< क़ुजा 11 >

1 और जिल'आदी इफ़्ताह बड़ा ज़बरदस्त सूर्मा और कस्बी का बेटा था; और जिल'आद से इफ़्ताह पैदा हुआ था।
וְיִפְתָּ֣ח הַגִּלְעָדִ֗י הָיָה֙ גִּבֹּ֣ור חַ֔יִל וְה֖וּא בֶּן־אִשָּׁ֣ה זֹונָ֑ה וַיֹּ֥ולֶד גִּלְעָ֖ד אֶת־יִפְתָּֽח׃
2 और जिल'आद की बीवी के भी उससे बेटे हुए, और जब उसकी बीवी के बेटे बड़े हुए, तो उन्होंने इफ़्ताह को यह कहकर निकाल दिया कि हमारे बाप के घर में तुझे कोई मीरास नहीं मिलेगी, क्यूँकि तू ग़ैर 'औरत का बेटा है।
וַתֵּ֧לֶד אֵֽשֶׁת־גִּלְעָ֛ד לֹ֖ו בָּנִ֑ים וַיִּגְדְּל֨וּ בְֽנֵי־הָאִשָּׁ֜ה וַיְגָרְשׁ֣וּ אֶת־יִפְתָּ֗ח וַיֹּ֤אמְרוּ לֹו֙ לֹֽא־תִנְחַ֣ל בְּבֵית־אָבִ֔ינוּ כִּ֛י בֶּן־אִשָּׁ֥ה אַחֶ֖רֶת אָֽתָּה׃
3 तब इफ़्ताह अपने भाइयों के पास से भाग कर तोब के मुल्क में रहने लगा और इफ़्ताह के पास शुहदे जमा' हो गए, और उसके साथ फिरने लगे।
וַיִּבְרַ֤ח יִפְתָּח֙ מִפְּנֵ֣י אֶחָ֔יו וַיֵּ֖שֶׁב בְּאֶ֣רֶץ טֹ֑וב וַיִּֽתְלַקְּט֤וּ אֶל־יִפְתָּח֙ אֲנָשִׁ֣ים רֵיקִ֔ים וַיֵּצְא֖וּ עִמֹּֽו׃ פ
4 और कुछ 'अरसे के बाद बनी 'अम्मून ने बनी — इस्राईल से जंग छेड़ दी।
וַיְהִ֖י מִיָּמִ֑ים וַיִּלָּחֲמ֥וּ בְנֵֽי־עַמֹּ֖ון עִם־יִשְׂרָאֵֽל׃
5 और जब बनी 'अम्मून बनी — इस्राईल से लड़ने लगे, तो जिल'आदी बुज़ुर्ग चले कि इफ़्ताह को तोब के मुल्क से ले आएँ।
וַיְהִ֕י כַּאֲשֶׁר־נִלְחֲמ֥וּ בְנֵֽי־עַמֹּ֖ון עִם־יִשְׂרָאֵ֑ל וַיֵּֽלְכוּ֙ זִקְנֵ֣י גִלְעָ֔ד לָקַ֥חַת אֶת־יִפְתָּ֖ח מֵאֶ֥רֶץ טֹֽוב׃
6 इसलिए वह इफ़्ताह से कहने लगे कि हम बनी 'अम्मून से लड़ें।
וַיֹּאמְר֣וּ לְיִפְתָּ֔ח לְכָ֕ה וְהָיִ֥יתָה לָּ֖נוּ לְקָצִ֑ין וְנִֽלָּחֲמָ֖ה בִּבְנֵ֥י עַמֹּֽון׃
7 और इफ़्ताह ने जिल'आदी बुज़ुगों से कहा, “क्या तुम ने मुझ से 'अदावत करके मुझे मेरे बाप के घर से निकाल नहीं दिया? इसलिए अब जो तुम मुसीबत में पड़ गए हो तो मेरे पास क्यूँ आए?”
