< अय्यू 33 >
1 “तोभी ऐ अय्यूब ज़रा मेरी तक़रीर सुन ले, और मेरी सब बातों पर कान लगा।
১তাই এখন, ইয়োব, আমি আপনাকে অনুনয় করি, আমার কথা শুনুন; আমার সমস্ত কথা শুনুন।
2 देख, मैंने अपना मुँह खोला है; मेरी ज़बान ने मेरे मुँह में सुखन आराई की है।
২এখন দেখুন, আমি আমার মুখ খুলেছি; আমার জিভ আমার মুখের ভিতরে কথা বলেছে।
3 मेरी बातें मेरे दिल की रास्तबाज़ी को ज़ाहिर करेंगी। और मेरे लब जो कुछ जानते हैं, उसी को सच्चाई से कहेंगे।
৩আমার কথা আমার হৃদয়ের ন্যায়পরায়ণতার বাক্য বলবে; আমার ঠোঁট যা জানে, তারা অকপটে তা বলবে।
4 ख़ुदा की रूह ने मुझे बनाया है, और क़ादिर — ए — मुतलक़ का दम मुझे ज़िन्दगी बख़्शता है।
৪ঈশ্বরের আত্মা আমায় বানিয়েছেন; সর্বশক্তিমানের নিঃশ্বাস আমায় জীবন দিয়েছে।
5 अगर तू मुझे जवाब दे सकता है तो दे, और अपनी बातों को मेरे सामने तरतीब देकर खड़ा हो जा।
৫যদি আপনি পারেন, আমায় উত্তর দিন; আপনার কথা আমার সামনে সাজিয়ে রাখুন এবং উঠে দাঁড়ান।
6 देख, ख़ुदा के सामने मैं तेरे बराबर हूँ। मैं भी मिट्टी से बना हूँ।
৬দেখুন, আমিও ঠিক আপনার মত ঈশ্বরের চোখে; আমিও মাটি থেকেই তৈরী।
7 देख, मेरा रौ'ब तुझे परेशान न करेगा, मेरा दबाव तुझ पर भारी न होगा।
৭দেখুন, আমার আতঙ্ক আপনাকে ভয় পাওয়াবে না; না আমার চাপ আপনার কাছে খুব ভারী হবে।
8 “यक़ीनन तू मेरे सुनते ही कहा है, और मैंने तेरी बातें सुनी हैं,
৮আপনি আমার কানের কাছে কথা বলেছেন; আমি আপনার কথার আওয়াজ শুনেছি,
9 कि 'मैं साफ़ और में बे तकसीर हूँ, मैं बे गुनाह हूँ, और मुझ में गुनाह नहीं।
৯আমি শুচি এবং পাপ বিহীন; আমি নির্দোষ এবং আমার মধ্যে কোন পাপ নেই।
10 वह मेरे ख़िलाफ़ मौक़ा' ढूँडता है, वह मुझे अपना दुश्मन समझता है;
১০দেখুন, ঈশ্বর আমাকে আক্রমণ করার সুযোগ খোঁজেন; তিনি আমায় তাঁর শত্রু মনে করেন।
11 वह मेरे दोनों पाँव को काठ में ठोंक देता है, वह मेरी सब राहों की निगरानी करता है।
১১তিনি আমার পায়ে বেড়ি পরান; তিনি আমার সমস্ত পথে দৃষ্টি রাখেন।
12 “देख, मैं तुझे जवाब देता हूँ, इस बात में तू हक़ पर नहीं। क्यूँकि ख़ुदा इंसान से बड़ा है।
১২দেখুন, আমি আপনাকে উত্তর দেব: এই বলে যে আপনি সঠিক নন, কারণ ঈশ্বর মানুষের থেকে মহান।
13 तू क्यूँ उससे झगड़ता है? क्यूँकि वह अपनी बातों में से किसी का हिसाब नहीं देता।
১৩কেন আপনি তাঁর বিরুদ্ধে বিবাদ করছেন? তিনি তাঁর মানুষের কোন কাজের হিসাব দেন না।
14 क्यूँकि ख़ुदा एक बार बोलता है, बल्कि दो बार, चाहे इंसान इसका ख़याल न करे।
১৪কারণ ঈশ্বর একবার বলেন বরং, দুবার বলেন, যদিও মানুষ তা লক্ষ্য করে না।
15 ख़्वाब में, रात के ख़्वाब में, जब लोगों को गहरी नींद आती है, और बिस्तर पर सोते वक़्त;
১৫স্বপ্নে, রাত্রির দর্শনে, যখন গভীর ঘুমে মানুষ আচ্ছন্ন হয়, বিছানায় গভীর ভাবে ঘুমায়
16 तब वह लोगों के कान खोलता है, और उनकी ता'लीम पर मुहर लगाता है,
১৬তখন ঈশ্বর মানুষের কান খোলেন এবং সতর্কবার্তায় তাদের ভয় দেখান।
17 ताकि इंसान को उसके मक़सद से रोके, और गु़रूर को इंसान में से दूर करे।
১৭মানুষকে তার পাপময় উদ্দেশ্য থেকে ফেরাতে এবং তার থেকে অহঙ্কার দূরে রাখেন।
18 वह उसकी जान को गढ़े से बचाता है, और उसकी ज़िन्दगी तलवार की मार से।
১৮ঈশ্বর গর্ত থেকে মানুষের জীবন বাঁচান, মৃত্যু থেকে তার জীবন রক্ষা করেন।
