< अय्यू 23 >
1 तब अय्यूब ने जवाब दिया,
Then Job answered and said,
2 मेरी शिकायत आज भी तल्ख़ है; मेरी मार मेरे कराहने से भी भारी है।
Even to day [is] my complaint bitter: my stroke is heavier than my groaning.
3 काश कि मुझे मा'लूम होता कि वह मुझे कहाँ मिल सकता है ताकि मैं ऐन उसकी मसनद तक पहुँच जाता।
Oh that I knew where I might find him! [that] I might come [even] to his seat!
4 मैं अपना मु'आमिला उसके सामने पेश करता, और अपना मुँह दलीलों से भर लेता।
I would order [my] cause before him, and fill my mouth with arguments.
5 मैं उन लफ़्ज़ों को जान लेता जिनमें वह मुझे जवाब देता और जो कुछ वह मुझ से कहता मैं समझ लेता।
I would know the words [which] he would answer me, and understand what he would say unto me.
6 क्या वह अपनी क़ुदरत की 'अज़मत में मुझ से लड़ता? नहीं, बल्कि वह मेरी तरफ़ तवज्जुह करता।
Will he plead against me with [his] great power? No; but he would put [strength] in me.
7 रास्तबाज़ वहाँ उसके साथ बहस कर सकते, यूँ मैं अपने मुन्सिफ़ के हाथ से हमेशा के लिए रिहाई पाता।
There the righteous might dispute with him; so should I be delivered for ever from my judge.
8 देखो, मैं आगे जाता हूँ लेकिन वह वहाँ नहीं, और पीछे हटता हूँ लेकिन मैं उसे देख नहीं सकता।
Behold, I go forward, but he [is] not [there; ] and backward, but I cannot perceive him:
9 बाएँ हाथ फिरता हूँ जब वह काम करता है, लेकिन वह मुझे दिखाई नहीं देता; वह दहने हाथ की तरफ़ छिप जाता है, ऐसा कि मैं उसे देख नहीं सकता।
On the left hand, where he doth work, but I cannot behold [him: ] he hideth himself on the right hand, that I cannot see [him: ]
10 लेकिन वह उस रास्ते को जिस पर मैं चलता हूँ जानता है; जब वह मुझे पालेगा तो मैं सोने के तरह निकल आऊँगा।
But he knoweth the way that I take: [when] he hath tried me, I shall come forth as gold.
11 मेरा पाँव उसके क़दमों से लगा रहा है। मैं उसके रास्ते पर चलता रहा हूँ और नाफ़रमान नहीं हुआ।
My foot hath held his steps, his way have I kept, and not declined.
12 मैं उसके लबों के हुक्म से हटा नहीं; मैंने उसके मुँह की बातों को अपनी ज़रूरी ख़ुराक से भी ज़्यादा ज़ख़ीरा किया।
Neither have I gone back from the commandment of his lips; I have esteemed the words of his mouth more than my necessary [food].
13 लेकिन वह एक ख़याल में रहता है, और कौन उसको फिरा सकता है? और जो कुछ उसका जी चाहता है करता है।
But he [is] in one [mind], and who can turn him? and [what] his soul desireth, even [that] he doeth.
14 क्यूँकि जो कुछ मेरे लिए मुक़र्रर है, वह पूरा करता है; और बहुत सी ऐसी बातें उसके हाथ में हैं।
For he performeth [the thing that is] appointed for me: and many such [things are] with him.
15 इसलिए मैं उसके सामने घबरा जाता हूँ, मैं जब सोचता हूँ तो उससे डर जाता हूँ।
Therefore am I troubled at his presence: when I consider, I am afraid of him.
16 क्यूँकि ख़ुदा ने मेरे दिल को बूदा कर डाला है, और क़ादिर — ए — मुतलक़ ने मुझ को घबरा दिया है।
For God maketh my heart soft, and the Almighty troubleth me:
17 इसलिए कि मैं इस ज़ुल्मत से पहले काट डाला न गया और उसने बड़ी तारीकी को मेरे सामने से न छिपाया।
Because I was not cut off before the darkness, [neither] hath he covered the darkness from my face.