< अय्यू 24 >

1 “क़ादिर — ए — मुतलक़ ने वक़्त क्यूँ नहीं ठहराए, और जो उसे जानते हैं वह उसके दिनों को क्यूँ नहीं देखते?
Επειδή οι καιροί δεν είναι κεκρυμμένοι από του Παντοδυνάμου, διά τι οι γνωρίζοντες αυτόν δεν βλέπουσι τας ημέρας αυτού;
2 ऐसे लोग भी हैं जो ज़मीन की हदों को सरका देते हैं, वह रेवड़ों को ज़बरदस्ती ले जाते और उन्हें चराते हैं।
Μετακινούσιν όρια· αρπάζουσι ποίμνια και ποιμαίνουσιν·
3 वह यतीम के गधे को हाँक ले जाते हैं; वह बेवा के बैल को गिरा लेते हैं।
αφαιρούσι την όνον των ορφανών· λαμβάνουσι τον βουν της χήρας εις ενέχυρον·
4 वह मोहताज को रास्ते से हटा देते हैं, ज़मीन के ग़रीब इकट्ठे छिपते हैं।
εξωθούσι τους ενδεείς από της οδού· οι πτωχοί της γης ομού κρύπτονται.
5 देखो, वह वीरान के गधों की तरह अपने काम को जाते और मशक़्क़त उठाकर' ख़ुराक ढूँडते हैं। वीरान उनके बच्चों के लिए ख़ुराक बहम पहुँचाता है।
Ιδού, ως άγριοι όνοι εν τη ερήμω, εξέρχονται εις τα έργα αυτών εγειρόμενοι πρωΐ διά αρπαγήν· η έρημος δίδει τροφήν δι' αυτούς και διά τα τέκνα αυτών.
6 वह खेत में अपना चारा काटते हैं, और शरीरों के अंगूर की खू़शा चीनी करते हैं।
Θερίζουσιν αγρόν μη όντα εαυτών, και τρυγώσιν άμπελον αδικίας.
7 वह सारी रात बे कपड़े नंगे पड़े रहते हैं, और जाड़ों में उनके पास कोई ओढ़ना नहीं होता।
Κάμνουσι τους γυμνούς να νυκτερεύωσιν άνευ ιματίου, και δεν έχουσι σκέπασμα εις το ψύχος.
8 वह पहाड़ों की बारिश से भीगे रहते हैं, और किसी आड़ के न होने से चट्टान से लिपट जाते हैं।
Υγραίνονται εκ των βροχών των ορέων και εναγκαλίζονται τον βράχον, μη έχοντες καταφύγιον.
9 ऐसे लोग भी हैं जो यतीम को छाती पर से हटा लेते हैं और ग़रीबों से गिरवी लेते हैं।
Εκείνοι αρπάζουσι τον ορφανόν από του μαστού, και λαμβάνουσιν ενέχυρον παρά του πτωχού·
10 इसलिए वह बेकपड़े नंगे फिरते, और भूक के मारे पौले ढोते हैं।
κάμνουσιν αυτόν να υπάγη γυμνός άνευ ιματίου, και οι βαστάζοντες τα χειρόβολα μένουσι πεινώντες.
11 वह इन लोगों के अहातों में तेल निकालते हैं। वह उनके कुण्डों में अंगूर रौदते और प्यासे रहते हैं।
Οι εκπιέζοντες το έλαιον εντός των τοίχων αυτών και πατούντες τους ληνούς αυτών, διψώσιν.
12 आबाद शहर में से निकल कर लोग कराहते हैं, और ज़ख्मियों की जान फ़रियाद करती है। तोभी ख़ुदा इस हिमाक़त' का ख़्याल नहीं करता।
Άνθρωποι στενάζουσιν εκ της πόλεως, και η ψυχή των πεπληγωμένων βοά· αλλ' ο Θεός δεν επιθέτει εις αυτούς αφροσύνην.
13 “यह उनमें से हैं जो नूर से बग़ावत करते हैं; वह उसकी राहों को नहीं जानते, न उसके रास्तों पर क़ाईम रहते हैं।
Ούτοι είναι εκ των ανθισταμένων εις το φώς· δεν γνωρίζουσι τας οδούς αυτού, και δεν μένουσιν εν ταις τρίβοις αυτού.
