< यूहन्ना 3 >
1 फ़रीसियों में से एक शख़्स निकुदेमुस नाम यहूदियों का एक सरदार था।
Now there was a man of the Pharisees named Nicodemus, a leader of the Jews.
2 उसने रात को ईसा के पास आकर उससे कहा, “ऐ रब्बी! हम जानते हैं कि तू ख़ुदा की तरफ़ से उस्ताद होकर आया है, क्यूँकि जो मोजिज़े तू दिखाता है कोई शख़्स नहीं दिखा सकता, जब तक ख़ुदा उसके साथ न हो।”
He came to Jesus at night and said, “Rabbi, we know that You are a teacher who has come from God. For no one could perform the signs You are doing if God were not with him.”
3 ईसा ने जवाब में उससे कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ, कि जब तक कोई नए सिरे से पैदा न हो, वो ख़ुदा की बादशाही को देख नहीं सकता।”
Jesus replied, “Truly, truly, I tell you, no one can see the kingdom of God unless he is born again.”
4 नीकुदेमुस ने उससे कहा, “आदमी जब बूढ़ा हो गया, तो क्यूँकर पैदा हो सकता है? क्या वो दोबारा अपनी माँ के पेट में दाख़िल होकर पैदा हो सकता है?”
“How can a man be born when he is old?” Nicodemus asked. “Can he enter his mother’s womb a second time to be born?”
5 ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुझ से सच कहता हूँ, जब तक कोई आदमी पानी और रूह से पैदा न हो, वो ख़ुदा की बादशाही में दाख़िल नहीं हो सकता।
Jesus answered, “Truly, truly, I tell you, no one can enter the kingdom of God unless he is born of water and the Spirit.
6 जो जिस्म से पैदा हुआ है जिस्म है, और जो रूह से पैदा हुआ है रूह है।
Flesh is born of flesh, but spirit is born of the Spirit.
7 ता'अज्जुब न कर कि मैंने तुझ से कहा, 'तुम्हें नए सिरे से पैदा होना ज़रूर है।
Do not be amazed that I said, ‘You must be born again.’
8 हवा जिधर चाहती है चलती है और तू उसकी आवाज़ सुनता है, मगर नहीं कि वो कहाँ से आती और कहाँ को जाती है। जो कोई रूह से पैदा हुआ ऐसा ही है।”
The wind blows where it wishes. You hear its sound, but you do not know where it comes from or where it is going. So it is with everyone born of the Spirit.”
9 नीकुदेमुस ने जवाब में उससे कहा, “ये बातें क्यूँकर हो सकती हैं?”
“How can this be?” Nicodemus asked.
10 ईसा ने जवाब में उससे कहा, “बनी — इस्राईल का उस्ताद होकर क्या तू इन बातों को नहीं जानता?
“You are Israel’s teacher,” said Jesus, “and you do not understand these things?
11 मैं तुझ से सच कहता हूँ कि जो हम जानते हैं वो कहते हैं, और जिसे हम ने देखा है उसकी गवाही देते हैं, और तुम हमारी गवाही क़ुबूल नहीं करते।
Truly, truly, I tell you, we speak of what we know, and we testify to what we have seen, and yet you people do not accept our testimony.
12 जब मैंने तुम से ज़मीन की बातें कहीं और तुम ने यक़ीन नहीं किया, तो अगर मैं तुम से आसमान की बातें कहूँ तो क्यूँकर यक़ीन करोगे?
If I have told you about earthly things and you do not believe, how will you believe if I tell you about heavenly things?
13 आसमान पर कोई नहीं चढ़ा, सिवा उसके जो आसमान से उतरा या'नी इब्न — ए — आदम जो आसमान में है।
No one has ascended into heaven except the One who descended from heaven—the Son of Man.
14 और जिस तरह मूसा ने पीतल के साँपको वीराने में ऊँचे पर चढ़ाया, उसी तरह ज़रूर है कि इब्न — ए — आदम भी ऊँचे पर चढ़ाया जाए;
Just as Moses lifted up the snake in the wilderness, so the Son of Man must be lifted up,
15 ताकि जो कोई ईमान लाए उसमें हमेशा की ज़िन्दगी पाए।” (aiōnios )
that everyone who believes in Him may have eternal life. (aiōnios )
16 “क्यूँकि ख़ुदा ने दुनियाँ से ऐसी मुहब्बत रख्खी कि उसने अपना इकलौता बेटा बख़्श दिया, ताकि जो कोई उस पर ईमान लाए हलाक न हो, बल्कि हमेशा की ज़िन्दगी पाए। (aiōnios )
For God so loved the world that He gave His one and only Son, that everyone who believes in Him shall not perish but have eternal life. (aiōnios )
17 क्यूँकि ख़ुदा ने बेटे को दुनियाँ में इसलिए नहीं भेजा कि दुनियाँ पर सज़ा का हुक्म करे, बल्कि इसलिए कि दुनियाँ उसके वसीले से नजात पाए।
For God did not send His Son into the world to condemn the world, but to save the world through Him.
