< अय्यू 37 >
1 इस बात से भी मेरा दिल काँपता है और अपनी जगह से उछल पड़ता है।
Mon cœur est tout tremblant, Il bondit hors de sa place.
2 ज़रा उसके बोलने की आवाज़ को सुनो, और उस ज़मज़मा को जो उसके मुँह से निकलता है।
Écoutez, écoutez le frémissement de sa voix, Le grondement qui sort de sa bouche!
3 वह उसे सारे आसमान के नीचे, और अपनी बिजली को ज़मीन की इन्तिहा तक भेजता है।
Il le fait rouler dans toute l’étendue des cieux, Et son éclair brille jusqu’aux extrémités de la terre.
4 इसके बाद कड़क की आवाज़ आती है; वह अपने जलाल की आवाज़ से गरजता है, और जब उसकी आवाज़ सुनाई देती है तो वह उसे रोकता है।
Puis éclate un rugissement: il tonne de sa voix majestueuse; Il ne retient plus l’éclair, dès que sa voix retentit.
5 ख़ुदा 'अजीब तौर पर अपनी आवाज़ से गरजता है। वह बड़े बड़े काम करता है जिनको हम समझ नहीं सकते।
Dieu tonne avec sa voix d’une manière merveilleuse; Il fait de grandes choses que nous ne comprenons pas.
6 क्यूँकि वह बर्फ़ को फ़रमाता है कि तू ज़मीन पर गिर, इसी तरह वह बारिश से और मूसलाधार मेह से कहता है।
Il dit à la neige: Tombe sur la terre! Il le dit à la pluie, même aux plus fortes pluies.
7 वह हर आदमी के हाथ पर मुहर कर देता है, ताकि सब लोग जिनको उसने बनाया है, इस बात को जान लें।
Il met un sceau sur la main de tous les hommes, Afin que tous se reconnaissent comme ses créatures.
8 तब दरिन्दे ग़ारों में घुस जाते, और अपनी अपनी माँद में पड़े रहते हैं।
L’animal sauvage se retire dans une caverne, Et se couche dans sa tanière.
9 ऑधी दख्खिन की कोठरी से, और सर्दी उत्तर से आती है।
L’ouragan vient du midi, Et le froid, des vents du nord.
10 ख़ुदा के दम से बर्फ़ जम जाती है, और पानी का फैलाव तंग हो जाता है।
Par son souffle Dieu produit la glace, Il réduit l’espace où se répandaient les eaux.
11 बल्कि वह घटा पर नमी को लादता है, और अपने बिजली वाले बादलों को दूर तक फैलाता है।
Il charge de vapeurs les nuages, Il les disperse étincelants;
12 उसी की हिदायत से वह इधर उधर फिराए जाते हैं, ताकि जो कुछ वह उन्हें फ़रमाए, उसी को वह दुनिया के आबाद हिस्से पर अंजाम दें।
Leurs évolutions varient selon ses desseins, Pour l’accomplissement de tout ce qu’il leur ordonne, Sur la face de la terre habitée;
13 चाहे तम्बीह के लिए या अपने मुल्क के लिए, या रहमत के लिए वह उसे भेजे।
C’est comme une verge dont il frappe sa terre, Ou comme un signe de son amour, qu’il les fait apparaître.
14 “ऐ अय्यूब, इसको सुन ले; चुपचाप खड़ा रह, और ख़ुदा के हैरतअंगेज़ कामों पर ग़ौर कर।
Job, sois attentif à ces choses! Considère encore les merveilles de Dieu!
15 क्या तुझे मा'लूम है कि ख़ुदा क्यूँकर उन्हें ताकीद करता है और अपने बादल की बिजली को चमकाता है?
Sais-tu comment Dieu les dirige, Et fait briller son nuage étincelant?
16 क्या तू बादलों के मुवाज़ने से वाक़िफ़ है? यह उसी के हैरतअंगेज़ काम हैं जो 'इल्म में कामिल है।
Comprends-tu le balancement des nuées, Les merveilles de celui dont la science est parfaite?
17 जब ज़मीन पर दख्खिनी हवा की वजह से सन्नाटा होता है तो तेरे कपड़े क्यूँ गर्म हो जाते हैं?
Sais-tu pourquoi tes vêtements sont chauds Quand la terre se repose par le vent du midi?
18 क्या तू उसके साथ फ़लक को फैला सकता है जो ढले हुए आइने की तरह मज़बूत है?
Peux-tu comme lui étendre les cieux, Aussi solides qu’un miroir de fonte?
19 हम को सिखा कि हम उस से क्या कहें, क्यूँकि अंधेरे की वजह से हम अपनी तक़रीर को दुरुस्त नहीं कर सकते?
Fais-nous connaître ce que nous devons lui dire; Nous sommes trop ignorants pour nous adresser à lui.
20 क्या उसको बताया जाए कि मैं बोलना चाहता हूँ? या क्या कोई आदमी यह ख़्वाहिश करे कि वह निगल लिया जाए?
Lui annoncera-t-on que je parlerai? Mais quel est l’homme qui désire sa perte?
21 “अभी तो आदमी उस नूर को नहीं देखते जो असमानों पर रोशन है, लेकिन हवा चलती है और उन्हें साफ़ कर देती है।
On ne peut fixer le soleil qui resplendit dans les cieux, Lorsqu’un vent passe et en ramène la pureté;
22 दख्खिनी से सुनहरी रोशनी आती है, ख़ुदा मुहीब शौकत से मुलब्बस है।
Le septentrion le rend éclatant comme l’or. Oh! Que la majesté de Dieu est redoutable!
23 हम क़ादिर — ए — मुतलक़ को पा नहीं सकते, वह क़ुदरत और 'अद्ल में शानदार है, और इन्साफ़ की फ़िरावानी में ज़ुल्म न करेगा।
Nous ne saurions parvenir jusqu’au Tout-Puissant, Grand par la force, Par la justice, par le droit souverain: Il ne répond pas!
24 इसीलिए लोग उससे डरते हैं; वह अक़्लमन्ददिलों की परवाह नहीं करता।”
C’est pourquoi les hommes doivent le craindre; Il ne porte les regards sur aucun sage.