< यूए 1 >
1 ख़ुदावन्द का कलाम जो यूएल — बिन फ़तूएल पर नाज़िल हुआ:
Dies ist das Wort des HERRN, das geschehen ist zu Joel, dem Sohn Pethuels.
2 ऐ बूढ़ो, सुनो, ऐ ज़मीन के सब रहने वालों, कान लगाओ! क्या तुम्हारे या तुम्हारे बाप — दादा के दिनों में कभी ऐसा हुआ?
Höret dies, ihr Ältesten, und merket auf alle Einwohner im Lande, ob solches geschehen sei zu euren Zeiten oder zu eurer Väter Zeiten!
3 तुम अपनी औलाद से इसका तज़किरा करो, और तुम्हारी औलाद अपनी औलाद से, और उनकी औलाद अपनी नसल से बयान करे।
Saget euren Kindern davon und lasset's eure Kinder ihren Kindern sagen und diese Kinder ihren Nachkommen!
4 जो कुछ टिड्डियों के एक ग़ोल से बचा, उसे दूसरा ग़ोल निगल गया; और जो कुछ दूसरे से बचा, उसे तीसरा ग़ोल चट कर गया; और जो कुछ तीसरे से बचा, उसे चौथा ग़ोल खा गया।
Was die Raupen lassen, das fressen die Heuschrecken; und was die Heuschrecken lassen, das fressen die Käfer; und was die Käfer lassen, das frißt das Geschmeiß.
5 ऐ मतवालो, जागो और मातम करो; ऐ मयनौशी करने वालों, नई मय के लिए चिल्लाओ, क्यूँकि वह तुम्हारे मुँह से छिन गई है।
Wachet auf, ihr Trunkenen, und weinet, und heulet, alle Weinsäufer, um den Most; denn er ist euch vor eurem Maul weggenommen.
6 क्यूँकि मेरे मुल्क पर एक क़ौम चढ़ आई है, उनके दाँत शेर — ए — बबर के जैसे हैं, और उनकी दाढ़ें शेरनी की जैसी हैं।
Denn es zieht herauf in mein Land ein mächtiges Volk und ohne Zahl; das hat Zähne wie Löwen und Backenzähne wie Löwinnen.
7 उन्होंने मेरे ताकिस्तान को उजाड़ डाला, और मेरे अंजीर के दरख़्तों को तोड़ डाला; उन्होंने उनको बिल्कुल छील छालकर फेंक दिया, उनकी डालियाँ सफ़ेद निकल आईं।
Das verwüstet meinen Weinberg und streift meinen Feigenbaum ab, schält ihn und verwirft ihn, daß seine Zweige weiß dastehen.
8 तुम मातम करो, जिस तरह दुल्हन अपनी जवानी के शौहर के लिए टाट ओढ़ कर मातम करती है।
Heule wie eine Jungfrau die einen Sack anlegt um ihren Bräutigam!
9 नज़्र की कु़र्बानी और तपावन ख़ुदावन्द के घर से मौकूफ़ हो गए। ख़ुदावन्द के ख़िदमत गुज़ार, काहिन मातम करते हैं।
Denn das Speisopfer und Trankopfer ist vom Hause des HERRN weg, und die Priester, des HERRN Diener, trauern.
10 खेत उजड़ गए, ज़मीन मातम करती है, क्यूँकि ग़ल्ला ख़राब हो गया है; नई मय ख़त्म हो गई, और तेल बर्बाद हो गया।
Das Feld ist verwüstet, und der Acker steht jämmerlich; das Getreide ist verdorben, der Wein steht jämmerlich und das Öl kläglich.
11 ऐ किसानो, शर्मिन्दगी उठाओ, ऐ ताकिस्तान के बाग़बानों, मातम करो, क्यूँकि गेहूँ और जौ और मैदान के तैयार खेत बर्बाद हो गए।
Die Ackerleute sehen jämmerlich, und die Weingärtner heulen um den Weizen und die Gerste, daß aus der Ernte auf dem Felde nichts werden kann.
