< अह 16 >

1 और हारून के दो बेटों की वफ़ात के बाद जब वह ख़ुदावन्द के नज़दीक आए और मर गए।
وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى بَعْدَ وَفَاةِ ابْنَيْ هَرُونَ، عِنْدَمَا اقْتَرَبَا أَمَامَ الرَّبِّ فَمَاتَا:١
2 ख़ुदावन्द मूसा से हम कलाम हुआ; और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा, अपने भाई हारून से कह कि वह हर वक़्त पर्दे के अन्दर के पाकतरीन मक़ाम में सरपोश के पास जो सन्दूक के ऊपर है न आया करे, ताकि वह मर न जाए; क्यूँकि मैं सरपोश पर बादल में दिखाई दूँगा।
«كَلِّمْ أَخَاكَ هَرُونَ وَحَذِّرْهُ مِنَ الدُّخُولِ فِي كُلِّ وَقْتٍ إِلَى قُدْسِ الأَقْدَاسِ، وَرَاءَ الْحِجَابِ أَمَامَ غِطَاءِ التَّابُوتِ، لِئَلّا يَمُوتَ، لأَنَّنِي أَتَجَلَّى فِي السَّحَابِ عَلَى الْغِطَاءِ.٢
3 और हारून पाकतरीन मक़ाम में इस तरह आए कि ख़ता की क़ुर्बानी के लिए एक बछड़ा और सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए एक मेंढा लाए।
بِهَذَا يَدْخُلُ هَرُونُ إِلَى الْقُدْسِ: يَأْتِي بِثَوْرٍ لِذَبِيحَةِ خَطِيئَةٍ وَكَبْشٍ لِمُحْرَقَةٍ،٣
4 और वह कतान का पाक कुरता पहने, और उसके तन पर कतान का पाजामा हो, और कतान के कमरबन्द से उसकी कमर कसी हुई हो, और कतान ही का 'अमामा उसके सिर पर बँधा हो; यह पाक लिबास हैं और वह इन को पानी से नहा कर पहने
وَعَلَيْهِ أَنْ يَلْبَسَ قَمِيصَ كَتَّانٍ مُقَدَّساً، وَيَرْتَدِيَ فَوْقَ جَسَدِهِ سَرَاوِيلَ كَتَّانٍ، وَيَتَنَطَّقَ بِحِزَامِ كَتَّانٍ، وَيَتَعَمَّمَ بِعِمَامَةِ كَتَّانٍ، بَعْدَ أَنْ يَغْتَسِلَ بِمَاءٍ. إِنَّهَا ثِيَابٌ مُقَدَّسَةٌ.٤
5 और बनी — इस्राईल की जमा'अत से ख़ता की क़ुर्बानी के लिए दो बकरे और सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए एक मेंढा ले।
يَأْخُذُ مِنْ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ تَيْسَيْنِ مِنَ الْمَعْزِ لِذَبِيحَةِ الْخَطِيئَةِ، وَكَبْشاً وَاحِداً لِيَكُونَ مُحْرَقَةً،٥
6 और हारून ख़ता की क़ुर्बानी के बछड़े को जो उसकी तरफ़ से है पेश कर अपने और अपने घर के लिए कफ़्फ़ारा दे।
فَيُقَرِّبُ هَرُونُ ثَوْرَ الْخَطِيئَةِ تَكْفِيراً عَنْ نَفْسِهِ وَعَنْ أُسْرَتِهِ،٦
7 फिर उन दोनों बकरों को लेकर उन को ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर ख़ुदावन्द के सामने खड़ा करे।
ثُمَّ يَأْخُذُ التَّيْسَيْنِ وَيُقَدِّمُهُمَا أَمَامَ الرَّبِّ عِنْدَ مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ،٧
8 और हारून उन दोनों बकरों पर चिट्ठियाँ डाले, एक चिट्ठी ख़ुदावन्द के लिए और दूसरी 'अज़ाज़ेल के लिए हो।
