< लूका 11 >

1 फिर ऐसा हुआ कि वो किसी जगह दुआ कर रहा था; जब कर चुका तो उसके शागिर्दों में से एक ने उससे कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! जैसा युहन्ना ने अपने शागिर्दों को दुआ करना सिखाया, तू भी हमें सिखा।”
অনন্তৰং স কস্মিংশ্চিৎ স্থানে প্ৰাৰ্থযত তৎসমাপ্তৌ সত্যাং তস্যৈকঃ শিষ্যস্তং জগাদ হে প্ৰভো যোহন্ যথা স্ৱশিষ্যান্ প্ৰাৰ্থযিতুম্ উপদিষ্টৱান্ তথা ভৱানপ্যস্মান্ উপদিশতু|
2 उसने उनसे कहा, “जब तुम दुआ करो तो कहो, ऐ बाप! तेरा नाम पाक माना जाए, तेरी बादशाही आए।
তস্মাৎ স কথযামাস, প্ৰাৰ্থনকালে যূযম্ ইত্থং কথযধ্ৱং, হে অস্মাকং স্ৱৰ্গস্থপিতস্তৱ নাম পূজ্যং ভৱতু; তৱ ৰাজৎৱং ভৱতু; স্ৱৰ্গে যথা তথা পৃথিৱ্যামপি তৱেচ্ছযা সৰ্ৱ্ৱং ভৱতু|
3 'हमारी रोज़ की रोटी हर रोज़ हमें दिया कर।
প্ৰত্যহম্ অস্মাকং প্ৰযোজনীযং ভোজ্যং দেহি|
4 और हमारे गुनाह मु'आफ़ कर, क्यूँकि हम भी अपने हर क़र्ज़दार को मु'आफ़ करते हैं, और हमें आज़माइश में न ला'।”
যথা ৱযং সৰ্ৱ্ৱান্ অপৰাধিনঃ ক্ষমামহে তথা ৎৱমপি পাপান্যস্মাকং ক্ষমস্ৱ| অস্মান্ পৰীক্ষাং মানয কিন্তু পাপাত্মনো ৰক্ষ|
5 फिर उसने उनसे कहा, “तुम में से कौन है जिसका एक दोस्त हो, और वो आधी रात को उसके पास जाकर उससे कहे, 'ऐ दोस्त, मुझे तीन रोटियाँ दे।
পশ্চাৎ সোপৰমপি কথিতৱান্ যদি যুষ্মাকং কস্যচিদ্ বন্ধুস্তিষ্ঠতি নিশীথে চ তস্য সমীপং স গৎৱা ৱদতি,
6 क्यूँकि मेरा एक दोस्त सफ़र करके मेरे पास आया है, और मेरे पास कुछ नहीं कि उसके आगे रख्खूँ।
হে বন্ধো পথিক একো বন্ধু ৰ্মম নিৱেশনম্ আযাতঃ কিন্তু তস্যাতিথ্যং কৰ্ত্তুং মমান্তিকে কিমপি নাস্তি, অতএৱ পূপত্ৰযং মহ্যম্ ঋণং দেহি;
7 और वो अन्दर से जवाब में कहे, 'मुझे तकलीफ़ न दे, अब दरवाज़ा बंद है और मेरे लड़के मेरे पास बिछोने पर हैं, मैं उठकर तुझे दे नहीं सकता।
তদা স যদি গৃহমধ্যাৎ প্ৰতিৱদতি মাং মা ক্লিশান, ইদানীং দ্ৱাৰং ৰুদ্ধং শযনে মযা সহ বালকাশ্চ তিষ্ঠন্তি তুভ্যং দাতুম্ উত্থাতুং ন শক্নোমি,
8 मैं तुम से कहता हूँ, कि अगरचे वो इस वजह से कि उसका दोस्त है उठकर उसे न दे, तोभी उसकी बेशर्मी की वजह से उठकर जितनी दरकार है उसे देगा।
তৰ্হি যুষ্মানহং ৱদামি, স যদি মিত্ৰতযা তস্মৈ কিমপি দাতুং নোত্তিষ্ঠতি তথাপি ৱাৰং ৱাৰং প্ৰাৰ্থনাত উত্থাপিতঃ সন্ যস্মিন্ তস্য প্ৰযোজনং তদেৱ দাস্যতি|