18 जो उस पर ईमान लाता है उस पर सज़ा का हुक्म नहीं होता, जो उस पर ईमान नहीं लाता उस पर सज़ा का हुक्म हो चुका; इसलिए कि वो ख़ुदा के इकलौते बेटे के नाम पर ईमान नहीं लाया।
Whoever believes in Him is not condemned, but whoever does not believe has already been condemned, because he has not believed in the name of God’s one and only Son.
19 और सज़ा के हुक्म की वजह ये है कि नूर दुनियाँ में आया है, और आदमियों ने तारीकी को नूर से ज़्यादा पसन्द किया इसलिए कि उनके काम बुरे थे।
And this is the verdict: The Light has come into the world, but men loved the darkness rather than the Light because their deeds were evil.
20 क्यूँकि जो कोई बदी करता है वो नूर से दुश्मनी रखता है और नूर के पास नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर मलामत की जाए।
Everyone who does evil hates the Light, and does not come into the Light for fear that his deeds will be exposed.
21 मगर जो सचाई पर 'अमल करता है वो नूर के पास आता है, ताकि उसके काम ज़ाहिर हों कि वो ख़ुदा में किए गए हैं।”
But whoever practices the truth comes into the Light, so that it may be seen clearly that what he has done has been accomplished in God.”
22 इन बातों के बाद ईसा और शागिर्द यहूदिया के मुल्क में आए, और वो वहाँ उनके साथ रहकर बपतिस्मा देने लगा।
After this, Jesus and His disciples went into the Judean countryside, where He spent some time with them and baptized.
23 और युहन्ना भी 'एनोन में बपतिस्मा देता था जो यरदन नदी के पासथा, क्यूँकि वहाँ पानी बहुत था और लोग आकर बपतिस्मा लेते थे।
Now John was also baptizing at Aenon near Salim, because the water was plentiful there, and people kept coming to be baptized.
24 (क्यूँकि यहून्ना उस वक़्त तक क़ैदख़ाने में डाला न गया था)
(For John had not yet been thrown into prison.)
25 पस युहन्ना के शागिर्दों की किसी यहूदी के साथ पाकीज़गी के बारे में बहस हुई।
Then a dispute arose between John’s disciples and a certain Jew over the issue of ceremonial washing.
26 उन्होंने युहन्ना के पास आकर कहा, “ऐ रब्बी! जो शख़्स यरदन के पार तेरे साथ था, जिसकी तूने गवाही दी है; देख, वो बपतिस्मा देता है और सब उसके पास आते हैं।”
So John’s disciples came to him and said, “Look, Rabbi, the One who was with you beyond the Jordan, the One you testified about—He is baptizing, and everyone is going to Him.”
27 युहन्ना ने जवाब में कहा, इंसान कुछ नहीं पा सकता, जब तक उसको आसमान से न दिया जाए।
John replied, “A man can receive only what is given him from heaven.
28 तुम ख़ुद मेरे गवाह हो कि मैंने कहा, 'मैं मसीह नहीं, मगर उसके आगे भेजा गया हूँ।
You yourselves can testify that I said, ‘I am not the Christ, but am sent ahead of Him.’
29 जिसकी दुल्हन है वो दुल्हा है, मगर दुल्हा का दोस्त जो खड़ा हुआ उसकी सुनता है, दुल्हा की आवाज़ से बहुत ख़ुश होता है; पस मेरी ये ख़ुशी पूरी हो गई।
The bride belongs to the bridegroom. The friend of the bridegroom stands and listens for him, and is overjoyed to hear the bridegroom’s voice. That joy is mine, and it is now complete.
30 ज़रूर है कि वो बढ़े और मैं घटूँ।
He must increase; I must decrease.
31 “जो ऊपर से आता है वो सबसे ऊपर है। जो ज़मीन से है वो ज़मीन ही से है और ज़मीन ही की कहता है 'जो आसमान से आता है वो सबसे ऊपर है।
The One who comes from above is above all. The one who is from the earth belongs to the earth and speaks as one from the earth. The One who comes from heaven is above all.
32 जो कुछ उस ने ख़ुद देखा और सुना है उसी की गवाही देता है। तो भी कोई उस की गवाही क़ुबूल नहीं करता।
He testifies to what He has seen and heard, yet no one accepts His testimony.
33 जिसने उसकी गवाही क़ुबूल की उसने इस बात पर मुहर कर दी, कि ख़ुदा सच्चा है।
Whoever accepts His testimony has certified that God is truthful.
34 क्यूँकि जिसे ख़ुदा ने भेजा वो ख़ुदा की बातें कहता है, इसलिए कि वो रूह नाप नाप कर नहीं देता।
For the One whom God has sent speaks the words of God, for God gives the Spirit without limit.
35 बाप बेटे से मुहब्बत रखता है और उसने सब चीज़ें उसके हाथ में दे दी है।
The Father loves the Son and has placed all things in His hands.
36 जो बेटे पर ईमान लाता है हमेशा की ज़िन्दगी उसकी है; लेकिन जो बेटे की नहीं मानता 'ज़िन्दगी को न देखगा बल्कि उसपर ख़ुदा का ग़ज़ब रहता है।” (aiōnios )
Whoever believes in the Son has eternal life. Whoever rejects the Son will not see life. Instead, the wrath of God remains on him.” (aiōnios )