< यर्म 50 >

1 वह कलाम जो ख़ुदावन्द ने बाबुल और कसदियों के मुल्क के बारे में यरमियाह नबी की ज़रिए' फ़रमाया:
הַדָּבָ֗ר אֲשֶׁ֨ר דִּבֶּ֧ר יְהוָ֛ה אֶל־בָּבֶ֖ל אֶל־אֶ֣רֶץ כַּשְׂדִּ֑ים בְּיַ֖ד יִרְמְיָ֥הוּ הַנָּבִֽיא׃
2 क़ौमों में 'ऐलान करो, और इश्तिहार दो, और झण्डा खड़ा करो, 'ऐलान करो, पोशीदा न रख्खो; कह दो कि बाबुल ले लिया गया, बेल रुस्वा हुआ, मरोदक सरासीमा हो गया; उसके बुत ख़जिल हुए, उसकी मूरतें तोड़ी गईं।
הַגִּ֨ידוּ בַגּוֹיִ֤ם וְהַשְׁמִ֙יעוּ֙ וּֽשְׂאוּ־נֵ֔ס הַשְׁמִ֖יעוּ אַל־תְּכַחֵ֑דוּ אִמְרוּ֩ נִלְכְּדָ֨ה בָבֶ֜ל הֹבִ֥ישׁ בֵּל֙ חַ֣ת מְרֹדָ֔ךְ הֹבִ֣ישׁוּ עֲצַבֶּ֔יהָ חַ֖תּוּ גִּלּוּלֶֽיהָ׃
3 क्यूँकि उत्तर से एक क़ौम उस पर चढ़ी चली आती है, जो उसकी सरज़मीन को उजाड़ देगी, यहाँ तक कि उसमें कोई न रहेगा, वह भाग निकले, वह चल दिए, क्या इंसान क्या हैवान।
כִּ֣י עָלָה֩ עָלֶ֨יהָ גּ֜וֹי מִצָּפ֗וֹן הֽוּא־יָשִׁ֤ית אֶת־אַרְצָהּ֙ לְשַׁמָּ֔ה וְלֹֽא־יִהְיֶ֥ה יוֹשֵׁ֖ב בָּ֑הּ מֵאָדָ֥ם וְעַד־בְּהֵמָ֖ה נָ֥דוּ הָלָֽכוּ׃
4 'ख़ुदावन्द फ़रमाता है, उन दिनों में बल्कि उसी वक़्त बनी — इस्राईल आएँगे; वह और बनी यहूदाह इकट्ठे रोते हुए चलेंगे और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के तालिब होंगे।
בַּיָּמִ֨ים הָהֵ֜מָּה וּבָעֵ֤ת הַהִיא֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה יָבֹ֧אוּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֛ל הֵ֥מָּה וּבְנֵֽי־יְהוּדָ֖ה יַחְדָּ֑ו הָל֤וֹךְ וּבָכוֹ֙ יֵלֵ֔כוּ וְאֶת־יְהוָ֥ה אֱלֹהֵיהֶ֖ם יְבַקֵּֽשׁוּ׃
5 वह सिय्यून की तरफ़ मुतवज्जिह होकर उसकी राह पूछेंगे, 'आओ, हम ख़ुदावन्द से मिल कर उससे अबदी 'अहद करें, जो कभी फ़रामोश न हो।
צִיּ֣וֹן יִשְׁאָ֔לוּ דֶּ֖רֶךְ הֵ֣נָּה פְנֵיהֶ֑ם בֹּ֚אוּ וְנִלְו֣וּ אֶל־יְהוָ֔ה בְּרִ֥ית עוֹלָ֖ם לֹ֥א תִשָּׁכֵֽחַ׃ ס
