< यशो 24 >

1 इसके बाद यशू'अ ने इस्राईल के सब क़बीलों को सिकम में जमा' किया, और इस्राईल के बुज़ुर्गों और सरदारों और क़ाज़ियों और मनसबदारों को बुलवाया, और वह ख़ुदा के सामने हाज़िर हुए।
וַיֶּאֶסֹ֧ף יְהֹושֻׁ֛עַ אֶת־כָּל־שִׁבְטֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל שְׁכֶ֑מָה וַיִּקְרָא֩ לְזִקְנֵ֨י יִשְׂרָאֵ֜ל וּלְרָאשָׁ֗יו וּלְשֹֽׁפְטָיו֙ וּלְשֹׁ֣טְרָ֔יו וַיִּֽתְיַצְּב֖וּ לִפְנֵ֥י הָאֱלֹהִֽים׃
2 तब यशू'अ ने उन सब लोगों से कहा कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि तुम्हारे आबा या'नी अब्रहाम और नहूर का बाप तारह वगै़रह पुराने ज़माने में बड़े दरिया के पार रहते और दूसरे मा'बूदों की इबादत करते थे।
וַיֹּ֨אמֶר יְהֹושֻׁ֜עַ אֶל־כָּל־הָעָ֗ם כֹּֽה־אָמַ֣ר יְהוָה֮ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵל֒ בְּעֵ֣בֶר הַנָּהָ֗ר יָשְׁב֤וּ אֲבֹֽותֵיכֶם֙ מֵֽעֹולָ֔ם תֶּ֛רַח אֲבִ֥י אַבְרָהָ֖ם וַאֲבִ֣י נָחֹ֑ור וַיַּעַבְד֖וּ אֱלֹהִ֥ים אֲחֵרִֽים׃
3 और मैंने तुम्हारे बाप अब्रहाम को बड़े दरिया के पार से लेकर कनान के सारे मुल्क में उसकी रहबरी की, और उसकी नसल को बढ़ाया और उसे इज़्हाक़ 'इनायत किया।
וָ֠אֶקַּח אֶת־אֲבִיכֶ֤ם אֶת־אַבְרָהָם֙ מֵעֵ֣בֶר הַנָּהָ֔ר וָאֹולֵ֥ךְ אֹותֹ֖ו בְּכָל־אֶ֣רֶץ כְּנָ֑עַן וָאֶרֶב (וָאַרְבֶּה֙) אֶת־זַרְעֹ֔ו וָֽאֶתֶּן־לֹ֖ו אֶת־יִצְחָֽק׃
4 और मैंने इस्हाक़ को या'क़ूब और 'ऐसौ बख़्शे; और 'ऐसौ को कोह — ए — श'ईर दिया की वह उसका मालिक हो, और या'क़ूब अपनी औलाद के साथ मिस्र में गया।
וָאֶתֵּ֣ן לְיִצְחָ֔ק אֶֽת־יַעֲקֹ֖ב וְאֶת־עֵשָׂ֑ו וָאֶתֵּ֨ן לְעֵשָׂ֜ו אֶת־הַ֤ר שֵׂעִיר֙ לָרֶ֣שֶׁת אֹותֹ֔ו וְיַעֲקֹ֥ב וּבָנָ֖יו יָרְד֥וּ מִצְרָֽיִם׃
5 और मैंने मूसा और हारून को भेजा, और मिस्र पर जो मैंने उस में किया उसके मुताबिक़ मेरी मार पड़ी और उसके बाद मैं तुमको निकाल लाया।
וָאֶשְׁלַ֞ח אֶת־מֹשֶׁ֤ה וְאֶֽת־אַהֲרֹן֙ וָאֶגֹּ֣ף אֶת־מִצְרַ֔יִם כַּאֲשֶׁ֥ר עָשִׂ֖יתִי בְּקִרְבֹּ֑ו וְאַחַ֖ר הֹוצֵ֥אתִי אֶתְכֶֽם׃
6 तुम्हारे बाप दादा को मैंने मिस्र से निकाला, और तुम समन्दर पर आये, तब मिस्रियों ने रथों और सवारों को लेकर बहर — ए — कु़लजु़म तक तुम्हारे बाप दादा का पीछा किया।
