< लूका 23 >

1 फिर पूरी मज्लिस उठी और 'ईसा को पीलातुस के पास ले आई।
فَقَامَ كُلُّ جُمْهُورِهِمْ وَجَاءُوا بِهِ إِلَى بِيلَاطُسَ،١
2 और उन्होंने उस पर इल्ज़ाम लगा कर कहने लगे, “हम ने मालूम किया है कि यह आदमी हमारी क़ौम को गुमराह कर रहा है। यह क़ैसर को ख़िराज देने से मनह करता और दा'वा करता है कि मैं मसीह और बादशाह हूँ।”
وَٱبْتَدَأُوا يَشْتَكُونَ عَلَيْهِ قَائِلِينَ: «إِنَّنَا وَجَدْنَا هَذَا يُفْسِدُ ٱلْأُمَّةَ، وَيَمْنَعُ أَنْ تُعْطَى جِزْيَةٌ لِقَيْصَرَ، قَائِلًا: إِنَّهُ هُوَ مَسِيحٌ مَلِكٌ».٢
3 पीलातुस ने उस से पूछा, “अच्छा, तुम यहूदियों के बादशाह हो?” ईसा ने जवाब दिया, जी, “आप ख़ुद कहते हैं।”
فَسَأَلَهُ بِيلَاطُسُ قَائِلًا: «أَنْتَ مَلِكُ ٱلْيَهُودِ؟». فَأَجَابَهُ وَقَالَ: «أَنْتَ تَقُولُ».٣
4 फिर पीलातुस ने रहनुमा इमामों और हुजूम से कहा, “मुझे इस आदमी पर इल्ज़ाम लगाने की कोई वजह नज़र नहीं आती।”
فَقَالَ بِيلَاطُسُ لِرُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْجُمُوعِ: «إِنِّي لَا أَجِدُ عِلَّةً فِي هَذَا ٱلْإِنْسَانِ».٤
5 मगर वो और भी ज़ोर देकर कहने लगे कि ये तमाम यहूदिया में बल्कि गलील से लेकर यहाँ तक लोगों को सिखा सिखा कर उभारता है
فَكَانُوا يُشَدِّدُونَ قَائِلِينَ: «إِنَّهُ يُهَيِّجُ ٱلشَّعْبَ وَهُوَ يُعَلِّمُ فِي كُلِّ ٱلْيَهُودِيَّةِ مُبْتَدِئًا مِنَ ٱلْجَلِيلِ إِلَى هُنَا».٥
6 यह सुन कर पीलातुस ने पूछा, “क्या यह शख़्स गलील का है?”
فَلَمَّا سَمِعَ بِيلَاطُسُ ذِكْرَ ٱلْجَلِيلِ، سَأَلَ: «هَلِ ٱلرَّجُلُ جَلِيلِيٌّ؟»٦
7 जब उसे मालूम हुआ कि ईसा गलील यानी उस इलाक़े से है, जिस पर हेरोदेस अनतिपास की हुकूमत है तो उस ने उसे हेरोदेस के पास भेज दिया, क्यूँकि वह भी उस वक़्त येरूशलेम में था।
وَحِينَ عَلِمَ أَنَّهُ مِنْ سَلْطَنَةِ هِيرُودُسَ، أَرْسَلَهُ إِلَى هِيرُودُسَ، إِذْ كَانَ هُوَ أَيْضًا تِلْكَ ٱلْأَيَّامَ فِي أُورُشَلِيمَ.٧
8 हेरोदेस ईसा को देख कर बहुत ख़ुश हुआ, क्यूँकि उस ने उस के बारे में बहुत कुछ सुना था, और इस लिए काफ़ी दिनों से उस से मिलना चाहता था। अब उस की बड़ी ख़्वाहिश थी, कि ईसा को कोई मोजिज़ा करते हुए देख सके।
وَأَمَّا هِيرُودُسُ فَلَمَّا رَأَى يَسُوعَ فَرِحَ جِدًّا، لِأَنَّهُ كَانَ يُرِيدُ مِنْ زَمَانٍ طَوِيلٍ أَنْ يَرَاهُ، لِسَمَاعِهِ عَنْهُ أَشْيَاءَ كَثِيرَةً، وَتَرَجَّى أَنْ يَرَي آيَةً تُصْنَعُ مِنْهُ.٨
9 उस ने उस से बहुत सारे सवाल किए, लेकिन ईसा ने एक का भी जवाब न दिया।
وَسَأَلَهُ بِكَلَامٍ كَثِيرٍ فَلَمْ يُجِبْهُ بِشَيْءٍ.٩
10 रहनुमा इमाम और शरी'अत के उलमा साथ खड़े बड़े जोश से उस पर इल्ज़ाम लगाते रहे।
وَوَقَفَ رُؤَسَاءُ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْكَتَبَةُ يَشْتَكُونَ عَلَيْهِ بِٱشْتِدَادٍ،١٠