6 मेरे लोग भटकी हुई भेड़ों की तरह हैं; उनके चरवाहों ने उनको गुमराह कर दिया, उन्होंने उनको पहाड़ों पर ले जाकर छोड़ दिया; वह पहाड़ों से टीलों पर गए और अपने आराम का मकान भूल गए हैं।
צֹ֤אן אֹֽבְדוֹת֙ היה עַמִּ֔י רֹעֵיהֶ֣ם הִתְע֔וּם הָרִ֖ים שובבים מֵהַ֤ר אֶל־גִּבְעָה֙ הָלָ֔כוּ שָׁכְח֖וּ רִבְצָֽם׃
7 सब जिन्होंने उनको पाया उनको निगल गए, और उनके दुश्मनों ने कहा, हम क़ुसूरवार नहीं हैं क्यूँकि उन्होंने ख़ुदावन्द का गुनाह किया है; वह ख़ुदावन्द जो सदाक़त का मस्कन और उनके बाप — दादा की उम्मीदगाह है।
כָּל־מוֹצְאֵיהֶ֣ם אֲכָל֔וּם וְצָרֵיהֶ֥ם אָמְר֖וּ לֹ֣א נֶאְשָׁ֑ם תַּ֗חַת אֲשֶׁ֨ר חָטְא֤וּ לַֽיהוָה֙ נְוֵה־צֶ֔דֶק וּמִקְוֵ֥ה אֲבֽוֹתֵיהֶ֖ם יְהוָֽה׃ ס
8 बाबुल में से भागो, और कसदियों की सरज़मीन से निकलो, और उन बकरों की तरह हो जो गल्लों के आगे आगे चलते हैं।
נֻ֚דוּ מִתּ֣וֹךְ בָּבֶ֔ל וּמֵאֶ֥רֶץ כַּשְׂדִּ֖ים יצאו וִהְי֕וּ כְּעַתּוּדִ֖ים לִפְנֵי־צֹֽאן׃
9 क्यूँकि देख, मैं उत्तर की सरज़मीन से बड़ी क़ौमों के अम्बोह को बर्पा करूँगा और बाबुल पर चढ़ा लाऊँगा, और वह उसके सामने सफ़ — आरा होंगे; वहाँ से उस पर क़ब्ज़ा कर लेंगे उनके तीरकार आज़मूदा बहादुर के से होंगे जो ख़ाली हाथ नहीं लौटता।
כִּ֣י הִנֵּ֣ה אָנֹכִ֡י מֵעִיר֩ וּמַעֲלֶ֨ה עַל־בָּבֶ֜ל קְהַל־גּוֹיִ֤ם גְּדֹלִים֙ מֵאֶ֣רֶץ צָפ֔וֹן וְעָ֣רְכוּ לָ֔הּ מִשָּׁ֖ם תִּלָּכֵ֑ד חִצָּיו֙ כְּגִבּ֣וֹר מַשְׁכִּ֔יל לֹ֥א יָשׁ֖וּב רֵיקָֽם׃
10 कसदिस्तान लूटा जाएगा, उसे लूटने वाले सब आसूदा होंगे, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
וְהָיְתָ֥ה כַשְׂדִּ֖ים לְשָׁלָ֑ל כָּל־שֹׁלְלֶ֥יהָ יִשְׂבָּ֖עוּ נְאֻם־יְהוָֽה׃
11 ऐ मेरी मीरास को लूटनेवालों, चूँकि तुम शादमान और ख़ुश हो और दावने वाली बछिया की तरह कूदते फाँदते और ताक़तवर घोड़ों की तरह हिनहिनाते हो;
כִּ֤י תשמחי כִּ֣י תעלזי שֹׁסֵ֖י נַחֲלָתִ֑י כִּ֤י תפושי כְּעֶגְלָ֣ה דָשָׁ֔ה ותצהלי כָּאֲבִּרִֽים׃
