< लूका 15 >
1 सब महसूल लेनेवाले और गुनहगार उसके पास आते थे ताकि उसकी बातें सुनें।
Now all the tax collectors and sinners were gathering around to listen to Jesus.
2 और उलमा और फ़रीसी बुदबुदाकर कहने लगे, “ये आदमी गुनाहगारों से मिलता और उनके साथ खाना खाता है।”
So the Pharisees and scribes began to grumble: “This man welcomes sinners and eats with them.”
3 उसने उनसे ये मिसाल कही,
Then Jesus told them this parable:
4 “तुम में से कौन है जिसकी सौ भेड़ें हों, और उनमें से एक गुम हो जाए तो निनानवें को जंगल में छोड़कर उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए ढूँडता न रहेगा?
“What man among you, if he has a hundred sheep and loses one of them, does not leave the ninety-nine in the pasture and go after the one that is lost, until he finds it?
5 फिर मिल जाती है तो वो ख़ुश होकर उसे कन्धे पर उठा लेता है,
And when he finds it, he joyfully puts it on his shoulders,
6 और घर पहुँचकर दोस्तों और पड़ोसियों को बुलाता और कहता है, 'मेरे साथ ख़ुशी करो, क्यूँकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई।
comes home, and calls together his friends and neighbors to tell them, ‘Rejoice with me, for I have found my lost sheep!’
7 मैं तुम से कहता हूँ कि इसी तरह निनानवें, रास्तबाज़ों की निस्बत जो तौबा की हाजत नहीं रखते, एक तौबा करने वाले गुनहगार के बा'इस आसमान पर ज़्यादा ख़ुशी होगी।”
In the same way, I tell you that there will be more joy in heaven over one sinner who repents than over ninety-nine righteous ones who do not need to repent.
8 “या कौन ऐसी “औरत है जिसके पास दस दिरहम हों और एक खो जाए तो वो चराग़ जलाकर घर में झाडू न दे, और जब तक मिल न जाए कोशिश से ढूँडती न रहे।
Or what woman who has ten silver coins and loses one of them does not light a lamp, sweep her house, and search carefully until she finds it?
9 और जब मिल जाए तो अपनी दोस्तों और पड़ोसियों को बुलाकर न कहे, 'मेरे साथ ख़ुशी करो, क्यूँकि 'मेरा खोया हुआ दिरहम मिल गया।
And when she finds it, she calls together her friends and neighbors to say, ‘Rejoice with me, for I have found my lost coin.’
10 मैं तुम से कहता हूँ कि इसी तरह एक तौबा करनेवाला गुनाहगार के बारे में ख़ुदा के फ़रिश्तों के सामने ख़ुशी होती है।”
In the same way, I tell you, there is joy in the presence of God’s angels over one sinner who repents.”
11 फिर उसने कहा, “किसी शख़्स के दो बेटे थे।
Then Jesus said, “There was a man who had two sons.
12 उनमें से छोटे ने बाप से कहा, 'ऐ बाप! माल का जो हिस्सा मुझ को पहुँचता है मुझे दे दे। उसने अपना माल — ओ — अस्बाब उन्हें बाँट दिया।
The younger son said to him, ‘Father, give me my share of the estate.’ So he divided his property between them.
13 और बहुत दिन न गुज़रे कि छोटा बेटा अपना सब कुछ जमा करके दूर दराज़ मुल्क को रवाना हुआ, और वहाँ अपना माल बदचलनी में उड़ा दिया।
After a few days, the younger son got everything together and journeyed to a distant country, where he squandered his wealth in wild living.
14 जब सब ख़र्च कर चुका तो उस मुल्क में सख़्त काल पड़ा, और वो मुहताज होने लगा।
After he had spent all he had, a severe famine swept through that country, and he began to be in need.
15 फिर उस मुल्क के एक बाशिन्दे के वहाँ जा पड़ा। उसने उसको अपने खेत में खिंजीर यनी [सूअवर] चराने भेजा।
So he went and hired himself out to a citizen of that country, who sent him into his fields to feed the pigs.
16 और उसे आरज़ू थी कि जो फलियाँ खिंजीर यनी [सूअवर] खाते थे उन्हीं से अपना पेट भरे, मगर कोई उसे न देता था।
He longed to fill his belly with the pods the pigs were eating, but no one would give him a thing.
