< क़ुजा 18 >

1 उन दिनों इस्राईल में कोई बादशाह न था, और उन ही दिनों में दान का क़बीला अपने रहने के लिए मीरास ढूँडता था, क्यूँकि उनको उस दिन तक इस्राईल के क़बीलों में मीरास नहीं मिली थी।
בַּיָּמִים הָהֵם אֵין מֶלֶךְ בְּיִשְׂרָאֵל וּבַיָּמִים הָהֵם שֵׁבֶט הַדָּנִי מְבַקֶּשׁ־לוֹ נַֽחֲלָה לָשֶׁבֶת כִּי לֹא־נָפְלָה לּוֹ עַד־הַיּוֹם הַהוּא בְּתוֹךְ־שִׁבְטֵי יִשְׂרָאֵל בְּנַחֲלָֽה׃
2 इसलिए बनी दान ने अपने सारे शुमार में से पाँच सूर्माओं को सुर'आ और इस्ताल से रवाना किया, ताकि मुल्क का हाल दरियाफ़्त करें और उसे देखें भालें और उनसे कह दिया कि जाकर उस मुल्क को देखो भालो। इसलिए वह इफ़्राईम के पहाड़ी मुल्क में मीकाह के घर आए और वहीं उतरे।
וַיִּשְׁלְחוּ בְנֵי־דָן ׀ מִֽמִּשְׁפַּחְתָּם חֲמִשָּׁה אֲנָשִׁים מִקְצוֹתָם אֲנָשִׁים בְּנֵי־חַיִל מִצׇּרְעָה וּמֵאֶשְׁתָּאֹל לְרַגֵּל אֶת־הָאָרֶץ וּלְחׇקְרָהּ וַיֹּאמְרוּ אֲלֵהֶם לְכוּ חִקְרוּ אֶת־הָאָרֶץ וַיָּבֹאוּ הַר־אֶפְרַיִם עַד־בֵּית מִיכָה וַיָּלִינוּ שָֽׁם׃
3 जब वह मीकाह के घर के पास पहुँचे, तो उस लावी जवान की आवाज़ पहचानी, पस वह उधर को मुड़ गए और उससे कहने लगे, “तुझ को यहाँ कौन लाया? तू यहाँ क्या करता है और यहाँ तेरा क्या है?”
הֵמָּה עִם־בֵּית מִיכָה וְהֵמָּה הִכִּירוּ אֶת־קוֹל הַנַּעַר הַלֵּוִי וַיָּסוּרוּ שָׁם וַיֹּאמְרוּ לוֹ מִֽי־הֱבִיאֲךָ הֲלֹם וּמָה־אַתָּה עֹשֶׂה בָּזֶה וּמַה־לְּךָ פֹֽה׃
4 उसने उनसे कहा, “मीकाह ने मुझ से ऐसा ऐसा सुलूक किया, और मुझे नौकर रख लिया है और मैं उसका काहिन बना हूँ।”
וַיֹּאמֶר אֲלֵהֶם כָּזֹה וְכָזֶה עָשָׂה לִי מִיכָה וַיִּשְׂכְּרֵנִי וָאֱהִי־לוֹ לְכֹהֵֽן׃
5 उन्होंने उससे कहा कि ख़ुदा से ज़रा सलाह ले, ताकि हम को मा'लूम हो जाए कि हमारा यह सफ़र मुबारक होगा या नहीं।
וַיֹּאמְרוּ לוֹ שְׁאַל־נָא בֵאלֹהִים וְנֵדְעָה הֲתַצְלִחַ דַּרְכֵּנוּ אֲשֶׁר אֲנַחְנוּ הֹלְכִים עָלֶֽיהָ׃
6 उस काहिन ने उनसे कहा, “सलामती से चले जाओ, क्यूँकि तुम्हारा यह सफ़र ख़ुदावन्द के हुज़ूर है।”