11 फिर हेरोदेस और उस के फ़ौजियों ने उसको ज़लील करते हुए उस का मज़ाक़ उड़ाया और उसे चमकदार लिबास पहना कर पीलातुस के पास वापस भेज दिया।
فَٱحْتَقَرَهُ هِيرُودُسُ مَعَ عَسْكَرِهِ وَٱسْتَهْزَأَ بِهِ، وَأَلْبَسَهُ لِبَاسًا لَامِعًا، وَرَدَّهُ إِلَى بِيلَاطُسَ.١١
12 उसी दिन हेरोदेस और पीलातुस दोस्त बन गए, क्यूँकि इस से पहले उन की दुश्मनी चल रही थी।
فَصَارَ بِيلَاطُسُ وَهِيرُودُسُ صَدِيقَيْنِ مَعَ بَعْضِهِمَا فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ، لِأَنَّهُمَا كَانَا مِنْ قَبْلُ فِي عَدَاوَةٍ بَيْنَهُمَا.١٢
13 फिर पीलातुस ने रहनुमा इमामों, सरदारों और अवाम को जमा करके;
فَدَعَا بِيلَاطُسُ رُؤَسَاءَ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْعُظَمَاءَ وَٱلشَّعْبَ،١٣
14 उन से कहा, “तुम ने इस शख़्स को मेरे पास ला कर इस पर इल्ज़ाम लगाया है कि यह क़ौम को उकसा रहा है। मैं ने तुम्हारी मौजूदगी में इस का जायज़ा ले कर ऐसा कुछ नहीं पाया जो तुम्हारे इल्ज़ामात की तस्दीक़ करे।
وَقَالَ لَهُمْ: «قَدْ قَدَّمْتُمْ إِلَيَّ هَذَا ٱلْإِنْسَانَ كَمَنْ يُفْسِدُ ٱلشَّعْبَ. وَهَا أَنَا قَدْ فَحَصْتُ قُدَّامَكُمْ وَلَمْ أَجِدْ فِي هَذَا ٱلْإِنْسَانِ عِلَّةً مِمَّا تَشْتَكُونَ بِهِ عَلَيْهِ.١٤
15 हेरोदेस भी कुछ नहीं मालूम कर सका, इस लिए उस ने इसे हमारे पास वापस भेज दिया है। इस आदमी से कोई भी ऐसा गुनाह नहीं हुआ कि यह सज़ा — ए — मौत के लायक़ है।
وَلَا هِيرُودُسُ أَيْضًا، لِأَنِّي أَرْسَلْتُكُمْ إِلَيْهِ. وَهَا لَا شَيْءَ يَسْتَحِقُّ ٱلْمَوْتَ صُنِعَ مِنْهُ.١٥
16 इस लिए मैं इसे कोड़ों की सज़ा दे कर रिहा कर देता हूँ।”
فَأَنَا أُؤَدِّبُهُ وَأُطْلِقُهُ».١٦
17 [अस्ल में यह उस का फ़र्ज़ था कि वह ईद के मौक़े पर उन की ख़ातिर एक क़ैदी को रिहा कर दे]।
وَكَانَ مُضْطَرًّا أَنْ يُطْلِقَ لَهُمْ كُلَّ عِيدٍ وَاحِدًا،١٧
18 लेकिन सब मिल कर शोर मचा कर कहने लगे, “इसे ले जाएँ! इसे नहीं बल्कि बर — अब्बा को रिहा करके हमें दें।”
فَصَرَخُوا بِجُمْلَتِهِمْ قَائِلِينَ: «خُذْ هَذَا! وَأَطْلِقْ لَنَا بَارَابَاسَ!».١٨
19 (बर — अब्बा को इस लिए जेल में डाला गया था कि वह क़ातिल था और उस ने शहर में हुकूमत के ख़िलाफ़ बग़ावत की थी)।
وَذَاكَ كَانَ قَدْ طُرِحَ فِي ٱلسِّجْنِ لِأَجْلِ فِتْنَةٍ حَدَثَتْ فِي ٱلْمَدِينَةِ وَقَتْلٍ.١٩
20 पीलातुस ईसा को रिहा करना चाहता था, इस लिए वह दुबारा उन से मुख़ातिब हुआ।
فَنَادَاهُمْ أَيْضًا بِيلَاطُسُ وَهُوَ يُرِيدُ أَنْ يُطْلِقَ يَسُوعَ،٢٠
21 लेकिन वह चिल्लाते रहे, “इसे मस्लूब करें, इसे मस्लूब करें।”
فَصَرَخُوا قَائِلِينَ: «ٱصْلِبْهُ! ٱصْلِبْهُ!».٢١
