< यशो 2 >
1 तब नून के बेटे यशू'अ ने शित्तीम से दो आदमियों को चुपके से जासूस के तौर पर भेजा और उन से कहा, कि जा कर उस मुल्क को और यरीहू को देखो भालो। चुनाँचे वह रवाना हुए और एक कस्बी के घर में जिसका नाम राहब था आए और वहीं सोए।
καὶ ἀπέστειλεν Ἰησοῦς υἱὸς Ναυη ἐκ Σαττιν δύο νεανίσκους κατασκοπεῦσαι λέγων ἀνάβητε καὶ ἴδετε τὴν γῆν καὶ τὴν Ιεριχω καὶ πορευθέντες εἰσήλθοσαν οἱ δύο νεανίσκοι εἰς Ιεριχω καὶ εἰσήλθοσαν εἰς οἰκίαν γυναικὸς πόρνης ᾗ ὄνομα Ρααβ καὶ κατέλυσαν ἐκεῖ
2 और यरीहू के बादशाह को ख़बर मिली कि देख आज की रात बनी इस्राईल में से कुछ आदमी इस मुल्क की जासूसी करने को यहाँ आए हैं।
καὶ ἀπηγγέλη τῷ βασιλεῖ Ιεριχω λέγοντες εἰσπεπόρευνται ὧδε ἄνδρες τῶν υἱῶν Ισραηλ κατασκοπεῦσαι τὴν γῆν
3 और यरीहू के बादशाह ने राहब को कहला भेजा कि उन लोगों को जो तेरे पास आये और तेरे घर में दाख़िल हुए हैं निकाल ला इस लिए कि वह इस सारे मुल्क की जासूसी करने को आए हैं।
καὶ ἀπέστειλεν ὁ βασιλεὺς Ιεριχω καὶ εἶπεν πρὸς Ρααβ λέγων ἐξάγαγε τοὺς ἄνδρας τοὺς εἰσπεπορευμένους εἰς τὴν οἰκίαν σου τὴν νύκτα κατασκοπεῦσαι γὰρ τὴν γῆν ἥκασιν
4 तब उस 'औरत ने उन दोनों आदमियों को लेकर और उनको छिपा कर यूँ कह दिया कि वह आदमी मेरे पास आए तो थे लेकिन मुझे मा'लूम न हुआ कि वह कहाँ के थे।
καὶ λαβοῦσα ἡ γυνὴ τοὺς ἄνδρας ἔκρυψεν αὐτοὺς καὶ εἶπεν αὐτοῖς λέγουσα εἰσεληλύθασιν πρός με οἱ ἄνδρες
5 और फाटक बंद होने के वक़्त के क़रीब जब अँधेरा हो गया, वह आदमी चल दिए और मैं नहीं जानती हूँ कि वह कहाँ गये। इसलिए जल्द उनका पीछा करो क्यूँकि तुम ज़रूर उनको पा लोगे।
ὡς δὲ ἡ πύλη ἐκλείετο ἐν τῷ σκότει καὶ οἱ ἄνδρες ἐξῆλθον οὐκ ἐπίσταμαι ποῦ πεπόρευνται καταδιώξατε ὀπίσω αὐτῶν εἰ καταλήμψεσθε αὐτούς
6 लेकिन उसने उनको अपनी छत पर चढ़ा कर सन की लकड़ियों के नीचे जो छत पर तरतीब से धरी थीं छिपा दिया था।
αὐτὴ δὲ ἀνεβίβασεν αὐτοὺς ἐπὶ τὸ δῶμα καὶ ἔκρυψεν αὐτοὺς ἐν τῇ λινοκαλάμῃ τῇ ἐστοιβασμένῃ αὐτῇ ἐπὶ τοῦ δώματος
7 और यह लोग यरदन के रास्ते पर पाँव के निशानों तक उनके पीछे गये और जूँही उनका पीछा करने वाले फाटक से निकले उन्होंने फाटक बंद कर लिया।
καὶ οἱ ἄνδρες κατεδίωξαν ὀπίσω αὐτῶν ὁδὸν τὴν ἐπὶ τοῦ Ιορδάνου ἐπὶ τὰς διαβάσεις καὶ ἡ πύλη ἐκλείσθη καὶ ἐγένετο ὡς ἐξήλθοσαν οἱ διώκοντες ὀπίσω αὐτῶν
8 तब राहब छत पर उन आदमियों के लेट जाने से पहले उन के पास गई
καὶ αὐτοὶ δὲ πρὶν ἢ κοιμηθῆναι αὐτούς καὶ αὐτὴ ἀνέβη ἐπὶ τὸ δῶμα πρὸς αὐτοὺς
9 और उन से यूँ कहने लगी कि मुझे यक़ीन है कि ख़ुदावन्द ने यह मुल्क तुमको दिया है और तुम्हारा रौ'ब हम लोगों पर छा गया है और इस मुल्क के सब बाशिन्दे तुम्हारे आगे डरे जा रहे हैं।