9 पस मैं तुम से कहता हूँ, माँगो तो तुम्हें दिया जाएगा, ढूँडो तो पाओगे, दरवाज़ा खटखटाओ तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा।
অতঃ কাৰণাৎ কথযামি, যাচধ্ৱং ততো যুষ্মভ্যং দাস্যতে, মৃগযধ্ৱং তত উদ্দেশং প্ৰাপ্স্যথ, দ্ৱাৰম্ আহত ততো যুষ্মভ্যং দ্ৱাৰং মোক্ষ্যতে|
10 क्यूँकि जो कोई माँगता है उसे मिलता है, और जो ढूँडता है वो पाता है, और जो खटखटाता है उसके लिए खोला जाएगा।
১০যো যাচতে স প্ৰাপ্নোতি, যো মৃগযতে স এৱোদ্দেশং প্ৰাপ্নোতি, যো দ্ৱাৰম্ আহন্তি তদৰ্থং দ্ৱাৰং মোচ্যতে|
11 तुम में से ऐसा कौन सा बाप है, कि जब उसका बेटा रोटी माँगे तो उसे पत्थर दे; या मछली माँगे तो मछली के बदले उसे साँप दे?
১১পুত্ৰেণ পূপে যাচিতে তস্মৈ পাষাণং দদাতি ৱা মৎস্যে যাচিতে তস্মৈ সৰ্পং দদাতি
12 या अंडा माँगे तो उसे बिच्छू दे?
১২ৱা অণ্ডে যাচিতে তস্মৈ ৱৃশ্চিকং দদাতি যুষ্মাকং মধ্যে ক এতাদৃশঃ পিতাস্তে?
13 पस जब तुम बुरे होकर अपने बच्चों को अच्छी चीज़ें देना जानते हो, तो आसमानी बाप अपने माँगने वालों को रूह — उल — क़ुद्दूस क्यूँ न देगा।”
১৩তস্মাদেৱ যূযমভদ্ৰা অপি যদি স্ৱস্ৱবালকেভ্য উত্তমানি দ্ৰৱ্যাণি দাতুং জানীথ তৰ্হ্যস্মাকং স্ৱৰ্গস্থঃ পিতা নিজযাচকেভ্যঃ কিং পৱিত্ৰম্ আত্মানং ন দাস্যতি?
14 फिर वो एक गूँगी बदरूह को निकाल रहा था, और जब वो बदरूह निकल गई तो ऐसा हुआ कि गूँगा बोला और लोगों ने ता'ज्जुब किया।
১৪অনন্তৰং যীশুনা কস্মাচ্চিদ্ একস্মিন্ মূকভূতে ত্যাজিতে সতি স ভূতত্যক্তো মানুষো ৱাক্যং ৱক্তুম্ আৰেভে; ততো লোকাঃ সকলা আশ্চৰ্য্যং মেনিৰে|
15 लेकिन उनमें से कुछ ने कहा, “ये तो बदरूहों के सरदार बा'लज़बूल की मदद से बदरूहों को निकालता है।”
১৫কিন্তু তেষাং কেচিদূচু ৰ্জনোযং বালসিবূবা অৰ্থাদ্ ভূতৰাজেন ভূতান্ ত্যাজযতি|
16 कुछ और लोग आज़माइश के लिए उससे एक आसमानी निशान तलब करने लगे।
১৬তং পৰীক্ষিতুং কেচিদ্ আকাশীযম্ একং চিহ্নং দৰ্শযিতুং তং প্ৰাৰ্থযাঞ্চক্ৰিৰে|
17 मगर उसने उनके ख़यालात को जानकर उनसे कहा, “जिस सल्तनत में फ़ूट पड़े, वो वीरान हो जाती है; और जिस घर में फ़ूट पड़े, वो बरबाद हो जाता है।
