “तुम ने इस शख़्स को मेरे पास ला कर इस पर इल्ज़ाम लगाया है कि यह क़ौम को उकसा रहा है। मैं ने तुम्हारी मौजूदगी में इस का जायज़ा ले कर ऐसा कुछ नहीं पाया जो तुम्हारे इल्ज़ामात की तस्दीक़ करे।
ⲓ̅ⲇ̅ⲠⲈϪⲀϤ ⲚⲰⲞⲨ ϪⲈ ⲀⲦⲈⲦⲈⲚⲒⲚⲒ ⲚⲎⲒ ⲘⲠⲀⲒⲢⲰⲘⲒ ϨⲰⲤ ⲈϤⲪⲰⲚϨ ⲘⲠⲒⲖⲀⲞⲤ ⲈⲂⲞⲖ ⲞⲨⲞϨ ϨⲎⲠⲠⲈ ⲀⲚⲞⲔ ⲈⲦⲀⲒϢⲈⲚϤ ⲈϨⲢⲀϤ ⲘⲠⲈⲦⲈⲚⲘⲐⲞ ⲘⲠⲒϪⲈⲘ ϨⲖⲒ ⲚⲈⲦⲒⲀ ϦⲈⲚⲠⲀⲒⲢⲰⲘⲒ ⲚⲚⲎ ⲈⲦⲈⲦⲈⲚⲈⲢⲔⲀⲦⲎⲄⲞⲢⲒⲚ ⲈⲢⲞϤ ⲚϦⲎⲦⲞⲨ.
15 हेरोदेस भी कुछ नहीं मालूम कर सका, इस लिए उस ने इसे हमारे पास वापस भेज दिया है। इस आदमी से कोई भी ऐसा गुनाह नहीं हुआ कि यह सज़ा — ए — मौत के लायक़ है।
ⲓ̅ⲉ̅ⲀⲖⲖⲀ ⲞⲨⲆⲈ ⲠⲔⲈⲎⲢⲰⲆⲎⲤ ⲀϤⲞⲨⲞⲢⲠϤ ⲄⲀⲢ ϨⲀⲢⲞⲚ ⲞⲨⲞϨ ϨⲎⲠⲠⲈ ⲘⲘⲞⲚ ϨⲖⲒ ⲚϨⲰⲂ ⲚϦⲎⲦϤ ⲈⲀϤⲀⲒϤ ⲈϤⲘⲠϢⲀ ⲘⲪⲘⲞⲨ.
16 इस लिए मैं इसे कोड़ों की सज़ा दे कर रिहा कर देता हूँ।”
ⲓ̅ⲋ̅ⲚⲦⲀϮⲤⲂⲰ ⲞⲨⲚ ⲚⲀϤ ⲚⲦⲀⲬⲀϤ ⲈⲂⲞⲖ.
17 [अस्ल में यह उस का फ़र्ज़ था कि वह ईद के मौक़े पर उन की ख़ातिर एक क़ैदी को रिहा कर दे]।
ⲓ̅ⲍ̅ⲚⲈ ⲞⲨⲞⲚⲦⲞⲨ ⲔⲀϨⲤ ⲆⲈ ⲘⲘⲀⲨ ⲈⲐⲢⲈϤⲬⲰ ⲚⲞⲨⲀⲒ ⲚⲚⲎ ⲈⲦⲤⲞⲚϨ ⲚⲰⲞⲨ ⲈⲂⲞⲖ ⲔⲀⲦⲀ ⲠϢⲀⲒ
18 लेकिन सब मिल कर शोर मचा कर कहने लगे, “इसे ले जाएँ! इसे नहीं बल्कि बर — अब्बा को रिहा करके हमें दें।”
ⲓ̅ⲏ̅ⲀⲠⲒⲘⲎϢ ⲆⲈ ⲦⲎⲢϤ ⲰϢ ⲈⲂⲞⲖ ϪⲈ ⲀⲖⲒ ⲪⲀⲒ ⲬⲀ ⲂⲀⲢⲀⲂⲂⲀⲤ ⲚⲀⲚ ⲈⲂⲞⲖ
19 (बर — अब्बा को इस लिए जेल में डाला गया था कि वह क़ातिल था और उस ने शहर में हुकूमत के ख़िलाफ़ बग़ावत की थी)।
ⲓ̅ⲑ̅ⲪⲀⲒ ⲈⲦⲀⲨϨⲒⲦϤ ⲈⲠϢⲦⲈⲔⲞ ⲈⲐⲂⲈ ⲞⲨϢⲐⲞⲢⲦⲈⲢ ⲚⲈⲘ ⲞⲨϦⲰⲦⲈⲂ ⲈⲀϤϢⲰⲠⲒ ϦⲈⲚϮⲠⲞⲖⲒⲤ.