καὶ εἶπεν πρὸς αὐτούς ἐπίσταμαι ὅτι δέδωκεν ὑμῖν κύριος τὴν γῆν ἐπιπέπτωκεν γὰρ ὁ φόβος ὑμῶν ἐφ’ ἡμᾶς
10 क्यँकि हम ने सुन लिया है कि जब तुम मिस्र से निकले तो ख़ुदावन्द ने तुम्हारे आगे बहर — ए — कु़लजु़म के पानी को सुखा दिया, और तुम ने अमूरियों के दोनों बादशाहों सीहोन और 'ओज़ से जो यरदन के उस पार थे और जिनको तुमने बिल्कुल हलाक कर डाला क्या क्या किया।
ἀκηκόαμεν γὰρ ὅτι κατεξήρανεν κύριος ὁ θεὸς τὴν ἐρυθρὰν θάλασσαν ἀπὸ προσώπου ὑμῶν ὅτε ἐξεπορεύεσθε ἐκ γῆς Αἰγύπτου καὶ ὅσα ἐποίησεν τοῖς δυσὶ βασιλεῦσιν τῶν Αμορραίων οἳ ἦσαν πέραν τοῦ Ιορδάνου τῷ Σηων καὶ Ωγ οὓς ἐξωλεθρεύσατε αὐτούς
11 यह सब कुछ सुनते ही हमारे दिल पिघल गये और तुम्हारी वजह से फिर किसी शख़्स में जान बाक़ी न रही क्यँकि खु़दावन्द तुम्हारा ख़ुदा ही ऊपर आसमान का और नीचे ज़मीन का ख़ुदा है।
καὶ ἀκούσαντες ἡμεῖς ἐξέστημεν τῇ καρδίᾳ ἡμῶν καὶ οὐκ ἔστη ἔτι πνεῦμα ἐν οὐδενὶ ἡμῶν ἀπὸ προσώπου ὑμῶν ὅτι κύριος ὁ θεὸς ὑμῶν θεὸς ἐν οὐρανῷ ἄνω καὶ ἐπὶ τῆς γῆς κάτω
12 इसलिए अब मैं तुम्हारी मिन्नत करती हूँ कि मुझ से ख़ुदावन्द की क़सम खाओ कि चूँकि मैंने तुम पर मेहरबानी की है तुम भी मेरे बाप के घराने पर मेहरबानी करोगे और मुझे कोई सच्चा निशान दो;
καὶ νῦν ὀμόσατέ μοι κύριον τὸν θεόν ὅτι ποιῶ ὑμῖν ἔλεος καὶ ποιήσετε καὶ ὑμεῖς ἔλεος ἐν τῷ οἴκῳ τοῦ πατρός μου
13 कि तुम मेरे बाप और माँ और भाइयों और बहनों को और जो कुछ उनका है सबको सलामत बचा लोगे और हमारी जानों को मौत से महफ़ूज़ रखोगे।
καὶ ζωγρήσετε τὸν οἶκον τοῦ πατρός μου καὶ τὴν μητέρα μου καὶ τοὺς ἀδελφούς μου καὶ πάντα τὸν οἶκόν μου καὶ πάντα ὅσα ἐστὶν αὐτοῖς καὶ ἐξελεῖσθε τὴν ψυχήν μου ἐκ θανάτου
14 उन आदमियों ने उस से कहा कि हमारी जान तुम्हारी जान की ज़िम्मेदार होगी बशर्ते कि तुम हमारे इस काम का ज़िक्र न कर दो और ऐसा होगा कि जब ख़ुदावन्द इस मुल्क को हमारे क़ब्ज़े में कर देगा तो हम तेरे साथ मेहरबानी और वफ़ादारी से पेश आयेंगे।
καὶ εἶπαν αὐτῇ οἱ ἄνδρες ἡ ψυχὴ ἡμῶν ἀνθ’ ὑμῶν εἰς θάνατον καὶ αὐτὴ εἶπεν ὡς ἂν παραδῷ κύριος ὑμῖν τὴν πόλιν ποιήσετε εἰς ἐμὲ ἔλεος καὶ ἀλήθειαν
15 तब उस 'औरत ने उनको खिड़की के रास्ते रस्सी से नीचे उतार दिया क्यूँकि उस का घर शहर की दीवार पर बना था और वह दीवार पर रहती थी।
καὶ κατεχάλασεν αὐτοὺς διὰ τῆς θυρίδος
16 और उस ने उस से कहा कि पहाड़ को चल दो ऐसा न हो कि पीछा करने वाले तुम को मिल जायें; और तीन दिन तक वहीं छिपे रहना जब तक पीछा करने वाले लौट न आयें, इस के बाद अपना रास्ता लेना।
καὶ εἶπεν αὐτοῖς εἰς τὴν ὀρεινὴν ἀπέλθετε μὴ συναντήσωσιν ὑμῖν οἱ καταδιώκοντες καὶ κρυβήσεσθε ἐκεῖ τρεῖς ἡμέρας ἕως ἂν ἀποστρέψωσιν οἱ καταδιώκοντες ὀπίσω ὑμῶν καὶ μετὰ ταῦτα ἀπελεύσεσθε εἰς τὴν ὁδὸν ὑμῶν