22 फिर पीलातुस ने तीसरी दफ़ा उन से कहा, “क्यूँ? उस ने क्या जुर्म किया है? मुझे इसे सज़ा — ए — मौत देने की कोई वजह नज़र नहीं आती। इस लिए मैं इसे कोड़े लगवा कर रिहा कर देता हूँ।”
فَقَالَ لَهُمْ ثَالِثَةً: «فَأَيَّ شَرٍّ عَمِلَ هَذَا؟ إِنِّي لَمْ أَجِدْ فِيهِ عِلَّةً لِلْمَوْتِ، فَأَنَا أُؤَدِّبُهُ وَأُطْلِقُهُ».٢٢
23 लेकिन वह बड़ा शोर मचा कर उसे मस्लूब करने का तक़ाज़ा करते रहे, और आख़िरकार उन की आवाज़ें ग़ालिब आ गईं।
فَكَانُوا يَلِجُّونَ بِأَصْوَاتٍ عَظِيمَةٍ طَالِبِينَ أَنْ يُصْلَبَ. فَقَوِيَتْ أَصْوَاتُهُمْ وَأَصْوَاتُ رُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ.٢٣
24 फिर पीलातुस ने फ़ैसला किया कि उन का मुतालबा पूरा किया जाए।
فَحَكَمَ بِيلَاطُسُ أَنْ تَكُونَ طِلْبَتُهُمْ.٢٤
25 उस ने उस आदमी को रिहा कर दिया जो अपनी हुकूमत के ख़िलाफ़ हरकतों और क़त्ल की वजह से जेल में डाल दिया गया था जबकि ईसा को उस ने उन की मर्ज़ी के मुताबिक़ उन के हवाले कर दिया।
فَأَطْلَقَ لَهُمُ ٱلَّذِي طُرِحَ فِي ٱلسِّجْنِ لِأَجْلِ فِتْنَةٍ وَقَتْلٍ، ٱلَّذِي طَلَبُوهُ، وَأَسْلَمَ يَسُوعَ لِمَشِيئَتِهِمْ.٢٥
26 जब फ़ौजी ईसा को ले जा रहे थे तो उन्हों ने एक आदमी को पकड़ लिया जो लिबिया के शहर कुरेन का रहने वाला था। उस का नाम शमौन था। उस वक़्त वह देहात से शहर में दाख़िल हो रहा था। उन्हों ने सलीब को उस के कँधों पर रख कर उसे ईसा के पीछे चलने का हुक्म दिया।
وَلَمَّا مَضَوْا بِهِ أَمْسَكُوا سِمْعَانَ، رَجُلًا قَيْرَوَانِيًّا كَانَ آتِيًا مِنَ ٱلْحَقْلِ، وَوَضَعُوا عَلَيْهِ ٱلصَّلِيبَ لِيَحْمِلَهُ خَلْفَ يَسُوعَ.٢٦
27 एक बड़ा हुजूम उस के पीछे हो लिया जिस में कुछ ऐसी औरतें भी शामिल थीं जो सीना पीट पीट कर उस का मातम कर रही थीं।
وَتَبِعَهُ جُمْهُورٌ كَثِيرٌ مِنَ ٱلشَّعْبِ، وَٱلنِّسَاءِ ٱللَّوَاتِي كُنَّ يَلْطِمْنَ أَيْضًا وَيَنُحْنَ عَلَيْهِ.٢٧
28 ईसा ने मुड़ कर उन से कहा, “येरूशलेम की बेटियो! मेरे वास्ते न रोओ बल्कि अपने और अपने बच्चों के वास्ते रोओ।
فَٱلْتَفَتَ إِلَيْهِنَّ يَسُوعُ وَقَالَ: «يَا بَنَاتِ أُورُشَلِيمَ، لَا تَبْكِينَ عَلَيَّ بَلِ ٱبْكِينَ عَلَى أَنْفُسِكُنَّ وَعَلَى أَوْلَادِكُنَّ،٢٨
29 क्यूँकि ऐसे दिन आएँगे जब लोग कहेंगे, मुबारिक़ हैं वह जो बाँझ हैं, जिन्हों ने न तो बच्चों को जन्म दिया, न दूध पिलाया।’
لِأَنَّهُ هُوَذَا أَيَّامٌ تَأْتِي يَقُولُونَ فِيهَا: طُوبَى لِلْعَوَاقِرِ وَٱلْبُطُونِ ٱلَّتِي لَمْ تَلِدْ وَٱلثُّدِيِّ ٱلَّتِي لَمْ تُرْضِعْ!٢٩
30 फिर लोग पहाड़ों से कहने लगेंगे, हम पर गिर पड़ो, और पहाड़ियों से कि ‘हमें छुपा लो।”’
حِينَئِذٍ يَبْتَدِئُونَ يَقُولُونَ لِلْجِبَالِ: ٱسْقُطِي عَلَيْنَا! وَلِلْآكَامِ: غَطِّينَا!٣٠
31 “क्यूँकि अगर हरे दरख़्त से ऐसा सुलूक किया जाता है तो फिर सूखे के साथ क्या कुछ न किया जाएगा?”
