< अय्यू 37 >

1 इस बात से भी मेरा दिल काँपता है और अपनी जगह से उछल पड़ता है।
دل من می‌لرزد؛
2 ज़रा उसके बोलने की आवाज़ को सुनो, और उस ज़मज़मा को जो उसके मुँह से निकलता है।
گوش دهید و غرش صدای خدا را بشنوید.
3 वह उसे सारे आसमान के नीचे, और अपनी बिजली को ज़मीन की इन्तिहा तक भेजता है।
او برق خود را به سراسر آسمان می‌فرستد.
4 इसके बाद कड़क की आवाज़ आती है; वह अपने जलाल की आवाज़ से गरजता है, और जब उसकी आवाज़ सुनाई देती है तो वह उसे रोकता है।
سپس غرش صدای او شنیده می‌شود، غرش مهیب رعد به گوش می‌رسد و باز برق، آسمان را روشن می‌کند.
5 ख़ुदा 'अजीब तौर पर अपनी आवाज़ से गरजता है। वह बड़े बड़े काम करता है जिनको हम समझ नहीं सकते।
صدای او در رعد باشکوه است. ما نمی‌توانیم عظمت قدرت او را درک کنیم.
6 क्यूँकि वह बर्फ़ को फ़रमाता है कि तू ज़मीन पर गिर, इसी तरह वह बारिश से और मूसलाधार मेह से कहता है।
وقتی او برف و باران شدید بر زمین می‌فرستد،
7 वह हर आदमी के हाथ पर मुहर कर देता है, ताकि सब लोग जिनको उसने बनाया है, इस बात को जान लें।
مردم از کار کردن باز می‌مانند و متوجه قدرت او می‌شوند،
8 तब दरिन्दे ग़ारों में घुस जाते, और अपनी अपनी माँद में पड़े रहते हैं।
حیوانات وحشی به پناهگاه خود می‌شتابند و در لانه‌های خویش پنهان می‌مانند.
9 ऑधी दख्खिन की कोठरी से, और सर्दी उत्तर से आती है।
از جنوب طوفان می‌آید و از شمال سرما.
10 ख़ुदा के दम से बर्फ़ जम जाती है, और पानी का फैलाव तंग हो जाता है।
خدا بر آبها می‌دمد، به طوری که حتی وسیعترین دریاها نیز یخ می‌بندد.
11 बल्कि वह घटा पर नमी को लादता है, और अपने बिजली वाले बादलों को दूर तक फैलाता है।
او ابرها را از رطوبت، سنگین می‌کند و برق خود را به‌وسیلۀ آنها پراکنده می‌سازد.
12 उसी की हिदायत से वह इधर उधर फिराए जाते हैं, ताकि जो कुछ वह उन्हें फ़रमाए, उसी को वह दुनिया के आबाद हिस्से पर अंजाम दें।
آنها به دستور او به حرکت در می‌آیند و احکام او را در سراسر زمین به جا می‌آورند.
13 चाहे तम्बीह के लिए या अपने मुल्क के लिए, या रहमत के लिए वह उसे भेजे।
او ابرها را برای مجازات مردم و یا برای سیراب کردن زمین و نشان دادن رحمتش به ایشان، می‌فرستد.
14 “ऐ अय्यूब, इसको सुन ले; चुपचाप खड़ा रह, और ख़ुदा के हैरतअंगेज़ कामों पर ग़ौर कर।
ای ایوب، گوش بده و دربارهٔ اعمال شگفت‌آور خدا تأمل و تفکر کن.
15 क्या तुझे मा'लूम है कि ख़ुदा क्यूँकर उन्हें ताकीद करता है और अपने बादल की बिजली को चमकाता है?
آیا تو می‌دانی که خدا چگونه تمام طبیعت را اداره نموده، برق را از ابرها ساطع می‌کند؟
16 क्या तू बादलों के मुवाज़ने से वाक़िफ़ है? यह उसी के हैरतअंगेज़ काम हैं जो 'इल्म में कामिल है।
آیا تو می‌دانی چگونه ابرها در هوا معلق می‌مانند؟ آیا تو عظمت این کار خدا را می‌توانی درک کنی؟
17 जब ज़मीन पर दख्खिनी हवा की वजह से सन्नाटा होता है तो तेरे कपड़े क्यूँ गर्म हो जाते हैं?
آیا وقتی زمین زیر وزش باد گرم جنوب قرار دارد و لباسهایت از گرما به تنت چسبیده است،
18 क्या तू उसके साथ फ़लक को फैला सकता है जो ढले हुए आइने की तरह मज़बूत है?
تو می‌توانی به خدا کمک کنی تا وضع آسمان را که مانند فلز سخت است تغییر دهد؟
19 हम को सिखा कि हम उस से क्या कहें, क्यूँकि अंधेरे की वजह से हम अपनी तक़रीर को दुरुस्त नहीं कर सकते?
آیا تو می‌توانی به ما بگویی چگونه باید با خدا مواجه شد؟ ما با این فکر تاریکمان نمی‌دانیم چگونه با او سخن گوییم.
20 क्या उसको बताया जाए कि मैं बोलना चाहता हूँ? या क्या कोई आदमी यह ख़्वाहिश करे कि वह निगल लिया जाए?
من با چه جرأتی با خدا صحبت کنم؟ چرا خود را به کشتن دهم؟
21 “अभी तो आदमी उस नूर को नहीं देखते जो असमानों पर रोशन है, लेकिन हवा चलती है और उन्हें साफ़ कर देती है।
همان‌طور که در یک روز آفتابی بی‌ابر، نمی‌توانیم به تابش خورشید نگاه کنیم،
22 दख्खिनी से सुनहरी रोशनी आती है, ख़ुदा मुहीब शौकत से मुलब्बस है।
همچنان نیز نمی‌توانیم به جلال پرشکوه خدا که از آسمان با درخشندگی خیره‌کننده‌ای بر ما نمایان می‌شود خیره شویم.
23 हम क़ादिर — ए — मुतलक़ को पा नहीं सकते, वह क़ुदरत और 'अद्ल में शानदार है, और इन्साफ़ की फ़िरावानी में ज़ुल्म न करेगा।
ما نمی‌توانیم به قدرت خدای قادر مطلق پی ببریم. او نسبت به ما عادل و رحیم است و بر کسی ظلم نمی‌کند،
24 इसीलिए लोग उससे डरते हैं; वह अक़्लमन्ददिलों की परवाह नहीं करता।”
و تحت تأثیر داناترین مردم جهان نیز قرار نمی‌گیرد، از این جهت ترس و احترام او در دل همهٔ مردم جا دارد.

< अय्यू 37 >