১৭তদা স তেষাং মনঃকল্পনাং জ্ঞাৎৱা কথযামাস, কস্যচিদ্ ৰাজ্যস্য লোকা যদি পৰস্পৰং ৱিৰুন্ধন্তি তৰ্হি তদ্ ৰাজ্যম্ নশ্যতি; কেচিদ্ গৃহস্থা যদি পৰস্পৰং ৱিৰুন্ধন্তি তৰ্হি তেপি নশ্যন্তি|
18 और अगर शैतान भी अपना मुख़ालिफ़ हो जाए, तो उसकी सल्तनत किस तरह क़ाईम रहेगी? क्यूँकि तुम मेरे बारे में कहते हो, कि ये बदरूहों को बा'लज़बूल की मदद से निकालता है।
১৮তথৈৱ শৈতানপি স্ৱলোকান্ যদি ৱিৰুণদ্ধি তদা তস্য ৰাজ্যং কথং স্থাস্যতি? বালসিবূবাহং ভূতান্ ত্যাজযামি যূযমিতি ৱদথ|
19 और अगर में बदरूहों को बा'लज़बूल की मदद से निकलता हूँ, तो तुम्हारे बेटे किसकी मदद से निकालते हैं? पस वही तुम्हारा फ़ैसला करेंगे।
১৯যদ্যহং বালসিবূবা ভূতান্ ত্যাজযামি তৰ্হি যুষ্মাকং সন্তানাঃ কেন ত্যাজযন্তি? তস্মাৎ তএৱ কথাযা এতস্যা ৱিচাৰযিতাৰো ভৱিষ্যন্তি|
20 लेकिन अगर मैं बदरूहों को ख़ुदा की क़ुदरत से निकालता हूँ, तो ख़ुदा की बादशाही तुम्हारे पास आ पहुँची।
২০কিন্তু যদ্যহম্ ঈশ্ৱৰস্য পৰাক্ৰমেণ ভূতান্ ত্যাজযামি তৰ্হি যুষ্মাকং নিকটম্ ঈশ্ৱৰস্য ৰাজ্যমৱশ্যম্ উপতিষ্ঠতি|
21 जब ताक़तवर आदमी हथियार बाँधे हुए अपनी हवेली की रखवाली करता है, तो उसका माल महफ़ूज़ रहता है।
২১বলৱান্ পুমান্ সুসজ্জমানো যতিকালং নিজাট্টালিকাং ৰক্ষতি ততিকালং তস্য দ্ৰৱ্যং নিৰুপদ্ৰৱং তিষ্ঠতি|
22 लेकिन जब उससे कोई ताक़तवर हमला करके उस पर ग़ालिब आता है, तो उसके सब हथियार जिन पर उसका भरोसा था छीन लेता और उसका माल लूट कर बाँट देता है।
২২কিন্তু তস্মাদ্ অধিকবলঃ কশ্চিদাগত্য যদি তং জযতি তৰ্হি যেষু শস্ত্ৰাস্ত্ৰেষু তস্য ৱিশ্ৱাস আসীৎ তানি সৰ্ৱ্ৱাণি হৃৎৱা তস্য দ্ৰৱ্যাণি গৃহ্লাতি|
23 जो मेरी तरफ़ नहीं वो मेरे ख़िलाफ़ है, और जो मेरे साथ जमा नहीं करता वो बिखेरता है।”
২৩অতঃ কাৰণাদ্ যো মম সপক্ষো ন স ৱিপক্ষঃ, যো মযা সহ ন সংগৃহ্লাতি স ৱিকিৰতি|
24 “जब नापाक रूह आदमी में से निकलती है तो सूखे मुक़ामों में आराम ढूँडती फिरती है, और जब नहीं पाती तो कहती है, 'मैं अपने उसी घर में लौट जाऊँगी जिससे निकली हूँ।
২৪অপৰঞ্চ অমেধ্যভূতো মানুষস্যান্তৰ্নিৰ্গত্য শুষ্কস্থানে ভ্ৰান্ত্ৱা ৱিশ্ৰামং মৃগযতে কিন্তু ন প্ৰাপ্য ৱদতি মম যস্মাদ্ গৃহাদ্ আগতোহং পুনস্তদ্ গৃহং পৰাৱৃত্য যামি|
25 और आकर उसे झड़ा हुआ और आरास्ता पाती है।
২৫ততো গৎৱা তদ্ গৃহং মাৰ্জিতং শোভিতঞ্চ দৃষ্ট্ৱা