لِأَنَّهُ إِنْ كَانُوا بِٱلْعُودِ ٱلرَّطْبِ يَفْعَلُونَ هَذَا، فَمَاذَا يَكُونُ بِٱلْيَابِسِ؟».٣١
32 दो और मर्दों को भी मस्लूब करने के लिए बाहर ले जाया जा रहा था। दोनों मुजरिम थे।
وَجَاءُوا أَيْضًا بِٱثْنَيْنِ آخَرَيْنِ مُذْنِبَيْنِ لِيُقْتَلَا مَعَهُ.٣٢
33 चलते चलते वह उस जगह पहुँचे जिस का नाम खोपड़ी था। वहाँ उन्हों ने ईसा को दोनों मुजरिमों समेत मस्लूब किया। एक मुजरिम को उस के दाएँ हाथ और दूसरे को उस के बाएँ हाथ लटका दिया गया।
وَلَمَّا مَضَوْا بِهِ إِلَى ٱلْمَوْضِعِ ٱلَّذِي يُدْعَى «جُمْجُمَةَ» صَلَبُوهُ هُنَاكَ مَعَ ٱلْمُذْنِبَيْنِ، وَاحِدًا عَنْ يَمِينِهِ وَٱلْآخَرَ عَنْ يَسَارِهِ.٣٣
34 ईसा ने कहा, “ऐ बाप, इन्हें मुआफ़ कर, क्यूँकि यह जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं।” उन्हों ने पर्ची डाल कर उस के कपड़े आपस में बाँट लिए।
فَقَالَ يَسُوعُ: «يَا أَبَتَاهُ، ٱغْفِرْ لَهُمْ، لِأَنَّهُمْ لَا يَعْلَمُونَ مَاذَا يَفْعَلُونَ». وَإِذِ ٱقْتَسَمُوا ثِيَابَهُ ٱقْتَرَعُوا عَلَيْهَا.٣٤
35 हुजूम वहाँ खड़ा तमाशा देखता रहा जबकि क़ौम के सरदारों ने उस का मज़ाक़ भी उड़ाया। उन्हों ने कहा, “उस ने औरों को बचाया है। अगर यह ख़ुदा का चुना हुआ और मसीह है तो अपने आप को बचाए।”
وَكَانَ ٱلشَّعْبُ وَاقِفِينَ يَنْظُرُونَ، وَٱلرُّؤَسَاءُ أَيْضًا مَعَهُمْ يَسْخَرُونَ بِهِ قَائِلِينَ: «خَلَّصَ آخَرِينَ، فَلْيُخَلِّصْ نَفْسَهُ إِنْ كَانَ هُوَ ٱلْمَسِيحَ مُخْتَارَ ٱللهِ!».٣٥
36 फ़ौजियों ने भी उसे लान — तान की। उस के पास आ कर उन्हों ने उसे मय का सिरका पेश किया
وَٱلْجُنْدُ أَيْضًا ٱسْتَهْزَأُوا بِهِ وَهُمْ يَأْتُونَ وَيُقَدِّمُونَ لَهُ خَلًّا،٣٦
37 और कहा, “अगर तू यहूदियों का बादशाह है तो अपने आप को बचा ले।”
قَائِلِينَ: «إِنْ كُنْتَ أَنْتَ مَلِكَ ٱلْيَهُودِ فَخَلِّصْ نَفْسَكَ!».٣٧
38 उस के सर के ऊपर एक तख़्ती लगाई गई थी जिस पर लिखा था, “यह यहूदियों का बादशाह है।”
وَكَانَ عُنْوَانٌ مَكْتُوبٌ فَوْقَهُ بِأَحْرُفٍ يُونَانِيَّةٍ وَرُومَانِيَّةٍ وَعِبْرَانِيَّةٍ: «هَذَا هُوَ مَلِكُ ٱلْيَهُودِ».٣٨
39 जो मुजरिम उस के साथ मस्लूब हुए थे उन में से एक ने कुफ़्र बकते हुए कहा, “क्या तू मसीह नहीं है? तो फिर अपने आप को और हमें भी बचा ले।
