< यर्म 5 >

1 अब येरूशलेम की गलियों में इधर — उधर गश्त करो; और देखो और दरियाफ़्त करो, और उसके चौकों में ढूँडो, अगर कोई आदमी वहाँ मिले जो इन्साफ़ करनेवाला और सच्चाई का तालिब हो, तो मैं उसे मु'आफ़ करूँगा।
Streifet durch die Gassen Jerusalems und sehet doch nach und erkundigt euch und forschet nach auf ihren Plätzen, ob ihr einen Mann findet, ob einer da sei, der Recht übt und sich der Wahrhaftigkeit befleißigt; so will ich ihr vergeben! Aber wenn sie auch sagen:
2 और अगरचे वह कहते हैं, ज़िन्दा ख़ुदावन्द की क़सम, तो भी यक़ीनन वह झूटी क़सम खाते हैं।
«So wahr der HERR lebt!» so schwören sie dennoch falsch.
3 ऐ ख़ुदावन्द, क्या तेरी आँखें सच्चाई पर नही हैं? तूने उनको मारा है, लेकिन उन्होंने अफ़सोस नहीं किया; तूने उनको बर्बाद किया, लेकिन वह तरबियत — पज़ीर न हुए; उन्होंने अपने चेहरों को चट्टान से भी ज़्यादा सख़्त बनाया, उन्होंने वापस आने से इन्कार किया है।
HERR, sehen deine Augen nicht auf Wahrhaftigkeit? Du hast sie geschlagen, aber es tat ihnen nicht weh; du hast sie fast aufgerieben, aber sie wollten keine Zucht annehmen; sie machten ihr Angesicht härter als Fels, sie wollten nicht umkehren!
4 तब मैंने कहा कि “यक़ीनन ये बेचारे जाहिल हैं, क्यूँकि ये ख़ुदावन्द की राह और अपने ख़ुदा के हुक्मों को नहीं जानते।
Ich aber dachte: Nur die Geringen sind so; sie benehmen sich so töricht, weil sie den Weg des HERRN, das Recht ihres Gottes nicht kennen.
5 मैं बुज़ुर्गों के पास जाऊँगा, और उनसे कलाम करूँगा; क्यूँकि वह ख़ुदावन्द की राह और अपने ख़ुदा के हुक्मों को जानते हैं।” लेकिन इन्होंने जूआ बिल्कुल तोड़ डाला, और बन्धनों के टुकड़े कर डाले।
Ich will doch zu den Großen gehen und mit ihnen reden; denn sie kennen den Weg des HERRN, das Recht ihres Gottes! Aber sie hatten allesamt das Joch zerbrochen, die Bande zerrissen.
6 इसलिए जंगल का शेर — ए — बबर उनको फाड़ेगा वीराने का भेड़िया हलाक करेगा, चीता उनके शहरों की घात में बैठा रहेगा; जो कोई उनमें से निकले फाड़ा जाएगा, क्यूँकि उनकी सरकशी बहुत हुई और उनकी नाफ़रमानी बढ़ गई।
Darum schlägt sie der Löwe aus dem Wald, überfällt sie der Steppenwolf; der Pardel lauert an ihren Städten, so daß, wer sie verläßt, zerrissen wird; denn ihrer Übertretungen sind viele, und groß sind ihre Abweichungen!
7 मैं तुझे क्यूँकर मु'आफ़ करूँ? तेरे फ़र्ज़न्दों ने' मुझ को छोड़ा, और उनकी क़सम खाई जो ख़ुदा नहीं हैं। जब मैंने उनको सेर किया, तो उन्होंने बदकारी की और परे बाँधकर क़हबाख़ानों में इकट्ठे हुए।
Wie wollte ich dir solches vergeben? Deine Kinder haben mich verlassen und bei Nichtgöttern geschworen; und nachdem ich sie gesättigt hatte, brachen sie die Ehe und drängten sich scharenweise ins Hurenhaus!
8 वह पेट भरे घोड़ों की तरह हो गए, हर एक सुबह के वक़्त अपने पड़ोसी की बीवी पर हिनहिनाने लगा।
Wie brünstige Hengste schweifen sie umher; jeder wiehert nach seines nächsten Eheweib.
9 ख़ुदावन्द फ़रमाता है, क्या मैं इन बातों के लिए सज़ा न दूँगा, और क्या मेरी रूह ऐसी क़ौमों से इन्तक़ाम न लेगी?
Sollte ich solches ungestraft lassen, spricht der HERR, und sollte sich meine Seele an einem solchen Volke nicht rächen?