وَيُلْقِي عَلَيْهِمَا قُرْعَتَيْنِ: قُرْعَةً لِلرَّبِّ وَقُرْعَةً لِعَزَازِيلَ (كَبْشِ الْفِدَاءِ).٨
9 और जिस बकरे पर ख़ुदावन्द के नाम की चिट्ठी निकले उसे हारून लेकर ख़ता की क़ुर्बानी के लिए अदा करे;
وَيُقَرِّبُ هَرُونُ التَّيْسَ الَّذِي وَقَعَتْ عَلَيْهِ قُرْعَةُ الرَّبِّ وَيُصْعِدُهُ ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ،٩
10 लेकिन जिस बकरे पर 'अज़ाज़ेल के नाम की चिट्ठी निकले वह ख़ुदावन्द के सामने ज़िन्दा खड़ा किया जाए, ताकि उससे कफ़्फ़ारा दिया जाए और वह 'अज़ाज़ेल के लिए वीराने में छोड़ दिया जाए।
وَأَمَّا التَّيْسُ الَّذِي وَقَعَتْ عَلَيْهِ قُرْعَةُ عَزَازِيلَ، فَيُوْقِفُهُ حَيًّا أَمَامَ الرَّبِّ لِيُكَفِّرَ عَنْهُ، ثُمَّ يُطْلِقُهُ إِلَى الصَّحْرَاءِ، فَهُوَ كَبْشُ فِدَاءٍ.١٠
11 “और हारून ख़ता की क़ुर्बानी के बछड़े की जो उस की तरफ़ से है, आगे लाकर अपने और अपने घर के लिए कफ़्फ़ारा दे, और उस बछड़े को जो उस की तरफ़ से ख़ता की क़ुर्बानी के लिए है ज़बह करे।
وَبَعْدَ أَنْ يُقَدِّمَ هَرُونُ ثَوْرَ الْخَطِيئَةِ تَكْفِيراً عَنْ نَفْسِهِ وَعَنْ أُسْرَتِهِ وَيَذْبَحَهُ،١١
12 और वह एक ख़ुशबूदान को ले जिसमें ख़ुदावन्द के मज़बह पर की आग के अंगारे भर हों और अपनी मुठ्ठियाँ बारीक ख़ुशबूदार ख़ुशबू से भर ले और उसे पर्दे के अन्दर लाए
يَمْلأُ الْمِجْمَرَةَ بِجَمْرِ نَارٍ مِنْ عَلَى الْمَذْبَحِ مِنْ أَمَامِ الرَّبِّ، وَيَأْخُذُ مِلْءَ قَبْضَتِهِ مِنَ الْبَخُورِ الْعَطِرِ الدَّقِيقِ وَيَدْخُلُ بِهِمَا إِلَى مَا وَرَاءِ الْحِجَابِ.١٢
13 और उस ख़ुशबू को ख़ुदावन्द के सामने आग में डाले, ताकि ख़ुशबू का धुआँ सरपोश को जो शहादत के सन्दूक के ऊपर है छिपा ले, कि वह हलाक न हो।
وَيَضَعُ الْبَخُورَ عَلَى النَّارِ فِي حَضْرَةِ الرَّبِّ، فَتُغَشِّي سَحَابَةُ الْبَخُورِ غِطَاءَ التَّابُوتِ، فَلا يَمُوتُ.١٣
14 फिर वह उस बछड़े का कुछ ख़ून लेकर उसे अपनी उँगली से पूरब की तरफ़ सरपोश के ऊपर छिड़के, और सरपोश के आगे भी कुछ ख़ून अपनी उँगली से सात बार छिड़के।
ثُمَّ يَأْخُذُ بَعْضَ دَمِ الثَّوْرِ وَيَرُشُّ بِإِصْبَعِهِ عَلَى وَجْهِ الْجُزْءِ الشَّرْقِيِّ مِنْ غِطَاءِ التَّابُوتِ، كَمَا يَرُشُّ مِنَ الدَّمِ بِإِصْبَعِهِ سَبْعَ مَرَّاتٍ أَمَامَ الْغِطَاءِ.١٤
15 फिर वह ख़ता की क़ुर्बानी के उस बकरे को ज़बह करे जो जमा'अत की तरफ़ से है और उसके ख़ून को पर्दे के अन्दर लाकर जो कुछ उसने बछड़े के ख़ून से किया था वही इससे भी करे, और उसे सरपोश के ऊपर और उसके सामने छिड़के।