וָֽאֹוצִ֤יא אֶת־אֲבֹֽותֵיכֶם֙ מִמִּצְרַ֔יִם וַתָּבֹ֖אוּ הַיָּ֑מָּה וַיִּרְדְּפ֨וּ מִצְרַ֜יִם אַחֲרֵ֧י אֲבֹותֵיכֶ֛ם בְּרֶ֥כֶב וּבְפָרָשִׁ֖ים יַם־סֽוּף׃
7 और जब उन्होंने ख़ुदावन्द से फ़रियाद की तो उसने तुम्हारे और मिस्रियों के बीच अन्धेरा कर दिया, और समन्दर को उन पर चढ़ा लाया और उनको छिपा दिया और तुमने जो कुछ मैंने मिस्र में किया अपनी आँखों से देखा और तुम बहुत दिनों तक वीराने में रहे।
וַיִּצְעֲק֣וּ אֶל־יְהוָ֗ה וַיָּ֨שֶׂם מֽ͏ַאֲפֵ֜ל בֵּינֵיכֶ֣ם ׀ וּבֵ֣ין הַמִּצְרִ֗ים וַיָּבֵ֨א עָלָ֤יו אֶת־הַיָּם֙ וַיְכַסֵּ֔הוּ וַתִּרְאֶ֙ינָה֙ עֵינֵיכֶ֔ם אֵ֥ת אֲשֶׁר־עָשִׂ֖יתִי בְּמִצְרָ֑יִם וַתֵּשְׁב֥וּ בַמִּדְבָּ֖ר יָמִ֥ים רַבִּֽים׃
8 फिर मैं तुम को अमोरियों के मुल्क में जो यरदन के उस पार रहते थे ले आया, वह तुमसे लड़े और मैंने उनको तुम्हारे हाथ में कर दिया; और तुमने उनके मुल्क पर क़ब्ज़ा कर लिया, और मैंने उनको तुम्हारे आगे से हलाक किया।
וָאָבִאָה (וָאָבִ֣יא) אֶתְכֶ֗ם אֶל־אֶ֤רֶץ הָאֱמֹרִי֙ הַיֹּושֵׁב֙ בְּעֵ֣בֶר הַיַּרְדֵּ֔ן וַיִּֽלָּחֲמ֖וּ אִתְּכֶ֑ם וָאֶתֵּ֨ן אֹותָ֤ם בְּיֶדְכֶם֙ וַתִּֽירְשׁ֣וּ אֶת־אַרְצָ֔ם וָאַשְׁמִידֵ֖ם מִפְּנֵיכֶֽם׃
9 फिर सफ़ोर का बेटा बलक़, मोआब का बादशाह, उठ कर इस्राईलियों से लड़ा और तुम पर ला'नत करने को ब'ऊर के बेटे बिल'आम को बुलवा भेजा।
וַיָּ֨קָם בָּלָ֤ק בֶּן־צִפֹּור֙ מֶ֣לֶךְ מֹואָ֔ב וַיִּלָּ֖חֶם בְּיִשְׂרָאֵ֑ל וַיִּשְׁלַ֗ח וַיִּקְרָ֛א לְבִלְעָ֥ם בֶּן־בְּעֹ֖ור לְקַלֵּ֥ל אֶתְכֶֽם׃
10 और मैंने न चाहा बिल'आम की सुनूँ; इसलिए वह तुम को बरकत ही देता गया, इसलिए मैं ने तुम को उसके हाथ से छुड़ाया।
וְלֹ֥א אָבִ֖יתִי לִשְׁמֹ֣עַ לְבִלְעָ֑ם וַיְבָ֤רֶךְ בָּרֹוךְ֙ אֶתְכֶ֔ם וָאַצִּ֥ל אֶתְכֶ֖ם מִיָּדֹֽו׃
11 फिर तुम यरदन पार हो कर यरीहू को आये, और यरीहू के लोग या'नी अमोरी और फ़रिज़्ज़ी और कना'नी और हित्ती और जिरजासी और हव्वी और यबूसी तुम से लड़े, और मैंने उनको तुम्हारे क़ब्ज़ा में कर दिया।