וַיֹּאמֶר לָהֶם הַכֹּהֵן לְכוּ לְשָׁלוֹם נֹכַח יְהֹוָה דַּרְכְּכֶם אֲשֶׁר תֵּלְכוּ־בָֽהּ׃
7 इसलिए वह पाँचों शख़्स चल निकले और लैस में आए। उन्होंने वहाँ के लोगों को देखा कि सैदानियों की तरह कैसे इत्मिनान और अम्न और चैन से रहते हैं; क्यूँकि उस मुल्क में कोई हाकिम नहीं था जो उनको किसी बात में ज़लील करता। वह सैदानियों से बहुत दूर थे, और किसी से उनको कुछ सरोकार न था।
וַיֵּֽלְכוּ חֲמֵשֶׁת הָאֲנָשִׁים וַיָּבֹאוּ לָיְשָׁה וַיִּרְאוּ אֶת־הָעָם אֲשֶׁר־בְּקִרְבָּהּ יוֹשֶֽׁבֶת־לָבֶטַח כְּמִשְׁפַּט צִדֹנִים שֹׁקֵט ׀ וּבֹטֵחַ וְאֵין־מַכְלִים דָּבָר בָּאָרֶץ יוֹרֵשׁ עֶצֶר וּרְחוֹקִים הֵמָּה מִצִּידֹנִים וְדָבָר אֵין־לָהֶם עִם־אָדָֽם׃
8 इसलिए वह सुर'आ और इस्ताल को अपने भाइयों के पास लौटे, और उनके भाइयों ने उनसे पूछा कि तुम क्या कहते हो?
וַיָּבֹאוּ אֶל־אֲחֵיהֶם צׇרְעָה וְאֶשְׁתָּאֹל וַיֹּאמְרוּ לָהֶם אֲחֵיהֶם מָה אַתֶּֽם׃
9 उन्होंने कहा, “चलो, हम उन पर चढ़ जाएँ; क्यूँकि हम ने उस मुल्क को देखा कि वह बहुत अच्छा है; और तुम क्या चुप चाप ही रहे? अब चलकर उस मुल्क पर क़ाबिज़ होने में सुस्ती न करो।
וַיֹּאמְרוּ קוּמָה וְנַעֲלֶה עֲלֵיהֶם כִּי רָאִינוּ אֶת־הָאָרֶץ וְהִנֵּה טוֹבָה מְאֹד וְאַתֶּם מַחְשִׁים אַל־תֵּעָצְלוּ לָלֶכֶת לָבֹא לָרֶשֶׁת אֶת־הָאָֽרֶץ׃
10 अगर तुम चले तो एक मुतम'इन क़ौम के पास पहुँचोगे, और वह मुल्क वसी' है; क्यूँकि ख़ुदा ने उसे तुम्हारे हाथ में कर दिया है। वह ऐसी जगह है जिसमें दुनिया की किसी चीज़ की कमी नहीं।”
כְּבֹאֲכֶם תָּבֹאוּ ׀ אֶל־עַם בֹּטֵחַ וְהָאָרֶץ רַחֲבַת יָדַיִם כִּֽי־נְתָנָהּ אֱלֹהִים בְּיֶדְכֶם מָקוֹם אֲשֶׁר אֵֽין־שָׁם מַחְסוֹר כׇּל־דָּבָר אֲשֶׁר בָּאָֽרֶץ׃
11 तब बनी दान के घराने के छ: सौ शख़्स जंग के हथियार बाँधे हुए सुर'आ और इस्ताल से रवाना हुए।
וַיִּסְעוּ מִשָּׁם מִמִּשְׁפַּחַת הַדָּנִי מִצׇּרְעָה וּמֵאֶשְׁתָּאֹל שֵֽׁשׁ־מֵאוֹת אִישׁ חָגוּר כְּלֵי מִלְחָמָֽה׃
12 और जाकर यहूदाह के क़रयत या'रीम में ख़ैमाज़न हुए। इसीलिए आज के दिन तक उस जगह को महने दान कहते हैं, और यह क़रयत या'रीम के पीछे है।
