< अय्यू 11 >
1 तब जूफ़र नामाती ने जवाब दिया,
Then Zophar, the Naamathite, answered,
2 क्या इन बहुत सी बातों का जवाब न दिया जाए? और क्या बकवासी आदमी रास्त ठहराया जाए?
“Shouldn’t the multitude of words be answered? Should a man full of talk be justified?
3 क्या तेरे बड़े बोल लोगों को ख़ामोश करदे? और जब तू ठठ्ठा करे तो क्या कोई तुझे शर्मिन्दा न करे?
Should your boastings make men hold their peace? When you mock, will no man make you ashamed?
4 क्यूँकि तू कहता है, 'मेरी ता'लीम पाक है, और मैं तेरी निगाह में बेगुनाह हूँ।
For you say, ‘My doctrine is pure. I am clean in your eyes.’
5 काश ख़ुदा ख़ुद बोले, और तेरे ख़िलाफ़ अपने लबों को खोले।
But oh that God would speak, and open his lips against you,
6 और हिकमत के आसार तुझे दिखाए कि वह तासीर में बहुत बड़ा है। इसलिए जान ले कि तेरी बदकारी जिस लायक़ है उससे कम ही ख़ुदा तुझ से मुतालबा करता है।
that he would show you the secrets of wisdom! For true wisdom has two sides. Know therefore that God exacts of you less than your iniquity deserves.
7 क्या तू तलाश से ख़ुदा को पा सकता है? क्या तू क़ादिर — ए — मुतलक़ का राज़ पूरे तौर से बयान कर सकता है?
“Can you fathom the mystery of God? Or can you probe the limits of the Almighty?
8 वह आसमान की तरह ऊँचा है, तू क्या कर सकता है? वह पाताल सा गहरा है, तू क्या जान सकता है? (Sheol )
They are high as heaven. What can you do? They are deeper than Sheol. What can you know? (Sheol )
9 उसकी नाप ज़मीन से लम्बी और समन्दर से चौड़ी है
Its measure is longer than the earth, and broader than the sea.
10 अगर वह बीच से गुज़र कर बंद कर दे, और 'अदालत में बुलाए तो कौन उसे रोक सकता है?
If he passes by, or confines, or convenes a court, then who can oppose him?
11 क्यूँकि वह बेहूदा आदमियों को पहचानता है, और बदकारी को भी देखता है, चाहे उसका ख़्याल न करे?
For he knows false men. He sees iniquity also, even though he doesn’t consider it.
12 लेकिन बेहूदा आदमी समझ से ख़ाली होता है, बल्कि इंसान गधे के बच्चे की तरह पैदा होता है।
An empty-headed man becomes wise when a man is born as a wild donkey’s colt.
13 अगर तू अपने दिल को ठीक करे, और अपने हाथ उसकी तरफ़ फैलाए,
“If you set your heart aright, stretch out your hands toward him.
14 अगर तेरे हाथ में बदकारी हो तो उसे दूर करे, और नारास्ती को अपने ख़ेमों में रहने न दे,
If iniquity is in your hand, put it far away. Don’t let unrighteousness dwell in your tents.
15 तब यक़ीनन तू अपना मुँह बे दाग़ उठाएगा, बल्कि तू साबित क़दम हो जाएगा और डरने का नहीं।
Surely then you will lift up your face without spot. Yes, you will be steadfast, and will not fear,
16 क्यूँकि तू अपनी ख़स्ताहाली को भूल जाएगा, तू उसे उस पानी की तरह याद करेगा जो बह गया हो।
for you will forget your misery. You will remember it like waters that have passed away.
17 और तेरी ज़िन्दगी दोपहर से ज़्यादा रोशन होगी, और अगर तारीकी हुई तो वह सुबह की तरह होगी।
Life will be clearer than the noonday. Though there is darkness, it will be as the morning.
18 और तू मुतम'इन रहेगा, क्यूँकि उम्मीद होगी और अपने चारों तरफ़ देख देख कर सलामती से आराम करेगा।
You will be secure, because there is hope. Yes, you will search, and will take your rest in safety.
19 और तू लेट जाएगा, और कोई तुझे डराएगा नहीं बल्कि बहुत से लोग तुझ से फ़रियाद करेंगे।
Also you will lie down, and no one will make you afraid. Yes, many will court your favor.
20 लेकिन शरीरों की आँखें रह जाएँगी, उनके लिए भागने को भी रास्ता न होगा, और जान दे देना ही उनकी उम्मीद होगी।”
But the eyes of the wicked will fail. They will have no way to flee. Their hope will be the giving up of the spirit.”