וַיֹּ֤אמֶר יִפְתָּח֙ לְזִקְנֵ֣י גִלְעָ֔ד הֲלֹ֤א אַתֶּם֙ שְׂנֵאתֶ֣ם אֹותִ֔י וַתְּגָרְשׁ֖וּנִי מִבֵּ֣ית אָבִ֑י וּמַדּ֜וּעַ בָּאתֶ֤ם אֵלַי֙ עַ֔תָּה כַּאֲשֶׁ֖ר צַ֥ר לָכֶֽם׃
8 जिल'आदी बुज़ुर्गों ने इफ़्ताह से कहा कि अब हम ने फिर इसलिए तेरी तरफ़ रुख़ किया है, कि तू हमारे साथ चलकर बनी 'अम्मून से जंग करे; और तू ही जिल'आद के सब बाशिंदों पर हमारा हाकिम होगा।
וַיֹּאמְרוּ֩ זִקְנֵ֨י גִלְעָ֜ד אֶל־יִפְתָּ֗ח לָכֵן֙ עַתָּה֙ שַׁ֣בְנוּ אֵלֶ֔יךָ וְהָלַכְתָּ֣ עִמָּ֔נוּ וְנִלְחַמְתָּ֖ בִּבְנֵ֣י עַמֹּ֑ון וְהָיִ֤יתָ לָּ֙נוּ֙ לְרֹ֔אשׁ לְכֹ֖ל יֹשְׁבֵ֥י גִלְעָֽד׃
9 और इफ़्ताह ने जिल'आदी बुज़ुर्गों से कहा, “अगर तुम मुझे बनी 'अम्मून से लड़ने को मेरे घर ले चलो, और ख़ुदावन्द उनको मेरे हवाले कर दे, तो क्या मैं तुम्हारा हाकिम हूँगा?”
וַיֹּ֨אמֶר יִפְתָּ֜ח אֶל־זִקְנֵ֣י גִלְעָ֗ד אִם־מְשִׁיבִ֨ים אַתֶּ֤ם אֹותִי֙ לְהִלָּחֵם֙ בִּבְנֵ֣י עַמֹּ֔ון וְנָתַ֧ן יְהוָ֛ה אֹותָ֖ם לְפָנָ֑י אָנֹכִ֕י אֶהְיֶ֥ה לָכֶ֖ם לְרֹֽאשׁ׃
10 जिल'आदी बुज़ुर्गों ने इफ़्ताह को जवाब दिया कि ख़ुदावन्द हमारे बीच गवाह हो, यक़ीनन जैसा तूने कहा, हम वैसा ही करेंगे।
וַיֹּאמְר֥וּ זִקְנֵֽי־גִלְעָ֖ד אֶל־יִפְתָּ֑ח יְהוָ֗ה יִהְיֶ֤ה שֹׁמֵ֙עַ֙ בֵּֽינֹותֵ֔ינוּ אִם־לֹ֥א כִדְבָרְךָ֖ כֵּ֥ן נַעֲשֶֽׂה׃
11 तब इफ़्ताह जिल'आदी बुज़ुर्गों के साथ रवाना हुआ, और लोगों ने उसे अपना हाकिम और सरदार बनाया; और इफ़्ताह ने मिस्फ़ाह में ख़ुदावन्द के आगे अपनी सब बातें कह सुनाई।
וַיֵּ֤לֶךְ יִפְתָּח֙ עִם־זִקְנֵ֣י גִלְעָ֔ד וַיָּשִׂ֨ימוּ הָעָ֥ם אֹותֹ֛ו עֲלֵיהֶ֖ם לְרֹ֣אשׁ וּלְקָצִ֑ין וַיְדַבֵּ֨ר יִפְתָּ֧ח אֶת־כָּל־דְּבָרָ֛יו לִפְנֵ֥י יְהוָ֖ה בַּמִּצְפָּֽה׃ פ
12 और इफ़्ताह ने बनी 'अम्मून के बादशाह के पास क़ासिद रवाना किए और कहला भेजा कि तुझे मुझ से क्या काम, जो तू मेरे मुल्क में लड़ने को मेरी तरफ़ आया है?
