< यशो 22 >

1 उस वक़्त यशू'अ ने रोबिनियों और जद्दियों और मनस्सी के आधे क़बीले को बुला कर।
ثُمَّ اسْتَدْعَى يَشُوعُ الرَّأُوبَيْنِيِّينَ وَالْجَادِيِّينَ وَنِصْفَ سِبْطِ مَنَسَّى،١
2 उन से कहा कि सब कुछ जो ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने तुम को फ़रमाया तुम ने माना, और जो कुछ मैं ने तुम को हुक्म दिया उस में तुम ने मेरी बात मानी।
وَقَالَ لَهُمْ: «لَقَدْ وَفَيْتُمْ بِكُلِّ مَا أَوْصَاكُمْ بِهِ مُوسَى عَبْدُ الرَّبِّ، وَأَطَعْتُمْ كَلامِي فِي كُلِّ مَا أَمَرْتُكُمْ بِهِ.٢
3 तुमने अपने भाईयों को इस मुद्दत में आज के दिन तक नहीं छोड़ा बल्कि ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के हुक्म की ताकीद पर 'अमल किया।
وَلَمْ تَتَخَلَّوْا عَنْ إِخْوَتِكُمْ طَوَالَ هَذِهِ الأَيَّامِ الْكَثِيرَةِ حَتَّى هَذِهِ اللَّحْظَةِ، بَلْ نَفَّذْتُمُ الْمُهِمَّةَ الَّتِي أَوْكَلَهَا إِلَيْكُمُ الرَّبُّ.٣
4 और अब ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा ने तुम्हारे भाईयों को जैसा उस ने उन से कहा था आराम बख़्शा है इसलिए तुम अब लौट कर अपने अपने ख़ेमे को अपनी मीरासी सर ज़मीन में जो ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने यरदन के उस पार तुम को दी है चले जाओ।
وَهَا الرَّبُّ إِلَهُكُمُ الآنَ قَدْ أَرَاحَ إِخْوَتَكُمْ كَمَا وَعَدَهُمْ، فَانْصَرِفُوا إِلَى خِيَامِكُمْ وَإِلَى أَرْضِ مِلْكِكُمُ الَّتِي وَهَبَهَا لَكُمْ مُوسَى عَبْدُ الرَّبِّ فِي شَرْقِيِّ الأُرْدُنِّ.٤
5 सिर्फ़ उस फ़रमान और शरा' पर 'अमल करने की निहायत एहतियात रखना जिसका हुक्म ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने तुम को दिया, कि तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से मुहब्बत रखो और उसकी सब राहों पर चलो, और उसके हुक्मों को मानो और उस से लिपटे रहो और अपने सारे दिल, और सारी जान, से उसकी बन्दगी करो।
إِنَّمَا احْرِصُوا جِدّاً عَلَى مُمَارَسَةِ الْوَصِيَّةِ وَالشَّرِيعَةِ الَّتِي أَمَرَكُمْ بِها مُوسَى عَبْدُ الرَّبِّ، وَهِيَ أَنْ تُحِبُّوا الرَّبَّ إِلَهَكُمْ وَتَسْلُكُوا فِي كُلِّ سُبُلِهِ وَتُطِيعُوا وَصَايَاهُ وَتَتَمَسَّكُوا بِهِ وَتَعْبُدُوهُ مِنْ كُلِّ قُلُوبِكُمْ وَنُفُوسِكُمْ».٥
6 और यशू'अ ने बरकत दे कर उनको रुख़्सत किया और वह अपने अपने ख़ेमे को चले गये।
ثُمَّ بَارَكَهُمْ يَشُوعُ وَأَطْلَقَهُمْ، فَمَضَوْا إِلَى خِيَامِهِمْ.٦
