< अह 25 >

1 और ख़ुदावन्द ने कोह-ए-सीना पर मूसा से कहा कि;
וַיְדַבֵּ֤ר יְהוָה֙ אֶל־מֹשֶׁ֔ה בְּהַ֥ר סִינַ֖י לֵאמֹֽר׃
2 “बनी — इस्राईल से कहा कि, जब तुम उस मुल्क में जो मैं तुम को देता हूँ दाख़िल हो जाओ, तो उसकी ज़मीन भी ख़ुदावन्द के लिए सबत को माने।
דַּבֵּ֞ר אֶל־בְּנֵ֤י יִשְׂרָאֵל֙ וְאָמַרְתָּ֣ אֲלֵהֶ֔ם כִּ֤י תָבֹ֙אוּ֙ אֶל־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֥ר אֲנִ֖י נֹתֵ֣ן לָכֶ֑ם וְשָׁבְתָ֣ה הָאָ֔רֶץ שַׁבָּ֖ת לַיהוָֽה׃
3 तू अपने खेत को छ: बरस बोना, और अपने अंगूरिस्तान को छ: बरस छाँटना और उसका फल जमा' करना।
שֵׁ֤שׁ שָׁנִים֙ תִּזְרַ֣ע שָׂדֶ֔ךָ וְשֵׁ֥שׁ שָׁנִ֖ים תִּזְמֹ֣ר כַּרְמֶ֑ךָ וְאָסַפְתָּ֖ אֶת־תְּבוּאָתָֽהּ׃
4 लेकिन सातवें साल ज़मीन के लिए ख़ास आराम का सबत हो। यह सबत ख़ुदावन्द के लिए हो। इसमें तू न अपने खेत को बोना और न अपने अंगूरिस्तान को छाँटना।
וּבַשָּׁנָ֣ה הַשְּׁבִיעִ֗ת שַׁבַּ֤ת שַׁבָּתֹון֙ יִהְיֶ֣ה לָאָ֔רֶץ שַׁבָּ֖ת לַיהוָ֑ה שָֽׂדְךָ֙ לֹ֣א תִזְרָ֔ע וְכַרְמְךָ֖ לֹ֥א תִזְמֹֽר׃
5 और न अपनी खु़दरो फ़सल को काटना और न अपनी बे — छटी ताकों के अंगूरों को तोड़ना; यह ज़मीन के लिए ख़ास आराम का साल हो।
אֵ֣ת סְפִ֤יחַ קְצִֽירְךָ֙ לֹ֣א תִקְצֹ֔ור וְאֶת־עִנְּבֵ֥י נְזִירֶ֖ךָ לֹ֣א תִבְצֹ֑ר שְׁנַ֥ת שַׁבָּתֹ֖ון יִהְיֶ֥ה לָאָֽרֶץ׃
6 और ज़मीन का यह सबत तेरे, और तेरे ग़ुलामों और तेरी लौंडी और मज़दूरों और उन परदेसियों के लिए जो तेरे साथ रहते हैं, तुम्हारी ख़ुराक का ज़रिया' होगा;
וְ֠הָיְתָה שַׁבַּ֨ת הָאָ֤רֶץ לָכֶם֙ לְאָכְלָ֔ה לְךָ֖ וּלְעַבְדְּךָ֣ וְלַאֲמָתֶ֑ךָ וְלִשְׂכִֽירְךָ֙ וּלְתֹושָׁ֣בְךָ֔ הַגָּרִ֖ים עִמָּֽךְ׃
7 और उसकी सारी पैदावार तेरे चौपायों और तेरे मुल्क के और जानवरों के लिए ख़ूराक़ ठहरेगी।
וְלִ֨בְהֶמְתְּךָ֔ וְלַֽחַיָּ֖ה אֲשֶׁ֣ר בְּאַרְצֶ֑ךָ תִּהְיֶ֥ה כָל־תְּבוּאָתָ֖הּ לֶאֱכֹֽל׃ ס
8 “और तू बरसों के सात सबतों को, या’नी सात गुना सात साल गिन लेना, और तेरे हिसाब से बरसों के सात सबतों की मुद्दत कुल उन्चास साल होंगे।
