< यूहन्ना 11 >
1 उन दिनों में एक आदमी बीमार पड़ गया जिस का नाम लाज़र था। वह अपनी बहनों मरियम और मर्था के साथ बैत — अनियाह में रहता था।
Erat autem quidem languens Lazarus a Bethania, de castello Mariæ, et Marthæ sororis eius.
2 यह वही मरियम थी जिस ने बाद में ख़ुदावन्द पर ख़ुश्बू डाल कर उस के पैर अपने बालों से ख़ुश्क किए थे। उसी का भाई लाज़र बीमार था।
(Maria autem erat, quæ unxit Dominum unguento, et extersit pedes eius capillis suis: cuius frater Lazarus infirmabatur.)
3 चुनाँचे बहनों ने ईसा को ख़बर दी, “ख़ुदावन्द, जिसे आप मुहब्बत करते हैं वह बीमार है।”
Miserunt ergo sorores eius ad eum dicentes: Domine, ecce quem amas infirmatur.
4 जब ईसा को यह ख़बर मिली तो उस ने कहा, “इस बीमारी का अन्जाम मौत नहीं है, बल्कि यह ख़ुदा के जलाल के वास्ते हुआ है, ताकि इस से ख़ुदा के फ़र्ज़न्द को जलाल मिले।”
Audiens autem Iesus dixit eis: Infirmitas hæc non est ad mortem, sed pro gloria Dei, ut glorificetur Filius Dei per eam.
5 ईसा मर्था, मरियम और लाज़र से मुहब्बत रखता था।
Diligebat autem Iesus Martham, et sororem eius Mariam, et Lazarum.
6 तो भी वह लाज़र के बारे में ख़बर मिलने के बाद दो दिन और वहीं ठहरा।
Ut ergo audivit quia infirmabatur, tunc quidem mansit in eodem loco duobus diebus.
7 फिर उस ने अपने शागिर्दों से बात की, “आओ, हम दुबारा यहूदिया चले जाएँ।”
Deinde post hæc dixit discipulis suis: Eamus in Iudæam iterum.
8 शागिर्दों ने एतराज़ किया, “उस्ताद, अभी अभी वहाँ के यहूदी आप पर पथराव करने की कोशिश कर रहे थे, फिर भी आप वापस जाना चाहते हैं?”
Dicunt ei discipuli: Rabbi, nunc quærebant te Iudæi lapidare, et iterum vadis illuc?
9 ईसा ने जवाब दिया, “क्या दिन में रोशनी के बारह घंटे नहीं होते? जो शख़्स दिन के वक़्त चलता फिरता है वह किसी भी चीज़ से नहीं टकराएगा, क्यूँकि वह इस दुनियाँ की रोशनी के ज़रिए देख सकता है।
Respondit Iesus: Nonne duodecim sunt horæ diei? Si quis ambulaverit in die, non offendit, quia lucem huius mundi videt:
10 लेकिन जो रात के वक़्त चलता है वह चीज़ों से टकरा जाता है, क्यूँकि उस के पास रोशनी नहीं है।”
si autem ambulaverit in nocte, offendit, quia lux non est in eo.
11 फिर उस ने कहा, “हमारा दोस्त लाज़र सो गया है। लेकिन मैं जा कर उसे जगा दूँगा।”
Hæc ait, et post hæc dixit eis: Lazarus amicus noster dormit: sed vado ut a somno excitem eum.
12 शागिर्दों ने कहा, “ख़ुदावन्द, अगर वह सो रहा है तो वह बच जाएगा।”
Dixerunt ergo discipuli eius: Domine, si dormit, salvus erit.
13 उन का ख़याल था कि ईसा लाज़र की दुनियावी नींद का ज़िक्र कर रहा है जबकि हक़ीक़त में वह उस की मौत की तरफ़ इशारा कर रहा था।
Dixerat autem Iesus de morte eius: illi autem putaverunt quia de dormitione somni diceret.
14 इस लिए उस ने उन्हें साफ़ बता दिया, “लाज़र की मौत हो गई है
Tunc ergo Iesus dixit eis manifeste: Lazarus mortuus est:
15 और तुम्हारी ख़ातिर मैं ख़ुश हूँ कि मैं उस के मरते वक़्त वहाँ नहीं था, क्यूँकि अब तुम ईमान लाओगे। आओ, हम उस के पास जाएँ।”
et gaudeo propter vos, ut credatis, quoniam non eram ibi. Sed eamus ad eum.