وَيَذْبَحُ تَيْسَ الْخَطِيئَةِ الْمُقَدَّمَ مِنَ الشَّعْبِ، وَيَدْخُلُ بِدَمِهِ إِلَى مَا وَرَاءَ الْحِجَابِ، وَيَرُشُّ مِنْ دَمِهِ كَمَا رَشَّ مِنْ دَمِ الثَّوْرِ عَلَى الْغِطَاءِ وَأَمَامَهُ،١٥
16 और बनी — इस्राईल की सारी नापाकियों, और गुनाहों, और ख़ताओं की वजह से पाकतरीन मक़ाम के लिए कफ़्फ़ारा दे; और ऐसा ही वह ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के लिए भी करे जो उनके साथ उन की नापाकियों के बीच रहता है।
فَيُكَفِّرُ عَنِ الْقُدْسِ مِنْ نَجَاسَاتِ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَسَيِّئَاتِهِمْ وَسَائِرِ خَطَايَاهُمْ. وَمِثْلَ ذَلِكَ يَفْعَلُ لِخَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ الْقَائِمَةِ فِي وَسَطِهِمْ، مُحَاطَةٍ بِنَجَاسَاتِهِمْ.١٦
17 और जब वह कफ़्फ़ारा देने को पाकतरीन मक़ाम के अन्दर जाए, तो जब तक वह अपने और अपने घराने और बनी — इस्राईल की सारी जमा'अत के लिए कफ़्फ़ारा देकर बाहर न आ जाए उस वक़्त तक कोई आदमी ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के अन्दर न रहे
وَلا يَكُنْ أَحَدٌ فِي خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ عِنْدَ دُخُولِ هَرُونَ إِلَى قُدْسِ الأَقْدَاسِ لِلتَّكْفِيرِ عَنْ نَفْسِهِ وَعَنْ أُسْرَتِهِ وَعَنْ كُلِّ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ، وَإِلَى وَقْتِ خُرُوجِهِ.١٧
18 फिर वह निकल कर उस मज़बह के पास जो ख़ुदावन्द के सामने है जाए और उसके लिए कफ़्फ़ारा दे, और उस बछड़े और बकरे का थोड़ा — थोड़ा सा ख़ून लेकर मज़बह के सींगों पर चारों तरफ़ लगाए;
ثُمَّ يَأْتِي إِلَى الْمَذْبَحِ الْقَائِمِ فِي حَضْرَةِ الرَّبِّ وَيُكَفِّرُ عَنْهُ، فَيَأْخُذُ مِنْ دَمِ الثَّوْرِ وَمِنْ دَمِ التَّيْسِ، وَيَضَعُ مِنْهُمَا عَلَى قُرُونِ جَوَانِبِ الْمَذْبَحِ.١٨
19 और कुछ ख़ून उसके ऊपर सात बार अपनी उँगली से छिड़के और उसे बनी — इस्राईल की नापाकियों से पाक और पाक करे।
وَيَرُشُّ عَلَيْهِ مِنَ الدَّمِ بِإِصْبَعِهِ سَبْعَ مَرَّاتٍ وَيُطَهِّرُهُ وَيُقَدِّسُهُ مِنْ نَجَاسَاتِ بَنِي إِسْرَائِيلَ.١٩
20 और जब वह पाकतरीन मक़ाम और ख़ेमा — ए — इजितमा'अ और मज़बह के लिए कफ़्फ़ारा दे चुके तो उस ज़िन्दा बकरे को आगे लाए;
وَعِنْدَمَا يَنْتَهِي مِنَ التَّكْفِيرِ عَنْ قُدْسِ الأَقْدَاسِ، وَعَنْ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، وَعَنِ الْمَذْبَحِ، يَأْتِي بِالتَّيْسِ الْحَيِّ،٢٠
21 और हारून अपने दोनों हाथ उस ज़िन्दा बकरे के सिर पर रख कर उसके ऊपर बनी — इस्राईल की सब बदकारियों, और उनके सब गुनाहों, और ख़ताओं का इक़रार करे और उन को उस बकरे के सिर पर धर कर उसे किसी शख़्स के हाथ जो इस काम के लिए तैयार ही वीरान में भिजवा दे।