20 पीलातुस ईसा को रिहा करना चाहता था, इस लिए वह दुबारा उन से मुख़ातिब हुआ।
ⲕ̅ⲠⲀⲖⲒⲚ ⲆⲈ ⲞⲚ ⲀⲠⲒⲖⲀⲦⲞⲤ ⲘⲞⲨϮ ⲈⲢⲰⲞⲨ ⲈϤⲞⲨⲰϢ ⲈⲬⲀ ⲒⲎⲤⲞⲨⲤ ⲈⲂⲞⲖ
21 लेकिन वह चिल्लाते रहे, “इसे मस्लूब करें, इसे मस्लूब करें।”
ⲕ̅ⲁ̅ⲚⲐⲰⲞⲨ ⲆⲈ ⲀⲨⲰϢ ⲈⲂⲞⲖ ⲈⲨϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ ϪⲈ ⲀϢϤ ⲀϢϤ.
22 फिर पीलातुस ने तीसरी दफ़ा उन से कहा, “क्यूँ? उस ने क्या जुर्म किया है? मुझे इसे सज़ा — ए — मौत देने की कोई वजह नज़र नहीं आती। इस लिए मैं इसे कोड़े लगवा कर रिहा कर देता हूँ।”
ⲕ̅ⲃ̅ⲚⲐⲞϤ ⲆⲈ ⲠⲈϪⲀϤ ⲚⲰⲞⲨ ⲘⲪⲘⲀϨⲄ ⲚⲤⲞⲠ ϪⲈ ⲞⲨ ⲄⲀⲢ ⲘⲠⲈⲦϨⲰⲞⲨ ⲠⲈⲦⲀ ⲪⲀⲒ ⲀⲒϤ ⲘⲠⲒϪⲈⲘ ϨⲖⲒ ⲚⲈⲦⲒⲀ ⲚⲦⲈⲪⲘⲞⲨ ⲚϦⲎⲦϤ ⲚⲦⲀϮⲤⲂⲰ ⲞⲨⲚ ⲚⲀϤ ⲚⲦⲀⲬⲀϤ ⲈⲂⲞⲖ.
23 लेकिन वह बड़ा शोर मचा कर उसे मस्लूब करने का तक़ाज़ा करते रहे, और आख़िरकार उन की आवाज़ें ग़ालिब आ गईं।
ⲕ̅ⲅ̅ⲚⲐⲰⲞⲨ ⲆⲈ ⲀⲨⲞⲨⲀϨⲦⲞⲦⲞⲨ ϦⲈⲚϨⲀⲚⲚⲒϢϮ ⲚⲤⲘⲎ ⲈⲨⲈⲢⲈⲦⲒⲚ ⲘⲘⲞϤ ⲈⲐⲢⲞⲨⲀϢϤ ⲞⲨⲞϨ ⲚⲀⲨϪⲈⲘϪⲞⲘ ⲠⲈ ⲚϪⲈⲚⲞⲨⲤⲘⲎ.
24 फिर पीलातुस ने फ़ैसला किया कि उन का मुतालबा पूरा किया जाए।
ⲕ̅ⲇ̅ⲞⲨⲞϨ ⲀⲠⲒⲖⲀⲦⲞⲤ ϮϨⲀⲠ ⲈⲐⲢⲈϤϢⲰⲠⲒ ⲚϪⲈⲠⲞⲨⲈⲦⲎⲘⲀ.