7 मनस्सी के आधे क़बीले को तो मूसा ने बसन में मीरास दी, थी लेकिन उस के दूसरे आधे को यशु'अ ने उनके भाईयों के बीच यरदन के इस पार पश्चिम की तरफ़ हिस्सा दिया; और जब यशू'अ ने उनको रुख़्सत किया की अपने अपने ख़ेमे को जाएँ, तो उनको भी बरकत देकर।
وَكَانَ مُوسَى قَدْ وَهَبَ لِنِصْفِ سِبْطِ مَنَسَّى مِلْكاً فِي بَاشَانَ، أَمَّا نِصْفُهُ الآخَرُ فَقَدْ أَعْطَاهُمْ يَشُوعُ مِيرَاثاً مَعَ إِخْوَتِهِمْ غَرْبِيَّ نَهْرِ الأُرْدُنِّ. وَعِنْدَمَا أَطْلَقَهُمْ يَشُوعُ أَيْضاً إِلَى خِيَامِهِمْ بَارَكَهُمْ٧
8 उन से कहा कि, बड़ी दौलत और बहुत से चौपाये, और चाँदी और सोना और पीतल और लोहा और बहुत सी पोशाक लेकर तुम अपने अपने ख़ेमे को लौटो; और अपने दुश्मनों के माल — ए — ग़नीमत को अपने भाईयों के साथ बाँट लो।
وَقَالَ لَهُمْ: «ارْجِعُوا إِلَى خِيَامِكُمْ بِغَنَائِمَ كَثِيرَةٍ وَبِمَوَاشٍ وَفِيرَةٍ وَبِفِضَّةٍ وَذَهَبٍ وَنُحَاسٍ وَحَدِيدٍ وَمَلابِسَ كَثِيرَةٍ جِدّاً، تَقَاسَمُوا غَنِيمَةَ أَعْدَائِكُمْ مَعَ إِخْوَتِكُمْ».٨
9 तब बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी का आधा क़बीला लौटा और वह बनी इस्राईल के पास से शीलोह से जो मुल्क — ए — कना'न में है रवाना हुए, ताकि वह अपने मीरासी मुल्क जिल'आद को लौट, जाएँ जिसके मालिक वह ख़ुदावन्द के उस हुक्म के मुताबिक़ हुए थे जो उस ने मूसा के बारे में दिया था।
فَرَجَعَ أَبْنَاءُ رَأُوبَيْنَ وَأَبْنَاءُ جَادٍ وَنِصْفُ سِبْطِ مَنَسَّى مِنْ عِنْدِ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ شِيلُوهَ الْوَاقِعَةِ فِي أَرْضِ كَنْعَانَ، إِلَى أَرْضِ جِلْعَادَ، أَرْضِ مِيرَاثِهِمِ الَّتِي امْتَلَكُوهَا حَسَبَ وَعْدِ الرَّبِّ عَلَى لِسَانِ مُوسَى.٩
10 और जब वह यरदन के पास के उस मुक़ाम में पहुँचे जो मुल्क कनान में है, तो बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीले ने वहाँ यरदन के पास एक मज़बह जो देखने में बड़ा मज़बह था बनाया।
وَعِنْدَمَا وَصَلَ رِجَالُ سِبْطَيْ رَأُوبَيْنَ وَجَادٍ وَنِصْفِ سِبْطِ مَنَسَّى حَوْضَ الأُرْدُنِّ فِي أَرْضِ كَنْعَانَ، شَيَّدُوا عَلَى ضَفَّةِ نَهْرِ الأُرْدُنِّ مَذْبَحاً رَائِعَ الْمَنْظَرِ.١٠
11 और बनी इस्राईल के सुनने में आया की देखो बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीला ने मुल्क — ए — कना'न के सामने, यरदन के गिर्द के मक़ाम में उस रुख़ पर जो बनी इस्राईल का है एक मज़बह बनाया है।
فَقِيلَ لِبَنِي إِسْرَائِيلَ: «هَا قَدْ بَنَى أَبْنَاءُ رَأُوبَيْنَ وَجَادٍ وَأَبْنَاءُ نِصْفِ سِبْطِ مَنَسَّى مَذْبَحاً فِي حَوْضِ نَهْرِ الأُرْدُنِّ مُقَابِلَ جَانِبِنَا مِنَ النَّهْرِ».١١
