< अह 7 >

1 “और जुर्म की क़ुर्बानी के बारे में शरा' यह है। वह बहुत पाक है।
«قوانین قربانی جبران که قربانی بسیار مقدّسی است، از این قرار می‌باشد:
2 जिस जगह सोख़्तनी क़ुर्बानी के जानवर को ज़बह करते हैं, वहीं वह जुर्म की क़ुर्बानी के जानवर को भी ज़बह करें; और वह उसके ख़ून को मज़बह के चारों तरफ़ छिड़के।
حیوان قربانی باید در مکانی که قربانی سوختنی را سر می‌برند، ذبح شود و خونش بر چهار طرف مذبح پاشیده شود.
3 और वह उसकी सब चर्बी को चढ़ाए, या'नी उसकी मोटी दुम को, और उस चर्बी को जिससे अंतड़ियाँ ढकी रहती हैं
کاهن تمام چربی آن را تقدیم کند، یعنی دنبه و چربی داخل شکم،
4 और दोनों गुर्दे और उनके ऊपर की चर्बी जो कमर के पास रहती है, और जिगर पर की झिल्ली गुर्दों के साथः इन सबको वह अलग करे।
دو قلوه و چربی روی آنها در قسمت تهیگاه، و نیز سفیدی روی جگر. اینها باید همراه قلوه‌ها جدا شوند.
5 और काहिन उनको मज़बह पर ख़ुदावन्द के सामने आतिशीन क़ुर्बानी के तौर पर जलाए, यह जुर्म की क़ुर्बानी है।
سپس، کاهن آنها را به عنوان قربانی جبران بر آتش مذبح برای خداوند بسوزاند.
6 और काहिनों में से हर मर्द उसे खाए और किसी पाक जगह में उसे खाएँ; वह बहुत पाक है।
پسران کاهنان می‌توانند از این گوشت بخورند. این گوشت باید در جای مقدّسی خورده شود. این قربانی، بسیار مقدّس است.
7 जुर्म की क़ुर्बानी वैसी ही है जैसी ख़ता की क़ुर्बानी है और उनके लिए एक ही शरा' है, और उन्हें वही काहिन ले जो उनसे कफ़्फ़ारा देता है
«قانونی که باید در مورد قربانی گناه و قربانی جبران رعایت شود این است: گوشت قربانی به کاهنی تعلق خواهد داشت که مراسم کفاره را اجرا می‌کند.
8 और जो काहिन किसी शख़्स की तरफ़ से सोख़्तनी क़ुर्बानी पेश करता हैं वही काहिन उस सोख़्तनी क़ुर्बानी की खाल को जो उसने पेश कीं, अपने लिए ले — ले।
(در ضمن پوست قربانی سوختنی نیز به آن کاهن تعلق دارد.)
9 और हर एक नज़्र की क़ुर्बानी जो तनूर में पकाई जाए, और वह भी जी कड़ाही में तैयार की जाए, और तवे की पकी हुई भी उसी काहिन की है जो उसे पेश करे।
هر هدیهٔ آردی که در تنور یا در تابه یا روی ساج پخته می‌شود به کاهنی تعلق خواهد گرفت که آن را به خداوند تقدیم می‌کند.
10 और हर एक नज़्र की क़ुर्बानी चाहे उसमे तेल मिला हुआ हो या वह ख़ुश्क हो, बराबर — बराबर हारून के सब बेटों के लिए हो।
تمام هدایای آردی دیگر، خواه مخلوط با روغن زیتون و خواه خشک، به طور مساوی به پسران هارون تعلق دارد.
11 'और सलामती के ज़बीहे के बारे में जिसे कोई ख़ुदावन्द के सामने चढ़ाए शरा' यह है,
«قوانین قربانی سلامتی که به خداوند تقدیم می‌شود از این قرار است:
12 कि वह अगर शुक्राने के तौर पर उसे अदा करे तो वह शुक्राने के ज़बीहे के साथ, तेल मिले हुए बे — ख़मीरी कुल्चे और तेल चुपड़ी हुई बे — ख़मीरी चपातियाँ और तेल मिले हुए मैदे के तर कुल्चे भी पेश करे।
اگر قربانی به منظور شکرگزاری باشد، همراه آن باید این نانهای بدون خمیرمایه نیز تقدیم شوند قرصهای نان که با روغن زیتون مخلوط شده باشند، نانهای نازک که روغن مالی شده باشند، نانهایی که از مخلوط آرد مرغوب و روغن زیتون تهیه شده باشند.
13 और सलामती के ज़बीहे की क़ुर्बानी के साथ जो शुक्राने के लिए होगी, वह ख़मीरी रोटी के गिर्द अपने हदिये पर पेश करे।
همچنین همراه قربانی باید قرصهای نان خمیرمایه‌دار نیز تقدیم شوند.