25 उस ने उस आदमी को रिहा कर दिया जो अपनी हुकूमत के ख़िलाफ़ हरकतों और क़त्ल की वजह से जेल में डाल दिया गया था जबकि ईसा को उस ने उन की मर्ज़ी के मुताबिक़ उन के हवाले कर दिया।
ⲕ̅ⲉ̅ⲀϤⲬⲰ ⲆⲈ ⲈⲂⲞⲖ ⲘⲪⲎ ⲈⲦⲀⲨϨⲒⲦϤ ⲈⲠϢⲦⲈⲔⲞ ⲈⲐⲂⲈ ⲞⲨϦⲰⲦⲈⲂ ⲚⲈⲘ ϢⲐⲞⲢⲦⲈⲢ ⲪⲎ ⲈⲦⲀⲨⲈⲢⲈⲦⲒⲚ ⲘⲘⲞϤ ⲒⲎⲤⲞⲨⲤ ⲆⲈ ⲀϤⲦⲎⲒϤ ⲔⲀⲦⲀ ⲠⲞⲨⲞⲨⲰϢ
26 जब फ़ौजी ईसा को ले जा रहे थे तो उन्हों ने एक आदमी को पकड़ लिया जो लिबिया के शहर कुरेन का रहने वाला था। उस का नाम शमौन था। उस वक़्त वह देहात से शहर में दाख़िल हो रहा था। उन्हों ने सलीब को उस के कँधों पर रख कर उसे ईसा के पीछे चलने का हुक्म दिया।
ⲕ̅ⲋ̅ⲞⲨⲞϨ ϨⲰⲤ ⲈⲨⲒⲚⲒ ⲘⲘⲞϤ ⲈⲂⲞⲖ ⲀⲨⲀⲘⲞⲚⲒ ⲚⲞⲨⲀⲒ ϪⲈ ⲤⲒⲘⲰⲚ ⲞⲨⲔⲨⲢⲒⲚⲈⲞⲤ ⲈϤⲚⲎ ⲞⲨ ⲈⲂⲞⲖ ϦⲈⲚⲦⲔⲞⲒ ⲀⲨⲦⲀⲖⲈ ⲠⲒⲤⲦⲀⲨⲢⲞⲤ ⲈⲢⲞϤ ⲈⲐⲢⲈϤⲦⲰⲞⲨⲚ ⲘⲘⲞϤ ⲤⲀⲪⲀϨⲞⲨ ⲘⲘⲞϤ.
27 एक बड़ा हुजूम उस के पीछे हो लिया जिस में कुछ ऐसी औरतें भी शामिल थीं जो सीना पीट पीट कर उस का मातम कर रही थीं।
ⲕ̅ⲍ̅ⲚⲀϤⲘⲞϢⲒ ⲆⲈ ⲚⲤⲰϤ ⲚϪⲈⲞⲨⲚⲒϢϮ ⲘⲘⲎϢ ⲚⲦⲈⲠⲒⲖⲀⲞⲤ ⲚⲈⲘ ϨⲀⲚϨⲒⲞⲘⲒ ⲚⲎ ⲈⲚⲀⲨⲦⲰⲒⲦ ⲞⲨⲞϨ ⲚⲀⲨⲚⲈϨⲠⲒ ⲈⲢⲞϤ.
28 ईसा ने मुड़ कर उन से कहा, “येरूशलेम की बेटियो! मेरे वास्ते न रोओ बल्कि अपने और अपने बच्चों के वास्ते रोओ।
ⲕ̅ⲏ̅ⲈⲦⲀϤⲪⲞⲚϨϤ ⲆⲈ ⲈⲢⲰⲞⲨ ⲚϪⲈⲒⲎⲤⲞⲨⲤ ⲠⲈϪⲀϤ ϪⲈ ⲚⲒϢⲈⲢⲒ ⲚⲦⲈⲒⲈⲢⲞⲤⲀⲖⲎⲘ ⲘⲠⲈⲢⲢⲒⲘⲒ ⲈϪⲰⲒ ⲠⲖⲎⲚ ⲢⲒⲘⲒ ⲈϪⲈⲚ ⲐⲎⲚⲞⲨ ⲚⲈⲘ ⲈϪⲈⲚ ⲚⲈⲦⲈⲚϢⲎⲢⲒ
29 क्यूँकि ऐसे दिन आएँगे जब लोग कहेंगे, मुबारिक़ हैं वह जो बाँझ हैं, जिन्हों ने न तो बच्चों को जन्म दिया, न दूध पिलाया।’
ⲕ̅ⲑ̅ϪⲈ ϨⲎⲠⲠⲈ ⲤⲈⲚⲎⲞⲨ ⲚϪⲈϨⲀⲚⲈϨⲞⲞⲨ ⲚⲎ ⲈⲦⲞⲨⲚⲀϪⲞⲤ ⲚϦⲎⲦⲞⲨ ϪⲈ ⲰⲞⲨⲚⲒⲀⲦⲞⲨ ⲚⲚⲒⲀⲦϬ ⲢⲎⲚ ⲚⲈⲘ ⲚⲒⲚⲈϪⲒ ⲈⲦⲈⲘⲠⲞⲨⲘⲒⲤⲒ ⲚⲈⲘ ⲚⲒⲈⲘⲚⲞϮ ⲈⲦⲈⲘⲠⲞⲨϢⲀⲚϢ.