וְסָפַרְתָּ֣ לְךָ֗ שֶׁ֚בַע שַׁבְּתֹ֣ת שָׁנִ֔ים שֶׁ֥בַע שָׁנִ֖ים שֶׁ֣בַע פְּעָמִ֑ים וְהָי֣וּ לְךָ֗ יְמֵי֙ שֶׁ֚בַע שַׁבְּתֹ֣ת הַשָּׁנִ֔ים תֵּ֥שַׁע וְאַרְבָּעִ֖ים שָׁנָֽה׃
9 तब तू सातवें महीने की दसवीं तारीख़ की बड़ा नरसिंगा ज़ोर से फुँकवाना, तुम कफ़्फ़ारे के रोज़ अपने सारे मुल्क में यह नरसिंगा फुँकवाना।
וְהֽ͏ַעֲבַרְתָּ֞ שֹׁופַ֤ר תְּרוּעָה֙ בַּחֹ֣דֶשׁ הַשְּׁבִעִ֔י בֶּעָשֹׂ֖ור לַחֹ֑דֶשׁ בְּיֹום֙ הַכִּפֻּרִ֔ים תַּעֲבִ֥ירוּ שֹׁופָ֖ר בְּכָל־אַרְצְכֶֽם׃
10 और तुम पचासवें बरस को पाक जानना और तमाम मुल्क में सब बाशिन्दों के लिए आज़ादी का 'ऐलान कराना, यह तुम्हारे लिए यूबली हो। इसमें तुम में से हर एक अपनी मिल्कियत का मालिक हो, और हर शख़्स अपने ख़ान्दान में फिर शामिल हो जाए।
וְקִדַּשְׁתֶּ֗ם אֵ֣ת שְׁנַ֤ת הַחֲמִשִּׁים֙ שָׁנָ֔ה וּקְרָאתֶ֥ם דְּרֹ֛ור בָּאָ֖רֶץ לְכָל־יֹשְׁבֶ֑יהָ יֹובֵ֥ל הִוא֙ תִּהְיֶ֣ה לָכֶ֔ם וְשַׁבְתֶּ֗ם אִ֚ישׁ אֶל־אֲחֻזָּתֹ֔ו וְאִ֥ישׁ אֶל־מִשְׁפַּחְתֹּ֖ו תָּשֻֽׁבוּ׃
11 वह पचासवाँ बरस तुम्हारे लिए यूबली हो, तुम उसमें कुछ न बोना और न उसे जो अपने आप पैदा हो जाए काटना और न बे — छटी ताकों का अंगूर जमा' करना।
יֹובֵ֣ל הִ֗וא שְׁנַ֛ת הַחֲמִשִּׁ֥ים שָׁנָ֖ה תִּהְיֶ֣ה לָכֶ֑ם לֹ֣א תִזְרָ֔עוּ וְלֹ֤א תִקְצְרוּ֙ אֶת־סְפִיחֶ֔יהָ וְלֹ֥א תִבְצְר֖וּ אֶת־נְזִרֶֽיהָ׃
12 क्यूँकि वह साल — ए — यूबली होगा; इसलिए वह तुम्हारे लिए पाक ठहरे, तुम उसकी पैदावार की खेत से लेकर खाना।
כִּ֚י יֹובֵ֣ל הִ֔וא קֹ֖דֶשׁ תִּהְיֶ֣ה לָכֶ֑ם מִן־הַ֨שָּׂדֶ֔ה תֹּאכְל֖וּ אֶת־תְּבוּאָתָֽהּ׃
13 “उस साल — ए — यूबली में तुम में से हर एक अपनी मिल्कियत का फिर मालिक हो जाए।
בִּשְׁנַ֥ת הַיֹּובֵ֖ל הַזֹּ֑את תָּשֻׁ֕בוּ אִ֖ישׁ אֶל־אֲחֻזָּתֹֽו׃
14 और अगर तू अपने पड़ोसी के हाथ कुछ बेचे या अपने पड़ोसी से कुछ ख़रीदे, तो तुम एक दूसरे पर अन्धेर न करना।
וְכִֽי־תִמְכְּר֤וּ מִמְכָּר֙ לַעֲמִיתֶ֔ךָ אֹ֥ו קָנֹ֖ה מִיַּ֣ד עֲמִיתֶ֑ךָ אַל־תֹּונ֖וּ אִ֥ישׁ אֶת־אָחִֽיו׃
15 यूबली के बाद जितने बरस गुज़रें हो उनके शुमार के मुताबिक़ तू अपने पड़ोसी से उसे ख़रीदना, और वह उसे फ़सल के बरसों के शुमार के मुताबिक़ तेरे हाथ बेचे।