12 जब बनी इस्राईल ने यह सुना तो बनी इस्राईल की सारी जमा'त शीलोह में इकठ्ठा हुई, ताकि उन पर चढ़ जाये और लड़े,
فَاحْتَشَدَ كُلُّ رِجَالِ إِسْرَائِيلَ فِي شِيلُوهَ مُتَأَهِّبِينَ لِمُحَارَبَتِهِمْ.١٢
13 और बनी इस्राईल ने इली'एलियाज़र काहिन के बेटे फ़ीन्हास को बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीला के पास जो मुल्क जिल'आद में थे भेजा।
وَأَرْسَلُوا فِينْحَاسَ بْنَ أَلِعَازَارَ الْكَاهِنَ إِلَى أَبْنَاءِ رَأُوبَيْنَ وَأَبْنَاءِ جَادٍ وَأَبْنَاءِ نِصْفِ مَنَسَّى فِي أَرْضِ جِلْعَادَ١٣
14 और बनी इस्राईल के क़बीलों से हर एक के आबाई ख़ानदान से एक अमीर के हिसाब से दस अमीर उसके साथ किये, उन में से हर एक हज़ार दर हज़ार इस्राईलियों में अपने आबाई ख़ानदान का सरदार था।
عَلَى رَأْسِ وَفْدٍ مِنْ عَشْرَةِ زُعَمَاءَ يُمَثِّلُ كُلُّ زَعِيمٍ مِنْهُمْ سِبْطاً مِنْ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ.١٤
15 इसलिए वह बनी रूबिन और बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीले के पास मुल्क जिल'आद में आये और उन से कहा कि,
وَعِنْدَمَا وَصَلُوا إِلَى جِلْعَادَ قَالُوا لَهُمْ:١٥
16 ख़ुदावन्द की सारी जमा'अत यह कहती, है कि तुम ने इस्राईल के ख़ुदा से यह क्या सरकशी की कि, आज के दिन ख़ुदावन्द की पैरवी से फिरकर अपने लिए एक मज़बह बनाया, और आज के दिन तुम ख़ुदावन्द से बाग़ी हो गये?
«هَذَا مَا تَقُولُهُ لَكُمْ كُلُّ جَمَاعَةِ الرَّبِّ: مَا هَذِهِ الْخِيَانَةُ الَّتِي ارْتَكَبْتُمُوهَا فِي حَقِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ فَارْتَدَدْتُمْ عَنِ الرَّبِّ وَبَنَيْتُمْ لأَنْفُسِكُمْ مَذْبَحاً، مُتَمَرِّدِينَ بِذَلِكَ عَلَى الرَّبِّ؟١٦
17 क्या हमारे लिए फ़गू़र की बदकारी कुछ कम थी जिस से हम आज के दिन तक पाक नहीं हुए, अगरचे ख़ुदावन्द की जमा'त में वबा भी आई कि।
أَلَمْ يَكْفِنَا إِثْمُ فَغُورَ الَّذِي لَمْ نَتَطَهَّرْ مِنْهُ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ مُنْذُ أَنْ تَفَشَّى الْوَبَأُ فِي جَمَاعَةِ الرَّبِّ،١٧
18 तुम आज के दिन ख़ुदावन्द की पैरवी से फिर जाते हो? और चूँकि तुम आज ख़ुदावन्द से बाग़ी होते हो, इसलिए कल यह होगा कि इस्राईल की सारी जमा'त पर उसका क़हर नाज़िल होगा
حَتَّى تَرْتَدُّوا أَنْتُمُ الْيَوْمَ عَنِ الرَّبِّ؟ إِذَا تَمَرَّدْتُمُ الْيَوْمَ عَلَى الرَّبِّ فَإِنَّهُ يَسْخَطُ غَداً عَلَى كُلِّ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ.١٨