וַיִּשְׁלַ֤ח יִפְתָּח֙ מַלְאָכִ֔ים אֶל־מֶ֥לֶךְ בְּנֵֽי־עַמֹּ֖ון לֵאמֹ֑ר מַה־לִּ֣י וָלָ֔ךְ כִּֽי־בָ֥אתָ אֵלַ֖י לְהִלָּחֵ֥ם בְּאַרְצִֽי׃
13 बनी 'अम्मून के बादशाह ने इफ़्ताह के क़ासिदों को जवाब दिया, “इसलिए कि जब इस्राईली मिस्र से निकल कर आए, तो अरनून से यब्बूक़ और यरदन तक जो मेरा मुल्क था उसे उन्होंने छीन लिया; इसलिए अब तू उन 'इलाकों को सुलह — ओ — सलामती से मुझे लौटा दे।”
וַיֹּאמֶר֩ מֶ֨לֶךְ בְּנֵי־עַמֹּ֜ון אֶל־מַלְאֲכֵ֣י יִפְתָּ֗ח כִּֽי־לָקַ֨ח יִשְׂרָאֵ֤ל אֶת־אַרְצִי֙ בַּעֲלֹותֹ֣ו מִמִּצְרַ֔יִם מֵאַרְנֹ֥ון וְעַד־הַיַּבֹּ֖ק וְעַד־הַיַּרְדֵּ֑ן וְעַתָּ֕ה הָשִׁ֥יבָה אֶתְהֶ֖ן בְּשָׁלֹֽום׃
14 तब इफ़्ताह ने फिर क़ासिदों को बनी 'अम्मून के बादशाह के पास रवाना किया,
וַיֹּ֥וסֶף עֹ֖וד יִפְתָּ֑ח וַיִּשְׁלַח֙ מַלְאָכִ֔ים אֶל־מֶ֖לֶךְ בְּנֵ֥י עַמֹּֽון׃
15 और यह कहला भेजा कि इफ़्ताह यूँ कहता है कि; इस्राईलियों ने न तो मोआब का मुल्क और न बनी 'अम्मोन का मुल्क छीना;
וַיֹּ֣אמֶר לֹ֔ו כֹּ֖ה אָמַ֣ר יִפְתָּ֑ח לֹֽא־לָקַ֤ח יִשְׂרָאֵל֙ אֶת־אֶ֣רֶץ מֹואָ֔ב וְאֶת־אֶ֖רֶץ בְּנֵ֥י עַמֹּֽון׃
16 बल्कि इस्राईली जब मिस्र से निकले और वीराने छानते हुए बहर — ए — कु़लजु़म तक आए और क़ादिस में पहुँचे,
כִּ֖י בַּעֲלֹותָ֣ם מִמִּצְרָ֑יִם וַיֵּ֨לֶךְ יִשְׂרָאֵ֤ל בַּמִּדְבָּר֙ עַד־יַם־ס֔וּף וַיָּבֹ֖א קָדֵֽשָׁה׃
17 तो इस्राईलियों ने अदोम के बादशाह के पास क़ासिद रवाना किए और कहला भेजा कि हम को ज़रा अपने मुल्क से होकर गुज़र जाने दे, लेकिन अदोम का बादशाह न माना। इसी तरह उन्होंने मोआब के बादशाह को कहला भेजा, और वह भी राज़ी न हुआ। चुनाँचे इस्राईली क़ादिस में रहे।
וַיִּשְׁלַ֣ח יִשְׂרָאֵ֣ל מַלְאָכִ֣ים ׀ אֶל־מֶלֶךְ֩ אֱדֹ֨ום ׀ לֵאמֹ֜ר אֶעְבְּרָה־נָּ֣א בְאַרְצֶ֗ךָ וְלֹ֤א שָׁמַע֙ מֶ֣לֶךְ אֱדֹ֔ום וְגַ֨ם אֶל־מֶ֧לֶךְ מֹואָ֛ב שָׁלַ֖ח וְלֹ֣א אָבָ֑ה וַיֵּ֥שֶׁב יִשְׂרָאֵ֖ל בְּקָדֵֽשׁ׃
18 तब वह वीराने में होकर चले, और अदोम के मुल्क और मोआब के मुल्क के बाहर बाहर चक्कर काट कर मोआब के मुल्क के मशरिक़ की तरफ़ आए, और अरनून के उस पार डेरे डाले, पर मोआब की सरहद में दाख़िल न हुए, इसलिए कि मोआब की सरहद अरनून था।