10 'उसकी दीवारों पर चढ़ जाओ और तोड़ डालो, लेकिन बिल्कुल बर्बाद न करो, उसकी शाख़ें काट दो, क्यूँकि वह ख़ुदावन्द की नहीं हैं।
Besteiget ihre Mauern und verderbet, aber den Garaus machet nicht! Schneidet ihre Schosse ab; denn dem HERRN gehören sie nicht!
11 इसलिए कि ख़ुदावन्द फ़रमाता है, इस्राईल के घराने और यहूदाह के घराने ने मुझसे बहुत बेवफ़ाई की।
Denn gar treulos haben das Haus Israel und das Haus Juda an mir gehandelt, spricht der HERR.
12 “उन्होंने ख़ुदावन्द का इन्कार किया और कहा कि 'वह नहीं है, हम पर हरगिज़ आफ़त न आएगी, और तलवार और काल को हम न देखेंगे;
Sie haben den HERRN verleugnet und gesagt: Nicht Er ist's! Kein Unglück wird über uns kommen; weder Schwert noch Hungersnot werden wir zu sehen bekommen!
13 और नबी महज़ हवा हो जाएँगे, और कलाम उनमें नहीं है; उनके साथ ऐसा ही होगा।”
Und die Propheten sind nur Windbeutel, und niemand redet durch sie; ihnen selbst ergehe es so!
14 फिर इसलिए कि तुम यूँ कहते हो, ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है कि, देख, मैं अपने कलाम को तेरे मुँह में आग और इन लोगों को लकड़ी बनाऊँगा और वह इनको भसम कर देगी।
Darum spricht der HERR, der Gott der Heerscharen: Weil ihr das gesagt habt, siehe, so will ich meine Worte in deinem Munde zu einem Feuer und dieses Volk zu Holz machen, daß es sie verzehren soll.
15 ऐ इस्राईल के घराने, देख, मैं एक क़ौम को दूर से तुझ पर चढ़ा लाऊँगा ख़ुदावन्द फ़रमाता है वह ज़बरदस्त क़ौम है, वह क़दीम क़ौम है, वह ऐसी क़ौम है जिसकी ज़बान तू नहीं जानता और उनकी बात को तू नहीं समझता।
Siehe, ich bringe über euch, du Haus Israel, ein Volk von ferne her (spricht der HERR), ein zähes Volk, ein uraltes Volk, ein Volk, dessen Sprache du nicht kennst und dessen Rede du nicht verstehst.
16 उनके तरकश खुली क़ब्रे हैं, वह सब बहादुर मर्द हैं।
Sein Köcher ist wie ein offenes Grab; und aus lauter Helden besteht es.
17 और वह तेरी फ़सल का अनाज और तेरी रोटी, जो तेरे बेटों और बेटियों के खाने की थी, खा जाएँगे; तेरे गाय — बैल और तेरी भेड़ बकरियों को चट कर जाएँगे, तेरे अंगूर और अंजीर निगल जाएँगे, तेरे हसीन शहरों को जिन पर तेरा भरोसा है, तलवार से वीरान कर देंगे।
Es wird deine Ernte und dein Brot verzehren, deine Söhne und deine Töchter, deine Schafe und deine Rinder fressen; es wird deinen Weinstock und deinen Feigenbaum abfressen; und deine festen Städte, darauf du dich verlässest, wird es mit dem Schwerte erobern.
18 “लेकिन ख़ुदावन्द फ़रमाता है, उन दिनों में भी मैं तुम को बिल्कुल बर्बाद न करूँगा।
Aber auch in jenen Tagen, spricht der HERR, will ich euch nicht den Garaus machen.
19 और यूँ होगा कि जब वह कहेंगे, 'ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा ने यह सब कुछ हम से क्यूँ किया?' तो तू उनसे कहेगा, जिस तरह तुम ने मुझे छोड़ दिया और अपने मुल्क में ग़ैर मा'बूदों की इबादत की, उसी तरह तुम उस मुल्क में जो तुम्हारा नहीं है, अजनबियों की ख़िदमत करोगे।”
Und wenn es dann geschieht, daß ihr fragt: «Weshalb hat der HERR, unser Gott, uns das alles angetan?» so sollst du ihnen antworten: «Gleichwie ihr mich verlassen und in eurem Lande fremden Göttern gedient habt, so müßt ihr auch jetzt Fremden dienen in einem Lande, das nicht euch gehört!»