30 फिर लोग पहाड़ों से कहने लगेंगे, हम पर गिर पड़ो, और पहाड़ियों से कि ‘हमें छुपा लो।”’
ⲗ̅ⲦⲞⲦⲈ ⲤⲈⲚⲀⲈⲢϨⲎⲦⲤ ⲚϪⲞⲤ ⲚⲚⲒⲦⲰⲞⲨ ϪⲈ ϨⲈⲒ ⲈϪⲰⲚ ⲚⲈⲘ ⲚⲒⲔⲀⲖⲀⲘⲪⲞ ϪⲈ ϨⲞⲂⲤⲈⲚ.
31 “क्यूँकि अगर हरे दरख़्त से ऐसा सुलूक किया जाता है तो फिर सूखे के साथ क्या कुछ न किया जाएगा?”
ⲗ̅ⲁ̅ϪⲈ ⲒⲤϪⲈ ⲤⲈⲒⲢⲒ ⲚⲚⲀⲒ ϦⲈⲚⲠⲒϢⲈ ⲈⲦⲖⲎ ⲔⲒⲈ ⲞⲨ ⲠⲈⲐⲚⲀϢⲰⲠⲒ ϦⲈⲚⲠⲈⲦϢⲞⲨⲰⲞⲨ.
32 दो और मर्दों को भी मस्लूब करने के लिए बाहर ले जाया जा रहा था। दोनों मुजरिम थे।
ⲗ̅ⲃ̅ⲚⲀⲨⲒⲚⲒ ⲆⲈ ⲚⲔⲈⲢⲈϤⲈⲢⲠⲈⲦϨⲰⲞⲨ Ⲃ- ⲚⲈⲘⲀϤ ⲈϦⲞⲐⲂⲞⲨ
33 चलते चलते वह उस जगह पहुँचे जिस का नाम खोपड़ी था। वहाँ उन्हों ने ईसा को दोनों मुजरिमों समेत मस्लूब किया। एक मुजरिम को उस के दाएँ हाथ और दूसरे को उस के बाएँ हाथ लटका दिया गया।
ⲗ̅ⲅ̅ⲞⲨⲞϨ ⲈⲦⲀⲨⲒ ⲈϪⲈⲚ ⲠⲒⲘⲀ ⲈⲦⲞⲨⲘⲞⲨϮ ⲈⲢⲞϤ ϪⲈ ⲠⲒⲔⲢⲀⲚⲒⲞⲚ ⲀⲨⲀϢϤ ⲘⲘⲀⲨ ⲚⲈⲘ ⲚⲒⲔⲀⲔⲞⲨⲢⲄⲞⲤ ⲞⲨⲀⲒ ⲘⲈⲚ ⲤⲀⲞⲨⲒⲚⲀⲘ ⲞⲨⲀⲒ ⲆⲈ ⲤⲀϪⲀϬⲎ ⲀⲨⲪⲰϢ ⲆⲈ ⲚⲚⲈϤϨⲂⲰⲤ ⲈϨⲢⲀⲨ ⲀⲨϨⲒⲰⲠ ⲈⲢⲰⲞⲨ.
34 ईसा ने कहा, “ऐ बाप, इन्हें मुआफ़ कर, क्यूँकि यह जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं।” उन्हों ने पर्ची डाल कर उस के कपड़े आपस में बाँट लिए।
ⲗ̅ⲇ̅ⲒⲎⲤⲞⲨⲤ ⲆⲈ ⲠⲈϪⲀϤ ϪⲈ ⲠⲀⲒⲰⲦ ⲬⲰ ⲚⲰⲞⲨ ⲈⲂⲞⲖ ϪⲈ ⲘⲠⲞⲨⲈⲘⲒ ⲈⲚⲎ ⲈⲦⲞⲨⲒⲢⲒ ⲘⲘⲞϤ.