19 “वह अपने बिस्तर पर दर्द से तम्बीह पाता है, और उसकी हड्डियों में दाइमी जंग है।
১৯মানুষ তার বিছানায় ব্যাথায় শাস্তি পায়, তার হাড়ের অবিরত অসম্ভব যন্ত্রণায়,
20 यहाँ तक कि उसका जी रोटी से, और उसकी जान लज़ीज़ खाने से नफ़रत करने लगती है।
২০যাতে তার জীবন খাবার ঘৃণা করে এবং তার প্রাণ সুস্বাদু খাবার ঘৃণা করে।
21 उसका गोश्त ऐसा सूख जाता है कि दिखाई नहीं देता; और उसकी हड्डियाँ जो दिखाई नहीं देती थीं, निकल आती हैं'।
২১তা মাংস ক্ষয়ে চলে যায় যাতে তা দেখা না যায়; তার হাড়, একদিন দেখা যেত না, কিন্তু এখন বেরিয়ে পড়েছে।
22 बल्कि उसकी जान गढ़े के क़रीब पहुँचती है, और उसकी ज़िन्दगी हलाक करने वालों के नज़दीक।
২২সত্যি, তার প্রাণ গর্তের কাছাকাছি, তার জীবন তাদের হাতে যারা তা ধ্বংস করতে চায়।
23 वहाँ अगर उसके साथ कोई फ़रिश्ता हो, या हज़ार में एक ता'बीर करने वाला, जो इंसान को बताए कि उसके लिए क्या ठीक है;
২৩কিন্তু যদি সেখানে কোন স্বর্গদূত থাকে যে তার মধ্যস্থকারী হতে পারে, একজন মধ্যস্থকারী, একজন হাজার জনের মধ্যে থেকে, তাকে দেখাতে কোনটা ঠিক কাজ,
24 तो वह उस पर रहम करता और कहता है, कि 'उसे गढ़े में जाने से बचा ले; मुझे फ़िदिया मिल गया है।
২৪এবং যদি সেই স্বর্গদূত তার প্রতি সদয় হন এবং ঈশ্বরকে বলেন, এই লোকটিকে গর্তে নেমে যাওয়া থেকে রক্ষা করুন; আমি প্রায়শ্চিত্ত পেয়েছি,
25 तब उसका जिस्म बच्चे के जिस्म से भी ताज़ा होगा; और उसकी जवानी के दिन लौट आते हैं।
২৫তখন তার মাংস বাচ্চাদের থেকেও সতেজ হবে; সে তার যৌবন শক্তির দিনের ফিরে যাবে।
26 वह ख़ुदा से दुआ करता है। और वह उस पर महेरबान होता है, ऐसा कि वह ख़ुशी से उसका मुँह देखता है; और वह इंसान की सच्चाई को बहाल कर देता है।
২৬সে ঈশ্বরের কাছে প্রার্থনা করবে এবং ঈশ্বর তার প্রতি সদয় হবেন, যাতে সে আনন্দের সাথে ঈশ্বরের মুখ দেখে। ঈশ্বর সেই লোককে তাঁর ধার্ম্মিকতা দেবেন।
27 वह लोगों के सामने गाने और कहने लगता है, कि'मैंने गुनाह किया और हक़ को उलट दिया, और इससे मुझे फ़ायदा न हुआ।
২৭তখন সেই লোক অন্য সমস্ত লোকের সামনে গান করবে এবং বলবে, আমি পাপ করেছি এবং যা ঠিক ছিল তা বিকৃত করেছি, কিন্তু আমার পাপের জন্য কোন শাস্তি পাইনি।
28 उसने मेरी जान को गढ़े में जाने से बचाया, और मेरी ज़िन्दगी रोशनी को देखेगी।
২৮ঈশ্বর গর্তে নেমে যাওয়া থেকে আমার প্রাণকে রক্ষা করেছেন; আমার জীবন আলো দেখবে।
29 “देखो, ख़ुदा आदमी के साथ यह सब काम, दो बार बल्कि तीन बार करता है;
২৯দেখ, ঈশ্বর এই সমস্ত একজন মানুষের জন্য করেছেন, হ্যাঁ দুবার, এমনকি তিনবার করেছেন,
30 ताकि उसकी जान को गढ़े से लौटा लाए, और वह ज़िन्दों के नूर से मुनव्वर हो।
৩০তার জীবন নরক থেকে ফিরিয়ে আনতে, যাতে সে জীবন্ত লোকেদের আলোয় আলোকিত হয়।
31 ऐ अय्यूब! ग़ौर से मेरी सुन; ख़ामोश रह और मैं बोलूँगा।
৩১ইয়োব, মনোযোগ দিন এবং আমার কথা শুনুন; আপনি চুপ করে থাকুন এবং আমি কথা বলব।
32 अगर तुझे कुछ कहना है तो मुझे जवाब दे; बोल, क्यूँकि मैं तुझे रास्त ठहराना चाहता हूँ।
৩২যদি আপনার কোন কথা থাকে, আমাকে বলুন; কথা বলুন, কারণ আমি প্রমাণ করতে চাই যে আপনি ন্যায়ী।
33 अगर नहीं, तो मेरी सुन; ख़ामोश रह और मैं तुझे समझ सिखाऊँगा।”
৩৩যদি না থাকে, তবে আমার কথা শুনুন; চুপ করে থাকুন এবং আমি আপনাকে প্রজ্ঞা শিক্ষা দেব।