26 फिर जाकर और सात रूहें अपने से बुरी अपने साथ ले आती है और वो उसमें दाख़िल होकर वहाँ बसती हैं, और उस आदमी का पिछला हाल पहले से भी ख़राब हो जाता है।”
২৬তৎক্ষণম্ অপগত্য স্ৱস্মাদপি দুৰ্ম্মতীন্ অপৰান্ সপ্তভূতান্ সহানযতি তে চ তদ্গৃহং পৱিশ্য নিৱসন্তি| তস্মাৎ তস্য মনুষ্যস্য প্ৰথমদশাতঃ শেষদশা দুঃখতৰা ভৱতি|
27 जब वो ये बातें कह रहा था तो ऐसा हुआ कि भीड़ में से एक 'औरत ने पुकार कर उससे कहा, मुबारिक़ है वो पेट जिसमें तू रहा और वो आंचल जो तू ने पिए।”
২৭অস্যাঃ কথাযাঃ কথনকালে জনতামধ্যস্থা কাচিন্নাৰী তমুচ্চৈঃস্ৱৰং প্ৰোৱাচ, যা যোষিৎ ৎৱাং গৰ্ব্ভেঽধাৰযৎ স্তন্যমপাযযচ্চ সৈৱ ধন্যা|
28 उसने कहा, “हाँ; मगर ज़्यादा मुबारिक़ वो है जो ख़ुदा का कलाम सुनते और उस पर 'अमल करते हैं।”
২৮কিন্তু সোকথযৎ যে পৰমেশ্ৱৰস্য কথাং শ্ৰুৎৱা তদনুৰূপম্ আচৰন্তি তএৱ ধন্যাঃ|
29 जब बड़ी भीड़ जमा होती जाती थी तो वो कहने लगा, “इस ज़माने के लोग बुरे हैं, वो निशान तलब करते हैं; मगर यहून्ना के निशान के सिवा कोई और निशान उनको न दिया जाएगा।”
২৯ততঃ পৰং তস্যান্তিকে বহুলোকানাং সমাগমে জাতে স ৱক্তুমাৰেভে, আধুনিকা দুষ্টলোকাশ্চিহ্নং দ্ৰষ্টুমিচ্ছন্তি কিন্তু যূনস্ভৱিষ্যদ্ৱাদিনশ্চিহ্নং ৱিনান্যৎ কিঞ্চিচ্চিহ্নং তান্ ন দৰ্শযিষ্যতে|
30 क्यूँकि जिस तरह यहून्ना निनवे के लोगों के लिए निशान ठहरा, उसी तरह इब्न — ए — आदम भी इस ज़माने के लोगों के लिए ठहरेगा।
৩০যূনস্ তু যথা নীনিৱীযলোকানাং সমীপে চিহ্নৰূপোভৱৎ তথা ৱিদ্যমানলোকানাম্ এষাং সমীপে মনুষ্যপুত্ৰোপি চিহ্নৰূপো ভৱিষ্যতি|
31 दक्खिन की मलिका इस ज़माने के आदमियों के साथ 'अदालत के दिन उठकर उनको मुजरिम ठहराएगी, क्यूँकि वो दुनिया के किनारे से सुलैमान की हिक्मत सुनने को आई, और देखो, यहाँ वो है जो सुलैमान से भी बड़ा है।
৩১ৱিচাৰসমযে ইদানীন্তনলোকানাং প্ৰাতিকূল্যেন দক্ষিণদেশীযা ৰাজ্ঞী প্ৰোত্থায তান্ দোষিণঃ কৰিষ্যতি, যতঃ সা ৰাজ্ঞী সুলেমান উপদেশকথাং শ্ৰোতুং পৃথিৱ্যাঃ সীমাত আগচ্ছৎ কিন্তু পশ্যত সুলেমানোপি গুৰুতৰ একো জনোঽস্মিন্ স্থানে ৱিদ্যতে|
32 निनवे के लोग इस ज़माने के लोगों के साथ, 'अदालत के दिन खड़े होकर उनको मुजरिम ठहराएँगे; क्यूँकि उन्होंने यहून्ना के एलान पर तौबा कर ली, और देखो, यहाँ वो है जो यहून्ना से भी बड़ा है।