35 हुजूम वहाँ खड़ा तमाशा देखता रहा जबकि क़ौम के सरदारों ने उस का मज़ाक़ भी उड़ाया। उन्हों ने कहा, “उस ने औरों को बचाया है। अगर यह ख़ुदा का चुना हुआ और मसीह है तो अपने आप को बचाए।”
ⲗ̅ⲉ̅ⲞⲨⲞϨ ⲚⲀϤⲞϨⲒ ⲈⲢⲀⲦϤ ⲠⲈ ⲚϪⲈⲠⲒⲖⲀⲞⲤ ⲈϤⲚⲀⲨ ⲚⲀⲨⲈⲖⲔϢⲀⲒ ⲆⲈ ⲠⲈ ⲚϪⲈⲚⲒⲔⲈⲀⲢⲬ ⲰⲚ ⲈⲨϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ ϪⲈ ⲀϤⲚⲞϨⲈⲘ ⲚϨⲀⲚⲔⲈⲬ ⲰⲞⲨⲚⲒ ⲘⲀⲢⲈϤⲚⲀϨⲘⲈϤ ϨⲰϤ ⲒⲤϪⲈ ⲪⲀⲒ ⲠⲈ ⲠⲬⲢⲒⲤⲦⲞⲤ ⲠϢⲎⲢⲒ ⲘⲪⲚⲞⲨϮ ⲠⲒⲤⲰⲦⲠ.
36 फ़ौजियों ने भी उसे लान — तान की। उस के पास आ कर उन्हों ने उसे मय का सिरका पेश किया
ⲗ̅ⲋ̅ⲚⲀⲨⲤⲰⲂⲒ ⲆⲈ ⲘⲘⲞϤ ⲚϪⲈⲚⲒⲔⲈⲘⲀⲦⲞⲒ ⲈⲨⲚⲎⲞⲨ ϨⲀⲢⲞϤ ⲀⲨⲒⲚⲒ ⲚⲞⲨϨⲈⲘϪ ⲚⲀϤ
37 और कहा, “अगर तू यहूदियों का बादशाह है तो अपने आप को बचा ले।”
ⲗ̅ⲍ̅ⲈⲨϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ ϪⲈ ⲒⲤϪⲈ ⲚⲐⲞⲔ ⲠⲈ ⲠⲞⲨⲢⲞ ⲚⲦⲈⲚⲒⲒⲞⲨⲆⲀⲒ ⲚⲀϨⲘⲈⲔ.
38 उस के सर के ऊपर एक तख़्ती लगाई गई थी जिस पर लिखा था, “यह यहूदियों का बादशाह है।”
ⲗ̅ⲏ̅ⲚⲈ ⲞⲨⲞⲚ ⲔⲈⲈⲠⲒⲄⲢⲀⲪⲎ ⲆⲈ ⲠⲈ ϨⲒϪⲰϤ ⲘⲘⲈⲦϨⲈⲂⲢⲈⲞⲤ ⲘⲘⲈⲦⲢⲰⲘⲈⲞⲤ ⲘⲘⲈⲦⲞⲨⲈⲒⲚⲒⲚ ϪⲈ ⲪⲀⲒ ⲠⲈ ⲠⲞⲨⲢⲞ ⲚⲦⲈⲚⲒⲒⲞⲨⲆⲀⲒ
39 जो मुजरिम उस के साथ मस्लूब हुए थे उन में से एक ने कुफ़्र बकते हुए कहा, “क्या तू मसीह नहीं है? तो फिर अपने आप को और हमें भी बचा ले।
ⲗ̅ⲑ̅ⲞⲨⲀⲒ ⲆⲈ ⲈⲂⲞⲖ ϦⲈⲚⲚⲒⲔⲀⲔⲞⲨⲢⲄⲞⲤ ⲈⲦⲀⲨⲀϢⲞⲨ ⲚⲈⲘⲀϤ ϪⲈⲞⲨⲀ ⲈⲢⲞϤ ⲠⲈ ⲈϤϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ ϪⲈ ⲘⲎ ⲚⲐⲞⲔ ⲀⲚ ⲠⲈ ⲠⲬⲢⲒⲤⲦⲞⲤ ⲚⲀϨⲘⲈⲔ ⲞⲨⲞϨ ⲚⲀϨⲘⲈⲚ ϨⲰⲚ.