17 तब उन आदमियों ने उस से कहा कि हम तो उस क़सम की तरफ़ से जो तूने हम को खिलाई है बे इलज़ाम रहेंगे।
καὶ εἶπαν οἱ ἄνδρες πρὸς αὐτήν ἀθῷοί ἐσμεν τῷ ὅρκῳ σου τούτῳ
18 इसलिए देख! जब हम इस मुल्क में आंएँ तो तू सुर्ख़ रंग के सूत की इस डोरी को उस खिड़की में जिससे तूने हम को नीचे उतारा है बांध देना; और अपने बाप और माँ और भाईयों बल्कि अपने बाप के सारे घराने को अपने पास घर में जमा' कर रखना।
ἰδοὺ ἡμεῖς εἰσπορευόμεθα εἰς μέρος τῆς πόλεως καὶ θήσεις τὸ σημεῖον τὸ σπαρτίον τὸ κόκκινον τοῦτο ἐκδήσεις εἰς τὴν θυρίδα δῑ ἧς κατεβίβασας ἡμᾶς δῑ αὐτῆς τὸν δὲ πατέρα σου καὶ τὴν μητέρα σου καὶ τοὺς ἀδελφούς σου καὶ πάντα τὸν οἶκον τοῦ πατρός σου συνάξεις πρὸς σεαυτὴν εἰς τὴν οἰκίαν σου
19 फिर जो कोई तेरे घर के दरवाज़ों से निकल कर गली में जाये, उस का ख़ून उसी के सर पर होगा और हम बे गुनाह ठहरेंगे; और जो कोई तेरे साथ घर में होगा उस पर अगर किसी का हाथ चले, तो उसका ख़ून हमारे सर पर होगा।
καὶ ἔσται πᾶς ὃς ἂν ἐξέλθῃ τὴν θύραν τῆς οἰκίας σου ἔξω ἔνοχος ἑαυτῷ ἔσται ἡμεῖς δὲ ἀθῷοι τῷ ὅρκῳ σου τούτῳ καὶ ὅσοι ἐὰν γένωνται μετὰ σοῦ ἐν τῇ οἰκίᾳ σου ἡμεῖς ἔνοχοι ἐσόμεθα
20 और अगर तू हमारे इस काम का ज़िक्र कर दे, तो हम उस क़सम की तरफ़ से जो तूने हम को खिलाई है बेइल्ज़ाम हो जाएँगे।
ἐὰν δέ τις ἡμᾶς ἀδικήσῃ ἢ καὶ ἀποκαλύψῃ τοὺς λόγους ἡμῶν τούτους ἐσόμεθα ἀθῷοι τῷ ὅρκῳ σου τούτῳ
21 उसने कहा, “जैसा तुम कहते हो वैसा ही हो।” इसलिए उसने उनको रवाना किया और वह चल दिए; तब उसने सुर्ख़ रंग की वह डोरी खिड़की में बाँध दी।
καὶ εἶπεν αὐτοῖς κατὰ τὸ ῥῆμα ὑμῶν οὕτως ἔστω καὶ ἐξαπέστειλεν αὐτούς
22 और वह जाकर पहाड़ पर पहुँचे और तीन दिन तक वहीं ठहरे रहे, जब तक उनका पीछा करने वाले लौट न आए; और उन पीछा करने वालों ने उनको सारे रास्ते ढूंढा पर कहीं न पाया।
καὶ ἐπορεύθησαν καὶ ἤλθοσαν εἰς τὴν ὀρεινὴν καὶ κατέμειναν ἐκεῖ τρεῖς ἡμέρας καὶ ἐξεζήτησαν οἱ καταδιώκοντες πάσας τὰς ὁδοὺς καὶ οὐχ εὕροσαν
23 फिर यह दोनों आदमी लौटे और पहाड़ से उतर कर पार गये, और नून के बेटे यशु'अ के पास जाकर सब कुछ जो उन पर गुज़रा था उसे बताया।
καὶ ὑπέστρεψαν οἱ δύο νεανίσκοι καὶ κατέβησαν ἐκ τοῦ ὄρους καὶ διέβησαν πρὸς Ἰησοῦν υἱὸν Ναυη καὶ διηγήσαντο αὐτῷ πάντα τὰ συμβεβηκότα αὐτοῖς
24 और उन्होंने यशू'अ से कहा “यक़ीनन ख़ुदावन्द ने वह सारा मुल्क हमारे क़ब्ज़े में कर दिया है क्यूँकि उस मुल्क के सब बाशिंदे हमारे आगे डरे जा रहे हैं।”
καὶ εἶπαν πρὸς Ἰησοῦν ὅτι παρέδωκεν κύριος πᾶσαν τὴν γῆν ἐν χειρὶ ἡμῶν καὶ κατέπτηκεν πᾶς ὁ κατοικῶν τὴν γῆν ἐκείνην ἀφ’ ἡμῶν