וַיֵּ֣לֶךְ בַּמִּדְבָּ֗ר וַיָּ֜סָב אֶת־אֶ֤רֶץ אֱדֹום֙ וְאֶת־אֶ֣רֶץ מֹואָ֔ב וַיָּבֹ֤א מִמִּזְרַח־שֶׁ֙מֶשׁ֙ לְאֶ֣רֶץ מֹואָ֔ב וַֽיַּחֲנ֖וּן בְּעֵ֣בֶר אַרְנֹ֑ון וְלֹא־בָ֙אוּ֙ בִּגְב֣וּל מֹואָ֔ב כִּ֥י אַרְנֹ֖ון גְּב֥וּל מֹואָֽב׃
19 फिर इस्राईलियों ने अमोरियों के बादशाह सीहोन के पास जो हस्बोन का बादशाह था, क़ासिद रवाना किए; और इस्राईलियों ने उसे कहला भेजा कि 'हम को ज़रा इजाज़त दे दे, कि तेरे मुल्क में से होकर अपनी जगह को चले जाएँ।
וַיִּשְׁלַ֤ח יִשְׂרָאֵל֙ מַלְאָכִ֔ים אֶל־סִיחֹ֥ון מֶֽלֶךְ־הָאֱמֹרִ֖י מֶ֣לֶךְ חֶשְׁבֹּ֑ון וַיֹּ֤אמֶר לֹו֙ יִשְׂרָאֵ֔ל נַעְבְּרָה־נָּ֥א בְאַרְצְךָ֖ עַד־מְקֹומִֽי׃
20 लेकिन सीहोन ने इस्राईलियों का इतना ऐ'तबार न किया कि उनको अपनी सरहद से गुज़रने दे, बल्कि सीहोन अपने सब लोगों को जमा' करके यहसा में ख़ेमाज़न हुआ और इस्राईलियों से लड़ा।
וְלֹא־הֶאֱמִ֨ין סִיחֹ֤ון אֶת־יִשְׂרָאֵל֙ עֲבֹ֣ר בִּגְבֻלֹ֔ו וַיֶּאֱסֹ֤ף סִיחֹון֙ אֶת־כָּל־עַמֹּ֔ו וַֽיַּחֲנ֖וּ בְּיָ֑הְצָה וַיִּלָּ֖חֶם עִם־יִשְׂרָאֵֽל׃
21 और ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा ने सीहोन और उसके सारे लश्कर को इस्राईलियों के क़ब्ज़े में कर दिया, और उन्होंने उनको मार लिया; इसलिए इस्राईलियों ने अमोरियों के जो वहाँ के बाशिंदे थे, सारे मुल्क पर क़ब्ज़ा कर लिया।
וַ֠יִּתֵּן יְהוָ֨ה אֱלֹהֵֽי־יִשְׂרָאֵ֜ל אֶת־סִיחֹ֧ון וְאֶת־כָּל־עַמֹּ֛ו בְּיַ֥ד יִשְׂרָאֵ֖ל וַיַּכּ֑וּם וַיִּירַשׁ֙ יִשְׂרָאֵ֔ל אֵ֚ת כָּל־אֶ֣רֶץ הָאֱמֹרִ֔י יֹושֵׁ֖ב הָאָ֥רֶץ הַהִֽיא׃
22 और वह अरनून से यब्बूक तक, और वीरान से यरदन तक अमोरियों की सब सरहदों पर क़ाबिज़ हो गए।
וַיִּ֣ירְשׁ֔וּ אֵ֖ת כָּל־גְּב֣וּל הָאֱמֹרִ֑י מֵֽאַרְנֹון֙ וְעַד־הַיַּבֹּ֔ק וּמִן־הַמִּדְבָּ֖ר וְעַד־הַיַּרְדֵּֽן׃
23 तब ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा ने अमोरियों को उनके मुल्क से अपनी क़ौम इस्राईल के सामने से ख़ारिज किया; इसलिए क्या तू अब उस पर क़ब्ज़ा करने पाएगा?