14 खू़नी रोशनी होते ही उठता है। वह ग़रीबों और मोहताजों को मारडालता है, और रात को वह चोर की तरह है।
Ο φονεύς εγειρόμενος την αυγήν φονεύει τον πτωχόν και τον ενδεή, την δε νύκτα γίνεται ως κλέπτης.
15 ज़ानी की आँख भी शाम की मुन्तज़िर रहती है। वह कहता है किसी की नज़र मुझ पर न पड़ेगी, और वह अपना मुँह ढाँक लेता है।
Ο οφθαλμός ομοίως του μοιχού παραφυλάττει το νύκτωμα, λέγων, Οφθαλμός δεν θέλει με ιδεί· και καλύπτει το πρόσωπον αυτού.
16 अंधेरे में वह घरों में सेंध मारते हैं, वह दिन के वक़्त छिपे रहते हैं; वह नूर को नहीं जानते।
Εν τω σκότει διατρυπώσι τας οικίας, τας οποίας την ημέραν εσημείωσαν δι' εαυτούς. Δεν γνωρίζουσι φώς·
17 क्यूँकि सुबह उन लोगों के लिए ऐसी है जैसे मौत का साया इसलिए कि उन्हें मौत के साये की दहशत मा'लूम है।
διότι η αυγή είναι εις πάντας αυτούς σκιά θανάτου· εάν τις γνωρίση αυτούς, είναι τρόμοι σκιάς θανάτου.
18 वह पानी की सतह पर तेज़ रफ़्तार हैं, ज़मीन पर उनके ज़मीन पर उनका हिस्सा मलऊन हैं वह ताकिस्तानों की राह पर नहीं चलते।
Είναι ελαφροί επί το πρόσωπον των υδάτων· η μερίς αυτών είναι κατηραμένη επί της γής· δεν βλέπουσι την οδόν των αμπέλων.
19 ख़ुश्की और गर्मी बरफ़ानी पानी के नालों को सुखा देती हैं, ऐसा ही क़ब्र गुनहगारों के साथ करती है। (Sheol h7585)
Η ξηρασία και η θερμότης αρπάζουσι τα ύδατα της χιόνος, ο δε τάφος τους αμαρτωλούς. (Sheol h7585)
20 रहम उसे भूल जाएगा, कीड़ा उसे मज़े सिखाएगा, उसकी याद फिर न होगी; नारास्ती दरख़्त की तरह तोड़ दी जाएगी।
Η μήτρα θέλει λησμονήσει αυτούς· ο σκώληξ θέλει βόσκεσθαι επ' αυτούς· δεν θέλουσιν ελθεί πλέον εις ενθύμησιν· και η αδικία θέλει συντριφθή ως ξύλον.
21 वह बाँझ को जो जनती नहीं, निगल जाता है, और बेवा के साथ भलाई नहीं करता।
Κακοποιούσι την στείραν την άτεκνον· και δεν αγαθοποιούσι την χήραν·
22 ख़ुदा अपनी कु़व्वत से बहादुरको भी खींच लेता है; वह उठता है, और किसी को ज़िन्दगी का यक़ीन नहीं रहता।
και κατακρατούσι τους δυνατούς διά της δυνάμεως αυτών· εγείρονται, και δεν είναι ουδείς ασφαλής εν τη ζωή αυτού.
23 ख़ुदा उन्हें अम्न बख़्शता है और वह उसी में क़ाईम रहते हैं, और उसकी आँखें उनकी राहों पर लगी रहती हैं।
Έδωκε μεν ο Θεός εις αυτούς ασφάλειαν και αναπαύονται· όμως οι οφθαλμοί αυτού είναι επί τας οδούς αυτών.
24 वह सरफ़राज़ तो होते हैं, लेकिन थोड़ी ही देर में जाते रहते हैं; बल्कि वह पस्त किए जाते हैं और सब दूसरों की तरह रास्ते से उठा लिए जाते, और अनाज की बालों की तरह काट डाले जाते हैं।
Υψόνονται ολίγον καιρόν και δεν υπάρχουσι, και καταβάλλονται ως πάντες· σηκόνονται εκ του μέσου και αποκόπτονται ως η κεφαλή των ασταχύων·
25 और अगर यह यूँ ही नहीं है, तो कौन मुझे झूटा साबित करेगा और मेरी तकरीर को नाचीज़ ठहराएगा?”
και εάν τώρα δεν ήναι ούτω, τις θέλει με διαψεύσει και εξουθενίσει τους λόγους μου;

< अय्यू 24 >