< यशो 8 >
1 और ख़ुदावन्द ने यशू'अ से कहा, “खौफ़ न खा और न हिरासाँ हो सब जंगी मर्दों को साथ ले और उठ कर एे पर चढ़ाई कर देख मैंने 'ए के बादशाह और उसकी क़ौम और उसके शहर और उसके 'इलाक़े को तेरे क़ब्ज़े में कर दिया है।
Hierauf sagte der HERR zu Josua: »Fürchte dich nicht und sei ohne Angst! Nimm das gesamte Kriegsvolk mit dir und mache dich auf, ziehe gegen Ai hinauf: hiermit gebe ich den König von Ai samt seinem Volk, seiner Stadt und seinem Lande in deine Gewalt.
2 और तू एे और उसके बादशाह से वही करना जो तूने यरीहू और उसके बादशाह से किया। सिर्फ़ वहाँ के माल — ए — ग़नीमत और चौपायों को तुम अपने लिए लूट के तौर पर ले लेना। इसलिए तू उस शहर के लिए उसी के पीछे अपने आदमी घात में लगा दे।”
Du sollst mit Ai und seinem König so verfahren, wie du mit Jericho und seinem König verfahren bist; jedoch die dortige Beute und das Vieh dürft ihr für euch behalten. Lege dir einen Hinterhalt gegen die Stadt auf ihrer Westseite!«
3 तब यशू'अ और सब जंगी मर्द एे पर चढ़ाई करने को उठे; और यशू'अ ने तीस हज़ार मर्द जो ज़बरदस्त सूरमा थे, चुन कर रात ही को उनको रवाना किया।
Da machte sich Josua mit dem gesamten Kriegsvolk auf, um gegen Ai hinaufzuziehen. Er wählte aber 30000 Mann tapfere Krieger aus und sandte sie bei Nacht ab,
4 और उनको यह हुक्म दिया कि देखो! तुम उस शहर के मुक़ाबिल शहर ही के पीछे घात में बैठना; शहर से बहुत दूर न जाना बल्कि तुम सब तैयार रहना।
nachdem er ihnen folgenden Befehl gegeben hatte: »Wisset wohl: ihr sollt euch gegen die Stadt in den Hinterhalt legen, und zwar auf der Westseite der Stadt; entfernt euch nicht zu weit von der Stadt und haltet euch allesamt bereit!
5 और मैं उन सब आदमियों को लेकर जो मेरे साथ हैं, शहर के नज़दीक आऊँगा; और ऐसा होगा कि जब वह हमारा सामना करने को पहले की तरह निकल आएंगे, तो हम उनके सामने से भागेंगे।
Ich aber und das ganze Kriegsvolk, das bei mir ist, werden gegen die Stadt anrücken, und wenn sie dann wie das vorige Mal einen Ausfall gegen uns machen, wollen wir vor ihnen fliehen.
6 और वह हमारे पीछे पीछे निकल चले आयेंगे, यहाँ तक कि हम उनको शहर से दूर निकाल ले जायेंगे; क्यूँकि वह कहेंगे कि यह तो पहले की तरह हमारे सामने से भागे जातें हैं; इसलिए हम उनके आगे से भागेंगे।
Sie werden dann herauskommen, um uns zu verfolgen, bis wir sie von der Stadt ganz abgezogen haben; denn sie werden denken: ›Die fliehen vor uns wie das vorige Mal‹; und wir wollen ja auch wirklich vor ihnen fliehen.
7 और तुम घात में से उठ कर शहर पर क़ब्ज़ा कर लेना, क्यूँकि ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा उसे तुम्हारे क़ब्ज़े में कर देगा।
Dann müßt ihr aus dem Hinterhalt hervorbrechen und euch der Stadt bemächtigen; denn der HERR, euer Gott, wird sie in eure Gewalt geben.
8 और जब तुम उस शहर को ले लो तो उसे आग लगा देना; ख़ुदावन्द के कहने के मुताबिक़ काम करना। देखो, मैंने तुमको हुक्म कर दिया।
Wenn ihr aber die Stadt eingenommen habt, so steckt sie in Brand: nach dem Gebot des HERRN sollt ihr verfahren! Das sind meine Befehle für euch.«
9 और यशू'अ ने उनको रवाना किया, और वह आराम गाह में गये और बैत — एल और एे के पश्चिम की तरफ़ जा बैठे; लेकिन यशू'अ उस रात को लोगों के बीच टिका रहा।
Als Josua sie so entlassen hatte, zogen sie in den Hinterhalt und nahmen Stellung zwischen Bethel und Ai, und zwar auf der Westseite von Ai, während Josua jene Nacht inmitten des übrigen Kriegsvolkes verbrachte.