12 इसलिए तुम्हारी माँ बहुत शर्मिन्दा होगी, तुम्हारी वालिदा ख़जालत उठाएगी। देखो, वह क़ौमों में सबसे आख़िरी ठहरेगी और वीरान — ओ — ख़ुश्क ज़मीन और रेगिस्तान होगी।
בּ֤וֹשָׁה אִמְּכֶם֙ מְאֹ֔ד חָפְרָ֖ה יֽוֹלַדְתְּכֶ֑ם הִנֵּה֙ אַחֲרִ֣ית גּוֹיִ֔ם מִדְבָּ֖ר צִיָּ֥ה וַעֲרָבָֽה׃
13 ख़ुदावन्द के क़हर की वजह से वह आबाद न होगी, बल्कि बिल्कुल वीरान हो जाएगी; जो कोई बाबुल से गुज़रेगा हैरान होगा, और उसकी सब आफ़तों के बाइस सुस्कारेगा।
מִקֶּ֤צֶף יְהוָה֙ לֹ֣א תֵשֵׁ֔ב וְהָיְתָ֥ה שְׁמָמָ֖ה כֻּלָּ֑הּ כֹּ֚ל עֹבֵ֣ר עַל־בָּבֶ֔ל יִשֹּׁ֥ם וְיִשְׁרֹ֖ק עַל־כָּל־מַכּוֹתֶֽיהָ׃
14 ऐ सब तीरअन्दाज़ो, बाबुल को घेर कर उसके ख़िलाफ़ सफ़आराई करो, उस पर तीर चलाओ, तीरों को दरेग़ न करो, क्यूँकि उसने ख़ुदावन्द का गुनाह किया है।
עִרְכ֨וּ עַל־בָּבֶ֤ל ׀ סָבִיב֙ כָּל־דֹּ֣רְכֵי קֶ֔שֶׁת יְד֣וּ אֵלֶ֔יהָ אַֽל־תַּחְמְל֖וּ אֶל־חֵ֑ץ כִּ֥י לַֽיהוָ֖ה חָטָֽאָה׃
15 उसे घेर कर तुम उस पर ललकारो, उसने इता'अत मन्ज़ूर कर ली; उसकी बुनियादें धंस गई, उसकी दीवारें गिर गई। क्यूँकि यह ख़ुदावन्द का इन्तक़ाम है, उससे इन्तक़ाम लो; जैसा उसने किया, वैसा ही तुम उससे करो।
הָרִ֨יעוּ עָלֶ֤יהָ סָבִיב֙ נָתְנָ֣ה יָדָ֔הּ נָֽפְלוּ֙ אשויתיה נֶהֶרְס֖וּ חֽוֹמוֹתֶ֑יהָ כִּי֩ נִקְמַ֨ת יְהוָ֥ה הִיא֙ הִנָּ֣קְמוּ בָ֔הּ כַּאֲשֶׁ֥ר עָשְׂתָ֖ה עֲשׂוּ־לָֽהּ׃
16 बाबुल में हर एक बोनेवाले को और उसे जो दिरौ के वक़्त दरॉती पकड़े, काट डालो; ज़ालिम की तलवार की हैबत से हर एक अपने लोगों में जा मिलेगा, और हर एक अपने वतन को भाग जाएगा।
כִּרְת֤וּ זוֹרֵ֙עַ֙ מִבָּבֶ֔ל וְתֹפֵ֥שׂ מַגָּ֖ל בְּעֵ֣ת קָצִ֑יר מִפְּנֵי֙ חֶ֣רֶב הַיּוֹנָ֔ה אִ֤ישׁ אֶל־עַמּוֹ֙ יִפְנ֔וּ וְאִ֥ישׁ לְאַרְצ֖וֹ יָנֻֽסוּ׃ ס
17 इस्राईल तितर — बितर भेड़ों की तरह है, शेरों ने उसे रगेदा है। पहले शाह — ए — असूर ने उसे खा लिया और फिर यह शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र उसकी हड्डियाँ तक चबा गया।