40 लेकिन दूसरे ने यह सुन कर उसे डाँटा, क्या तू ख़ुदा से भी नहीं डरता? जो सज़ा उसे दी गई है वह तुझे भी मिली है।
ⲙ̅ⲀϤⲈⲢⲞⲨⲰ ⲆⲈ ⲚϪⲈⲠⲒⲔⲈⲞⲨⲀⲒ ⲀϤⲈⲢⲈⲠⲒⲦⲒⲘⲀⲚ ⲚⲀϤ ⲠⲈϪⲀϤ ϪⲈ ⲞⲨⲆⲈ ⲪⲚⲞⲨϮ ⲚⲐⲞⲔ ⲔⲈⲢϨⲞϮ ⲀⲚ ϦⲀⲦⲈϤϨⲎ ϪⲈ ⲀⲚⲬⲎ ϦⲈⲚⲠⲀⲒϨⲀⲠ ⲚⲞⲨⲰⲦ
41 हमारी सज़ा तो वाजिबी है, क्यूँकि हमें अपने कामों का बदला मिल रहा है, लेकिन इस ने कोई बुरा काम नहीं किया।”
ⲙ̅ⲁ̅ⲞⲨⲞϨ ⲀⲚⲞⲚ ⲘⲈⲚ ϦⲈⲚⲞⲨⲘⲈⲐⲘⲎⲒ ⲈⲦⲀⲚϬⲒ ⲔⲀⲦⲀ ⲠⲈⲘⲠϢⲀ ⲚⲚⲎ ⲈⲦⲀⲚⲀⲒⲦⲞⲨ ⲪⲀⲒ ⲆⲈ ⲘⲠⲈϤⲈⲢ ϨⲖⲒ ⲘⲠⲈⲦϨⲰⲞⲨ.
42 फिर उस ने ईसा से कहा, “जब आप अपनी बादशाही में आएँ तो मुझे याद करें।”
ⲙ̅ⲃ̅ⲞⲨⲞϨ ⲚⲀϤϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ ϪⲈ ⲒⲎⲤⲞⲨⲤ ⲀⲢⲒⲠⲀⲘⲈⲨⲒ ϨⲞⲦⲀⲚ ⲀⲔϢⲀⲚⲒ ϦⲈⲚⲦⲈⲔⲘⲈⲦⲞⲨⲢⲞ.
43 ईसा ने उस से कहा, “मैं तुझे सच बताता हूँ कि तू आज ही मेरे साथ फ़िरदोस में होगा।”
ⲙ̅ⲅ̅ⲞⲨⲞϨ ⲠⲈϪⲀϤ ϪⲈ ⲀⲘⲎⲚ ϮϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ ⲚⲀⲔ ϪⲈ ⲘⲪⲞⲞⲨ ⲈⲔⲈϢⲰⲠⲒ ⲚⲈⲘⲎⲒ ϦⲈⲚⲠⲒⲠⲀⲢⲀⲆⲒⲤⲞⲤ.
44 बारह बजे से दोपहर तीन बजे तक पूरा मुल्क अंधेरे में डूब गया।
ⲙ̅ⲇ̅ⲞⲨⲞϨ ⲚⲈⲪⲚⲀⲨ ϨⲎⲆⲎ ⲚⲀϪⲠ 6- ⲠⲈ ⲞⲨⲞϨ ⲀⲞⲨⲬⲀⲔⲒ ϢⲰⲠⲒ ϨⲒϪⲈⲚ ⲠⲔⲀϨⲒ ⲦⲎⲢϤ ϢⲀ ⲪⲚⲀⲨ ⲚⲀϪⲠ Ⲯ-.
45 सूरज तारीक हो गया और बैत — उल — मुक़द्दस के पाकतरीन कमरे के सामने लटका हुआ पर्दा दो हिस्सों में फट गया।
ⲙ̅ⲉ̅ⲈϤⲚⲀⲘⲞⲨⲚⲔ ⲆⲈ ⲚϪⲈⲠⲒⲢⲎ ⲀⲠⲒⲔⲀⲦⲀⲠⲈⲦⲀⲤⲘⲀ ⲚⲦⲈⲠⲒⲈⲢⲪⲈⲒ ⲪⲰϦ ϦⲈⲚⲦⲈϤⲘⲎϮ.
46 ईसा ऊँची आवाज़ से पुकार उठा, “ऐ बाप, मैं अपनी रूह तेरे हाथों में सौंपता हूँ।” यह कह कर उस ने दम तोड़ दिया।
ⲙ̅ⲋ̅ⲞⲨⲞϨ ⲈⲦⲀϤⲘⲞⲨϮ ⲚϪⲈⲒⲎⲤⲞⲨⲤ ϦⲈⲚⲞⲨⲚⲒϢϮ ⲚⲤⲘⲎ ⲠⲈϪⲀϤ ϪⲈ ⲠⲀⲒⲰⲦ ϮϮ ⲘⲠⲀⲠⲚⲈⲨⲘⲀⲈϦⲢⲎⲒ ⲈⲚⲈⲔϪⲒϪ ⲞⲨⲞϨ ⲪⲀⲒ ⲈⲦⲀϤϪⲞϤ ⲀϤϮ ⲘⲠⲒⲠⲚⲈⲨⲘⲀ.