20 या'क़ूब के घराने में इस बात का इश्तिहार दो, और यहूदाह में इसका 'ऐलान करो और कहो,
Verkündiget solches im Hause Jakob und laßt es hören in Juda und sprechet:
21 “अब ज़रा सुनो, ऐ नादान और बे'अक़्ल लोगों, जो आँखें रखते हो लेकिन देखते नहीं, जो कान रखते हो लेकिन सुनते नहीं।
«Höre doch dies, du törichtes, unverständiges Volk, die ihr Augen habt und doch nicht seht, die ihr Ohren habt und doch nicht hört!»
22 ख़ुदावन्द फ़रमाता है, क्या तुम मुझसे नहीं डरते? क्या तुम मेरे सामने थरथराओगे नहीं, जिसने रेत को समन्दर की हद पर हमेशा के हुक्म से क़ाईम किया कि वह उससे आगे नहीं बढ़ सकता और हरचन्द उसकी लहरें उछलती हैं, तोभी ग़ालिब नहीं आतीं; और हरचन्द शोर करती हैं, तो भी उससे आगे नहीं बढ़ सकतीं।
Mich wollt ihr nicht fürchten, spricht der HERR, vor mir nicht erzittern, der ich dem Meere den Sand zur Grenze gesetzt habe, zur ewigen Schranke, die es nicht überschreiten darf? Wenn sich seine Wogen auch dagegen auflehnen, so sind sie doch machtlos; wenn auch seine Wellen toben, können sie dieselben nicht überschreiten.
23 लेकिन इन लोगों के दिल बाग़ी और सरकश हैं; इन्होंने सरकशी की और दूर हो गए।
Aber dieses Volk hat ein halsstarriges, aufrührerisches Herz; sie haben sich abgewandt und sind davongelaufen
24 इन्होंने अपने दिल में न कहा कि हम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से डरें, जो पहली और पिछली बरसात वक़्त पर भेजता है, और फ़सल के मुक़र्ररा हफ़्तों को हमारे लिए मौजूद कर रखता है।
und haben in ihrem Herzen nicht gedacht: Wir wollen doch den HERRN, unsern Gott, fürchten, der den Regen gibt, Früh und Spätregen zu seiner Zeit, der die bestimmten Wochen der Ernte für uns einhält.
25 तुम्हारी बदकिरदारी ने इन चीज़ों को तुम से दूर कर दिया, और तुम्हारे गुनाहों ने अच्छी चीज़ों को तुम से बाज़ रखा'।
Eure Missetaten haben diese Dinge abgelenkt, und eure Sünden haben den Segen von euch zurückgehalten.
26 क्यूँकि मेरे लोगों में शरीर पाए जाते हैं; वह फन्दा लगाने वालों की तरह घात में बैठते हैं, वह जाल फैलाते और आदमियों को पकड़ते हैं।
Denn unter meinem Volke finden sich Gottlose; sie liegen auf der Lauer, ducken sich wie Vogelsteller; sie stellen Fallen, um Menschen zu fangen.
27 जैसे पिंजरा चिड़ियों से भरा हो, वैसे ही उनके घर फ़रेब से भरे हैं, तब वह बड़े और मालदार हो गए।
Wie ein Käfig voller Vögel geworden ist, so haben sich ihre Häuser mit Betrug gefüllt; auf solche Weise sind sie groß und reich geworden!
28 वह मोटे हो गए, वह चिकने हैं। वह बुरे कामों में सबक़त ले जाते हैं, वह फ़रियाद या'नी यतीमों की फ़रियाद, नहीं सुनते ताकि उनका भला हो और मोहताजों का इन्साफ़ नहीं करते।
Sie glänzen vor Fett; auch fließen sie über von bösen Reden. Für das Recht sorgen sie nicht, für das Recht der Waisen, um ihnen zum Siege zu verhelfen, und die Rechtssache der Armen führen sie nicht.
29 ख़ुदावन्द फ़रमाता है, क्या मैं इन बातों के लिए सज़ा न दूँगा? और क्या मेरी रूह ऐसी क़ौम से इन्तक़ाम न लेगी?”
Sollte ich solches ungestraft lassen? spricht der HERR. Sollte sich meine Seele an einem solchen Volke nicht rächen?
30 मुल्क में एक हैरतअफ़ज़ा और हौलनाक बात हुई;
Entsetzliches und Abscheuliches geschieht im Lande:
31 नबी झूठी नबुव्वत करते हैं, और काहिन उनके वसीले से हुक्मरानी करते हैं, और मेरे लोग ऐसी हालत को पसन्द करते हैं, अब तुम इसके आख़िर में क्या करोगे?
Die Propheten weissagen falsch, und die Priester herrschen mit ihrer Unterstützung; und mein Volk liebt es so! Was wollt ihr aber tun, wenn das Ende davon kommt?

< यर्म 5 >