وَكَانَ وَاحِدٌ مِنَ ٱلْمُذْنِبَيْنِ ٱلْمُعَلَّقَيْنِ يُجَدِّفُ عَلَيْهِ قَائِلًا: «إِنْ كُنْتَ أَنْتَ ٱلْمَسِيحَ، فَخَلِّصْ نَفْسَكَ وَإِيَّانَا!».٣٩
40 लेकिन दूसरे ने यह सुन कर उसे डाँटा, क्या तू ख़ुदा से भी नहीं डरता? जो सज़ा उसे दी गई है वह तुझे भी मिली है।
فَأجَابَ ٱلْآخَرُ وَٱنْتَهَرَهُ قَائِلًا: «أَوَلَا أَنْتَ تَخَافُ ٱللهَ، إِذْ أَنْتَ تَحْتَ هَذَا ٱلْحُكْمِ بِعَيْنِهِ؟٤٠
41 हमारी सज़ा तो वाजिबी है, क्यूँकि हमें अपने कामों का बदला मिल रहा है, लेकिन इस ने कोई बुरा काम नहीं किया।”
أَمَّا نَحْنُ فَبِعَدْلٍ، لِأَنَّنَا نَنَالُ ٱسْتِحْقَاقَ مَا فَعَلْنَا، وَأَمَّا هَذَا فَلَمْ يَفْعَلْ شَيْئًا لَيْسَ فِي مَحَلِّهِ».٤١
42 फिर उस ने ईसा से कहा, “जब आप अपनी बादशाही में आएँ तो मुझे याद करें।”
ثُمَّ قَالَ لِيَسُوعَ: «ٱذْكُرْنِي يَارَبُّ مَتَى جِئْتَ فِي مَلَكُوتِكَ».٤٢
43 ईसा ने उस से कहा, “मैं तुझे सच बताता हूँ कि तू आज ही मेरे साथ फ़िरदोस में होगा।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكَ: إِنَّكَ ٱلْيَوْمَ تَكُونُ مَعِي فِي ٱلْفِرْدَوْسِ».٤٣
44 बारह बजे से दोपहर तीन बजे तक पूरा मुल्क अंधेरे में डूब गया।
وَكَانَ نَحْوُ ٱلسَّاعَةِ ٱلسَّادِسَةِ، فَكَانَتْ ظُلْمَةٌ عَلَى ٱلْأَرْضِ كُلِّهَا إِلَى ٱلسَّاعَةِ ٱلتَّاسِعَةِ.٤٤
45 सूरज तारीक हो गया और बैत — उल — मुक़द्दस के पाकतरीन कमरे के सामने लटका हुआ पर्दा दो हिस्सों में फट गया।
وَأَظْلَمَتِ ٱلشَّمْسُ، وَٱنْشَقَّ حِجَابُ ٱلْهَيْكَلِ مِنْ وَسْطِهِ.٤٥
46 ईसा ऊँची आवाज़ से पुकार उठा, “ऐ बाप, मैं अपनी रूह तेरे हाथों में सौंपता हूँ।” यह कह कर उस ने दम तोड़ दिया।
وَنَادَى يَسُوعُ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ وَقَالَ: «يَا أَبَتَاهُ، فِي يَدَيْكَ أَسْتَوْدِعُ رُوحِي». وَلَمَّا قَالَ هَذَا أَسْلَمَ ٱلرُّوحَ.٤٦
47 यह देख कर वहाँ खड़े फ़ौजी अफ़्सर ने ख़ुदा की बड़ाई करके कहा, “यह आदमी वाक़'ई रास्तबाज़ था।”
فَلَمَّا رَأَى قَائِدُ ٱلْمِئَةِ مَا كَانَ، مَجَّدَ ٱللهَ قَائِلًا: «بِٱلْحَقِيقَةِ كَانَ هَذَا ٱلْإِنْسَانُ بَارًّا!».٤٧