৩২অপৰঞ্চ ৱিচাৰসমযে নীনিৱীযলোকা অপি ৱৰ্ত্তমানকালিকানাং লোকানাং ৱৈপৰীত্যেন প্ৰোত্থায তান্ দোষিণঃ কৰিষ্যন্তি, যতো হেতোস্তে যূনসো ৱাক্যাৎ চিত্তানি পৰিৱৰ্ত্তযামাসুঃ কিন্তু পশ্যত যূনসোতিগুৰুতৰ একো জনোঽস্মিন্ স্থানে ৱিদ্যতে|
33 “कोई शख़्स चराग़ जला कर तहखाने में या पैमाने के नीचे नहीं रखता, बल्कि चराग़दान पर रखता है ताकि अन्दर जाने वालों को रोशनी दिखाई दे।
৩৩প্ৰদীপং প্ৰজ্ৱাল্য দ্ৰোণস্যাধঃ কুত্ৰাপি গুপ্তস্থানে ৱা কোপি ন স্থাপযতি কিন্তু গৃহপ্ৰৱেশিভ্যো দীপ্তিং দাতং দীপাধাৰোপৰ্য্যেৱ স্থাপযতি|
34 तेरे बदन का चराग़ तेरी आँख है, जब तेरी आँख दुरुस्त है तो तेरा सारा बदन भी रोशन है, और जब ख़राब है तो तेरा बदन भी तारीक है।
৩৪দেহস্য প্ৰদীপশ্চক্ষুস্তস্মাদেৱ চক্ষু ৰ্যদি প্ৰসন্নং ভৱতি তৰ্হি তৱ সৰ্ৱ্ৱশৰীৰং দীপ্তিমদ্ ভৱিষ্যতি কিন্তু চক্ষু ৰ্যদি মলীমসং তিষ্ঠতি তৰ্হি সৰ্ৱ্ৱশৰীৰং সান্ধকাৰং স্থাস্যতি|
35 पस देख, जो रोशनी तुझ में है तारीकी तो नहीं!
৩৫অস্মাৎ কাৰণাৎ তৱান্তঃস্থং জ্যোতি ৰ্যথান্ধকাৰমযং ন ভৱতি তদৰ্থে সাৱধানো ভৱ|
36 पस अगर तेरा सारा बदन रोशन हो और कोई हिस्सा तारीक न रहे, तो वो तमाम ऐसा रोशन होगा जैसा उस वक़्त होता है जब चराग़ अपने चमक से रोशन करता है।”
৩৬যতঃ শৰীৰস্য কুত্ৰাপ্যংশে সান্ধকাৰে ন জাতে সৰ্ৱ্ৱং যদি দীপ্তিমৎ তিষ্ঠতি তৰ্হি তুভ্যং দীপ্তিদাযিপ্ৰোজ্জ্ৱলন্ প্ৰদীপ ইৱ তৱ সৱৰ্ৱশৰীৰং দীপ্তিমদ্ ভৱিষ্যতি|
37 जो वो बात कर रहा था तो किसी फ़रीसी ने उसकी दा'वत की। पस वो अन्दर जाकर खाना खाने बैठा।
৩৭এতৎকথাযাঃ কথনকালে ফিৰুশ্যেকো ভেজনায তং নিমন্ত্ৰযামাস, ততঃ স গৎৱা ভোক্তুম্ উপৱিৱেশ|
38 फ़रीसी ने ये देखकर ता'अज्जुब किया कि उसने खाने से पहले ग़ुस्ल नहीं किया।
৩৮কিন্তু ভোজনাৎ পূৰ্ৱ্ৱং নামাঙ্ক্ষীৎ এতদ্ দৃষ্ট্ৱা স ফিৰুশ্যাশ্চৰ্য্যং মেনে|
39 ख़ुदावन्द ने उससे कहा, “ऐ फ़रीसियों! तुम प्याले और तश्तरी को ऊपर से तो साफ़ करते हो, लेकिन तुम्हारे अन्दर लूट और बदी भरी है।”
৩৯তদা প্ৰভুস্তং প্ৰোৱাচ যূযং ফিৰূশিলোকাঃ পানপাত্ৰাণাং ভোজনপাত্ৰাণাঞ্চ বহিঃ পৰিষ্কুৰুথ কিন্তু যুষ্মাকমন্ত ৰ্দৌৰাত্ম্যৈ ৰ্দুষ্ক্ৰিযাভিশ্চ পৰিপূৰ্ণং তিষ্ঠতি|
40 ऐ नादानों! जिसने बाहर को बनाया क्या उसने अन्दर को नहीं बनाया?