וְעַתָּ֞ה יְהוָ֣ה ׀ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל הֹורִישׁ֙ אֶת־הָ֣אֱמֹרִ֔י מִפְּנֵ֖י עַמֹּ֣ו יִשְׂרָאֵ֑ל וְאַתָּ֖ה תִּירָשֶֽׁנּוּ׃
24 क्या जो कुछ तेरा मा'बूद कमोस तुझे क़ब्ज़ा करने को दे, तू उस पर क़ब्ज़ा न करेगा? इसलिए जिस जिस को ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा ने हमारे सामने से ख़ारिज कर दिया है, हम भी उनके मुल्क पर क़ब्ज़ा करेंगे।
הֲלֹ֞א אֵ֣ת אֲשֶׁ֧ר יֹורִֽישְׁךָ֛ כְּמֹ֥ושׁ אֱלֹהֶ֖יךָ אֹותֹ֥ו תִירָ֑שׁ וְאֵת֩ כָּל־אֲשֶׁ֨ר הֹורִ֜ישׁ יְהוָ֧ה אֱלֹהֵ֛ינוּ מִפָּנֵ֖ינוּ אֹותֹ֥ו נִירָֽשׁ׃
25 और क्या तू सफ़ोर के बेटे बलक़ से जो मोआब का बादशाह था, कुछ बेहतर है? क्या उसने इस्राईलियों से कभी झगड़ा किया या कभी उन से लड़ा?
וְעַתָּ֗ה הֲטֹ֥וב טֹוב֙ אַתָּ֔ה מִבָּלָ֥ק בֶּן־צִפֹּ֖ור מֶ֣לֶךְ מֹואָ֑ב הֲרֹ֥וב רָב֙ עִם־יִשְׂרָאֵ֔ל אִם־נִלְחֹ֥ם נִלְחַ֖ם בָּֽם׃
26 जब इस्राईली हस्बोन और उसके क़स्बों, और 'अरो'ईर और उसके क़स्बों और उन सब शहरों में जो अरनून के किनारे — किनारे हैं तीन सौ बरस से बसे हैं, तो इस 'अरसे में तुम ने उनको क्यूँ न छुड़ा लिया?
בְּשֶׁ֣בֶת יִ֠שְׂרָאֵל בְּחֶשְׁבֹּ֨ון וּבִבְנֹותֶ֜יהָ וּבְעַרְעֹ֣ור וּבִבְנֹותֶ֗יהָ וּבְכָל־הֶֽעָרִים֙ אֲשֶׁר֙ עַל־יְדֵ֣י אַרְנֹ֔ון שְׁלֹ֥שׁ מֵאֹ֖ות שָׁנָ֑ה וּמַדּ֥וּעַ לֹֽא־הִצַּלְתֶּ֖ם בָּעֵ֥ת הַהִֽיא׃
27 ग़रज़ मैंने तेरी ख़ता नहीं की, बल्कि तेरा मुझ से लड़ना तेरी तरफ़ से मुझ पर ज़ुल्म है; इसलिए ख़ुदावन्द ही जो मुन्सिफ़ है, बनी — इस्राईल और बनी 'अम्मोन के बीच आज इन्साफ़ करे।
וְאָֽנֹכִי֙ לֹֽא־חָטָ֣אתִי לָ֔ךְ וְאַתָּ֞ה עֹשֶׂ֥ה אִתִּ֛י רָעָ֖ה לְהִלָּ֣חֶם בִּ֑י יִשְׁפֹּ֨ט יְהוָ֤ה הַשֹּׁפֵט֙ הַיֹּ֔ום בֵּ֚ין בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל וּבֵ֖ין בְּנֵ֥י עַמֹּֽון׃
28 लेकिन बनी 'अम्मोन के बादशाह ने इफ़्ताह की यह बातें, जो उसने उसे कहला भेजी थीं न मानीं।
וְלֹ֣א שָׁמַ֔ע מֶ֖לֶךְ בְּנֵ֣י עַמֹּ֑ון אֶל־דִּבְרֵ֣י יִפְתָּ֔ח אֲשֶׁ֥ר שָׁלַ֖ח אֵלָֽיו׃ פ
29 तब ख़ुदावन्द की रूह इफ़्ताह पर नाज़िल हुई, और वह जिल'आद और मनस्सी से गुज़र कर जिल'आद के मिस्फ़ाह में आया; और जिल'आद के मिस्फ़ाह से बनी 'अमोन की तरफ़ चला।