10 और यशू'अ ने सुबह सवेरे उठ कर लोगों की मौजूदात ली, और वह बनी इस्राईल के बुज़ुर्गों को साथ लेकर लोगों के आगे आगे एे की तरफ़ चला।
Josua machte sich dann am folgenden Morgen früh auf und zog, nachdem er das Kriegsvolk gemustert hatte, mit den Ältesten der Israeliten an der Spitze des Heeres gegen Ai hinauf.
11 और सब जंगी मर्द जो उसके साथ थे चले, और नज़दीक पहुँचकर शहर के सामने आए और एे के उत्तर में डेरे डाले, और यशू'अ और 'ए के बीच एक वादी थी।
Das gesamte Kriegsvolk, das bei ihm war, zog hinauf und rückte heran und kam vor der Stadt an; sie lagerten nördlich von Ai, so daß das Tal zwischen ihnen und Ai lag.
12 तब उस ने कोई पाँच हज़ार आदमियों को लेकर बैतएल और एे के बीच शहर के पश्चिम की तरफ़ उनको आराम गाह में बिठाया।
[Er hatte aber etwa fünftausend Mann genommen und sie als Hinterhalt zwischen Bethel und Ai, auf der Westseite der Stadt, Stellung nehmen lassen.
13 इसलिए उन्होंने लोगों को या'नी सारी फ़ौज जो शहर के उत्तर में थी, और उनको जो शहर की पश्चिमी तरफ़ घात में थे ठिकाने पर कर दिया; और यशू'अ उसी रात उस वादी में गया।
Dann stellten sie das Volk auf, das ganze Heer, das sich nördlich von der Stadt befand, und dessen Hinterhalt westlich von der Stadt; Josua aber begab sich in jener Nacht mitten in das Tal.]
14 और जब एे के बादशाह ने देखा, तो उन्होंने जल्दी की और सवेरे उठे और शहर के आदमी या'नी वह और उसके सब लोग निकल कर मु'अय्यन वक़्त पर लड़ाई के लिए बनी इस्राईल के मुक़ाबिल मैदान के सामने आए; और उसे ख़बर न थी कि शहर के पीछे उसकी घात में लोग बैठे हुए हैं।
Als nun der König von Ai dies sah, machten sich die Männer der Stadt in der Frühe eilends auf und zogen aus, den Israeliten zum Kampf entgegen, er und sein ganzes Volk, an den bestimmten Ort vor der Steppe, ohne zu wissen, daß ihm auf der Westseite der Stadt ein Hinterhalt gelegt war.
15 तब यशू'अ और सब इस्राईलियों ने ऐसा दिखाया, गोया उन्होंने उन से शिकस्त खाई और वीराने के रास्ते होकर भागे।
Da ließen sich Josua und ganz Israel von ihnen schlagen und flohen in der Richtung nach der Steppe zu.
16 और जितने लोग शहर में थे वह उनका पीछा करने के लिए बुलाये गये; और उन्होंने यशू'अ का पीछा किया और शहर से दूर निकले चले गये।
Darauf wurde das gesamte Volk, das noch in der Stadt war, zu ihrer Verfolgung aufgeboten, und sie verfolgten Josua und ließen sich so von der Stadt weglocken:
17 और एे और बैतएल में कोई आदमी बाक़ी न रहा जो इस्राईलियों के पीछे न गया हो; और उन्होंने शहर को खुला छोड़ कर इस्राईलियों का पीछा किया।
kein Mann blieb in Ai [und Bethel] zurück, der nicht zur Verfolgung der Israeliten ausgezogen wäre; die Stadt aber ließen sie hinter sich offen stehen und verfolgten die Israeliten.
18 तब ख़ुदावन्द ने यशू'अ से कहा कि जो बरछा तेरे हाथ में है उसे एे की तरफ़ बढ़ा दे, क्यूँकि मैं उसे तेरे क़ब्ज़े में कर दूँगा और यशू'अ ने उस बरछे को जो उसके हाथ में था शहर की तरफ़ बढ़ाया।
Da sagte der HERR zu Josua: »Strecke die Lanze, die du in der Hand hast, gegen Ai aus, denn ich gebe es in deine Gewalt.« Da streckte Josua die Lanze, die er in der Hand hatte, gegen die Stadt aus.