وَيَضَعُ هَرُونُ يَدَيْهِ عَلَى رَأْسِهِ، وَيَعْتَرِفُ بِجَمِيعِ خَطَايَا بَنِي إِسْرَائِيلَ وَسَيِّئَاتِهِمْ وَذُنُوبِهِمْ، وَيُحَمِّلُهَا عَلَى رَأْسِ التَّيْسِ، ثُمَّ يُطْلِقُهُ إِلَى الصَّحْرَاءِ مَعَ شَخْصٍ تَمَّ اخْتِيَارُهُ لِذَلِكَ.٢١
22 और वह बकरा उनकी सब बदकारियाँ अपने ऊपर लादे हुए किसी वीरान में ले जाएगा, इसलिए वह उस बकरे को वीराने में छोड़े दे।
فَيَحْمِلُ التَّيْسُ ذُنُوبَ الشَّعْبِ كُلَّهَا إِلَى أَرْضٍ مُقْفِرَةٍ، وَهُنَاكَ يُطْلِقُهُ فِي الصَّحْرَاءِ.٢٢
23 “फिर हारून ख़ेमा — ए — इजितमा'अ में आकर कतान के सारे लिबास को जिसे उसने पाकतरीन मक़ाम में जाते वक़्त पहना था उतारे और उसकी वहीं रहने दे।
ثُمَّ يَدْخُلُ هَرُونُ إِلَى خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، حَيْثُ يَخْلَعُ الْمَلابِسَ الْكَتَّانِيَّةَ الَّتِي ارْتَدَاهَا عِنْدَ دُخُولِهِ إِلَى قُدْسِ الأَقْدَاسِ وَيَضَعُهَا هُنَاكَ،٢٣
24 फिर वह किसी पाक जगह में पानी से ग़ुस्ल करके अपने कपड़े पहन ले, और बाहर आ कर अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानी और जमा'त की सोख़्तनी क़ुर्बानी पेश करे और अपने लिए और जमा'अत के लिए कफ़्फ़ारा दे।
وَيَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ فِي مَكَانٍ مُقَدَّسٍ، ثُمَّ يَرْتَدِي ثِيَابَهُ وَيَخْرُجُ لِيُصْعِدَ مُحْرَقَتَهُ وَمُحْرَقَةَ الشَّعْبِ، وَيُكَفِّرَ عَنْ نَفْسِهِ وَعَنِ الشَّعْبِ،٢٤
25 और ख़ता की क़ुर्बानी की चर्बी को मज़बह पर जलाए।
وَيُحْرِقَ شَحْمَ ذَبِيحَةِ الْخَطِيئَةِ عَلَى الْمَذْبَحِ،٢٥
26 और जो आदमी बकरे को 'अज़ाज़ेल के लिए छोड़ कर आए, वह अपने कपड़े धोए और पानी से नहाए, इसके बाद वह लश्करगाह में दाख़िल हो।
وَيَغْسِلَ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمَّ بِمَاءٍ، وَبَعْدَ ذَلِكَ يَدْخُلُ إِلَى الْمُخَيَّمِ.٢٦
27 और ख़ता की क़ुर्बानी के बछड़े को और ख़ता की क़ुर्बानी के बकरे को जिन का ख़ून पाकतरीन मक़ाम में कफ़्फ़ारे के लिए पहुँचाया जाए, उन को वह लश्करगाह से बाहर ले जाएँ, और उनकी खाल और गोश्त और फुज़लात को आग में जला दें:
ثُمَّ يُخْرِجُ هَرُونُ ثَوْرَ الْخَطِيئَةِ وَتَيْسَ الْخَطِيئَةِ اللَّذَيْنِ كَفَّرَ بِدَمِهِمَا فِي قُدْسِ الأَقْدَاسِ إِلَى خَارِجِ الْمُخَيَّمِ، وَتُحْرِقُونَهُمَا بِالنَّارِ: جِلْدَيْهِمَا وَلَحْمَهُمَا وَرَوْثَهُمَا،٢٧
28 और जो उन को जलाए वह अपने कपड़े धोए और पानी से ग़ुस्ल करे, उसके बाद वह लश्करगाह में दाख़िल हो।