19 और अगर तुम्हारा मीरासी मुल्क नापाक है, तो तुम ख़ुदावन्द के मीरासी मुल्क में पार आ जाओ जहाँ ख़ुदावन्द का घर है और हमारे बीच मीरास लो, लेकिन ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के मज़बह के सिवा अपने लिए कोई और मज़बह बना कर, न तो ख़ुदावन्द से बाग़ी हो और न हम से बग़ावत करो।
فَإِنْ كَانَتْ أَرْضُكُمْ نَجِسَةً فَتَعَالَوْا إِلَى أَرْضِ الرَّبِّ، الَّتِي نُصِبَ فِيهَا مَسْكَنُ الرَّبِّ، وَرِثُوا بَيْنَنَا، وَلَكِنْ لَا تَتَمَرَّدُوا عَلَى الرَّبِّ وَلا عَلَيْنَا بِتَشْيِيدِكُمْ لأَنْفُسِكُمْ مَذْبَحاً غَيْرَ مَذْبَحِ الرَّبِّ إِلَهِنَا.١٩
20 क्या ज़ारह के बेटे 'अकन की ख़यानत की वजह से जो उस ने मख़्सूस की हुई चीज़ में की इस्राईल की सारी जमा'त पर ग़ज़ब नाज़िल न हुआ? वह शख्स़ अकेला ही अपनी बदकारी में हलाक नहीं हुआ।
أَلَمْ يَرْتَكِبْ عَخَانُ بْنُ زَارَحَ خِيَانَةً فَسَرَقَ مَا حَرَّمَهُ اللهُ، فَانْصَبَّ السَّخَطُ عَلَى كُلِّ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ وَلَمْ يَكُنْ هُوَ وَحْدَهُ فَقَطْ الَّذِي هَلَكَ مِنْ جَرَّاءِ إِثْمِهِ؟»٢٠
21 तब बनी रूबिन औ बनी जद्द और मनस्सी के आधे क़बीला ने हज़ार दर हज़ार इस्राईलियों के सरदारों को जवाब दिया कि।
فَأَجَابَهُمْ أَبْنَاءُ رَأُوبَيْنَ وَجَادٍ وَنِصْفِ سِبْطِ مَنَسَّى:٢١
22 ख़ुदावन्द ख़ुदा — ओं का ख़ुदा, ख़ुदावन्द ख़ुदा — ओं का ख़ुदा, जानता है और इस्राईली भी जान लेंगे, अगर इस में बग़ावत या ख़ुदावन्द की मुख़ालिफ़त है तूने तो हमको आज जीता न छोड़ा।
«إِنَّ الرَّبَّ الْقَدِيرَ هُوَ إِلَهُ كُلِّ الآلِهَةِ؛ إِنَّ الرَّبَّ الْقَدِيرَ هُوَ إِلَهُ كُلِّ الْآلِهَةِ. هُوَ يَعْلَمُ، وَعَلَى شَعْبِ إِسْرَائِيلَ أَنْ يَعْلَمَ أَنَّنَا لَمْ نَبْنِ الْمَذْبَحَ تَمَرُّداً عَلَيْهِ أَوْ خِيَانَةً فِي حَقِّهِ وَإلَّا فَلْيُهْلِكْنَا هَذَا الْيَوْمَ،٢٢
23 अगर हम ने आज के दिन इसलिए यह मज़बह बनाया हो कि ख़ुदावन्द से फिर जाएँ या उस पर सोख़्तनी क़ुर्बानी या नज़र की क़ुर्बानी या सलामती के ज़बीहे चढ़ाएं तो ख़ुदावन्द ही इसका हिसाब ले।
وَلْيُعَاقِبْنَا الرَّبُّ نَفْسُهُ إِنْ كُنَّا قَدْ شَيَّدْنَا هَذَا الْمَذْبَحَ لِلارْتِدَادِ عَنْهُ أَوْ لإِصْعَادِ مُحْرَقَةٍ أَوْ تَقْدِمَةٍ أَوْ تَقْرِيبِ ذَبَائِحِ سَلامٍ عَلَيْهِ.٢٣
24 बल्कि हम ने इस ख़याल और ग़रज़ से यह किया कि कहीं आइन्दा ज़माना में तुम्हारी औलाद हमारी औलाद से यह न कहने लगे,' कि तुम को ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा से क्या लेना है?