בְּמִסְפַּ֤ר שָׁנִים֙ אַחַ֣ר הַיֹּובֵ֔ל תִּקְנֶ֖ה מֵאֵ֣ת עֲמִיתֶ֑ךָ בְּמִסְפַּ֥ר שְׁנֵֽי־תְבוּאֹ֖ת יִמְכָּר־לָֽךְ׃
16 जितने ज़्यादा बरस हों उतना ही दाम ज़्यादा करना और जितने कम बरस हों उतनी ही उस की क़ीमत घटाना; क्यूँकि बरसों के शुमार के मुताबिक़ वह उनकी फ़स्ल तेरे हाथ बेचता है।
לְפִ֣י ׀ רֹ֣ב הַשָּׁנִ֗ים תַּרְבֶּה֙ מִקְנָתֹ֔ו וּלְפִי֙ מְעֹ֣ט הַשָּׁנִ֔ים תַּמְעִ֖יט מִקְנָתֹ֑ו כִּ֚י מִסְפַּ֣ר תְּבוּאֹ֔ת ה֥וּא מֹכֵ֖ר לָֽךְ׃
17 और तुम एक दूसरे पर अन्धेर न करना, बल्कि अपने ख़ुदा से डरते रहना; क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा हूँ।
וְלֹ֤א תֹונוּ֙ אִ֣ישׁ אֶת־עֲמִיתֹ֔ו וְיָרֵ֖אתָ מֵֽאֱלֹהֶ֑יךָ כִּ֛י אֲנִ֥י יְהֹוָ֖ה אֱלֹהֵיכֶֽם׃
18 इसलिए तुम मेरी शरी'अत पर 'अमल करना और मेरे हुक्मों को मानना और उन पर चलना, तो तुम उस मुल्क में अम्न के साथ बसे रहोगे।
וַעֲשִׂיתֶם֙ אֶת־חֻקֹּתַ֔י וְאֶת־מִשְׁפָּטַ֥י תִּשְׁמְר֖וּ וַעֲשִׂיתֶ֣ם אֹתָ֑ם וִֽישַׁבְתֶּ֥ם עַל־הָאָ֖רֶץ לָבֶֽטַח׃
19 और ज़मीन फलेगी और तुम पेट भर कर खाओगे, और वहाँ अम्न के साथ रहा करोगे।
וְנָתְנָ֤ה הָאָ֙רֶץ֙ פִּרְיָ֔הּ וַאֲכַלְתֶּ֖ם לָשֹׂ֑בַע וִֽישַׁבְתֶּ֥ם לָבֶ֖טַח עָלֶֽיהָ׃
20 और अगर तुम को ख़याल हो कि हम सातवें बरस क्या खाएँगे? क्यूँकि देखो, हम को न तो बोना है और न अपनी पैदावार की जमा' करना है।
וְכִ֣י תֹאמְר֔וּ מַה־נֹּאכַ֖ל בַּשָּׁנָ֣ה הַשְּׁבִיעִ֑ת הֵ֚ן לֹ֣א נִזְרָ֔ע וְלֹ֥א נֶאֱסֹ֖ף אֶת־תְּבוּאָתֵֽנוּ׃
21 तो मैं छटे ही बरस ऐसी बरकत तुम पर नाज़िल करूँगा कि तीनों साल के लिए काफ़ी ग़ल्ला पैदा हो जाएगा।
וְצִוִּ֤יתִי אֶת־בִּרְכָתִי֙ לָכֶ֔ם בַּשָּׁנָ֖ה הַשִּׁשִּׁ֑ית וְעָשָׂת֙ אֶת־הַתְּבוּאָ֔ה לִשְׁלֹ֖שׁ הַשָּׁנִֽים׃
22 और आठवें बरस फिर जीतना बोना और पिछला ग़ल्ला खाते रहना, बल्कि जब तक नौवें साल के बोए हुए की फ़सल न काट लो उस वक़्त तक वही पिछला ग़ल्ला खाते रहोगे।