וַֽיַּעֲלוּ וַֽיַּחֲנוּ בְּקִרְיַת יְעָרִים בִּֽיהוּדָה עַל־כֵּן קָרְאוּ לַמָּקוֹם הַהוּא מַחֲנֵה־דָן עַד הַיּוֹם הַזֶּה הִנֵּה אַחֲרֵי קִרְיַת יְעָרִֽים׃
13 और वहाँ से चलकर इफ़्राईम के पहाड़ी मुल्क में पहुँचे और मीकाह के घर आए।
וַיַּעַבְרוּ מִשָּׁם הַר־אֶפְרָיִם וַיָּבֹאוּ עַד־בֵּית מִיכָֽה׃
14 तब वह पाँचों शख़्स जो लैस के मुल्क का हाल दरियाफ़्त करने गए थे, अपने भाइयों से कहने लगे, “क्या तुम को ख़बर है, कि इन घरों में एक अफ़ूद और तराफ़ीम और एक तराशा हुआ बुत और एक ढाला हुआ बुत है? इसलिए अब सोच लो कि तुम को क्या करना है।”
וַֽיַּעֲנוּ חֲמֵשֶׁת הָאֲנָשִׁים הַהֹלְכִים לְרַגֵּל אֶת־הָאָרֶץ לַיִשׁ וַיֹּֽאמְרוּ אֶל־אֲחֵיהֶם הַיְדַעְתֶּם כִּי יֵשׁ בַּבָּתִּים הָאֵלֶּה אֵפוֹד וּתְרָפִים וּפֶסֶל וּמַסֵּכָה וְעַתָּה דְּעוּ מַֽה־תַּעֲשֽׂוּ׃
15 तब वह उस तरफ़ मुड़ गए और उस लावी जवान के मकान में या'नी मीकाह के घर में दाख़िल हुए, और उससे ख़ैर — ओ — सलामती पूछी।
וַיָּסוּרוּ שָׁמָּה וַיָּבֹאוּ אֶל־בֵּֽית־הַנַּעַר הַלֵּוִי בֵּית מִיכָה וַיִּשְׁאֲלוּ־לוֹ לְשָׁלֽוֹם׃
16 और वह छ: सौ आदमी जो बनी दान में से थे, जंग के हथियार बाँधे फाटक पर खड़े रहे।
וְשֵׁשׁ־מֵאוֹת אִישׁ חֲגוּרִים כְּלֵי מִלְחַמְתָּם נִצָּבִים פֶּתַח הַשָּׁעַר אֲשֶׁר מִבְּנֵי־דָֽן׃
17 और उन पाँचों शख़्सों ने जो ज़मीन का हाल दरियाफ़्त करने को निकले थे, वहाँ आकर तराशा हुआ बुत और अफ़ूद और तराफ़ीम और ढाला हुआ बुत सब कुछ ले लिया, और वह काहिन फाटक पर उन छ: सौ आदमियों के साथ जो जंग के हथियार बाँधे थे खड़ा था।
וַֽיַּעֲלוּ חֲמֵשֶׁת הָאֲנָשִׁים הַהֹלְכִים לְרַגֵּל אֶת־הָאָרֶץ בָּאוּ שָׁמָּה לָקְחוּ אֶת־הַפֶּסֶל וְאֶת־הָאֵפוֹד וְאֶת־הַתְּרָפִים וְאֶת־הַמַּסֵּכָה וְהַכֹּהֵן נִצָּב פֶּתַח הַשַּׁעַר וְשֵׁשׁ־מֵאוֹת הָאִישׁ הֶחָגוּר כְּלֵי הַמִּלְחָמָֽה׃
18 जब वह मीकाह के घर में घुस कर तराशा हुआ बुत और अफ़ूद और तराफ़ीम और ढाला हुआ बुत ले आए, तो उस काहिन ने उनसे कहा, “तुम यह क्या करते हो?”