وَعَلَى مَنْ يُحْرِقُهُمَا أَنْ يَغْسِلَ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمَّ بِمَاءٍ، وَبَعْدَ ذَلِكَ يَدْخُلُ إِلَى الْمُخَيَّمِ.٢٨
29 “और यह तुम्हारे लिए एक हमेशा का क़ानून हो कि सातवें महीने की दसवीं तारीख़ को तुम अपनी अपनी जान को दुख देना, और उस दिन कोई चाहे वह देसी हो या परदेसी जो तुम्हारे बीच बूद — ओ — बाश रखता हो किसी तरह का काम न करे;
وَإِلَيْكُمْ هَذِهِ الشَّرِيعَةَ الدَّائِمَةَ: إِنَّكُمْ فِي الْيَوْمِ الْعَاشِرِ مِنَ الشَّهْرِ السَّابِعِ (أَيْ شَهْرِ أَيْلُولَ – سِبْتَمْبَر) تَتَذَلَّلُونَ وَلا تَقُومُونَ بِأَيِّ عَمَلٍ. الْمُوَاطِنُ وَالْغَرِيبُ النَّازِلُ فِي وَسَطِكُمْ عَلَى حَدٍّ سَوَاءٍ،٢٩
30 क्यूँकि उस रोज़ तुम्हारे लिए तुम को पाक करने के लिए कफ़्फ़ारा दिया जाएगा, इसलिए तुम अपने सब गुनाहों से ख़ुदावन्द के सामने पाक ठहरोगे।
لأَنَّهُ فِي هَذَا الْيَوْمِ يَجْرِي التَّكْفِيرُ عَنْكُمْ، فَتَطْهُرُونَ مِنْ جَمِيعِ خَطَايَاكُمْ أَمَامَ الرَّبِّ.٣٠
31 यह तुम्हारे लिए ख़ास आराम का सबत होगा। तुम उस दिन अपनी अपनी जान को दुख देना; यह हमेशा का क़ानून है।
إِنَّهُ يَوْمُ رَاحَةٍ مُقَدَّسَةٍ لَكُمْ تَتَذَلَّلُونَ فِيهِ، فَرِيضَةً دَائِمَةً.٣١
32 और जो अपने बाप की जगह काहिन होने के लिए मसह और मख़्सूस किया जाए, वह काहिन कफ़्फ़ारा दिया करे; या'नी कतान के पाक लिबास को पहनकर
وَيَقُومُ الْكَاهِنُ الْمَمْسُوحُ وَالْمُكَرَّسُ الَّذِي يَخْلِفُ وَالِدَهُ عَلَى رَئَاسَةِ الْكَهَنَةِ بِفَرَائِضِ التَّكْفِيرِ وَهُوَ لابِسٌ ثِيَابَ الْكَتَّانِ الْمُقَدَّسَةَ،٣٢
33 वह हैकल के लिए कफ़्फ़ारा दे, और ख़ेमा — ए — इजितमा'अ और मज़बह के लिए कफ़्फ़ारा दे, और काहिनों और जमा'अत के सब लोगों के लिए कफ़्फ़ारा दे।
فَيُكَفِّرُ عَنْ قُدْسِ الأَقْدَاسِ، وَعَنْ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، وَالْمَذْبَحِ، وَيُكَفِّرُ أَيْضاً عَنِ الْكَهَنَةِ وَعَنْ كُلِّ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ.٣٣
34 इसलिए यह तुम्हारे लिए एक हमेशा क़ानून हो कि तुम बनी — इस्राईल के लिए साल में एक दफ़ा' उनके सब गुनाहों का कफ़्फ़ारा दो।” और उसने जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा को हुक्म दिया था वैसा ही किया।
وَتَكُونُ هَذِهِ لَكُمْ فَرِيضَةً دَائِمَةً لِلتَّكْفِيرِ عَنْ جَمِيعِ خَطَايَا بَنِي إِسْرَائِيلَ، مَرَّةً فِي السَّنَةِ». فَنَفَّذَ هَرُونُ مَا أَمَرَ بِهِ مُوسَى.٣٤

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