וַתַּעַבְר֣וּ אֶת־הַיַּרְדֵּן֮ וַתָּבֹ֣אוּ אֶל־יְרִיחֹו֒ וַיִּלָּחֲמ֣וּ בָכֶ֣ם בַּעֲלֵֽי־יְ֠רִיחֹו הָֽאֱמֹרִ֨י וְהַפְּרִזִּ֜י וְהַֽכְּנַעֲנִ֗י וְהֽ͏ַחִתִּי֙ וְהַגִּרְגָּשִׁ֔י הֽ͏ַחִוִּ֖י וְהַיְבוּסִ֑י וָאֶתֵּ֥ן אֹותָ֖ם בְּיֶדְכֶֽם׃
12 और मैंने तुम्हारे आगे ज़म्बूरों को भेजा, जिन्होंने दोनों अमोरी बादशाहों को तुम्हारे सामने से भगा दिया; यह न तुम्हारी तलवार और न तुम्हारी कमान से हुआ।
וָאֶשְׁלַ֤ח לִפְנֵיכֶם֙ אֶת־הַצִּרְעָ֔ה וַתְּגָ֤רֶשׁ אֹותָם֙ מִפְּנֵיכֶ֔ם שְׁנֵ֖י מַלְכֵ֣י הָאֱמֹרִ֑י לֹ֥א בְחַרְבְּךָ֖ וְלֹ֥א בְקַשְׁתֶּֽךָ׃
13 और मैंने तुम को वह मुल्क जिस पर तुम ने मेहनत न की, और वह शहर जिनको तुम ने बनाया न था 'इनायत किये, और तुम उन में बसे हो और तुम ऐसे ताकिस्तानो और ज़ैतून के बाग़ों का फल खाते हो जिनको तुमने नहीं लगाया।
וָאֶתֵּ֨ן לָכֶ֜ם אֶ֣רֶץ ׀ אֲשֶׁ֧ר לֹֽא־יָגַ֣עְתָּ בָּ֗הּ וְעָרִים֙ אֲשֶׁ֣ר לֹא־בְנִיתֶ֔ם וַתֵּשְׁב֖וּ בָּהֶ֑ם כְּרָמִ֤ים וְזֵיתִים֙ אֲשֶׁ֣ר לֹֽא־נְטַעְתֶּ֔ם אַתֶּ֖ם אֹכְלִֽים׃
14 इसलिए अब तुम ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ रखो और नेक नियती और सदाक़त से उसकी इबादत करो; और उन माँ'बूदों को दूर कर दो जिनकी इबादत तुम्हारे बाप दादा बड़े दरिया के पार और मिस्र में करते थे, और ख़ुदावन्द की इबादत करो।
וְעַתָּ֞ה יְר֧אוּ אֶת־יְהוָ֛ה וְעִבְד֥וּ אֹתֹ֖ו בְּתָמִ֣ים וּבֶֽאֱמֶ֑ת וְהָסִ֣ירוּ אֶת־אֱלֹהִ֗ים אֲשֶׁר֩ עָבְד֨וּ אֲבֹותֵיכֶ֜ם בְּעֵ֤בֶר הַנָּהָר֙ וּבְמִצְרַ֔יִם וְעִבְד֖וּ אֶת־יְהוָֽה׃
15 और अगर ख़ुदावन्द की इबादत तुम को बुरी मा'लूम होती हो, तो आज ही तुम उसे जिसकी इबादत करोगे चुन लो, ख़्वाह वह वही मा'बूद हों जिनकी इबादत तुम्हारे बाप दादा बड़े दरिया के उस पार करते थे या अमोरी के मा'बूद हों जिनके मुल्क में तुम बसे हो; अब रही मेरी और मेरे घराने की बात इसलिए हम तो ख़ुदावन्द की इबादत करेंगे।
וְאִם֩ רַ֨ע בְּֽעֵינֵיכֶ֜ם לַעֲבֹ֣ד אֶת־יְהוָ֗ה בַּחֲר֨וּ לָכֶ֣ם הַיֹּום֮ אֶת־מִ֣י תַעֲבֹדוּן֒ אִ֣ם אֶת־אֱלֹהִ֞ים אֲשֶׁר־עָבְד֣וּ אֲבֹותֵיכֶ֗ם אֲשֶׁר֙ בְּעֵבֶר (מֵעֵ֣בֶר) הַנָּהָ֔ר וְאִם֙ אֶת־אֱלֹהֵ֣י הָאֱמֹרִ֔י אֲשֶׁ֥ר אַתֶּ֖ם יֹשְׁבִ֣ים בְּאַרְצָ֑ם וְאָנֹכִ֣י וּבֵיתִ֔י נַעֲבֹ֖ד אֶת־יְהוָֽה׃ פ