וּזְרַעְתֶּ֗ם אֵ֚ת הַשָּׁנָ֣ה הַשְּׁמִינִ֔ת וַאֲכַלְתֶּ֖ם מִן־הַתְּבוּאָ֣ה יָשָׁ֑ן עַ֣ד ׀ הַשָּׁנָ֣ה הַתְּשִׁיעִ֗ת עַד־בֹּוא֙ תְּב֣וּאָתָ֔הּ תֹּאכְל֖וּ יָשָֽׁן׃
23 “और ज़मीन हमेशा के लिए बेची न जाए क्यूँकि ज़मीन मेरी है, और तुम मेरे मुसाफ़िर और मेहमान हो।
וְהָאָ֗רֶץ לֹ֤א תִמָּכֵר֙ לִצְמִתֻ֔ת כִּי־לִ֖י הָאָ֑רֶץ כִּֽי־גֵרִ֧ים וְתֹושָׁבִ֛ים אַתֶּ֖ם עִמָּדִֽי׃
24 बल्कि तुम अपनी मिल्कियत के मुल्क में हर जगह ज़मीन को छुड़ा लेने देना।
וּבְכֹ֖ל אֶ֣רֶץ אֲחֻזַּתְכֶ֑ם גְּאֻלָּ֖ה תִּתְּנ֥וּ לָאָֽרֶץ׃ ס
25 “और अगर तुम्हारा भाई ग़रीब हो जाए और अपनी मिल्कियत का कुछ हिस्सा बेच डाले, तो जो उस का सबसे क़रीबी रिश्तेदार है वह आकर उस को जिसे उसके भाई ने बेच डाला है छुड़ा ले।
כִּֽי־יָמ֣וּךְ אָחִ֔יךָ וּמָכַ֖ר מֵאֲחֻזָּתֹ֑ו וּבָ֤א גֹֽאֲלֹו֙ הַקָּרֹ֣ב אֵלָ֔יו וְגָאַ֕ל אֵ֖ת מִמְכַּ֥ר אָחִֽיו׃
26 और अगर उस आदमी का कोई न हो जो उसे छुड़ाए, और वह ख़ुद मालदार हो जाए और उसके छुड़ाने के लिए उसके पास काफ़ी हो।
וְאִ֕ישׁ כִּ֛י לֹ֥א יִֽהְיֶה־לֹּ֖ו גֹּאֵ֑ל וְהִשִּׂ֣יגָה יָדֹ֔ו וּמָצָ֖א כְּדֵ֥י גְאֻלָּתֹֽו׃
27 तो वह फ़रोख़्त के बाद के बरसों को गिन कर बाक़ी दाम उसकी जिसके हाथ ज़मीन बेची है फेर दे; तब वह फिर अपनी मिल्कियत का मालिक हो जाए।
וְחִשַּׁב֙ אֶת־שְׁנֵ֣י מִמְכָּרֹ֔ו וְהֵשִׁיב֙ אֶת־הָ֣עֹדֵ֔ף לָאִ֖ישׁ אֲשֶׁ֣ר מָֽכַר־לֹ֑ו וְשָׁ֖ב לַאֲחֻזָּתֹֽו׃
28 लेकिन अगर उसमें इतना मक़दूर न हो कि अपनी ज़मीन वापस करा ले, तो जो कुछ सन बेच डाला है वह साल — ए — यूबली तक ख़रीदार के हाथ में रहे; और साल — ए — यूबली में छुट जाए, तब यह आदमी अपनी मिल्कियत का फिर मालिक हो जाए।
וְאִ֨ם לֹֽא־מֽ͏ָצְאָ֜ה יָדֹ֗ו דֵּי֮ הָשִׁ֣יב לֹו֒ וְהָיָ֣ה מִמְכָּרֹ֗ו בְּיַד֙ הַקֹּנֶ֣ה אֹתֹ֔ו עַ֖ד שְׁנַ֣ת הַיֹּובֵ֑ל וְיָצָא֙ בַּיֹּבֵ֔ל וְשָׁ֖ב לַאֲחֻזָּתֹֽו׃
29 और अगर कोई शख़्स रहने के ऐसे मकान को बेचे जो किसी फ़सीलदार शहर में हो, तो वह उसके बिक जाने के बाद साल भर के अन्दर — अन्दर उसे छुड़ा सकेगा; या'नी पूरे एक साल तक वह उसे छुड़ाने का हक़दार रहेगा।