19 तब उसके हाथ बढ़ाते ही जो घाट में थे अपनी जगह से निकले, और दौड़ कर शहर में दाख़िल हुए और उसे सर कर लिया, और जल्द शहर में आग लगा दी।
Nun verließ der Hinterhalt in aller Eile seinen Standort und gelangte, als Josua seine Hand ausgestreckt hatte, im Lauf zur Stadt, die sie einnahmen und sofort in Brand steckten.
20 और जब एे के लोगों ने पीछे मुड़ कर नज़र की, तो देखा, कि शहर का धुंआ आसमान की तरफ़ उठ रहा है और उनका बस न चला कि वह इधर या उधर भागें, और जो लोग वीराने की तरफ़ भागे थे वह पीछा करने वालों पर उलट पड़े।
Als nun die Aiten sich umwandten und den Rauch von der Stadt zum Himmel aufsteigen sahen, hatten sie keine Möglichkeit mehr, hierhin oder dorthin zu fliehen; denn das israelitische Heer, das nach der Wüste hin geflohen war, wandte sich gegen seine Verfolger um.
21 और जब यशू'अ और सब इस्राईलियों ने देखा कि घात वालों ने शहर ले लिया और शहर का धुंआ उठ रहा है, तो उन्होंने पलट कर एे के लोगों को क़त्ल किया।
Denn als Josua und alle Israeliten sahen, daß der Hinterhalt die Stadt eingenommen hatte und daß der Rauch von der Stadt aufstieg, machten sie kehrt und schlugen die Aiten.
22 और वह दूसरे भी उनके मुक़ाबले को शहर से निकले; इसलिए वह सब के सब इस्राईलियों के बीच में, जो कुछ तो इधर और उधर थे पड़ गये, और उन्होंने उनको मारा यहाँ तक कि किसी को न बाक़ी छोड़ा न भागने दिया।
Jene anderen aber waren ihnen aus der Stadt entgegengezogen, so daß sich die Aiten mitten zwischen den Israeliten befanden, da die einen von dieser, die anderen von jener Seite kamen; und sie machten sie nieder, bis kein einziger von ihnen übrig war, der sich hätte retten oder entfliehen können.
23 और वह एे के बादशाह को ज़िन्दा गिरफ़्तार करके यशू'अ के पास लाये।
Den König von Ai aber nahmen sie lebendig gefangen und brachten ihn zu Josua.
24 और जब इस्राईली एे के सब बाशिंदों को मैदान में उस वीराने के बीच जहाँ उन्होंने इनका पीछा किया था क़त्ल कर चुके, और वह सब तलवार से मारे गये यहाँ तक कि बिल्कुल फ़ना हो गये, तो सब इस्राईली एे को फिरे और उसे बर्बाद कर दिया।
Als nun die Israeliten alle Bewohner von Ai auf dem freien Felde und in der Wüste, wohin die sie verfolgt hatten, niedergemacht hatten und diese alle bis auf den letzten Mann durch das Schwert gefallen waren, da wandten sich alle Israeliten wieder gegen Ai und machten alle Einwohner ohne Gnade nieder.
25 चुनाँचे वह जो उस दिन मारे गये, मर्द 'औरत मिला कर बारह हज़ार या'नी एे के सब लोग थे।
Die Zahl aller, die an diesem Tage fielen, Männer und Weiber, betrug zwölftausend, die ganze Einwohnerschaft von Ai.
26 क्यूँकि यशू'अ ने अपना हाथ जिस से वह बरछे को बढ़ाये हुए था नहीं खींचा, जब तक कि उस ने एे के सब रहने वालों को बिल्कुल हलाक न कर डाला।
Josua hatte nämlich seine Hand, die er mit der Lanze ausgestreckt hatte, nicht eher zurückgezogen, als bis der Bann an allen Bewohnern von Ai vollstreckt war.
27 और इस्राईलियों ने ख़ुदावन्द के हुक्म के मुताबिक़, जो उस ने यशू'अ को दिया था अपने लिए सिर्फ़ शहर के चौपायों और माल — ए — ग़नीमत को लूट में लिया।
Nur das Vieh und die Beute dieser Stadt behielten die Israeliten für sich, nach der Weisung, die der HERR dem Josua erteilt hatte.