إِنَّمَا أَقَمْنَاهُ خَوْفاً مِنْ أَنْ يَقُولَ يَوْماً أَوْلادُكُمْ لأَوْلادِنَا: بِأَيِّ حَقٍّ تَعْبُدُونَ الرَّبَّ إِلَهَ إِسْرَائِيلَ؟٢٤
25 क्यूँकि ख़ुदावन्द तो हमारे और तुम्हारे बीच 'ऐ बनी रूबिन और बनी जद्द यरदन को हद ठहराया है इसलिए ख़ुदावन्द में तुम्हारा कोई हिस्सा नहीं है, यूँ तुम्हारी औलाद हमारी औलाद से ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ छुड़ा देगी।
لَقَدْ جَعَلَ الرَّبُّ نَهْرَ الأُرْدُنِّ حَدّاً فَاصِلاً بَيْنَكُمْ وَبَيْنَنَا يَا أَبْنَاءَ سِبْطَيْ رَأُوبَيْنَ وَجَادٍ، فَلَيْسَ لَكُمْ نَصِيبٌ فِي الرَّبِّ، وَبِذَلِكَ يَثْنِي أَوْلادُكُمْ أَوْلادَنَا عَنْ تَقْوَى الرَّبِّ.٢٥
26 इसलिए हम ने कहा कि आओ हम अपने लिए एक मज़बह बनाना शुरू'' करें जो न सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए हो और न ज़बीहे के लिए।
وَذَلِكَ مَا جَعَلَنَا نَقُولُ: هَيَّا نَبْنِي مَذْبَحاً، لَا لِنُقَدِّمَ عَلَيْهِ مُحْرَقَةً أَوْ ذَبِيحَةً،٢٦
27 बल्कि वह हमारे और तुम्हारे और हमारे बाद हमारी नसलों के बीच गवाह ठहरे, ताकि हम ख़ुदावन्द के सामने उसकी ''इबादत अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानियों और अपने ज़बीहों और सलामती के हदियों से करें, और आइन्दा ज़माना में तुम्हारी औलाद हमारी औलाद से कहने न पाए कि ख़ुदावन्द में तुम्हारा कोई हिस्सा नहीं।
إِنَّمَا لِيَكُونَ شَاهِداً بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ وَبَيْنَ أَجْيَالِنَا الْقَادِمَةِ بَعْدَنَا، بِأَنَّنَا نَعْبُدُ الرَّبَّ بِذَبَائِحِنَا وَمُحْرَقَاتِنَا وَتَقْدِمَاتِ سَلامِنَا، فَلا يَقُولُ أَبْنَاؤُكُمْ غَداً لأَبْنَائِنَا: لَيْسَ لَكُمْ نَصِيبٌ فِي الرَّبِّ.٢٧
28 इसलिए हम ने कहा कि, जब वह हम से या हमारी औलाद से आइन्दा ज़माना में यूँ कहेंगे तो हम उनको जवाब देंगे कि देखो ख़ुदावन्द के मज़बह का नमूना जिसे हमारे बाप दादा ने बनाया, यह न सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए है न ज़बीहा के लिए बल्कि यह हमारे और तुम्हारे बीच गवाह है।
وَقُلْنَا: إِذَا حَدَثَ وَقَالُوا ذَلِكَ لأَجْيَالِنَا غَداً، أَنَّهُمْ يُجِيبُونَهُمْ: انْظُرُوا شِبْهَ مَذْبَحِ الرَّبِّ الَّذِي شَيَّدَهُ آبَاؤُنَا، لَا لِلْمُحْرَقَةِ وَلا لِلذَّبِيحَةِ، بَلْ لِيَكُونَ شَاهِداً بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ.٢٨
29 ख़ुदा न करे कि हम ख़ुदावन्द से बाग़ी हों और आज ख़ुदावन्द की पैरवी से फिर कर ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के मज़बह के सिवा जो उसके ख़ेमें के सामने है सोख़्तनी क़ुर्बानी और नज़्र की क़ुर्बानी और ज़बीहा के लिए कोई मज़बह बनाएँ।