שֶׂ֧ה פְזוּרָ֛ה יִשְׂרָאֵ֖ל אֲרָי֣וֹת הִדִּ֑יחוּ הָרִאשׁ֤וֹן אֲכָלוֹ֙ מֶ֣לֶךְ אַשּׁ֔וּר וְזֶ֤ה הָאַחֲרוֹן֙ עִצְּמ֔וֹ נְבוּכַדְרֶאצַּ֖ר מֶ֥לֶךְ בָּבֶֽל׃ ס
18 इसलिए रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: देख, मैं शाह — ए — बाबुल और उसके मुल्क को सज़ा दूँगा, जिस तरह मैंने शाह — ए — असूर को सज़ा दी है।
לָכֵ֗ן כֹּֽה־אָמַ֞ר יְהוָ֤ה צְבָאוֹת֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל הִנְנִ֥י פֹקֵ֛ד אֶל־מֶ֥לֶךְ בָּבֶ֖ל וְאֶל־אַרְצ֑וֹ כַּאֲשֶׁ֥ר פָּקַ֖דְתִּי אֶל־מֶ֥לֶךְ אַשּֽׁוּר׃
19 लेकिन मैं इस्राईल को फिर उसके घर में लाऊँगा, और वह कर्मिल और बसन में चरेगा, और उसकी जान कोह — ए — इफ़्राईम और जिल'आद पर आसूदा होगी।
וְשֹׁבַבְתִּ֤י אֶת־יִשְׂרָאֵל֙ אֶל־נָוֵ֔הוּ וְרָעָ֥ה הַכַּרְמֶ֖ל וְהַבָּשָׁ֑ן וּבְהַ֥ר אֶפְרַ֛יִם וְהַגִּלְעָ֖ד תִּשְׂבַּ֥ע נַפְשֽׁוֹ׃
20 ख़ुदावन्द फ़रमाता है, उन दिनों में और उसी वक़्त इस्राईल की बदकिरदारी ढूँडे न मिलेगी; और यहूदाह के गुनाहों का पता न मिलेगा जिनको मैं बाक़ी रखूँगा उनको मु'आफ़ करूँगा।
בַּיָּמִ֣ים הָהֵם֩ וּבָעֵ֨ת הַהִ֜יא נְאֻם־יְהוָ֗ה יְבֻקַּ֞שׁ אֶת־עֲוֺ֤ן יִשְׂרָאֵל֙ וְאֵינֶ֔נּוּ וְאֶת־חַטֹּ֥את יְהוּדָ֖ה וְלֹ֣א תִמָּצֶ֑אינָה כִּ֥י אֶסְלַ֖ח לַאֲשֶׁ֥ר אַשְׁאִֽיר׃
21 मरातायम की सरज़मीन पर और फ़िक़ोद के बाशिन्दों पर चढ़ाई कर। उसे वीरान कर और उनको बिल्कुल नाबूद कर, ख़ुदावन्द फ़रमाता है; और जो कुछ मैंने तुझे फ़रमाया है, उस सब के मुताबिक़ 'अमल कर।
עַל־הָאָ֤רֶץ מְרָתַ֙יִם֙ עֲלֵ֣ה עָלֶ֔יהָ וְאֶל־יוֹשְׁבֵ֖י פְּק֑וֹד חֲרֹ֨ב וְהַחֲרֵ֤ם אַֽחֲרֵיהֶם֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה וַעֲשֵׂ֕ה כְּכֹ֖ל אֲשֶׁ֥ר צִוִּיתִֽיךָ׃ ס
22 मुल्क में लड़ाई और बड़ी हलाकत की आवाज़ है।
ק֥וֹל מִלְחָמָ֖ה בָּאָ֑רֶץ וְשֶׁ֖בֶר גָּדֽוֹל׃
23 तमाम दुनिया का हथौड़ा, क्यूँकर काटा और तोड़ा गया! बाबुल क़ौमों के बीच कैसा जा — ए — हैरत हुआ!