17 फिर उसने होश में आकर कहा, 'मेरे बाप के बहुत से मज़दूरों को इफ़रात से रोटी मिलती है, और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ।
Finally he came to his senses and said, ‘How many of my father’s hired servants have plenty of food? But here I am, starving to death!
18 मैं उठकर अपने बाप के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा, 'ऐ बाप! मैं आसमान का और तेरी नज़र में गुनहगार हुआ।
I will get up and go back to my father and say to him, “Father, I have sinned against heaven and against you.
19 अब इस लायक़ नहीं रहा कि फिर तेरा बेटा कहलाऊँ। मुझे अपने मज़दूरों जैसा कर ले।”
I am no longer worthy to be called your son. Make me like one of your hired servants.”’
20 “पस वो उठकर अपने बाप के पास चला। वो अभी दूर ही था कि उसे देखकर उसके बाप को तरस आया, और दौड़कर उसको गले लगा लिया और चूमा।
So he got up and went to his father. But while he was still in the distance, his father saw him and was filled with compassion. He ran to his son, embraced him, and kissed him.
21 बेटे ने उससे कहा, 'ऐ बाप! मैं आसमान का और तेरी नज़र मैं गुनहगार हुआ। अब इस लायक़ नहीं रहा कि फिर तेरा बेटा कहलाऊँ।
The son declared, ‘Father, I have sinned against heaven and against you. I am no longer worthy to be called your son.’
22 बाप ने अपने नौकरों से कहा, 'अच्छे से अच्छा लिबास जल्द निकाल कर उसे पहनाओ और उसके हाथ में अँगूठी और पैरों में जूती पहनाओ;
But the father said to his servants, ‘Quick! Bring the best robe and put it on him. Put a ring on his finger and sandals on his feet.
23 और तैयार किए हुए जानवर को लाकर ज़बह करो, ताकि हम खाकर ख़ुशी मनाएँ।
Bring the fattened calf and kill it. Let us feast and celebrate.
24 क्यूँकि मेरा ये बेटा मुर्दा था, अब ज़िन्दा हुआ; खो गया था, अब मिला है। पस वो ख़ुशी मनाने लगे।”
For this son of mine was dead and is alive again! He was lost and is found!’ So they began to celebrate.
25 “लेकिन उसका बड़ा बेटा खेत में था। जब वो आकर घर के नज़दीक पहुँचा, तो गाने बजाने और नाचने की आवाज़ सुनी।
Meanwhile the older son was in the field, and as he approached the house, he heard music and dancing.
26 और एक नौकर को बुलाकर मालूम करने लगा, 'ये क्या हो रहा है?'
So he called one of the servants and asked what was going on.
27 उसने उससे कहा, 'तेरा भाई आ गया है, और तेरे बाप ने तैयार किया हुआ जानवर ज़बह कराया है, क्यूँकि उसे भला चंगा पाया।
‘Your brother has returned,’ he said, ‘and your father has killed the fattened calf, because he has him back safe and sound.’
28 वो ग़ुस्सा हुआ और अन्दर जाना न चाहा, मगर उसका बाप बाहर जाकर उसे मनाने लगा।
The older son became angry and refused to go in. So his father came out and pleaded with him.
29 उसने अपने बाप से जवाब में कहा, 'देख, इतने बरसों से मैं तेरी ख़िदमत करता हूँ और कभी तेरी नाफ़रमानी नहीं की, मगर मुझे तूने कभी एक बकरी का बच्चा भी न दिया कि अपने दोस्तों के साथ ख़ुशी मनाता।
But he answered his father, ‘Look, all these years I have served you and never disobeyed a commandment of yours. Yet you never gave me even a young goat so I could celebrate with my friends.
30 लेकिन जब तेरा ये बेटा आया जिसने तेरा माल — ओ — अस्बाब कस्बियों में उड़ा दिया, तो उसके लिए तूने तैयार किया हुआ जानवर ज़बह कराया है'।
But when this son of yours returns from squandering your wealth with prostitutes, you kill the fattened calf for him!’
31 उसने उससे कहा, बेटा, तू तो हमेशा मेरे पास है और जो कुछ मेरा है वो तेरा ही है।
‘Son, you are always with me,’ the father said, ‘and all that is mine is yours.
32 लेकिन ख़ुशी मनाना और शादमान होना मुनासिब था, क्यूँकि तेरा ये भाई मुर्दा था अब ज़िन्दा हुआ, खोया था अब मिला है'।”
But it was fitting to celebrate and be glad, because this brother of yours was dead and is alive again; he was lost and is found.’”