וְאֵלֶּה בָּאוּ בֵּית מִיכָה וַיִּקְחוּ אֶת־פֶּסֶל הָאֵפוֹד וְאֶת־הַתְּרָפִים וְאֶת־הַמַּסֵּכָה וַיֹּאמֶר אֲלֵיהֶם הַכֹּהֵן מָה אַתֶּם עֹשִֽׂים׃
19 तब उन्होंने उसे कहा, “चुप रह, मुँह पर हाथ रख ले; और हमारे साथ चल और हमारा बाप और काहिन बन। क्या तेरे लिए एक शख़्स के घर का काहिन होना अच्छा है, या यह कि तू बनी — इस्राईल के एक क़बीले और घराने का काहिन हो?”
וַיֹּאמְרוּ לוֹ הַחֲרֵשׁ שִֽׂים־יָדְךָ עַל־פִּיךָ וְלֵךְ עִמָּנוּ וֶהְיֵה־לָנוּ לְאָב וּלְכֹהֵן הֲטוֹב ׀ הֱיוֹתְךָ כֹהֵן לְבֵית אִישׁ אֶחָד אוֹ הֱיוֹתְךָ כֹהֵן לְשֵׁבֶט וּלְמִשְׁפָּחָה בְּיִשְׂרָאֵֽל׃
20 तब काहिन का दिल ख़ुश हो गया और वह अफ़ूद और तराफ़ीम और तराशे हुए बुत को लेकर लोगों के बीच चला गया।
וַיִּיטַב לֵב הַכֹּהֵן וַיִּקַּח אֶת־הָאֵפוֹד וְאֶת־הַתְּרָפִים וְאֶת־הַפָּסֶל וַיָּבֹא בְּקֶרֶב הָעָֽם׃
21 फिर वह मुड़े और रवाना हुए, और बाल बच्चों और चौपायों और सामन को अपने आगे कर लिया।
וַיִּפְנוּ וַיֵּלֵכוּ וַיָּשִׂימוּ אֶת־הַטַּף וְאֶת־הַמִּקְנֶה וְאֶת־הַכְּבוּדָּה לִפְנֵיהֶֽם׃
22 जब वह मीकाह के घर से दूर निकल गए, तो जो लोग मीकाह के घर के पास के मकानों में रहते थे वह जमा' हुए और चलकर बनी दान को जा लिया।
הֵמָּה הִרְחִיקוּ מִבֵּית מִיכָה וְהָאֲנָשִׁים אֲשֶׁר בַּבָּתִּים אֲשֶׁר עִם־בֵּית מִיכָה נִֽזְעֲקוּ וַיַּדְבִּיקוּ אֶת־בְּנֵי־דָֽן׃
23 और उन्होंने बनी दान को पुकारा, तब उन्होंने उधर मुँह करके मीकाह से कहा, “तुझ को क्या हुआ जो तू इतने लोगों की जमिय'त को साथ लिए आ रहा है?”
וַֽיִּקְרְאוּ אֶל־בְּנֵי־דָן וַיַּסֵּבּוּ פְּנֵיהֶם וַיֹּאמְרוּ לְמִיכָה מַה־לְּךָ כִּי נִזְעָֽקְתָּ׃
24 उसने कहा, “तुम मेरे मा'बूदों को जिनको मैंने बनवाया, और मेरे काहिन को साथ लेकर चले आए, अब मेरे पास और क्या बाक़ी रहा? इसलिए तुम मुझ से यह क्यूँकर कहते हो कि तुझ को क्या हुआ?”