אֵ֤יךְ נִגְדַּע֙ וַיִּשָּׁבֵ֔ר פַּטִּ֖ישׁ כָּל־הָאָ֑רֶץ אֵ֣יךְ הָיְתָ֧ה לְשַׁמָּ֛ה בָּבֶ֖ל בַּגּוֹיִֽם׃
24 मैंने तेरे लिए फन्दा लगाया, और ऐ बाबुल, तू पकड़ा गया, और तुझे ख़बर न थी। तेरा पता मिला और तू गिरफ़्तार हो गया, क्यूँकि तूने ख़ुदावन्द से लड़ाई की है।
יָקֹ֨שְׁתִּי לָ֤ךְ וְגַם־נִלְכַּדְתְּ֙ בָּבֶ֔ל וְאַ֖תְּ לֹ֣א יָדָ֑עַתְּ נִמְצֵאת֙ וְגַם־נִתְפַּ֔שְׂתְּ כִּ֥י בַֽיהוָ֖ה הִתְגָּרִֽית׃
25 ख़ुदावन्द ने अपना सिलाहख़ाना खोला और अपने क़हर के हथियारों को निकाला है; क्यूँकि कसदियों की सरज़मीन में ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज को कुछ करना है।
פָּתַ֤ח יְהוָה֙ אֶת־א֣וֹצָר֔וֹ וַיּוֹצֵ֖א אֶת־כְּלֵ֣י זַעְמ֑וֹ כִּי־מְלָאכָ֣ה הִ֗יא לַֽאדֹנָ֧י יְהוִ֛ה צְבָא֖וֹת בְּאֶ֥רֶץ כַּשְׂדִּֽים׃
26 सिरे से शुरू' करके उस पर चढ़ो, और उसके अम्बारख़ानों को खोलो, उसको खण्डर कर डालो और उसको बर्बाद करो, उसकी कोई चीज़ बाक़ी न छोड़ो।
בֹּֽאוּ־לָ֤הּ מִקֵּץ֙ פִּתְח֣וּ מַאֲבֻסֶ֔יהָ סָלּ֥וּהָ כְמוֹ־עֲרֵמִ֖ים וְהַחֲרִימ֑וּהָ אַל־תְּהִי־לָ֖הּ שְׁאֵרִֽית׃
27 उसके सब बैलों को ज़बह करो, उनको मसलख़ में जाने दो; उन पर अफ़सोस! कि उनका दिन आ गया, उनकी सज़ा का वक़्त आ पहुँचा।
חִרְבוּ֙ כָּל־פָּרֶ֔יהָ יֵרְד֖וּ לַטָּ֑בַח ה֣וֹי עֲלֵיהֶ֔ם כִּֽי־בָ֥א יוֹמָ֖ם עֵ֥ת פְּקֻדָּתָֽם׃ ס
28 सरज़मीन — ए — बाबुल से फ़रारियों की आवाज़! वह भागते और सिय्यून में ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के इन्तक़ाम, या'नी उसकी हैकल के इन्तक़ाम का ऐलान करते हैं।
ק֥וֹל נָסִ֛ים וּפְלֵטִ֖ים מֵאֶ֣רֶץ בָּבֶ֑ל לְהַגִּ֣יד בְּצִיּ֗וֹן אֶת־נִקְמַת֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֵ֔ינוּ נִקְמַ֖ת הֵיכָלֽוֹ׃
29 तीरअन्दाज़ों को बुलाकर इकट्ठा करो कि बाबुल पर जाएँ, सब कमानदारों को हर तरफ़ से उसके सामने ख़ेमाज़न करो। वहाँ से कोई बच न निकले, उसके काम के मुवाफ़िक़ उसको बदला दो। सब कुछ जो उसने किया उसे करों क्यूँकि उसने ख़ुदावन्द इस्राईल के क़ुद्दूस के सामने बहुत तकब्बुर किया।