16 तोमा ने जिस का लक़ब जुड़वाँ था अपने साथी शागिर्दों से कहा, “चलो, हम भी वहाँ जा कर उस के साथ मर जाएँ।”
Dixit ergo Thomas, qui dicitur Didymus, ad condiscipulos: Eamus et nos, ut moriamur cum eo.
17 वहाँ पहुँच कर ईसा को मालूम हुआ कि लाज़र को क़ब्र में रखे चार दिन हो गए हैं।
Venit itaque Iesus: et invenit eum quattuor dies iam in monumento habentem.
18 बैत — अनियाह का येरूशलेम से फ़ासिला तीन क़िलोमीटर से कम था,
(Erat autem Bethania iuxta Ierosolymam quasi stadiis quindecim.)
19 और बहुत से यहूदी मर्था और मरियम को उन के भाई के बारे में तसल्ली देने के लिए आए हुए थे।
Multi autem ex Iudæis venerant ad Martham, et Mariam, ut consolarentur eas de fratre suo.
20 यह सुन कर कि ईसा आ रहा है मर्था उसे मिलने गई। लेकिन मरियम घर में बैठी रही।
Martha ergo ut audivit quia Iesus venit, occurrit illi: Maria autem domi sedebat.
21 मर्था ने कहा, “ख़ुदावन्द, अगर आप यहाँ होते तो मेरा भाई न मरता।
Dixit ergo Martha ad Iesum: Domine, si fuisses hic, frater meus non fuisset mortuus:
22 लेकिन मैं जानती हूँ कि अब भी ख़ुदा आप को जो भी माँगोगे देगा।”
Sed et nunc scio quia quæcumque poposceris a Deo, dabit tibi Deus.
23 ईसा ने उसे बताया, “तेरा भाई जी उठेगा।”
Dicit illi Iesus: Resurget frater tuus.
24 मर्था ने जवाब दिया, जी, “मुझे मालूम है कि वह क़यामत के दिन जी उठेगा, जब सब जी उठेंगे।”
Dicit ei Martha: Scio quia resurget in resurrectione in novissimo die.
25 ईसा ने उसे बताया, “क़यामत और ज़िन्दगी तो मैं हूँ। जो मुझ पर ईमान रखे वह ज़िन्दा रहेगा, चाहे वह मर भी जाए।
Dixit ei Iesus: Ego sum resurrectio, et vita: qui credit in me, etiam si mortuus fuerit, vivet:
26 और जो ज़िन्दा है और मुझ पर ईमान रखता है वह कभी नहीं मरेगा। मर्था, क्या तुझे इस बात का यक़ीन है?” (aiōn )
et omnis, qui vivit, et credit in me, non morietur in æternum. Credis hoc? (aiōn )
27 मर्था ने जवाब दिया, “जी ख़ुदावन्द, मैं ईमान रखती हूँ कि आप ख़ुदा के फ़र्ज़न्द मसीह हैं, जिसे दुनियाँ में आना था।”
Ait illi: Utique Domine, ego credidi, quia tu es Christus Filius Dei vivi, qui in hunc mundum venisti.
28 यह कह कर मर्था वापस चली गई और चुपके से मरियम को बुलाया, “उस्ताद आ गए हैं, वह तुझे बुला रहे हैं।”
Et cum hæc dixisset, abiit, et vocavit Mariam sororem suam silentio, dicens: Magister adest, et vocat te.
29 यह सुनते ही मरियम उठ कर ईसा के पास गई।
Illa ut audivit, surgit cito, et venit ad eum:
30 वह अभी गाँव के बाहर उसी जगह ठहरा था जहाँ उस की मुलाक़ात मर्था से हुई थी।
nondum enim venerat Iesus in castellum: sed erat adhuc in illo loco, ubi occurrerat ei Martha.
31 जो यहूदी घर में मरियम के साथ बैठे उसे तसल्ली दे रहे थे, जब उन्हों ने देखा कि वह जल्दी से उठ कर निकल गई है तो वह उस के पीछे हो लिए। क्यूँकि वह समझ रहे थे कि वह मातम करने के लिए अपने भाई की क़ब्र पर जा रही है।
Iudæi ergo, qui erant cum ea in domo, et consolabantur eam, cum vidissent Mariam quia cito surrexit, et exiit, secuti sunt eam dicentes: Quia vadit ad monumentum, ut ploret ibi.