12 ताक ख़ुश्क हो गई; अंजीर का दरख़्त मुरझा गया। अनार और खजूर और सेब के दरख़्त, हाँ मैदान के तमाम दरख़्त मुरझा गए; और बनी आदम से खुशी जाती रही'।
So steht der Weinstock auch jämmerlich und der Feigenbaum kläglich; dazu die Granatbäume, Palmbäume, Apfelbäume und alle Bäume auf dem Felde sind verdorrt; denn die Freude der Menschen ist zu Jammer geworden.
13 ऐ काहिनो, कमरें कस कर मातम करो, ऐ मज़बह पर ख़िदमत करने वालो, वावैला करो। ऐ मेरे ख़ुदा के ख़ादिमों, आओ रात भर टाट ओढ़ो! क्यूँकि नज़्र की क़ुर्बानी और तपावन तुम्हारे ख़ुदा के घर से मौक़ूफ़ हो गए।
Begürtet euch nun und klaget, ihr Priester; heulet, ihr Diener des Altars; gehet hinein und lieget in Säcken, ihr Diener meines Gottes! denn es ist Speisopfer und Trankopfer vom Hause eures Gottes weg.
14 रोज़े के लिए एक दिन मुक़द्दस करो; पाक महफ़िल बुलाओ। बुज़ुर्गों और मुल्क के तमाम बाशिंदों को ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के घर में जमा' करके उससे फ़रियाद करो
Heiliget ein Fasten, rufet die Gemeinde zusammen; versammelt die Ältesten und alle Einwohner des Landes zum Hause des HERRN, eures Gottes, und schreit zum HERRN!
15 उस दिन पर अफ़सोस! क्यूँकि ख़ुदावन्द का दिन नज़दीक है, वह क़ादिर — ए — मुतलक़ की तरफ़ से बड़ी हलाकत की तरह आएगा।
O weh des Tages! denn der Tag des HERRN ist nahe und kommt wie ein Verderben vom Allmächtigen.
16 क्या हमारी आँखों के सामने रोज़ी मौक़ूफ़ नहीं हुई, और हमारे ख़ुदा के घर से खु़शीओ — शादमानी जाती नहीं रही?
Ist nicht die Speise vor unsern Augen weggenommen und vom Hause unsers Gottes Freude und Wonne?
17 बीज ढेलों के नीचे सड़ गया; ग़ल्लाख़ाने ख़ाली पड़े हैं, खत्ते तोड़ डाले गए; क्यूँकि खेती सूख गई।
Der Same ist unter der Erde verfault, die Kornhäuser stehen wüst, die Scheunen zerfallen; denn das Getreide ist verdorben.
18 जानवर कैसे कराहते हैं! गाय — बैल के गल्ले परेशान हैं क्यूँके उनके लिए चरागाह नहीं है; हाँ, भेड़ों के गल्ले भी बर्बाद हो गए हैं।
O wie seufzt das Vieh! Die Rinder sehen kläglich, denn sie haben keine Weide, und die Schafe verschmachten.
19 ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरे सामने फ़रियाद करता हूँ। क्यूँकि आग ने वीराने की चरागाहों को जला दिया, और शो'ले ने मैदान के सब दरख़्तों को राख कर दिया है।
HERR, dich rufe ich an; denn das Feuer hat die Auen in der Wüste verbrannt, und die Flamme hat alle Bäume auf dem Acker angezündet.
20 जंगली जानवर भी तेरी तरफ़ निगाह रखते हैं, क्यूँकि पानी की नदियाँ सूख गई, और आग वीराने की चरागाहों को खा गईं।
Es schrieen auch die wilden Tiere zu dir; denn die Wasserbäche sind ausgetrocknet, und das Feuer hat die Auen in der Wüste verbrannt.