הַשְׁמִ֣יעוּ אֶל־בָּבֶ֣ל ׀ רַ֠בִּים כָּל־דֹּ֨רְכֵי קֶ֜שֶׁת חֲנ֧וּ עָלֶ֣יהָ סָבִ֗יב אַל־יְהִי־ פְּלֵטָ֔ה שַׁלְּמוּ־לָ֣הּ כְּפָעֳלָ֔הּ כְּכֹ֛ל אֲשֶׁ֥ר עָשְׂתָ֖ה עֲשׂוּ־לָ֑הּ כִּ֧י אֶל־יְהוָ֛ה זָ֖דָה אֶל־קְד֥וֹשׁ יִשְׂרָאֵֽל׃
30 इसलिए उसके जवान बाज़ारों में गिर जाएँगे, और सब जंगी मर्द उस दिन काट डाले जाएँगे, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
לָכֵ֛ן יִפְּל֥וּ בַחוּרֶ֖יהָ בִּרְחֹבֹתֶ֑יהָ וְכָל־אַנְשֵׁ֨י מִלְחַמְתָּ֥הּ יִדַּ֛מּוּ בַּיּ֥וֹם הַה֖וּא נְאֻם־יְהוָֽה׃ ס
31 ऐ मग़रूर, देख, मैं तेरा मुख़ालिफ़ हूँ ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है क्यूँकि तेरा वक़्त आ पहुँचा, हाँ, वह वक़्त जब मैं तुझे सज़ा दूँ।
הִנְנִ֤י אֵלֶ֙יךָ֙ זָד֔וֹן נְאֻם־אֲדֹנָ֥י יְהוִ֖ה צְבָא֑וֹת כִּ֛י בָּ֥א יוֹמְךָ֖ עֵ֥ת פְּקַדְתִּֽיךָ׃
32 और वह मग़रूर ठोकर खाएगा, वह गिरेगा और कोई उसे न उठाएगा; और मैं उसके शहरों में आग भड़काऊँगा, और वह उसके तमाम 'इलाक़े को भसम कर देगी।
וְכָשַׁ֤ל זָדוֹן֙ וְנָפַ֔ל וְאֵ֥ין ל֖וֹ מֵקִ֑ים וְהִצַּ֤תִּי אֵשׁ֙ בְּעָרָ֔יו וְאָכְלָ֖ה כָּל־סְבִיבֹתָֽיו׃ ס
33 'रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है: कि बनी — इस्राईल और बनी यहूदाह दोनों मज़लूम हैं; और उनको ग़ुलाम करने वाले उनको क़ैद में रखते हैं, और छोड़ने से इन्कार करते हैं।
כֹּ֤ה אָמַר֙ יְהוָ֣ה צְבָא֔וֹת עֲשׁוּקִ֛ים בְּנֵי־יִשְׂרָאֵ֥ל וּבְנֵי־יְהוּדָ֖ה יַחְדָּ֑ו וְכָל־שֹֽׁבֵיהֶם֙ הֶחֱזִ֣יקוּ בָ֔ם מֵאֲנ֖וּ שַׁלְּחָֽם׃
34 उनका छुड़ानेवाला ज़ोरआवर है; रब्ब — उल — अफ़वाज उसका नाम है; वह उनकी पूरी हिमायत करेगा ताकि ज़मीन को राहत बख़्शे, और बाबुल के बाशिन्दों को परेशान करे।
גֹּאֲלָ֣ם ׀ חָזָ֗ק יְהוָ֤ה צְבָאוֹת֙ שְׁמ֔וֹ רִ֥יב יָרִ֖יב אֶת־רִיבָ֑ם לְמַ֙עַן֙ הִרְגִּ֣יעַ אֶת־הָאָ֔רֶץ וְהִרְגִּ֖יז לְיֹשְׁבֵ֥י בָבֶֽל׃