32 मरियम ईसा के पास पहुँच गई। उसे देखते ही वह उस के पैरों में गिर गई और कहने लगी, “ख़ुदावन्द, अगर आप यहाँ होते तो मेरा भाई न मरता।”
Maria ergo, cum venisset ubi erat Iesus, videns eum, cecidit ad pedes eius, et dicit ei: Domine, si fuisses hic, non esset mortuus frater meus.
33 जब ईसा ने मरियम और उस के लोगों को रोते देखा तो उसे दुःख हुआ। और उसने ताअ'ज्जुब होकर
Iesus ergo, ut vidit eam plorantem, et Iudæos, qui venerant cum ea, plorantes, infremuit spiritu, et turbavit seipsum,
34 उस ने पूछा, “तुम ने उसे कहाँ रखा है?” उन्हों ने जवाब दिया, “आएँ ख़ुदावन्द, और देख लें।”
et dixit: Ubi posuistis eum? Dicunt ei: Domine, veni, et vide.
36 यहूदियों ने कहा, देखो, वह उसे कितना प्यारा था।”
Dixerunt ergo Iudæi: Ecce quomodo amabat eum.
37 लेकिन उन में से कुछ ने कहा, इस आदमी ने अंधे को सही किया। “क्या यह लाज़र को मरने से नहीं बचा सकता था?”
Quidam autem ex ipsis dixerunt: Non poterat hic, qui aperuit oculos cæci nati, facere ut hic non moreretur?
38 फिर ईसा दुबारा बहुत ही मायूस हो कर क़ब्र पर आया। क़ब्र एक ग़ार थी जिस के मुँह पर पत्थर रखा गया था।
Iesus ergo rursum fremens in semetipso, venit ad monumentum. Erat autem spelunca: et lapis superpositus erat ei.
39 ईसा ने कहा, “पत्थर को हटा दो।” लेकिन मर्हूम की बहन मर्था ने एतराज़ किया, “ख़ुदावन्द, बदबू आएगी, क्यूँकि उसे यहाँ पड़े चार दिन हो गए हैं।”
Ait Iesus: Tollite lapidem. Dicit ei Martha soror eius, qui mortuus fuerat: Domine, iam fœtet, quatriduanus est enim.
40 ईसा ने उस से कहा, “क्या मैंने तुझे नहीं बताया कि अगर तू ईमान रखे तो ख़ुदा का जलाल देखेगी?”
Dicit ei Iesus: Nonne dixi tibi quoniam si credideris, videbis gloriam Dei?
41 चुनाँचे उन्हों ने पत्थर को हटा दिया। फिर ईसा ने अपनी नज़र उठा कर कहा, “ऐ बाप, मैं तेरा शुक्र करता हूँ कि तू ने मेरी सुन ली है।
Tulerunt ergo lapidem: Iesus autem elevatis sursum oculis, dixit: Pater gratias ago tibi quoniam audisti me.
42 मैं तो जानता हूँ कि तू हमेशा मेरी सुनता है। लेकिन मैं ने यह बात पास खड़े लोगों की ख़ातिर की, ताकि वह ईमान लाएँ कि तू ने मुझे भेजा है।”
Ego autem sciebam quia semper me audis, sed propter populum, qui circumstat, dixi: ut credant quia tu me misisti.
43 फिर ईसा ज़ोर से पुकार उठा, “लाज़र, निकल आ!”
Hæc cum dixisset, voce magna clamavit: Lazare veni foras.
44 और मुर्दा निकल आया। अभी तक उस के हाथ और पाँओ पट्टियों से बँधे हुए थे जबकि उस का चेहरा कपड़े में लिपटा हुआ था। ईसा ने उन से कहा, “इस के कफ़न को खोल कर इसे जाने दो।”
Et statim prodiit qui fuerat mortuus, ligatus pedes, et manus institis, et facies illius sudario erat ligata. Dixit eis Iesus: Solvite eum, et sinite abire.
