< यशो 9 >
1 और जब उन सब हित्ती, अमोरी, कना'नी, फ़रिज़्ज़ी, हव्वी और यबूसी बादशाहों ने जो यरदन के उस पार पहाड़ी मुल्क और नशेब की ज़मीन और बड़े समन्दर के उस साहिल पर जो लुबनान के सामने है रहते थे यह सुना।
Als davon alle Könige jenseits des Jordan hörten, auf dem Gebirge und in der Niederung, an der ganzen Küste des großen Meeres gegen den Libanon, die Chittiter, Amoriter, Kanaaniter, Periziter, Chiwiter und Jebusiter,
2 तो वह सब के सब इकठ्ठा हुए ताकि मुत्तफ़िक़ हो कर यशू'अ और बनी इस्राईल से जंग करें।
vereinigten sie sich, um einmütig gegen Josue und Israel zu kämpfen.
3 और जब जिबा'ऊन के बाशिंदों ने सुना कि यशू'अ ने यरीहू और एे से क्या क्या किया है।
Auch Gibeons Einwohner hörten, was Josue an Jericho und Ai getan.
4 तो उन्होंने भी हीला बाज़ी की और जाकर सफ़ीरों का भेस भरा, और पुराने बोरे और पुराने फटे हुए और मरम्मत किये हुए शराब के मश्कीज़े अपने गधों पर लादे।
Da handelten auch sie, aber listig. Sie gingen und versahen sich mit Reisekost, nahmen aber alte Säcke auf ihre Esel und alte, zermürbte und geflickte Weinschläuche.
5 और पाँव में पुराने पैवन्द लगे हुए जूते और तन पर पुराने कपड़े डाले, और उनके सफ़र का खाना सूखी फफूँदी लगी हुई रोटियां थीं।
Sie zogen auch alte geflickte Schuhe an und alte Kleider, und ihr Brot für die Reise war hart und zerkrümelt.
6 और वह जिल्जाल में ख़ेमागाह को यशू'अ के पास जाकर उस से और इस्राईली मर्दों से कहने लगे, “हम एक दूर मुल्क से आयें हैं; इसलिए अब तुम हम से 'अहद बाँधों।”
So gingen sie zu Josue in das Lager im Gilgal und sprachen zu ihm und den Männern Israels: "Wir kommen aus fernem Lande. Schließt mit uns ein Bündnis!"
7 तब इस्राईली मर्दों ने उन हव्वियों से कहा, कि शायद तुम हमारे बीच ही रहते हो; फिर हम तुम से क्यूँकर 'अहद बाँधें?
Da sprachen die israelitischen Männer zu dem Anführer: "Vielleicht wohnst du in unserer Nähe? Wie könnten wir mit dir ein Bündnis schließen?"
8 उन्होंने यशू'अ से कहा, “हम तेरे ख़ादिम हैं। तब यशू'अ ने उन से पूछा, तुम कौन हो और कहाँ से आए हो?”
Da sprachen sie zu Josue: "Wir sind deine Sklaven." Da fragte sie Josue: "Wer seid ihr und woher kommt ihr?"
9 उन्होंने ने उस से कहा, तेरे ख़ादिम एक बहुत दूर मुल्क से ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा के नाम के ज़रिये' आए हैं क्यूँकि हम ने उसकी शोहरत और जो कुछ उस ने मिस्र में किया।
Sie sprachen zu ihm: "Deine Sklaven kommen aus fernstem Lande, auf den Ruhm des Herrn, deines Gottes, hin. Denn wir haben gerüchtweise gehört von ihm und von allem, was er in Ägypten getan,
10 और जो कुछ उस ने अमोरियों के दोनों बादशाहों से जो यरदन के उस पार थे, या'नी हसबून के बादशाह सीहोन और बसन के बादशाह 'ओज़ से जो असतारात में था किया सब सुना है।
und alles, was er an den beiden Amoriterkönigen jenseits des Jordan getan, an Chesbons König Sichon und an Og, dem Basankönig zu Astarot.
11 इसलिए हमारे बुज़ुर्गों और हमारे मुल्क के सब बाशिंदों ने हम से यह कहा कि तुम सफ़र के लिए अपने हाथ में खाना ले लो और उन से मिलने को जाओ और उन से कहो कि हम तुम्हारे ख़ादिम हैं इसलिए तुम अब हमारे साथ 'अहद बाँधो।
Da sagten unsere Ältesten und unseres Landes Insassen alle zu uns: Nehmt Zehrung auf den Weg mit! Geht ihnen entgegen und sprecht zu ihnen: 'Wir sind eure Sklaven!' Und nun schließt mit uns ein Bündnis!
12 जिस दिन हम तुम्हारे पास आने को निकले हमने अपने अपने घर से अपने खाने की रोटी गरम गरम ली, और अब देखो वह सूखी है और उसे फफूँदी लग गई।
So ist es mit unserem Brote. Noch warm haben wir es zu Hause für die Reise mitgenommen, als wir zu euch ziehen wollten. Nun ist es hart und zerkrümelt.
13 और मय के यह मश्कीज़े जो हम ने भर लिए थे नये थे, और देखो यह तो फट गये; और यह हमारे कपड़े और जूते दूर — ओ — दराज़ सफ़र की वजह से पुराने हो गये।
Die Weinschläuche da sind neu gewesen, als wir sie gefüllt haben. Nun sind sie geborsten. Unsere Kleider und Schuhe da sind durch die weite Reise abgenutzt."