47 यह देख कर वहाँ खड़े फ़ौजी अफ़्सर ने ख़ुदा की बड़ाई करके कहा, “यह आदमी वाक़'ई रास्तबाज़ था।”
ⲙ̅ⲍ̅ⲈⲦⲀϤⲚⲀⲨ ⲆⲈ ⲚϪⲈⲠⲒⲈⲔⲀⲦⲞⲚⲦⲀⲢⲬ ⲞⲤ ⲈⲪⲎ ⲈⲦⲀϤϢⲰⲠⲒ ⲚⲀϤϮⲰⲞⲨ ⲘⲪⲚⲞⲨϮ ⲈϤϪⲰ ⲘⲘⲞⲤ ϪⲈ ⲞⲚⲦⲰⲤ ⲚⲈⲠⲀⲒⲢⲰⲘⲒ ⲞⲨⲐⲘⲎ ⲒⲠⲈ.
48 और हुजूम के तमाम लोग जो यह तमाशा देखने के लिए जमा हुए थे यह सब कुछ देख कर छाती पीटने लगे और शहर में वापस चले गए।
ⲙ̅ⲏ̅ⲞⲨⲞϨ ⲚⲒⲘⲎϢ ⲦⲎⲢⲞⲨ ⲈⲦⲀⲨⲒ ⲈϪⲈⲚ ⲦⲀⲒⲐⲈⲰⲢⲒⲀ ⲈⲦⲀⲨⲚⲀⲨ ⲈⲚⲎ ⲈⲦⲀⲨϢⲰⲠⲒ ⲀⲨⲦⲀⲤⲐⲞ ⲈⲨⲔⲰⲖϨ ϦⲈⲚⲦⲞⲨⲘⲈⲤⲦⲈⲚϨⲎⲦ.
49 लेकिन ईसा के जानने वाले कुछ फ़ासिले पर खड़े देखते रहे। उन में वह औरतें भी शामिल थीं जो गलील में उस के पीछे चल कर यहाँ तक उस के साथ आई थीं।
ⲙ̅ⲑ̅ⲚⲀⲨⲞϨⲒ ⲆⲈ ⲈⲢⲀⲦⲞⲨ ϨⲒⲪⲞⲨⲈⲒ ⲠⲈ ⲚϪⲈⲚⲈϤⲢⲈⲘⲚⲤⲰⲞⲨⲚ ⲦⲎⲢⲞⲨ ⲚⲈⲘ ϨⲀⲚⲔⲈϨⲒⲞⲘⲒ ⲚⲎ ⲈⲦⲀⲨⲘⲞϢⲒ ⲚⲤⲰϤ ⲒⲤϪⲈⲚ ϮⲄⲀⲖⲒⲖⲈⲀ ⲈⲨⲚⲀⲨ ⲈⲚⲀⲒ.
50 वहाँ एक नेक और रास्तबाज़ आदमी बनाम यूसुफ़ था। वह यहूदी अदालत — ए — अलिया का रुकन था
ⲛ̅ⲞⲨⲞϨ ϨⲎⲠⲠⲈ ⲒⲤ ⲞⲨⲢⲰⲘⲒ ⲈⲠⲈϤⲢⲀⲚ ⲠⲈ ⲒⲰⲤⲎⲪ ⲈⲞⲨⲂⲞⲨⲖⲈⲨⲦⲎⲤ ⲠⲈ ⲈⲞⲨⲢⲰⲘⲒ ⲚⲀⲄⲀⲐⲞⲤ ⲠⲈ ⲞⲨⲞϨ ⲚⲐⲘⲎⲒ
51 लेकिन दूसरों के फ़ैसले और हरकतो पर रज़ामन्द नहीं हुआ था। यह आदमी यहूदिया के शहर अरिमतियाह का रहने वाला था और इस इन्तिज़ार में था कि ख़ुदा की बादशाही आए।
ⲛ̅ⲁ̅ⲪⲀⲒ ⲚⲀϤϮⲘⲀϮ ⲀⲚ ⲠⲈ ϦⲈⲚⲠⲞⲨⲤⲞϬ ⲚⲒ ⲚⲈⲘ ⲦⲞⲨⲠⲢⲀⲜⲒⲤ ⲚⲈⲞⲨⲈⲂⲞⲖ ϦⲈⲚⲀⲢⲒⲘⲀⲐⲈⲀⲤ ⲠⲈ ⲞⲨⲂⲀⲔⲒ ⲚⲦⲈⲚⲒⲒⲞⲨⲆⲀⲒ ⲪⲎ ⲈⲚⲀϤϪⲞⲨϢⲦ ⲈⲂⲞⲖ ϦⲀϪⲈⲚ ϮⲘⲈⲦⲞⲨⲢⲞ ⲚⲦⲈⲪⲚⲞⲨϮ.