וְאִ֗ישׁ כִּֽי־יִמְכֹּ֤ר בֵּית־מֹושַׁב֙ עִ֣יר חֹומָ֔ה וְהָיְתָה֙ גְּאֻלָּתֹ֔ו עַד־תֹּ֖ם שְׁנַ֣ת מִמְכָּרֹ֑ו יָמִ֖ים תִּהְיֶ֥ה גְאֻלָּתֹֽו׃
30 और अगर वह पूरे एक साल की मी'आद के अन्दर छुड़ाया न जाए, तो उस फ़सीलदार शहर के मकान पर ख़रीदार का नसल — दर — नसल हमेशा का क़ब्ज़ा हो जाए और वह साल — ए — यूबली में भी न छूटे।
וְאִ֣ם לֹֽא־יִגָּאֵ֗ל עַד־מְלֹ֣את לֹו֮ שָׁנָ֣ה תְמִימָה֒ וְ֠קָם הַבַּ֨יִת אֲשֶׁר־בָּעִ֜יר אֲשֶׁר־לֹא (לֹ֣ו) חֹמָ֗ה לַצְּמִיתֻ֛ת לַקֹּנֶ֥ה אֹתֹ֖ו לְדֹרֹתָ֑יו לֹ֥א יֵצֵ֖א בַּיֹּבֵֽל׃
31 लेकिन जिन देहात के गिर्द कोई फ़सील नहीं उनके मकानों का हिसाब मुल्क के खेतों की तरह होगा, वह छुड़ाए भी जा सकेंगे और साल — ए — यूबली में वह छूट भी जाएँगे।
וּבָתֵּ֣י הַחֲצֵרִ֗ים אֲשֶׁ֨ר אֵין־לָהֶ֤ם חֹמָה֙ סָבִ֔יב עַל־שְׂדֵ֥ה הָאָ֖רֶץ יֵחָשֵׁ֑ב גְּאֻלָּה֙ תִּהְיֶה־לֹּ֔ו וּבַיֹּבֵ֖ל יֵצֵֽא׃
32 तो भी लावियों के जो शहर हैं, लावी अपनी मिल्कियत के शहरों के मकानों को चाहे किसी वक़्त छुड़ा लें।
וְעָרֵי֙ הַלְוִיִּ֔ם בָּתֵּ֖י עָרֵ֣י אֲחֻזָּתָ֑ם גְּאֻלַּ֥ת עֹולָ֖ם תִּהְיֶ֥ה לַלְוִיִּֽם׃
33 और अगर कोई दूसरा लावी उनको छुड़ा ले, तो वह मकान जो बेचा गया और उसकी मिल्कियत का शहर दोनों साल ए — यूबली में छूट जाएँ; क्यूँकि जो मकान लावियों के शहरों में हैं वही बनी — इस्राईल के बीच लावियों की मिल्कियत हैं।
וַאֲשֶׁ֤ר יִגְאַל֙ מִן־הַלְוִיִּ֔ם וְיָצָ֧א מִמְכַּר־בַּ֛יִת וְעִ֥יר אֲחֻזָּתֹ֖ו בַּיֹּבֵ֑ל כִּ֣י בָתֵּ֞י עָרֵ֣י הַלְוִיִּ֗ם הִ֚וא אֲחֻזָּתָ֔ם בְּתֹ֖וךְ בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃
34 लेकिन उनके शहरों की 'इलाक़े के खेत नहीं बिक सकते, क्यूँकि वह उनकी हमेशा की मिल्कियत हैं।
וּֽשְׂדֵ֛ה מִגְרַ֥שׁ עָרֵיהֶ֖ם לֹ֣א יִמָּכֵ֑ר כִּֽי־אֲחֻזַּ֥ת עֹולָ֛ם ה֖וּא לָהֶֽם׃ ס
35 और अगर तेरा कोई भाई ग़रीब हो जाए और वह तेरे सामने तंगदस्त हो, तो तू उसे संभालना। वह परदेसी और मुसाफ़िर की तरह तेरे साथ रहे।
וְכִֽי־יָמ֣וּךְ אָחִ֔יךָ וּמָ֥טָה יָדֹ֖ו עִמָּ֑ךְ וְהֶֽחֱזַ֣קְתָּ בֹּ֔ו גֵּ֧ר וְתֹושָׁ֛ב וָחַ֖י עִמָּֽךְ׃
