< अय्यू 17 >

1 मेरी जान तबाह हो गई मेरे दिन हो चुके क़ब्र मेरे लिए तैय्यार है।
تَلِفَتْ رُوحِي وَانْطَفَأَتْ أَيَّامِي، وَالْقَبْرُ مُعَدٌّ لِي.١
2 यक़ीनन हँसी उड़ाने वाले मेरे साथ साथ हैं, और मेरी आँख उनकी छेड़छाड़ पर लगी रहती है।
الْمُسْتَهْزِئُونَ يُحَاصِرُونَنِي، الَّذِينَ تَشْهَدُ عَيْنِي مُشَاجَرَاتِهِمْ.٢
3 ज़मानत दे, अपने और मेरे बीच में तू ही ज़ामिन हो। कौन है जो मेरे हाथ पर हाथ मारे?
كُنْ لِي ضَامِناً عِنْدَ نَفْسِكَ، إِذْ مَنْ يُمْكِنُ أَنْ يَكُونَ كَفِيلِي؟٣
4 क्यूँकि तूने इनके दिल को समझ से रोका है, इसलिए तू इनको सरफ़राज़ न करेगा।
فَأَنْتَ حَجَبْتَ الْفِطْنَةَ عَنْ قُلُوبِهِمْ، لِذَلِكَ لَنْ تُظْفِرَهُمْ،٤
5 जो लूट की ख़ातिर अपने दोस्तों को मुल्ज़िम ठहराता है, उसके बच्चों की आँखें भी जाती रहेंगी।
وَلْتَتْلَفْ عُيُونُ أَبْنَاءِ مَنْ يَشِي بِأَصْحَابِهِ طَمَعاً فِي أَمْلاكِهِمْ.٥
6 उसने मुझे लोगों के लिए ज़रबुल मिसाल बना दिया हैं: और मैं ऐसा हो गया कि लोग मेरे मुँह पर थूकें।
لَقَدْ جَعَلَنِي مَثَلاً لِلأُمَمِ، وَصَارَ وَجْهِي مَبْصَقَةً.٦
7 मेरी आँखे ग़म के मारे धुंदला गई, और मेरे सब 'आज़ा परछाईं की तरह है।
كَلَّتْ عَيْنَايَ حُزْناً وَأَصْبَحَتْ أَعْضَائِي كَالظِّلِّ،٧
8 रास्तबाज़ आदमी इस बात से हैरान होंगे और मा'सूम आदमी बे ख़ुदा लोगों के ख़िलाफ़ जोश में आएगा
فَزِعَ الْمُسْتَقِيمُونَ مِنْ هَذَا، وَثَارَ الْبَرِيءُ عَلَى الْفَاجِرِ،٨
9 तोभी सच्चा अपनी राह में साबित क़दम रहेगा और जिसके हाथ साफ़ हैं, वह ताक़तवर ही होता जाएगा
أَمَّا الصِّدِّيقُ فَيَتَمَسَّكُ بِطَرِيقِهِ، وَيَزْدَادُ الطَّاهِرُ الْيَدَيْنِ قُوَّةً.٩
10 लेकिन तुम सब के सब आते हो तो आओ, मुझे तुम्हारे बीच एक भी आदमी 'अक़्लमन्द न मिलेगा।
وَلَكِنِ ارْجِعُوا جَمِيعُكُمْ، تَعَالَوْا كُلُّكُمْ، فَلا أَجِدُ فِيكُمْ حَكِيماً.١٠
11 मेरे दिन तो बीत चुके, और मेरे मक़सद मिट गए और जो मेरे दिल में था, वह बर्बाद हुआ है।
قَدْ عَبَرَتْ أَيَّامِي، وَتَمَزَّقَتْ مَآرِبِي الَّتِي هِيَ رَغْبَاتُ قَلْبِي.١١
12 वह रात को दिन से बदलते हैं, वह कहतें है रोशनी तारीकी के नज़दीक है।
يَجْعَلُونَ اللَّيْلَ نَهَاراً، وَعَلَى الرَّغْمِ مِنَ الظُّلْمَةِ يَقُولُونَ:’إِنَّ النُّورَ قَرِيبٌ!‘١٢
13 अगर में उम्मीद करूँ कि पाताल मेरा घर है, अगर मैंने अँधेरे में अपना बिछौना बिछा लिया है। (Sheol h7585)
إِذَا رَجَوْتُ أَنْ تَكوُنَ الْهَاوِيَةُ مَقَرّاً لِي، وَمَهَّدْتُ فِي الظَّلامِ فِرَاشِي، (Sheol h7585)١٣
14 अगर मैंने सड़ाहट से कहा है कि तू मेरा बाप है, और कीड़े से कि तू मेरी माँ और बहन है
وَإِنْ قُلْتُ لِلْقَبْرِ أَنْتَ أَبِي، وَلِلدُّودِ أَنْتَ أُمِّي أَوْ أُخْتِي،١٤
15 तोमेरी उम्मीद कहाँ रही, और जो मेरी उम्मीद है, उसे कौन देखेगा
فَأَيْنَ إِذاً آمَالِي؟ وَمَنْ يُعَايِنُ رَجَائِي؟١٥
16 वह पाताल के फाटकों तक नीचे उतर जाएगी जब हम मिलकर ख़ाक में आराम पाएँगे।” (Sheol h7585)
أَلا تَنْحَدِرُ إِلَى مَغَالِيقِ الْهَاوِيَةِ، وَنَسْتَقِرُّ مَعاً فِي التُّرَابِ؟» (Sheol h7585)١٦

< अय्यू 17 >