28 तब यशू'अ ने एे को जला कर हमेशा के लिए उसे एक ढेर और वीराना बना दिया, जो आज के दिन तक है।
Josua verbrannte dann Ai und machte es für ewige Zeiten zu einem Schutthaufen, zu einer wüsten Stätte, bis auf den heutigen Tag.
29 और उस ने एे के बादशाह को शाम तक दरख़्त पर टांग रखा; और जूँ ही सूरज डूबने लगा, उन्होंने यशू'अ के हुक्म से उसकी लाश को दरख़्त से उतार कर शहर के फाटक के सामने डाल दिया, और उस पर पत्थरों का एक बड़ा ढेर लगा दिया जो आज के दिन तक है।
Den König von Ai aber ließ er bis zur Abendzeit an einen Baum hängen; doch bei Sonnenuntergang nahm man seinen Leichnam auf Befehl Josuas von dem Baume ab und warf ihn an den Eingang des Stadttores, wo man über ihm einen großen Steinhaufen errichtete, der dort noch bis zum heutigen Tage vorhanden ist.
30 तब यशू'अ ने कोह — ए — 'एबाल पर ख़ुदावन्द इस्राईल के खुदा के लिए एक मज़बह बनाया।
Damals baute Josua dem HERRN, dem Gott Israels, einen Altar auf dem Berge Ebal,
31 जैसा ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने बनी इस्राईल को हुक्म दिया था, और जैसा मूसा की शरी'अत की किताब में लिखा है; यह मज़बह बे खड़े पत्थरों का था जिस पर किसी ने लोहा नहीं लगाया था, और उन्होंने उस पर ख़ुदावन्द के सामने सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ और सलामती के ज़बीहे पेश किये।
wie Mose, der Knecht des HERRN, den Israeliten geboten hatte, wie im Gesetzbuch Moses geschrieben steht, einen Altar aus unbehauenen Steinen, an die noch kein eisernes Werkzeug gekommen war; und sie brachten auf ihm dem HERRN Brandopfer dar und schlachteten Dankopfer.
32 और उस ने वहाँ उन पत्थरों पर मूसा की शरी'अत की जो उस ने लिखी थीं, सब बनी इस्राईल के सामने एक नक़ल कन्दा की।
Dann schrieb er dort auf Steine eine Abschrift des mosaischen Gesetzes, das (Mose) einst in Gegenwart der Israeliten geschrieben hatte.
33 और सब इस्राईली और उनके बुज़ुर्ग और मनसबदार और क़ाज़ी, या'नी देसी और परदेसी दोनों लावी काहिनों के आगे जो ख़ुदावन्द के आगे, जो ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ के उठाने वाले थे, सन्दूक़ के इधर और उधर खड़े हुए। इन में से आधे तो कोह — ए — गरज़ीम के मुक़ाबिल थे जैसा ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने पहले हुक्म दिया था कि वह इस्राईली लोगों को बरकत दें।
Und ganz Israel mit seinen Ältesten und Obmännern und seinen Richtern stand zu beiden Seiten der Lade den levitischen Priestern gegenüber, welche die Bundeslade des HERRN zu tragen hatten, sowohl die Fremdlinge als auch die Einheimischen, die eine Hälfte von ihnen nach dem Berge Garizim zu, die andere Hälfte nach dem Berge Ebal hin, wie Mose, der Knecht des HERRN, einstmals geboten hatte, das Volk Israel zu segnen.
34 इसके बाद उस ने शरी'अत की सब बातें, या'नी बरकत और ला'नत जैसी वह शरी'अत की किताब में लिखी हुई हैं, पढ़ कर सुनायीं।
Darnach las Josua alle Worte des Gesetzes laut vor, den Segen wie den Fluch, genau so, wie es im Gesetzbuch geschrieben steht:
35 चुनाँचे जो कुछ मूसा ने हुक्म दिया था, उस में से एक बात भी ऐसी न थी जिसे यशू'अ ने बनी इस्राईल की सारी जमा'अत, और 'औरतों और बाल बच्चों और उन मुसाफ़िरों के सामने जो उनके साथ मिल कर रहते थे न पढ़ा हो।
es gab kein Wort von allem, was Mose geboten hatte, das Josua nicht vor der ganzen Versammlung der Israeliten, auch vor den Frauen und Kindern und den Fremdlingen, die unter ihnen mitzogen, laut vorgelesen hätte.