14 और हर हदिये में से वह एक को लेकर उसे ख़ुदावन्द के सामने हिलाने की क़ुर्बानी के तौर पर अदा करे; और यह उस काहिन का ही जो सलामती के ज़बीहे का ख़ून छिड़कता है।
از هر نوع نان باید یک قسمت به عنوان هدیهٔ مخصوص به خداوند تقدیم شود تا به کاهنی تعلق گیرد که خون حیوان قربانی را روی مذبح می‌پاشد.
15 और सलामती के ज़बीहों की उस क़ुर्बानी का गोश्त, जो उस की तरफ़ से शुक्राने के तौर पर होगी, क़ुर्बानी अदा करने के दिन ही खा लिया जाए; वह उसमें से कुछ सुबह तक बाक़ी न छोड़े।
گوشت حیوان قربانی سلامتی باید در روزی که به عنوان هدیۀ شکرگزاری تقدیم می‌گردد، خورده شود و چیزی از آن برای روز بعد باقی نماند.
16 लेकिन अगर उसके चढ़ावे की क़ुर्बानी मिन्नत का या रज़ा का हदिया हो, तो वह उस दिन खाई जाए जिस दिन वह अपनी क़ुर्बानी पेश करे; और जो कुछ उस में से बच रहे, वह दूसरे दिन खाया जाए।
«اگر قربانی، داوطلبانه یا نذری باشد، گوشت قربانی در روزی که آن را تقدیم می‌کنند، باید خورده شود. اگر از گوشت قربانی چیزی باقی بماند می‌توان آن را روز بعد نیز خورد.
17 लेकिन जो कुछ उस क़ुर्बानी के गोश्त में से तीसरे दिन तक रह जाए वह आग में जला दिया जाए।
ولی هر چه تا روز سوم باقی بماند، باید کاملاً سوزانده شود.
18 और उसके सलामती के ज़बीहों की क़ुर्बानी के गोश्त में से अगर कुछ तीसरे दिन खाया जाए तो वह मंजूर न होगा, और न उस का सवाब क़ुर्बानी देने वाले की तरफ़ मन्सूब होगा, बल्कि यह मकरूह बात होगी; और जो उस में से खाए उस का गुनाह उसी के सिर लगेगा।
اگر در روز سوم چیزی از گوشت قربانی خورده شود، خداوند آن قربانی را قبول نخواهد کرد و به حساب نخواهد آورد زیرا آن گوشت نجس شده است. کسی هم که آن را بخورد مجرم می‌باشد.
19 “और जो गोश्त किसी नापाक चीज़ से छू जाए, खाया न जाए; वह आग में जलाया जाए। और ज़बीहे के गोश्त को, जो पाक है वह तो खाए,
«گوشتی را که به چیزی نجس خورده است نباید خورد، بلکه باید آن را سوزاند. گوشت قربانی را فقط کسانی می‌توانند بخورند که طاهر هستند.
20 लेकिन जो शख़्स नापाकी की हालत में ख़ुदावन्द की सलामती के ज़बीहे का गोश्त खाए, वह अपने लोगों में से काट डाला जाए।
هر که طاهر نباشد و گوشت قربانی سلامتی را که از آنِ خداوند است، بخورد باید از میان قوم منقطع شود.
21 और जो कोई किसी नापाक चीज़ को छुए, चाहे वह इंसान की नापाकी हो या नापाक जानवर हो या कोई नजिस मकरूह शय हो, और फिर ख़ुदावन्द के सलामती के ज़बीहे के गोश्त में से खाए, वह भी अपने लोगों में से काट डाला जाए।”
اگر کسی به چیزی نجس دست بزند، خواه نجاست انسان باشد، خواه حیوان نجس و یا هر چیز نجس دیگر، و بعد از گوشت قربانی سلامتی که از آنِ خداوند است، بخورد، باید از میان قوم خدا منقطع شود.»
22 और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
خداوند به موسی فرمود:
23 “बनी — इस्राईल से कह, कि तुम लोग न तो बैल की न भेड़ की और न बकरी की कुछ चर्बी खाना।
«این دستورها را به بنی‌اسرائیل بده. هرگز چربی گاو و گوسفند و بز را نخورید.
24 जो जानवर ख़ुद — ब — ख़ुद मर गया हो और जिस को दरिन्दों ने फाड़ा हो, उनकी चर्बी और — और काम में लाओ तो लाओ पर उसे तुम किसी हाल में न खाना।
چربی حیوانی که مرده یا توسط جانوری دریده شده باشد هرگز خورده نشود بلکه از آن برای کارهای دیگر استفاده شود.
25 क्यूँकि जो कोई ऐसे चौपाये की चर्बी खाए, जिसे लोग आतिशी क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने चढ़ाते हैं, वह खाने वाला आदमी अपने लोगों में से काट डाला जाए।
هر کس چربی حیوانی را که بر آتش به خداوند تقدیم می‌شود بخورد باید از میان قوم منقطع شود.