וַיֹּאמֶר אֶת־אֱלֹהַי אֲשֶׁר־עָשִׂיתִי לְקַחְתֶּם וְֽאֶת־הַכֹּהֵן וַתֵּלְכוּ וּמַה־לִּי עוֹד וּמַה־זֶּה תֹּאמְרוּ אֵלַי מַה־לָּֽךְ׃
25 बनी दान ने उससे कहा कि तेरी आवाज़ हम लोगों में सुनाई न दे, ऐसा न हो कि झल्ले मिज़ाज के आदमी तुझ पर हमला कर बैठें और तू अपनी जान अपने घर के लोगों की जान के साथ खो बैठे।
וַיֹּאמְרוּ אֵלָיו בְּנֵי־דָן אַל־תַּשְׁמַע קוֹלְךָ עִמָּנוּ פֶּֽן־יִפְגְּעוּ בָכֶם אֲנָשִׁים מָרֵי נֶפֶשׁ וְאָסַפְתָּה נַפְשְׁךָ וְנֶפֶשׁ בֵּיתֶֽךָ׃
26 इसलिए बनी दान तो अपने रास्ते ही चले गए: और जब मीकाह ने देखा, कि वह उसके मुक़ाबले में बड़े ज़बरदस्त हैं, तो वह मुड़ा और अपने घर को लौटा।
וַיֵּלְכוּ בְנֵי־דָן לְדַרְכָּם וַיַּרְא מִיכָה כִּֽי־חֲזָקִים הֵמָּה מִמֶּנּוּ וַיִּפֶן וַיָּשׇׁב אֶל־בֵּיתֽוֹ׃
27 यूँ वह मीकाह की बनवाई हुई चीज़ों को और उस काहिन को जो उसके यहाँ था, लेकर लैस में ऐसे लोगों के पास पहुँचे जो अम्न और चैन से रहते थे; और उनको बर्बाद किया और शहर जला दिया।
וְהֵמָּה לָקְחוּ אֵת אֲשֶׁר־עָשָׂה מִיכָה וְֽאֶת־הַכֹּהֵן אֲשֶׁר הָֽיָה־לוֹ וַיָּבֹאוּ עַל־לַיִשׁ עַל־עַם שֹׁקֵט וּבֹטֵחַ וַיַּכּוּ אוֹתָם לְפִי־חָרֶב וְאֶת־הָעִיר שָׂרְפוּ בָאֵֽשׁ׃
28 और बचाने वाला कोई न था, क्यूँकि वह सैदा से दूर था और यह लोग किसी आदमी से सरोकार नहीं रखते थे। और वह शहर बैत रहोब के पास की वादी में था। फिर उन्होंने वह शहर बनाया और उसमें रहने लगे।
וְאֵין מַצִּיל כִּי רְֽחוֹקָה־הִיא מִצִּידוֹן וְדָבָר אֵין־לָהֶם עִם־אָדָם וְהִיא בָּעֵמֶק אֲשֶׁר לְבֵית־רְחוֹב וַיִּבְנוּ אֶת־הָעִיר וַיֵּשְׁבוּ בָֽהּ׃
29 और उस शहर का नाम अपने बाप दान के नाम पर जो इस्राईल की औलाद था दान ही रख्खा, लेकिन पहले उस शहर का नाम लैस था।
וַיִּקְרְאוּ שֵׁם־הָעִיר דָּן בְּשֵׁם דָּן אֲבִיהֶם אֲשֶׁר יוּלַּד לְיִשְׂרָאֵל וְאוּלָם לַיִשׁ שֵׁם־הָעִיר לָרִאשֹׁנָֽה׃
30 और बनी दान ने वह तराशा हुआ बुत अपने लिए खड़ा कर लिया; और यूनतन बिन जैरसोम बिन मूसा और उसके बेटे उस मुल्क की असीरी के दिन तक बनी दान के क़बीले के काहिन बने रहे।
וַיָּקִימוּ לָהֶם בְּנֵי־דָן אֶת־הַפָּסֶל וִיהוֹנָתָן בֶּן־גֵּרְשֹׁם בֶּן־מְ נַ שֶּׁה הוּא וּבָנָיו הָיוּ כֹהֲנִים לְשֵׁבֶט הַדָּנִי עַד־יוֹם גְּלוֹת הָאָֽרֶץ׃
31 और सारे वक़्त जब तक ख़ुदा का घर शीलोह में रहा, वह मीकाह के तराशे हुए बुत को जो उसने बनवाया था अपने लिए खड़े किए रहे।
וַיָּשִׂימוּ לָהֶם אֶת־פֶּסֶל מִיכָה אֲשֶׁר עָשָׂה כׇּל־יְמֵי הֱיוֹת בֵּית־הָאֱלֹהִים בְּשִׁלֹֽה׃

< क़ुजा 18 >