36 तू उससे सूद या नफ़ा' मत लेना बल्कि अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ रखना, ताकि तेरा भाई तेरे साथ ज़िन्दगी बसर कर सके।
אַל־תִּקַּ֤ח מֵֽאִתֹּו֙ נֶ֣שֶׁךְ וְתַרְבִּ֔ית וְיָרֵ֖אתָ מֽ͏ֵאֱלֹהֶ֑יךָ וְחֵ֥י אָחִ֖יךָ עִמָּֽךְ׃
37 तू अपना रुपया उसे सूद पर मत देना और अपना खाना भी उसे नफ़े' के ख़याल से न देना।
אֶ֨ת־כַּסְפְּךָ֔ לֹֽא־תִתֵּ֥ן לֹ֖ו בְּנֶ֑שֶׁךְ וּבְמַרְבִּ֖ית לֹא־תִתֵּ֥ן אָכְלֶֽךָ׃
38 मैं ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा हूँ, जो तुम को इसी लिए मुल्क — ए — मिस्र से निकाल कर लाया कि मुल्क — ए — कना'न तुम को दूँ और तुम्हारा ख़ुदा ठहरूँ।
אֲנִ֗י יְהוָה֙ אֱלֹ֣הֵיכֶ֔ם אֲשֶׁר־הֹוצֵ֥אתִי אֶתְכֶ֖ם מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם לָתֵ֤ת לָכֶם֙ אֶת־אֶ֣רֶץ כְּנַ֔עַן לִהְיֹ֥ות לָכֶ֖ם לֵאלֹהִֽים׃ ס
39 'और अगर तेरा कोई भाई तेरे सामने ऐसा ग़रीब हो जाए कि अपने को तेरे हाथ बेच डाले, तो तू उससे गु़लाम की तरह ख़िदमत न लेना।
וְכִֽי־יָמ֥וּךְ אָחִ֛יךָ עִמָּ֖ךְ וְנִמְכַּר־לָ֑ךְ לֹא־תַעֲבֹ֥ד בֹּ֖ו עֲבֹ֥דַת עָֽבֶד׃
40 बल्कि वह मज़दूर और मुसाफ़िर की तरह तेरे साथ रहे और साल — ए — यूबली तक तेरी ख़िदमत करे।
כְּשָׂכִ֥יר כְּתֹושָׁ֖ב יִהְיֶ֣ה עִמָּ֑ךְ עַד־שְׁנַ֥ת הַיֹּבֵ֖ל יַעֲבֹ֥ד עִמָּֽךְ׃
41 उसके बाद वह बाल — बच्चों के साथ तेरे पास से चला जाए, और अपने घराने के पास और अपने बाप दादा की मिल्कियत की जगह को लौट जाए।
וְיָצָא֙ מֵֽעִמָּ֔ךְ ה֖וּא וּבָנָ֣יו עִמֹּ֑ו וְשָׁב֙ אֶל־מִשְׁפַּחְתֹּ֔ו וְאֶל־אֲחֻזַּ֥ת אֲבֹתָ֖יו יָשֽׁוּב׃
42 इसलिए कि वह मेरे ख़ादिम हैं जिनको मैं मुल्क — ए — मिस्र से निकाल कर लाया हूँ, वह ग़ुलामों की तरह बेचे न जाएँ।
כִּֽי־עֲבָדַ֣י הֵ֔ם אֲשֶׁר־הֹוצֵ֥אתִי אֹתָ֖ם מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם לֹ֥א יִמָּכְר֖וּ מִמְכֶּ֥רֶת עָֽבֶד׃
43 तू उन पर सख़्ती से हुक्मरानी न करना, बल्कि अपने ख़ुदा से डरते रहना।
לֹא־תִרְדֶּ֥ה בֹ֖ו בְּפָ֑רֶךְ וְיָרֵ֖אתָ מֵאֱלֹהֶֽיךָ׃