৪০হে সৰ্ৱ্ৱে নিৰ্বোধা যো বহিঃ সসৰ্জ স এৱ কিমন্ত ৰ্ন সসৰ্জ?
41 हाँ! अन्दर की चीज़ें ख़ैरात कर दो, तो देखो, सब कुछ तुम्हारे लिए पाक होगा।
৪১তত এৱ যুষ্মাভিৰন্তঃকৰণং (ঈশ্ৱৰায) নিৱেদ্যতাং তস্মিন্ কৃতে যুষ্মাকং সৰ্ৱ্ৱাণি শুচিতাং যাস্যন্তি|
42 “लेकिन ऐ फ़रीसियों! तुम पर अफ़सोस, कि पुदीने और सुदाब और हर एक तरकारी पर दसवाँ हिस्सा देते हो, और इन्साफ़ और ख़ुदा की मुहब्बत से ग़ाफ़िल रहते हो; लाज़िम था कि ये भी करते और वो भी न छोड़ते।
৪২কিন্তু হন্ত ফিৰূশিগণা যূযং ন্যাযম্ ঈশ্ৱৰে প্ৰেম চ পৰিত্যজ্য পোদিনাযা অৰুদাদীনাং সৰ্ৱ্ৱেষাং শাকানাঞ্চ দশমাংশান্ দত্থ কিন্তু প্ৰথমং পালযিৎৱা শেষস্যালঙ্ঘনং যুষ্মাকম্ উচিতমাসীৎ|
43 ऐ फ़रीसियों! तुम पर अफ़सोस, कि तुम 'इबादतख़ानों में आ'ला दर्जे की कुर्सियाँ और और बाज़ारों में सलाम चाहते हो।
৪৩হা হা ফিৰূশিনো যূযং ভজনগেহে প্ৰোচ্চাসনে আপণেষু চ নমস্কাৰেষু প্ৰীযধ্ৱে|
44 तुम पर अफ़सोस! क्यूँकि तुम उन छिपी हुई क़ब्रों की तरह हो जिन पर आदमी चलते है, और उनको इस बात की ख़बर नहीं।”
৪৪ৱত কপটিনোঽধ্যাপকাঃ ফিৰূশিনশ্চ লোকাযৎ শ্মশানম্ অনুপলভ্য তদুপৰি গচ্ছন্তি যূযম্ তাদৃগপ্ৰকাশিতশ্মশানৱাদ্ ভৱথ|
45 फिर शरा' के 'आलिमों में से एक ने जवाब में उससे कहा, “ऐ उस्ताद! इन बातों के कहने से तू हमें भी बे'इज़्ज़त करता है।”
৪৫তদানীং ৱ্যৱস্থাপকানাম্ একা যীশুমৱদৎ, হে উপদেশক ৱাক্যেনেদৃশেনাস্মাস্ৱপি দোষম্ আৰোপযসি|
46 उसने कहा, “ऐ शरा' के 'आलिमों! तुम पर भी अफ़सोस, कि तुम ऐसे बोझ जिनको उठाना मुश्किल है, आदमियों पर लादते हो और तुम एक उंगली भी उन बोझों को नहीं लगाते।
৪৬ততঃ স উৱাচ, হা হা ৱ্যৱস্থাপকা যূযম্ মানুষাণাম্ উপৰি দুঃসহ্যান্ ভাৰান্ ন্যস্যথ কিন্তু স্ৱযম্ একাঙ্গুল্যাপি তান্ ভাৰান্ ন স্পৃশথ|
47 तुम पर अफ़सोस, कि तुम तो नबियों की क़ब्रों को बनाते हो और तुम्हारे बाप — दादा ने उनको क़त्ल किया था।
৪৭হন্ত যুষ্মাকং পূৰ্ৱ্ৱপুৰুষা যান্ ভৱিষ্যদ্ৱাদিনোঽৱধিষুস্তেষাং শ্মশানানি যূযং নিৰ্ম্মাথ|