فَحَاشَا لَنَا أَنْ نَتَمَرَّدَ عَلَى الرَّبِّ وَنَرْتَدَّ عَنْهُ بِبِنَاءِ مَذْبَحٍ لِلْمُحْرَقَةِ أَوِ التَّقْدِمَةِ أَوِ الذَّبِيحَةِ غَيْرَ مَذْبَحِ الرَّبِّ إِلَهِنَا الْقَائِمِ أَمَامَ مَسْكَنِهِ».٢٩
30 जब फ़ीन्हास काहिन और जमा'त के अमीरों या'नी हज़ार दर हज़ार इस्राईलियों के सरदारों ने जो उसके साथ आए थे यह बातें सुनीं जो बनी रूबिन और बनी जद्द और बनी मनस्सी ने कहीं तो वह बहुत खुश हुए।
فَلَمَّا سَمِعَ فِينْحَاسُ الْكَاهِنُ وَقَادَةُ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ الْمُرَافِقِينَ لَهُ مَا أَجَابَ بِهِ أَبْنَاءُ سِبْطَيْ رَأُوبَيْنَ وَجَادٍ وَأَبْنَاءُ نِصْفِ سِبْطِ مَنَسَّى، حَظِيَ ذَلِكَ بِرِضَاهُمْ.٣٠
31 तब इली'एलियाज़र के बेटे फ़ीन्हास काहिन ने बनी रूबिन और बनी जद्द और बनी मनस्सी से कहा आज हम ने जान लिया कि ख़ुदावन्द हमारे बीच है क्यूँकि तुम से ख़ुदावन्द की यह ख़ता नहीं हुई, इसलिए तुम ने बनी इस्राईल को ख़ुदावन्द के हाथ से छुड़ा लिया है।
فَقَالَ فِينْحَاسُ بْنُ أَلِعَازَارَ الْكَاهِنُ لَهُمْ: «الْيَوْمَ عَرَفْنَا أَنَّ الرَّبَّ بَيْنَنَا، لأَنَّكُمْ لَمْ تَرْتَكِبُوا هَذِهِ الْخِيَانَةَ بِحَقِّهِ، وَبِذَلِكَ أَنْقَذْتُمْ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ عِقَابِ الرَّبِّ».٣١
32 और इली'एलियाज़र काहिन का बेटा फ़ीन्हास और वह सरदार जिल'आद से बनी रूबिन और बनी जद्द के पास से मुल्क — ए — कना'न में बनी इस्राईल के पास लौट आये और उनको यह माजरा सुनाया?
وَرَجَعَ فِينْحَاسُ بْنُ أَلِعَازَارَ الْكَاهِنُ وَالرُّؤَسَاءُ عَائِدِينَ مِنْ أَرْضِ جِلْعَادَ إِلَى أَرْضِ كَنْعَانَ حَيْثُ يُقِيمُ الإِسْرَائِيلِيُّونَ وَأَخْبَرُوهُمْ بِجَوَابِهِمْ.٣٢
33 तब बनी इस्राईल इस बात से खुश हुए और बनी इस्राईल ने ख़ुदा की हम्द की और फिर जंग के लिए उन पर चढ़ाई करने और उस मुल्क को तबाह करने का नाम न लिया जिस में बनी रूबिन और बनी जद्द रहते थे।
فَاغْتَبَطَ الإِسْرَائِيلِيُّونَ وَبَارَكُوا الرَّبَّ وَتَخَلَّوْا عَنْ فِكْرَةِ مُحَارَبَةِ الرَّأُوبَيْنِيِّينَ وَالْجَادِيِّينَ وَتَخْرِيبِ أَرْضِهِمْ.٣٣
34 तब बनी रूबिन और बनी जद्द ने उस मज़बह का नाम 'ईद यह कह कर रखा की वह हमारे बीच गवाह है कि यहोवाह ख़ुदा है।
وَسَمَّى بَنُو رَأُوبَيْنَ وَبَنُو جَادٍ الْمَذْبَحَ «الشَّاهِدَ» لأَنَّهُمْ قَالُوا إِنَّهُ شَاهِدٌ بَيْنَنَا بِأَنَّ الرَّبَّ هُوَ إِلَهُنَا.٣٤

< यशो 22 >