44 और तेरे जो ग़ुलाम और तेरी जो लौंडियाँ हों, वह उन क़ौमों में से हों जो तुम्हारे चारों तरफ़ रहती हैं; उन ही में से तुम गु़लाम और लौंडियाँ ख़रीदा करना।
וְעַבְדְּךָ֥ וַאֲמָתְךָ֖ אֲשֶׁ֣ר יִהְיוּ־לָ֑ךְ מֵאֵ֣ת הַגֹּויִ֗ם אֲשֶׁר֙ סְבִיבֹ֣תֵיכֶ֔ם מֵהֶ֥ם תִּקְנ֖וּ עֶ֥בֶד וְאָמָֽה׃
45 इनके सिवा उन परदेसियों के लड़के बालों में से भी जो तुम में क़याम करते हैं और उनके घरानों में से जो तुम्हारे मुल्क में पैदा हुए और तुम्हारे साथ हैं तुम ख़रीदा करना और वह तुम्हारी ही मिल्कियत होंगे।
וְ֠גַם מִבְּנֵ֨י הַתֹּושָׁבִ֜ים הַגָּרִ֤ים עִמָּכֶם֙ מֵהֶ֣ם תִּקְנ֔וּ וּמִמִּשְׁפַּחְתָּם֙ אֲשֶׁ֣ר עִמָּכֶ֔ם אֲשֶׁ֥ר הֹולִ֖ידוּ בְּאַרְצְכֶ֑ם וְהָי֥וּ לָכֶ֖ם לֽ͏ַאֲחֻזָּֽה׃
46 और तुम उनको मीरास के तौर पर अपनी औलाद के नाम कर देना कि वह उनकी मौरूसी मिल्कियत हों। इनमें से तुम हमेशा अपने लिए ग़ुलाम लिया करना; लेकिन बनी — इस्राईल जो तुम्हारे भाई हैं, उनमें से किसी पर तुम सख़्ती से हुक्मरानी न करना।
וְהִתְנַחֲלְתֶּ֨ם אֹתָ֜ם לִבְנֵיכֶ֤ם אַחֲרֵיכֶם֙ לָרֶ֣שֶׁת אֲחֻזָּ֔ה לְעֹלָ֖ם בָּהֶ֣ם תַּעֲבֹ֑דוּ וּבְאַ֨חֵיכֶ֤ם בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵל֙ אִ֣ישׁ בְּאָחִ֔יו לֹא־תִרְדֶּ֥ה בֹ֖ו בְּפָֽרֶךְ׃ ס
47 “और अगर कोई परदेसी या मुसाफ़िर जो तेरे साथ हो, दौलतमन्द हो जाए और तेरा भाई उसके सामने ग़रीब हो कर अपने आप को उस परदेसी या मुसाफ़िर या परदेसी के ख़ान्दान के किसी आदमी के हाथ बेच डाले,
וְכִ֣י תַשִּׂ֗יג יַ֣ד גֵּ֤ר וְתֹושָׁב֙ עִמָּ֔ךְ וּמָ֥ךְ אָחִ֖יךָ עִמֹּ֑ו וְנִמְכַּ֗ר לְגֵ֤ר תֹּושָׁב֙ עִמָּ֔ךְ אֹ֥ו לְעֵ֖קֶר מִשְׁפַּ֥חַת גֵּֽר׃
48 तो बिक जाने के बाद वह छुड़ाया जा सकता है, उसके भाइयों में से कोई उसे छुड़ा सकता है,
אַחֲרֵ֣י נִמְכַּ֔ר גְּאֻלָּ֖ה תִּהְיֶה־לֹּ֑ו אֶחָ֥ד מֵאֶחָ֖יו יִגְאָלֶֽנּוּ׃
49 या उसका चचा या ताऊ, या उसके चचा या ताऊ का बेटा, या उसके ख़ान्दान का कोई और आदमी जो उसका क़रीबी रिश्तेदार हो वह उस को छुड़ा सकता है; या अगर वह मालदार हो जाए, तो वह अपना फ़िदिया दे कर छूट सकता है।