52 अब उस ने पिलातुस के पास जा कर उस से ईसा की लाश ले जाने की इजाज़त माँगी।
ⲛ̅ⲃ̅ⲪⲀⲒ ⲈⲦⲀϤⲒ ϨⲀ ⲠⲒⲖⲀⲦⲞⲤ ⲀϤⲈⲢⲈⲦⲒⲚ ⲘⲠⲒⲤⲰⲘⲀ ⲚⲦⲈⲒⲎⲤ
53 फिर लाश को उतार कर उस ने उसे कतान के कफ़न में लपेट कर चट्टान में तराशी हुई एक क़ब्र में रख दिया जिस में अब तक किसी को दफ़नाया नहीं गया था।
ⲛ̅ⲅ̅ⲞⲨⲞϨ ⲈⲦⲀϤⲈⲚϤ ⲈⲠⲈⲤⲎⲦ ⲀϤⲔⲞⲨⲖⲰⲖϤ ϦⲈⲚⲞⲨϢⲈⲚⲦⲰ ⲞⲨⲞϨ ⲀϤⲬⲀϤ ϦⲈⲚⲞⲨⲘϨⲀⲨ ⲈⲀϤϢⲞⲔϤ ⲘⲠⲀⲦⲞⲨⲬⲀ ϨⲖⲒ ⲚϦⲎⲦϤ ⲞⲨⲞϨ ⲀϤⲤⲔⲈⲢⲔⲈⲢ ⲚⲞⲨⲚⲒϢϮ ⲚⲰⲚⲒ ϨⲒⲢⲈⲚ ⲪⲢⲞ ⲘⲠⲒⲘϨⲀⲨ.
54 यह तैयारी का दिन यानी जुमआ था, लेकिन सबत का दिन शुरू होने को था।
ⲛ̅ⲇ̅ⲞⲨⲞϨ ⲚⲈⲞⲨⲈϨⲞⲞⲨ ⲠⲈ ⲘⲠⲀⲢⲀⲤⲔⲈⲨⲎ ⲞⲨⲞϨ ⲚⲈⲀ ϢⲰⲢⲠ ϢⲰⲠⲒ ⲘⲠⲤⲀⲂⲂⲀⲦⲞⲚ.
55 जो औरतें ईसा के साथ गलील से आई थीं वह यूसुफ़ के पीछे हो लीं। उन्हों ने क़ब्र को देखा और यह भी कि ईसा की लाश किस तरह उस में रखी गई है।
ⲛ̅ⲉ̅ⲈⲦⲀⲨⲘⲞϢⲒ ⲆⲈ ⲚⲤⲰϤ ⲚϪⲈⲚⲒϨⲒⲞⲘⲒ ⲚⲎ ⲈⲦⲀⲨⲒ ⲚⲈⲘⲀϤ ⲈⲂⲞⲖ ϦⲈⲚϮⲄⲀⲖⲒⲖⲈⲀ ⲀⲨⲚⲀⲨ ⲈⲠⲒⲈⲘϨⲀⲨ ⲚⲈⲘ ⲠⲒⲢⲎϮ ⲈⲦⲀⲨⲬⲀ ⲠⲈϤⲤⲰⲘⲀ ⲘⲘⲞϤ.
56 फिर वह शहर में वापस चली गईं और उस की लाश के लिए ख़ुश्बूदार मसाले तैयार करने लगीं।
ⲛ̅ⲋ̅ⲈⲦⲀⲨⲦⲀⲤⲐⲞ ⲆⲈ ⲀⲨⲤⲈⲂⲦⲈ ϨⲀⲚⲤⲐⲞⲒ ⲚⲈⲘ ϨⲀⲚⲤⲞϪⲈⲚ ⲞⲨⲞϨ ⲠⲒⲤⲀⲂⲂⲀⲦⲞⲚ ⲘⲈⲚ ⲀⲨⲈⲢⲎⲤⲨⲬⲀⲌⲒⲚ ⲔⲀⲦⲀ ϮⲈⲚⲦⲞⲖⲎ.

< लूका 23 >