35 ख़ुदावन्द फ़रमाता है, कि तलवार कसदियों पर और बाबुल के बाशिन्दों पर, और उसके हाकिम और हुक्मा पर है।
חֶ֥רֶב עַל־כַּשְׂדִּ֖ים נְאֻם־יְהוָ֑ה וְאֶל־יֹשְׁבֵ֣י בָבֶ֔ל וְאֶל־שָׂרֶ֖יהָ וְאֶל־חֲכָמֶֽיהָ׃
36 लाफ़ज़नों पर तलवार है, वह बेवकूफ़ हो जाएँगे; उसके बहादुरों पर तलवार है, वह डर जाएँगे।
חֶ֥רֶב אֶל־הַבַּדִּ֖ים וְנֹאָ֑לוּ חֶ֥רֶב אֶל־גִּבּוֹרֶ֖יהָ וָחָֽתּוּ׃
37 उसके घोड़ों और रथों और सब मिले — जुले लोगों पर जो उसमें हैं, तलवार है, वह 'औरतों की तरह होंगे; उसके ख़ज़ानों पर तलवार है, वह लूटे जाएँगे।
חֶ֜רֶב אֶל־סוּסָ֣יו וְאֶל־רִכְבּ֗וֹ וְאֶל־כָּל־הָעֶ֛רֶב אֲשֶׁ֥ר בְּתוֹכָ֖הּ וְהָי֣וּ לְנָשִׁ֑ים חֶ֥רֶב אֶל־אוֹצְרֹתֶ֖יהָ וּבֻזָּֽזוּ׃
38 उसकी नहरों पर ख़ुश्कसाली है, वह सूख जाएँगी; क्यूँकि वह तराशी हुई मूरतों की ममलुकत है और वह बुतों पर शेफ़्ता हैं।
חֹ֥רֶב אֶל־מֵימֶ֖יהָ וְיָבֵ֑שׁוּ כִּ֣י אֶ֤רֶץ פְּסִלִים֙ הִ֔יא וּבָאֵימִ֖ים יִתְהֹלָֽלוּ׃
39 इसलिए दश्ती दरिन्दे गीदड़ों के साथ वहाँ बसेंगे और शुतुरमुर्ग उसमें बसेरा करेंगे, और वह फिर अबद तक आबाद न होगी, नसल — दर — नसल कोई उसमें सुकूनत न करेगा।
לָכֵ֗ן יֵשְׁב֤וּ צִיִּים֙ אֶת־אִיִּ֔ים וְיָ֥שְׁבוּ בָ֖הּ בְּנ֣וֹת יַֽעֲנָ֑ה וְלֹֽא־תֵשֵׁ֥ב עוֹד֙ לָנֶ֔צַח וְלֹ֥א תִשְׁכּ֖וֹן עַד־דּ֥וֹר וָדֽוֹר׃
40 जिस तरह ख़ुदा ने सदूम और 'अमूरा और उनके आसपास के शहरों को उलट दिया ख़ुदावन्द फ़रमाता है उसी तरह कोई आदमी वहाँ न बसेगा, न आदमज़ाद उसमें रहेगा।
כְּמַהְפֵּכַ֨ת אֱלֹהִ֜ים אֶת־סְדֹ֧ם וְאֶת־עֲמֹרָ֛ה וְאֶת־שְׁכֵנֶ֖יהָ נְאֻם־יְהוָ֑ה לֹֽא־יֵשֵׁ֥ב שָׁם֙ אִ֔ישׁ וְלֹֽא־יָג֥וּר בָּ֖הּ בֶּן־אָדָֽם׃
41 देख, उत्तरी मुल्क से एक गिरोह आती है; और इन्तिहा — ए — ज़मीन से एक बड़ी क़ौम और बहुत से बादशाह बरअन्गेख़ता किए जाएँगे।
הִנֵּ֛ה עַ֥ם בָּ֖א מִצָּפ֑וֹן וְג֤וֹי גָּדוֹל֙ וּמְלָכִ֣ים רַבִּ֔ים יֵעֹ֖רוּ מִיַּרְכְּתֵי־אָֽרֶץ׃