16 तब लोगों ने जवाब दिया कि ख़ुदा न करे कि हम ख़ुदावन्द को छोड़ कर और मा'बूदों की इबादत करें।
וַיַּ֤עַן הָעָם֙ וַיֹּ֔אמֶר חָלִ֣ילָה לָּ֔נוּ מֵעֲזֹ֖ב אֶת־יְהוָ֑ה לַעֲבֹ֖ד אֱלֹהִ֥ים אֲחֵרִֽים׃
17 क्यूँकि ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा वही है जिस ने हमको और हमारे बाप दादा को मुल्क मिस्र या'नी ग़ुलामी के घर से निकाला और वह बड़े — बड़े निशान हमारे सामने दिखाए और सारे रास्ते जिस में हम चले और उन सब क़ौमों के बीच जिन में से हम गुज़रे हम को महफ़ूज़ रखा।
כִּ֚י יְהוָ֣ה אֱלֹהֵ֔ינוּ הוּא֩ הַמַּעֲלֶ֨ה אֹתָ֧נוּ וְאֶת־אֲבֹותֵ֛ינוּ מֵאֶ֥רֶץ מִצְרַ֖יִם מִבֵּ֣ית עֲבָדִ֑ים וַאֲשֶׁ֧ר עָשָׂ֣ה לְעֵינֵ֗ינוּ אֶת־הָאֹתֹ֤ות הַגְּדֹלֹות֙ הָאֵ֔לֶּה וַֽיִּשְׁמְרֵ֗נוּ בְּכָל־הַדֶּ֙רֶךְ֙ אֲשֶׁ֣ר הָלַ֣כְנוּ בָ֔הּ וּבְכֹל֙ הָֽעַמִּ֔ים אֲשֶׁ֥ר עָבַ֖רְנוּ בְּקִרְבָּֽם׃
18 और ख़ुदावन्द ने सब क़ौमों या'नी अमोरियों को जो उस मुल्क में बसते थे हमारे सामने से निकाल दिया, इसलिए हम भी ख़ुदावन्द की इबादत करेंगे क्यूँकि वह हमारा ख़ुदा है।
וַיְגָ֨רֶשׁ יְהוָ֜ה אֶת־כָּל־הָעַמִּ֗ים וְאֶת־הָאֱמֹרִ֛י יֹשֵׁ֥ב הָאָ֖רֶץ מִפָּנֵ֑ינוּ גַּם־אֲנַ֙חְנוּ֙ נַעֲבֹ֣ד אֶת־יְהוָ֔ה כִּי־ה֖וּא אֱלֹהֵֽינוּ׃ ס
19 यशू'अ ने लोगों से कहा, “तुम ख़ुदावन्द की इबादत नहीं कर सकते; क्यूँकि वह पाक ख़ुदा है, वह ग़य्यूर ख़ुदा है, वह तुम्हारी ख़ताएँ और तुम्हारे गुनाह नहीं बख़्शेगा।
וַיֹּ֨אמֶר יְהֹושֻׁ֜עַ אֶל־הָעָ֗ם לֹ֤א תֽוּכְלוּ֙ לַעֲבֹ֣ד אֶת־יְהוָ֔ה כִּֽי־אֱלֹהִ֥ים קְדֹשִׁ֖ים ה֑וּא אֵֽל־קַנֹּ֣וא ה֔וּא לֹֽא־יִשָּׂ֥א לְפִשְׁעֲכֶ֖ם וּלְחַטֹּאותֵיכֶֽם׃
20 अगर तुम ख़ुदावन्द को छोड़ कर अजनबी मा'बूदों की इबादत करो तो अगरचे वह तुम से नेकी करता रहा है तो भी वह फिर कर तुम से बुराई करेगा और तुम को फ़ना कर डालेगा।”
כִּ֤י תַֽעַזְבוּ֙ אֶת־יְהוָ֔ה וַעֲבַדְתֶּ֖ם אֱלֹהֵ֣י נֵכָ֑ר וְשָׁ֨ב וְהֵרַ֤ע לָכֶם֙ וְכִלָּ֣ה אֶתְכֶ֔ם אַחֲרֵ֖י אֲשֶׁר־הֵיטִ֥יב לָכֶֽם׃
21 लोगों ने यशू'अ से कहा, “नहीं बल्कि हम ख़ुदावन्द ही की इबादत करेंगे।”