אֹו־דֹדֹ֞ו אֹ֤ו בֶן־דֹּדֹו֙ יִגְאָלֶ֔נּוּ אֹֽו־מִשְּׁאֵ֧ר בְּשָׂרֹ֛ו מִמִּשְׁפַּחְתֹּ֖ו יִגְאָלֶ֑נּוּ אֹֽו־הִשִּׂ֥יגָה יָדֹ֖ו וְנִגְאָֽל׃
50 वह अपने ख़रीदार के साथ अपने को फ़रोख़्त कर देने के साल से लेकर साल — ए — यूबली तक हिसाब करे और उसके बिकने की क़ीमत बरसों की ता'दाद के मुताबिक़ हो; या'नी उसका हिसाब मज़दूर के दिनों की तरह उसके साथ होगा।
וְחִשַּׁב֙ עִם־קֹנֵ֔הוּ מִשְּׁנַת֙ הִמָּ֣כְרֹו לֹ֔ו עַ֖ד שְׁנַ֣ת הַיֹּבֵ֑ל וְהָיָ֞ה כֶּ֤סֶף מִמְכָּרֹו֙ בְּמִסְפַּ֣ר שָׁנִ֔ים כִּימֵ֥י שָׂכִ֖יר יִהְיֶ֥ה עִמֹּֽו׃
51 अगर यूबली के अभी बहुत से बरस बाक़ी हों, तो जितने रुपयों में वह ख़रीदा गया था उनमें से अपने छूटने की क़ीमत उतने ही बरसों के हिसाब के मुताबिक़ फेर दे।
אִם־עֹ֥וד רַבֹּ֖ות בַּשָּׁנִ֑ים לְפִיהֶן֙ יָשִׁ֣יב גְּאֻלָּתֹ֔ו מִכֶּ֖סֶף מִקְנָתֹֽו׃
52 और अगर साल — ए — यूबली के थोड़े से बरस रह गए हों, तो वह उसके साथ हिसाब करे और अपने छूटने की क़ीमत उतने ही बरसों के मुताबिक़ उसे फेर दे;
וְאִם־מְעַ֞ט נִשְׁאַ֧ר בַּשָּׁנִ֛ים עַד־שְׁנַ֥ת הַיֹּבֵ֖ל וְחִשַּׁב־לֹ֑ו כְּפִ֣י שָׁנָ֔יו יָשִׁ֖יב אֶת־גְּאֻלָּתֹֽו׃
53 और वह उस मज़दूर की तरह अपने आक़ा के साथ रहे जिसकी मज़दूरी साल — ब — साल ठहराई जाती हो, और उसका आक़ा उस पर तुम्हारे सामने सख़्ती से हुकूमत न करने पाए।
כִּשְׂכִ֥יר שָׁנָ֛ה בְּשָׁנָ֖ה יִהְיֶ֣ה עִמֹּ֑ו לֹֽא־יִרְדֶּ֥נּֽוּ בְּפֶ֖רֶךְ לְעֵינֶֽיךָ׃
54 और अगर वह इन तरीक़ों से छुड़ाया न जाए तो साल — ए — यूबली में बाल बच्चों के साथ छूट जाए।
וְאִם־לֹ֥א יִגָּאֵ֖ל בְּאֵ֑לֶּה וְיָצָא֙ בִּשְׁנַ֣ת הַיֹּבֵ֔ל ה֖וּא וּבָנָ֥יו עִמֹּֽו׃
55 क्यूँकि बनी — इस्राईल मेरे लिए ख़ादिम हैं, वह मेरे ख़ादिम हैं जिनको मैं मुल्क — ए — मिस्र से निकाल कर लाया हूँ; मैं ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा हूँ।
כִּֽי־לִ֤י בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵל֙ עֲבָדִ֔ים עֲבָדַ֣י הֵ֔ם אֲשֶׁר־הֹוצֵ֥אתִי אֹותָ֖ם מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם אֲנִ֖י יְהוָ֥ה אֱלֹהֵיכֶֽם׃

< अह 25 >