26 और तुम अपनी सुकूनतगाहों में कहीं भी किसी तरह का ख़ून चाहे परिन्दे का हो या चौपाये का, हरगिज़ न खाना।
هر جا که ساکن باشید، هرگز خون نخورید، نه خون پرنده و نه خون چارپا.
27 जो कोई किसी तरह का ख़ून खाए, वह शख़्स अपने लोगों में से काट डाला जाए।”
هر کس، در هر جا، خون بخورد، باید از میان قوم خدا منقطع شود.»
28 और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
سپس خداوند به موسی فرمود:
29 “बनी — इस्राईल से कह कि जो कोई अपना सलामती का ज़बीहा ख़ुदावन्द के सामने पेश करे, वह ख़ुद ही अपने सलामती के ज़बीहे की क़ुर्बानी में से अपना हदिया ख़ुदावन्द के सामने लाए।”
«این دستورها را به بنی‌اسرائیل بده: هر کس بخواهد قربانی سلامتی به خداوند تقدیم کند باید قسمتی از آن قربانی را به عنوان هدیه نزد خداوند بیاورد.
30 वह अपने ही हाथों में ख़ुदावन्द की आतिशी क़ुर्बानी को लाए, या'नी चर्बी को सीने के साथ लाए कि सीना हिलाने की क़ुर्बानी के तौर पर हिलाया जाए।
او باید به دست خود آن را همچون هدیۀ مخصوص به خداوند تقدیم کند. چربی حیوان را با سینه تقدیم کند و سینهٔ قربانی را به عنوان هدیهٔ مخصوص، در حضور خداوند تکان دهد.
31 और काहिन चर्बी को मज़बह पर जलाए, लेकिन सीना हारून और उसके बेटों का हो।
کاهن چربی را بر مذبح بسوزاند، ولی سینهٔ قربانی متعلق به هارون و پسرانش باشد.
32 और तुम सलामती के ज़बीहों की दहनी रान उठाने की क़ुर्बानी के तौर पर काहिन को देना।
ران راست قربانی، به عنوان هدیهٔ مخصوص، به کاهنی داده شود که خون و چربی قربانی را تقدیم می‌کند؛
33 हारून के बेटों में से जो सलामती के ज़बीहों का ख़ून और चर्बी पेश करे, वही वह दहनी रान अपना हिस्सा ले।
34 क्यूँकि बनी इस्राईल के सलामती के ज़बीहों में से हिलाने की क़ुर्बानी का सीना और उठाने की क़ुर्बानी की रान को लेकर, मैंने हारून काहिन और उसके बेटों को दिया है, कि यह हमेशा बनी इस्राईल की तरफ़ से उन का हक़ हो।
زیرا خداوند سینه و ران قربانی سلامتی را از قوم اسرائیل گرفته و آنها را به عنوان هدیهٔ مخصوص به کاهنان داده است و همیشه به ایشان تعلق خواهند داشت.
35 “यह ख़ुदावन्द की आतिशी क़ुर्बानियों में से हारून के मम्सूह होने का और उसके बेटों के मम्सूह होने का हिस्सा है, जो उस दिन मुक़र्रर हुआ जब वह ख़ुदावन्द के सामने काहिन की ख़िदमत को अंजाम देने के लिए हाज़िर किए गए।
(این قسمت از هدایایی که بر آتش به خداوند تقدیم می‌شود در روز انتصاب هارون و پسرانش به خدمت خداوند، به ایشان داده شد.
36 या'नी जिस दिन ख़ुदावन्द ने उन्हें मसह किया, उस दिन उसने यह हुक्म दिया कि बनी — इस्राईल की तरफ़ से उन्हें यह मिला करे; इसलिए उन की नसल — दर — नसल यह उन का हक़ रहेगा।”
در روزی که ایشان مسح شدند، خداوند دستور داد که قوم اسرائیل این قسمت را به ایشان بدهند. این، قانونی برای تمام نسلهای ایشان می‌باشد.)»
37 सोख़्तनी क़ुर्बानी, और नज़्र की क़ुर्बानी, और ख़ता की क़ुर्बानी, और जुर्म की क़ुर्बानी, और तख़्सीस और सलामती के ज़बीहे के बारे में शरा' यह है।
اینها قوانینی بود در مورد قربانی سوختنی، هدیهٔ آردی، قربانی گناه، قربانی جبران، قربانی انتصاب و قربانی سلامتی
38 जिसका हुक्म ख़ुदावन्द ने मूसा को उस दिन कोह-ए-सीना पर दिया जिस दिन उसने बनी — इस्राईल को फ़रमाया, कि सीना के वीराने में ख़ुदावन्द के सामने अपनी क़ुर्बानी पेश करें।
که خداوند در بیابان، در کوه سینا به موسی داد تا قوم اسرائیل بدانند چگونه قربانیهای خود را به خداوند تقدیم کنند.

< अह 7 >