48 पस तुम गवाह हो और अपने बाप — दादा के कामों को पसन्द करते हो, क्यूँकि उन्होंने तो उनको क़त्ल किया था और तुम उनकी क़ब्रें बनाते हो।
৪৮তেনৈৱ যূযং স্ৱপূৰ্ৱ্ৱপুৰুষাণাং কৰ্ম্মাণি সংমন্যধ্ৱে তদেৱ সপ্ৰমাণং কুৰুথ চ, যতস্তে তানৱধিষুঃ যূযং তেষাং শ্মশানানি নিৰ্ম্মাথ|
49 इसी लिए ख़ुदा की हिक्मत ने कहा है, मैं नबियों और रसूलों को उनके पास भेजूँगी, वो उनमें से कुछ को क़त्ल करेंगे और कुछ को सताएँगे।
৪৯অতএৱ ঈশ্ৱৰস্য শাস্ত্ৰে প্ৰোক্তমস্তি তেষামন্তিকে ভৱিষ্যদ্ৱাদিনঃ প্ৰেৰিতাংশ্চ প্ৰেষযিষ্যামি ততস্তে তেষাং কাংশ্চন হনিষ্যন্তি কাংশ্চন তাডশ্ষ্যিন্তি|
50 ताकि सब नबियों के ख़ून का जो बिना — ए — 'आलम से बहाया गया, इस ज़माने के लोगों से हिसाब किताब लिया जाए।
৫০এতস্মাৎ কাৰণাৎ হাবিলঃ শোণিতপাতমাৰভ্য মন্দিৰযজ্ঞৱেদ্যো ৰ্মধ্যে হতস্য সিখৰিযস্য ৰক্তপাতপৰ্য্যন্তং
51 हाबिल के ख़ून से लेकर उस ज़करियाह के ख़ून तक, जो क़ुर्बानगाह और मक़्दिस के बीच में हलाक हुआ। मैं तुम से सच कहता हूँ कि इसी ज़माने के लोगों से सब का हिसाब किताब लिया जाएगा।
৫১জগতঃ সৃষ্টিমাৰভ্য পৃথিৱ্যাং ভৱিষ্যদ্ৱাদিনাং যতিৰক্তপাতা জাতাস্ততীনাম্ অপৰাধদণ্ডা এষাং ৱৰ্ত্তমানলোকানাং ভৱিষ্যন্তি, যুষ্মানহং নিশ্চিতং ৱদামি সৰ্ৱ্ৱে দণ্ডা ৱংশস্যাস্য ভৱিষ্যন্তি|
52 ऐ शरा' के 'आलिमों! तुम पर अफ़सोस, कि तुम ने मा'रिफ़त की कुंजी छीन ली, तुम ख़ुद भी दाख़िल न हुए और दाख़िल होने वालों को भी रोका।”
৫২হা হা ৱ্যৱস্থপকা যূযং জ্ঞানস্য কুঞ্চিকাং হৃৎৱা স্ৱযং ন প্ৰৱিষ্টা যে প্ৰৱেষ্টুঞ্চ প্ৰযাসিনস্তানপি প্ৰৱেষ্টুং ৱাৰিতৱন্তঃ|
53 जब वो वहाँ से निकला, तो आलिम और फ़रीसी उसे बे — तरह चिपटने और छेड़ने लगे ताकि वो बहुत से बातों का ज़िक्र करे,
৫৩ইত্থং কথাকথনাদ্ অধ্যাপকাঃ ফিৰূশিনশ্চ সতৰ্কাঃ
54 और उसकी घात में रहे ताकि उसके मुँह की कोई बात पकड़े।
৫৪সন্তস্তমপৱদিতুং তস্য কথাযা দোষং ধৰ্ত্তমিচ্ছন্তো নানাখ্যানকথনায তং প্ৰৱৰ্ত্তযিতুং কোপযিতুঞ্চ প্ৰাৰেভিৰে|

< लूका 11 >