וַתְּהִ֤י עַל־יִפְתָּח֙ ר֣וּחַ יְהוָ֔ה וַיַּעֲבֹ֥ר אֶת־הַגִּלְעָ֖ד וְאֶת־מְנַשֶּׁ֑ה וַֽיַּעֲבֹר֙ אֶת־מִצְפֵּ֣ה גִלְעָ֔ד וּמִמִּצְפֵּ֣ה גִלְעָ֔ד עָבַ֖ר בְּנֵ֥י עַמֹּֽון׃
30 और इफ़्ताह ने ख़ुदावन्द की मिन्नत मानी और कहा कि अगर तू यक़ीनन बनी 'अम्मोन को मेरे हाथ में कर दे;
וַיִּדַּ֨ר יִפְתָּ֥ח נֶ֛דֶר לַיהוָ֖ה וַיֹּאמַ֑ר אִם־נָתֹ֥ון תִּתֵּ֛ן אֶת־בְּנֵ֥י עַמֹּ֖ון בְּיָדִֽי׃
31 तो जब मैं बनी 'अम्मोन की तरफ़ से सलामत लौटूँगा, उस वक़्त जो कोई पहले मेरे घर के दरवाज़े से निकलकर मेरे इस्तक़बाल को आए वह ख़ुदावन्द का होगा; और मैं उसको सोख़्तनी क़ुर्बानी के तौर पर पेश करूँगा।
וְהָיָ֣ה הַיֹּוצֵ֗א אֲשֶׁ֨ר יֵצֵ֜א מִדַּלְתֵ֤י בֵיתִי֙ לִקְרָאתִ֔י בְּשׁוּבִ֥י בְשָׁלֹ֖ום מִבְּנֵ֣י עַמֹּ֑ון וְהָיָה֙ לַֽיהוָ֔ה וְהַעֲלִיתִ֖הוּ עֹולָֽה׃ פ
32 तब इफ़्ताह बनी 'अम्मून की तरफ़ उनसे लड़ने को गया, और ख़ुदावन्द ने उनको उसके हाथ में कर दिया।
וַיַּעֲבֹ֥ר יִפְתָּ֛ח אֶל־בְּנֵ֥י עַמֹּ֖ון לְהִלָּ֣חֶם בָּ֑ם וַיִּתְּנֵ֥ם יְהוָ֖ה בְּיָדֹֽו׃
33 और उसने 'अरो'ईर से मिनियत तक जो बीस शहर हैं, और अबील करामीम तक बड़ी ख़ूँरेज़ी के साथ उनको मारा; इस तरह बनी 'अम्मून बनी — इस्राईल से मग़लूब हुए।
וַיַּכֵּ֡ם מֵעֲרֹועֵר֩ וְעַד־בֹּואֲךָ֙ מִנִּ֜ית עֶשְׂרִ֣ים עִ֗יר וְעַד֙ אָבֵ֣ל כְּרָמִ֔ים מַכָּ֖ה גְּדֹולָ֣ה מְאֹ֑ד וַיִּכָּֽנְעוּ֙ בְּנֵ֣י עַמֹּ֔ון מִפְּנֵ֖י בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ פ
34 और इफ़्ताह मिस्फ़ाह को अपने घर आया, और उसकी बेटी तबले बजाती और नाचती हुई उसके इस्तक़बाल को निकलकर आई; और वही एक उसकी औलाद थी, उसके सिवा उसके कोई बेटी बेटा न था।
וַיָּבֹ֨א יִפְתָּ֣ח הַמִּצְפָּה֮ אֶל־בֵּיתֹו֒ וְהִנֵּ֤ה בִתֹּו֙ יֹצֵ֣את לִקְרָאתֹ֔ו בְתֻפִּ֖ים וּבִמְחֹלֹ֑ות וְרַק֙ הִ֣יא יְחִידָ֔ה אֵֽין־לֹ֥ו מִמֶּ֛נּוּ בֵּ֖ן אֹו־בַֽת׃
35 जब उसने उसको देखा, तो अपने कपड़े फाड़ कर कहा, “हाय, मेरी बेटी! तूने मुझे पस्त कर दिया, और जो मुझे दुख देते हैं उनमें से एक तू है; क्यूँकि मैंने ख़ुदावन्द को ज़बान दी है, और मैं पलट नहीं सकता।”
