< यर्म 47 >
1 ख़ुदावन्द का कलाम जो यरमियाह नबी पर फ़िलिस्तियों के बारे में नाज़िल हुआ, इससे पहले कि फ़िर'औन ने ग़ज़्ज़ा को फ़तह किया।
Quod factum est verbum Domini ad Jeremiam prophetam contra Palæstinos, antequam percuteret Pharao Gazam.
2 ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: देख, उत्तर से पानी चढ़ेंगे और सैलाब की तरह होंगे, और मुल्क पर और सब पर जो उसमें है, शहर पर और उसके बाशिन्दों पर, बह निकलेंगे। उस वक़्त लोग चिल्लाएँगे, और मुल्क के सब बाशिन्दे फ़रियाद करेंगे।
[Hæc dicit Dominus: Ecce aquæ ascendunt ab aquilone, et erunt quasi torrens inundans, et operient terram et plenitudinem ejus, urbem et habitatores ejus. Clamabunt homines, et ululabunt omnes habitatores terræ,
3 उसके ताकतवर घोड़ों के खुरों की टाप की आवाज़ से, उसके रथों के रेले और उसके पहियों की गड़गड़ाहट से बाप कमज़ोरी की वजह से अपने बच्चों की तरफ़ लौट कर न देखेंगे।
a strepitu pompæ armorum, et bellatorum ejus, a commotione quadrigarum ejus, et multitudine rotarum illius. Non respexerunt patres filios manibus dissolutis,
4 यह उस दिन की वजह से होगा, जो आता है कि सब फ़िलिस्तियों को ग़ारत करे, और सूर और सैदा से हर मददगार को जो बाक़ी रह गया है हलाक करे; क्यूँकि ख़ुदावन्द फ़िलिस्तियों को या'नी कफ़तूर के जज़ीरे के बाक़ी लोगों को ग़ारत करेगा।
pro adventu diei in quo vastabuntur omnes Philisthiim, et dissipabitur Tyrus et Sidon cum omnibus reliquis auxiliis suis: depopulatus est enim Dominus Palæstinos, reliquias insulæ Cappadociæ.
5 ग़ज़्ज़ा पर चन्दलापन आया है, अस्क़लोन अपनी वादी के बक़िये के साथ हलाक किया गया, तू कब तक अपने आप को काटता जाएगा
Venit calvitium super Gazam; conticuit Ascalon, et reliquiæ vallis earum: usquequo concideris?
6 “ऐ ख़ुदावन्द की तलवार, तू कब तक न ठहरेगी? तू चल, अपने ग़िलाफ़ में आराम ले, और साकिन हो!
O mucro Domini, usquequo non quiesces? ingredere in vaginam tuam, refrigerare, et sile.
7 वह कैसे ठहर सकती है, जब कि ख़ुदावन्द ने अस्क़लोन और समन्दर के साहिल के ख़िलाफ़ उसे हुक्म दिया है? उसने उसे वहाँ मुक़र्रर किया है।”
Quomodo quiescet, cum Dominus præceperit ei adversus Ascalonem, et adversus maritimas ejus regiones, ibique condixerit illi?]