42 वह तीरअन्दाज़ — ओ — नेज़ा बाज़ हैं, वह संगदिल — ओ — बेरहम हैं, उनके ना'रों की आवाज़ हमेशा समन्दर की जैसी है, वह घोड़ों पर सवार हैं; ऐ दुख़्तर — ए — बाबुल, वह जंगी मर्दों की तरह तेरे सामने सफ़ — आराई करते हैं।
קֶ֣שֶׁת וְכִידֹ֞ן יַחֲזִ֗יקוּ אַכְזָרִ֥י הֵ֙מָּה֙ וְלֹ֣א יְרַחֵ֔מוּ קוֹלָם֙ כַּיָּ֣ם יֶהֱמֶ֔ה וְעַל־סוּסִ֖ים יִרְכָּ֑בוּ עָר֗וּךְ כְּאִישׁ֙ לַמִּלְחָמָ֔ה עָלַ֖יִךְ בַּת־בָּבֶֽל׃
43 शाह — ए — बाबुल ने उनकी शोहरत सुनी है, उसके हाथ ढीले हो गए, वह ज़च्चा की तरह मुसीबत और दर्द में गिरफ़्तार है।
שָׁמַ֧ע מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֛ל אֶת־שִׁמְעָ֖ם וְרָפ֣וּ יָדָ֑יו צָרָה֙ הֶחֱזִיקַ֔תְהוּ חִ֖יל כַּיּוֹלֵדָֽה׃
44 “देख, वह शेर — ए — बबर की तरह यरदन के जंगल से निकलकर मज़बूत बस्ती पर चढ़ आएगा; लेकिन मैं अचानक उसको वहाँ से भगा दूँगा, और अपने बरगुज़ीदा को उस पर मुक़र्रर करूँगा; क्यूँकि मुझ सा कौन है? कौन है जो मेरे लिए वक़्त मुक़र्रर करे? और वह चरवाहा कौन है जो मेरे सामने खड़ा हो सके?
הִ֠נֵּה כְּאַרְיֵ֞ה יַעֲלֶ֨ה מִגְּא֣וֹן הַיַּרְדֵּן֮ אֶל־נְוֵ֣ה אֵיתָן֒ כִּֽי־אַרְגִּ֤עָה ארוצם מֵֽעָלֶ֔יהָ וּמִ֥י בָח֖וּר אֵלֶ֣יהָ אֶפְקֹ֑ד כִּ֣י מִ֤י כָמ֙וֹנִי֙ וּמִ֣י יוֹעִדֶ֔נִּי וּמִֽי־זֶ֣ה רֹעֶ֔ה אֲשֶׁ֥ר יַעֲמֹ֖ד לְפָנָֽי׃
45 इसलिए ख़ुदावन्द की मसलहत को जो उसने बाबुल के ख़िलाफ़ ठहराई है, और उसके इरादे को जो उसने कसदियों की सरज़मीन के ख़िलाफ़ किया है, सुनो, यक़ीनन उनके गल्ले के सब से छोटों को भी घसीट ले जाएँगे; यक़ीनन उनका घर भी उनके साथ बर्बाद होगा।
לָכֵ֞ן שִׁמְע֣וּ עֲצַת־יְהוָ֗ה אֲשֶׁ֤ר יָעַץ֙ אֶל־בָּבֶ֔ל וּמַ֨חְשְׁבוֹתָ֔יו אֲשֶׁ֥ר חָשַׁ֖ב אֶל־אֶ֣רֶץ כַּשְׂדִּ֑ים אִם־לֹ֤א יִסְחָבוּם֙ צְעִירֵ֣י הַצֹּ֔אן אִם־לֹ֥א יַשִּׁ֛ים עֲלֵיהֶ֖ם נָוֶֽה׃
46 बाबुल की शिकस्त के शोर से ज़मीन काँपती है, और फ़रियाद को क़ौमों ने सुना है।”
מִקּוֹל֙ נִתְפְּשָׂ֣ה בָבֶ֔ל נִרְעֲשָׁ֖ה הָאָ֑רֶץ וּזְעָקָ֖ה בַּגּוֹיִ֥ם נִשְׁמָֽע׃ ס

< यर्म 50 >