48 और हुजूम के तमाम लोग जो यह तमाशा देखने के लिए जमा हुए थे यह सब कुछ देख कर छाती पीटने लगे और शहर में वापस चले गए।
وَكُلُّ ٱلْجُمُوعِ ٱلَّذِينَ كَانُوا مُجْتَمِعِينَ لِهَذَا ٱلْمَنْظَرِ، لَمَّا أَبْصَرُوا مَا كَانَ، رَجَعُوا وَهُمْ يَقْرَعُونَ صُدُورَهُمْ.٤٨
49 लेकिन ईसा के जानने वाले कुछ फ़ासिले पर खड़े देखते रहे। उन में वह औरतें भी शामिल थीं जो गलील में उस के पीछे चल कर यहाँ तक उस के साथ आई थीं।
وَكَانَ جَمِيعُ مَعَارِفِهِ، وَنِسَاءٌ كُنَّ قَدْ تَبِعْنَهُ مِنَ ٱلْجَلِيلِ، وَاقِفِينَ مِنْ بَعِيدٍ يَنْظُرُونَ ذَلِكَ.٤٩
50 वहाँ एक नेक और रास्तबाज़ आदमी बनाम यूसुफ़ था। वह यहूदी अदालत — ए — अलिया का रुकन था
وَإِذَا رَجُلٌ ٱسْمُهُ يُوسُفُ، وَكَانَ مُشِيرًا وَرَجُلًا صَالِحًا بَارًّا.٥٠
51 लेकिन दूसरों के फ़ैसले और हरकतो पर रज़ामन्द नहीं हुआ था। यह आदमी यहूदिया के शहर अरिमतियाह का रहने वाला था और इस इन्तिज़ार में था कि ख़ुदा की बादशाही आए।
هَذَا لَمْ يَكُنْ مُوافِقًا لِرَأْيِهِمْ وَعَمَلِهِمْ، وَهُوَ مِنَ ٱلرَّامَةِ مَدِينَةٍ لِلْيَهُودِ. وَكَانَ هُوَ أَيْضًا يَنْتَظِرُ مَلَكُوتَ ٱللهِ.٥١
52 अब उस ने पिलातुस के पास जा कर उस से ईसा की लाश ले जाने की इजाज़त माँगी।
هَذَا تَقَدَّمَ إِلَى بِيلَاطُسَ وَطَلَبَ جَسَدَ يَسُوعَ،٥٢
53 फिर लाश को उतार कर उस ने उसे कतान के कफ़न में लपेट कर चट्टान में तराशी हुई एक क़ब्र में रख दिया जिस में अब तक किसी को दफ़नाया नहीं गया था।
وَأَنْزَلَهُ، وَلَفَّهُ بِكَتَّانٍ، وَوَضَعَهُ فِي قَبْرٍ مَنْحُوتٍ حَيْثُ لَمْ يَكُنْ أَحَدٌ وُضِعَ قَطُّ.٥٣
54 यह तैयारी का दिन यानी जुमआ था, लेकिन सबत का दिन शुरू होने को था।
وَكَانَ يَوْمُ ٱلِٱسْتِعْدَادِ وَٱلسَّبْتُ يَلُوحُ.٥٤
55 जो औरतें ईसा के साथ गलील से आई थीं वह यूसुफ़ के पीछे हो लीं। उन्हों ने क़ब्र को देखा और यह भी कि ईसा की लाश किस तरह उस में रखी गई है।
وَتَبِعَتْهُ نِسَاءٌ كُنَّ قَدْ أَتَيْنَ مَعَهُ مِنَ ٱلْجَلِيلِ، وَنَظَرْنَ ٱلْقَبْرَ وَكَيْفَ وُضِعَ جَسَدُهُ.٥٥
56 फिर वह शहर में वापस चली गईं और उस की लाश के लिए ख़ुश्बूदार मसाले तैयार करने लगीं।
فَرَجَعْنَ وَأَعْدَدْنَ حَنُوطًا وَأَطْيَابًا. وَفِي ٱلسَّبْتِ ٱسْتَرَحْنَ حَسَبَ ٱلْوَصِيَّةِ.٥٦

< लूका 23 >