וַיֹּ֥אמֶר הָעָ֖ם אֶל־יְהֹושֻׁ֑עַ לֹ֕א כִּ֥י אֶת־יְהוָ֖ה נַעֲבֹֽד׃
22 यशू'अ ने लोगों से कहा, “तुम आप ही अपने गवाह हो कि तुम ने ख़ुदावन्द को चुना है कि उसकी इबादत करो।” उन्होंने ने कहा, “हम गवाह हैं।”
וַיֹּ֨אמֶר יְהֹושֻׁ֜עַ אֶל־הָעָ֗ם עֵדִ֤ים אַתֶּם֙ בָּכֶ֔ם כִּֽי־אַתֶּ֞ם בְּחַרְתֶּ֥ם לָכֶ֛ם אֶת־יְהוָ֖ה לַעֲבֹ֣ד אֹותֹ֑ו וַיֹּאמְר֖וּ עֵדִֽים׃
23 तब उसने कहा, “इसलिए अब तुम अजनबी मा'बूदों को जो तुम्हारे बीच हैं दूर कर दो और अपने दिलों को ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की तरफ़ लाओ।”
וְעַתָּ֕ה הָסִ֛ירוּ אֶת־אֱלֹהֵ֥י הַנֵּכָ֖ר אֲשֶׁ֣ר בְּקִרְבְּכֶ֑ם וְהַטּוּ֙ אֶת־לְבַבְכֶ֔ם אֶל־יְהוָ֖ה אֱלֹהֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃
24 लोगों ने यशू'अ से कहा, “हम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की इबादत करेंगे और उसी की बात मानेंगे।”
וַיֹּאמְר֥וּ הָעָ֖ם אֶל־יְהֹושֻׁ֑עַ אֶת־יְהוָ֤ה אֱלֹהֵ֙ינוּ֙ נַעֲבֹ֔ד וּבְקֹולֹ֖ו נִשְׁמָֽע׃
25 इसलिए यशू'अ ने उसी रोज़ लोगों के साथ 'अहद बांधा, और उनके लिए सिकम में क़ायदा और क़ानून ठहराया।
וַיִּכְרֹ֨ת יְהֹושֻׁ֧עַ בְּרִ֛ית לָעָ֖ם בַּיֹּ֣ום הַה֑וּא וַיָּ֥שֶׂם לֹ֛ו חֹ֥ק וּמִשְׁפָּ֖ט בִּשְׁכֶֽם׃
26 और यशू'अ ने यह बातें ख़ुदा की शरी'अत की किताब में लिख दीं, और एक बड़ा पत्थर लेकर उसे वहीं उस बलूत के दरख्त़ के नीचे जो ख़ुदावन्द के मक़्दिस के पास था खड़ा किया।
וַיִּכְתֹּ֤ב יְהֹושֻׁ֙עַ֙ אֶת־הַדְּבָרִ֣ים הָאֵ֔לֶּה בְּסֵ֖פֶר תֹּורַ֣ת אֱלֹהִ֑ים וַיִּקַּח֙ אֶ֣בֶן גְּדֹולָ֔ה וַיְקִימֶ֣הָ שָּׁ֔ם תַּ֚חַת הָֽאַלָּ֔ה אֲשֶׁ֖ר בְּמִקְדַּ֥שׁ יְהוָֽה׃ ס
27 और यशू'अ ने सब लोगों से कहा कि देखो यह पत्थर हमारा गवाह रहे, क्यूँकि उस ने ख़ुदावन्द की सब बातें जो उस ने हम से कहीं सुनी हैं इसलिए यही तुम पर गवाह रहे ऐसा न हो की तुम अपने ख़ुदा का इन्कार कर जाओ।
וַיֹּ֨אמֶר יְהֹושֻׁ֜עַ אֶל־כָּל־הָעָ֗ם הִנֵּ֨ה הָאֶ֤בֶן הַזֹּאת֙ תִּֽהְיֶה־בָּ֣נוּ לְעֵדָ֔ה כִּֽי־הִ֣יא שָׁמְעָ֗ה אֵ֚ת כָּל־אִמְרֵ֣י יְהוָ֔ה אֲשֶׁ֥ר דִּבֶּ֖ר עִמָּ֑נוּ וְהָיְתָ֤ה בָכֶם֙ לְעֵדָ֔ה פֶּֽן־תְּכַחֲשׁ֖וּן בֵּאלֹהֵיכֶֽם׃