וַיְהִי֩ כִרְאֹותֹ֨ו אֹותָ֜הּ וַיִּקְרַ֣ע אֶת־בְּגָדָ֗יו וַיֹּ֙אמֶר֙ אֲהָ֤הּ בִּתִּי֙ הַכְרֵ֣עַ הִכְרַעְתִּ֔נִי וְאַ֖תְּ הָיִ֣יתְ בְּעֹֽכְרָ֑י וְאָנֹכִ֗י פָּצִ֤יתִי־פִי֙ אֶל־יְהוָ֔ה וְלֹ֥א אוּכַ֖ל לָשֽׁוּב׃
36 उसने उससे कहा, “ऐ मेरे बाप, तूने ख़ुदावन्द को ज़बान दी है, इसलिए जो कुछ तेरे मुँह से निकला वही मेरे साथ कर, इसलिए कि ख़ुदावन्द ने तेरे दुश्मनों बनी 'अम्मून से तेरा इन्तक़ाम लिया।”
וַתֹּ֣אמֶר אֵלָ֗יו אָבִי֙ פָּצִ֤יתָה אֶת־פִּ֙יךָ֙ אֶל־יְהוָ֔ה עֲשֵׂ֣ה לִ֔י כַּאֲשֶׁ֖ר יָצָ֣א מִפִּ֑יךָ אַחֲרֵ֡י אֲשֶׁ֣ר עָשָׂה֩ לְךָ֙ יְהוָ֧ה נְקָמֹ֛ות מֵאֹיְבֶ֖יךָ מִבְּנֵ֥י עַמֹּֽון׃
37 फिर उसने अपने बाप से कहा, “मेरे लिए इतना कर दिया जाए कि दो महीने की मोहलत मुझ को मिले, ताकि मैं जाकर पहाड़ों पर अपनी हमजोलियों के साथ अपने कुँवारेपन पर मातम करती फिरूं।”
וַתֹּ֙אמֶר֙ אֶל־אָבִ֔יהָ יֵעָ֥שֶׂה לִּ֖י הַדָּבָ֣ר הַזֶּ֑ה הַרְפֵּ֨ה מִמֶּ֜נִּי שְׁנַ֣יִם חֳדָשִׁ֗ים וְאֵֽלְכָה֙ וְיָרַדְתִּ֣י עַל־הֶֽהָרִ֔ים וְאֶבְכֶּה֙ עַל־בְּתוּלַ֔י אָנֹכִ֖י וְרַעִיתִי (וְרֵעֹותָֽי)׃
38 उसने कहा, “जा!” और उसने उसे दो महीने की रुख्त़स दी, और वह अपनी हमजोलियों को लेकर गई, और पहाड़ों पर अपने कुँवारेपन पर मातम करती फिरी।
וַיֹּ֣אמֶר לֵ֔כִי וַיִּשְׁלַ֥ח אֹותָ֖הּ שְׁנֵ֣י חֳדָשִׁ֑ים וַתֵּ֤לֶךְ הִיא֙ וְרֵ֣עֹותֶ֔יהָ וַתֵּ֥בְךְּ עַל־בְּתוּלֶ֖יהָ עַל־הֶהָרִֽים׃
39 और दो महीने के बाद वह अपने बाप के पास लौट आई, और वह उसके साथ वैसा ही पेश आया जैसी मिन्नत उसने मानी थी। इस लड़की ने शख़्स का मुँह न देखा था; इसलिए बनी इस्राईल में यह दस्तूर चला,
וַיְהִ֞י מִקֵּ֣ץ ׀ שְׁנַ֣יִם חֳדָשִׁ֗ים וַתָּ֙שָׁב֙ אֶל־אָבִ֔יהָ וַיַּ֣עַשׂ לָ֔הּ אֶת־נִדְרֹ֖ו אֲשֶׁ֣ר נָדָ֑ר וְהִיא֙ לֹא־יָדְעָ֣ה אִ֔ישׁ וַתְּהִי־חֹ֖ק בְּיִשְׂרָאֵֽל׃
40 कि साल — ब — साल इस्राईली 'औरतें जाकर बरस में चार दिन तक इफ़्ताह जिल'आदी की बेटी की यादगारी करती थीं।
מִיָּמִ֣ים ׀ יָמִ֗ימָה תֵּלַ֙כְנָה֙ בְּנֹ֣ות יִשְׂרָאֵ֔ל לְתַנֹּ֕ות לְבַת־יִפְתָּ֖ח הַגִּלְעָדִ֑י אַרְבַּ֥עַת יָמִ֖ים בַּשָּׁנָֽה׃ ס

< क़ुजा 11 >