45 उन यहूदियों में से जो मरियम के पास आए थे बहुत से ईसा पर ईमान लाए जब उन्हों ने वह देखा जो उस ने किया।
Multi ergo ex Iudæis, qui venerant ad Mariam, et Martham, et viderant quæ fecit Iesus, crediderunt in eum.
46 लेकिन कुछ फ़रीसियों के पास गए और उन्हें बताया कि ईसा ने क्या किया है।
Quidam autem ex ipsis abierunt ad Pharisæos, et dixerunt eis quæ fecit Iesus.
47 तब राहनुमा इमामों और फ़रीसियों ने यहूदियों ने सदरे अदालत का जलसा बुलाया। उन्हों ने एक दूसरे से पूछा, “हम क्या कर रहे हैं? यह आदमी बहुत से ख़ुदाई करिश्मे दिखा रहा है।
Collegerunt ergo Pontifices et Pharisæi concilium, et dicebant: Quid faciamus, quia hic homo multa signa facit?
48 अगर हम उसे यूँही छोड़ें तो आख़िरकार सब उस पर ईमान ले आएँगे। फिर रोमी हाकिम आ कर हमारे बैत — उल — मुक़द्दस और हमारे मुल्क को तबाह कर देंगे।”
Si dimittimus eum sic, omnes credent in eum: et venient Romani, et tollent nostrum locum, et gentem.
49 उन में से एक काइफ़ा था जो उस साल इमाम — ए — आज़म था। उस ने कहा, “आप कुछ नहीं समझते
Unus autem ex ipsis Caiphas nomine, cum esset Pontifex anni illius, dixit eis: Vos nescitis quidquam,
50 और इस का ख़याल भी नहीं करते कि इस से पहले कि पूरी क़ौम हलाक हो जाए बेहतर यह है कि एक आदमी उम्मत के लिए मर जाए।”
nec cogitatis quia expedit vobis ut unus moriatur homo pro populo, et non tota gens pereat.
51 उस ने यह बात अपनी तरफ़ से नहीं की थी। उस साल के इमाम — ए — आज़म की हैसियत से ही उस ने यह पेशीनगोई की कि ईसा यहूदी क़ौम के लिए मरेगा।
Hoc autem a semetipso non dixit: sed cum esset Pontifex anni illius, prophetavit, quod Iesus moriturus erat pro gente,
52 और न सिर्फ़ इस के लिए बल्कि ख़ुदा के बिखरे हुए फ़र्ज़न्दों को जमा करके एक करने के लिए भी।
et non tantum pro gente, sed ut filios Dei, qui erant dispersi, congregaret in unum.
53 उस दिन से उन्हों ने ईसा को क़त्ल करने का इरादा कर लिया।
Ab illo ergo die cogitaverunt ut interficerent eum.
54 इस लिए उस ने अब से एलानिया यहूदियों के दरमियान वक़्त न गुज़ारा, बल्कि उस जगह को छोड़ कर रेगिस्तान के क़रीब एक इलाक़े में गया। वहाँ वह अपने शागिर्दों समेत एक गाँव बनाम इफ़्राईम में रहने लगा।
Iesus ergo iam non in palam ambulabat apud Iudæos, sed abiit in regionem iuxta desertum, in civitatem, quæ dicitur Ephrem, et ibi morabatur cum discipulis suis.
55 फिर यहूदियों की ईद — ए — फ़सह क़रीब आ गई। देहात से बहुत से लोग अपने आप को पाक करवाने के लिए ईद से पहले पहले येरूशलेम पहुँचे।
Proximum autem erat Pascha Iudæorum: et ascenderunt multi Ierosolymam de regione ante Pascha, ut sanctificarent se ipsos.
56 वहाँ वह ईसा का पता करते और हैकल में खड़े आपस में बात करते रहे, “क्या ख़याल है? क्या वह ईद पर नहीं आएगा?”
Quærebant ergo Iesum: et colloquebantur ad invicem, in templo stantes: Quid putatis, quia non venit ad diem festum?
57 लेकिन राहनुमा इमामों और फ़रीसियों ने हुक्म दिया था, अगर किसी को मालूम हो जाए कि ईसा कहाँ है तो वह ख़बर दे ताकि हम उसे गिरफ़्तार कर लें।
Dederant autem Pontifices, et Pharisæi mandatum, ut si quis cognoverit ubi sit, indicet, ut apprehendant eum.