14 तब इन लोगों ने उनके खाने में से कुछ लिया और ख़ुदावन्द से मशवरत न की।
Da beurteilten die Männer sie nach ihrer Zehrung; aber den Mund des Herrn hatten sie nicht befragt.
15 और यशू'अ ने उन से सुलह की और उनकी जान बख़्शी करने के लिए उन से 'अहद बाँधा, और जमा'अत के अमीरों ने उन से क़सम खाई।
So machte Josue mit ihnen Freundschaft und schloß mit ihnen ein Bündnis, sie leben zu lassen. Und die Fürsten der Gemeinde schwuren ihnen dies zu.
16 और उनके साथ 'अहद बाँधने से तीन दिन के बाद उनके सुनने में आया, कि यह उनके पड़ोसी हैं और उनके बीच ही रहते हैं।
Drei Tage nach Abschluß des Bündnisses aber hörte man, sie seien aus der Nähe, und zwar ganz nahe bei ihnen.
17 और बनी इस्राईल रवाना हो कर तीसरे दिन उनके शहरों में पहुँचे; जिबा'ऊन और कफ़ीरह और बैरूत और क़रयत या'रीम उनके शहर थे।
Da brachen die Israeliten auf und kamen am dritten Tage zu ihren Städten. Ihre Städte waren Gibeon, Kephira, Beerot und Kirjat-Jearim.
18 और बनी इस्राईल ने उनको क़त्ल न किया इसलिए कि जमा'अत के अमीरों ने उन से ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की क़सम खाई थी; और सारी जमा'अत उन अमीरों पर कुड़कुड़ाने लगी
Die Israeliten aber schlugen sie nicht, weil ihnen die Fürsten der Gemeinde beim Herrn, Israels Gott, dies zugeschworen hatten. Da murrte die Gemeinde wider die Fürsten.
19 लेकिन उन सब अमीरों ने सारी जमा'अत से कहा कि हम ने उन से ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की क़सम खाई है, इसलिए हम उन्हें छू नहीं सकते।
Da sagten alle Fürsten zur Gesamtgemeinde: "Wir haben ihnen beim Herrn, Israels Gott, geschworen: somit dürfen wir sie nicht antasten.
20 हम उन से यही करेंगे और उनको जीता छोड़ेंगे ऐसा न हो कि उस क़सम की वजह से जो हम ने उन से खाई है, हम पर ग़ज़ब टूटे।
Das aber wollen wir an ihnen tun: Wir wollen ihnen das Leben schenken, damit nicht ein Zorn über uns komme wegen des Eides, den wir ihnen geschworen."
21 इसलिए अमीरों ने उन से यही कहा कि उनको जीता छोड़ो। तब वह सारी जमा'अत के लिए लकड़हारे और पानी भरने वाले बने जैसा अमीरों ने उन से कहा था।
Und so sprachen die Fürsten von ihnen: "Sie sollen am Leben bleiben; jedoch für die ganze Gemeinde Holzhauer und Wasserträger werden, wie ihnen die Fürsten vorgeschlagen hatten."
22 तब यशू'अ ने उनको बुलवा कर उन से कहा जिस हाल कि तुम हमारे बीच रहते हो, तुम ने यह कह कर हमको क्यूँ फ़रेब दिया कि हम तुम से बहुत दूर रहते हैं?
Und Josue berief sie und sprach zu ihnen: "Warum habt ihr uns betrogen mit den Worten: 'Wir wohnen sehr weit von euch', und ihr wohnt doch in unserer Nähe?
23 इसलिए अब तुम ला'नती ठहरे, और तुम में से कोई ऐसा न रहेगा जो ग़ुलाम या'नी मेरे ख़ुदा के घर के लिए लकड़हारा और पानी भरने वाला न हो।
Nun seid ihr verflucht. Nicht soll es bei euch an Sklaven, Holzhauern und Wasserträgem für meines Gottes Haus mangeln!"
24 उन्होंने यशू'अ को जवाब दिया कि तेरे ख़ादिमों को तहक़ीक़ यह ख़बर मिली थी, कि ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने अपने बन्दे मूसा को फ़रमाया कि सारा मुल्क तुमको दे और उस मुल्क के सब बाशिंदों को तुम्हारे सामने से हलाक करे। इसलिए हमको तुम्हारी वजह से अपनी अपनी जानों के लाले पड़ गये, इस लिए हम ने यह काम किया।
Da antworteten sie Josue und sprachen: "Deinen Sklaven ist berichtet worden, was der Herr, dein Gott, seinem Diener Moses geboten, ihr sollet alle Insassen des Landes vor euch vertilgen, wenn er euch das ganze Land gebe. Da fürchteten wir von euch um unser Leben und taten so.
25 और अब देख, हम तेरे हाथ में हैं जो कुछ तू हम से करना भला और ठीक जाने सो कर।
Nun sind wir in deiner Hand. Tu mit uns, wie es dir gut und recht dünkt!"
26 फिर उसने उन से वैसा ही किया, और बनी इस्राईल के हाथ से उनको ऐसा बचाया कि उन्होंने उनको क़त्ल न किया।
Da tat er mit ihnen so und schützte sie vor den Israeliten, und so haben sie sie nicht umgebracht.
27 और यशू'अ ने उसी दिन उनको जमा'अत के लिए और उस मुक़ाम पर जिसे ख़ुदावन्द ख़ुद चुने उसके मज़बह के लिए, लकड़हारे और पानी भरने वाले मुक़र्रर किया जैसा आज तक है।
Damals machte sie Josue zu Holzhauern und Wasserträgern für die Gemeinde und für den Altar des Herrn, für die Stätte, die er erwählen würde, bis zu diesem Tage.