28 फिर यशू'अ ने लोगों को उनकी अपनी अपनी मीरास की तरफ़ रुख़्सत कर दिया।
וַיְשַׁלַּ֤ח יְהֹושֻׁ֙עַ֙ אֶת־הָעָ֔ם אִ֖ישׁ לְנַחֲלָתֹֽו׃ פ
29 और इन बातों के बाद यूँ हुआ कि नून का बेटा यशू'अ ख़ुदावन्द का बन्दा एक सौ दस बरस का होकर वफ़ात कर गया।
וַיְהִ֗י אֽ͏ַחֲרֵי֙ הַדְּבָרִ֣ים הָאֵ֔לֶּה וַיָּ֛מָת יְהֹושֻׁ֥עַ בִּן־נ֖וּן עֶ֣בֶד יְהוָ֑ה בֶּן־מֵאָ֥ה וָעֶ֖שֶׂר שָׁנִֽים׃
30 और उन्होंने उसी की मीरास की हद पर तिमनत सिरह में जो इफ़्राईम के पहाड़ी मुल्क में कोह — ए — जा'स की उत्तर की तरफ़ को है उसे दफ़न किया
וַיִּקְבְּר֤וּ אֹתֹו֙ בִּגְב֣וּל נַחֲלָתֹ֔ו בְּתִמְנַת־סֶ֖רַח אֲשֶׁ֣ר בְּהַר־אֶפְרָ֑יִם מִצְּפֹ֖ון לְהַר־גָּֽעַשׁ׃
31 और इस्राईली ख़ुदावन्द की इबादत यशू'अ के जीते जी और उन बुज़ुर्गों के जीते जी करते रहे जो यशू'अ के बाद ज़िन्दा रहे, और ख़ुदावन्द के सब कामों से जो उस ने इस्राईलियों के लिए किये वाक़िफ़ थे
וַיַּעֲבֹ֤ד יִשְׂרָאֵל֙ אֶת־יְהוָ֔ה כֹּ֖ל יְמֵ֣י יְהֹושֻׁ֑עַ וְכֹ֣ל ׀ יְמֵ֣י הַזְּקֵנִ֗ים אֲשֶׁ֨ר הֶאֱרִ֤יכוּ יָמִים֙ אַחֲרֵ֣י יְהֹושֻׁ֔עַ וַאֲשֶׁ֣ר יָדְע֗וּ אֵ֚ת כָּל־מַעֲשֵׂ֣ה יְהוָ֔ה אֲשֶׁ֥ר עָשָׂ֖ה לְיִשְׂרָאֵֽל׃
32 और उन्होंने यूसुफ़ की हड्डियों को, जिनको बनी इस्राईल मिस्र से ले आये थे, सिकम में उस ज़मीन के हिस्से में दफ़न किया जिसे या'क़ूब ने सिकम के बाप हमोर के बेटों से चाँदी के सौ सिक्कों में ख़रीदा था; और वह ज़मीन बनी यूसुफ़ की मीरास ठहरी।
וְאֶת־עַצְמֹ֣ות יֹ֠וסֵף אֲשֶׁר־הֶעֱל֨וּ בְנֵי־יִשְׂרָאֵ֥ל ׀ מִמִּצְרַיִם֮ קָבְר֣וּ בִשְׁכֶם֒ בְּחֶלְקַ֣ת הַשָּׂדֶ֗ה אֲשֶׁ֨ר קָנָ֧ה יַעֲקֹ֛ב מֵאֵ֛ת בְּנֵֽי־חֲמֹ֥ור אֲבִֽי־שְׁכֶ֖ם בְּמֵאָ֣ה קְשִׂיטָ֑ה וַיִּֽהְי֥וּ לִבְנֵֽי־יֹוסֵ֖ף לְנַחֲלָֽה׃
33 और हारून के बेटे इली'एलियाज़र ने वफ़ात की और उन्होंने उसे उसके बेटे फ़ीन्हास की पहाड़ी पर दफ़न किया, जो इफ़्राईम के पहाड़ी मुल्क में उसे दी गयी थी।
וְאֶלְעָזָ֥ר בֶּֽן־אַהֲרֹ֖ן מֵ֑ת וַיִּקְבְּר֣וּ אֹתֹ֗ו בְּגִבְעַת֙ פִּֽינְחָ֣ס בְּנֹ֔ו אֲשֶׁ֥ר נִתַּן־לֹ֖ו בְּהַ֥ר אֶפְרָֽיִם׃

< यशो 24 >