< यर्म 44 >

1 वह कलाम जो उन सब यहूदियों के बारे में जो मुल्क — ए — मिस्र में मिजदाल के 'इलाक़े और तहफ़नीस और नूफ़ और फ़तरूस में बसते थे, यरमियाह पर नाज़िल हुआ:
הַדָּבָר֙ אֲשֶׁ֣ר הָיָ֣ה אֶֽל־יִרְמְיָ֔הוּ אֶ֚ל כָּל־הַיְּהוּדִ֔ים הַיֹּשְׁבִ֖ים בְּאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם הַיֹּשְׁבִ֤ים בְּמִגְדֹּל֙ וּבְתַחְפַּנְחֵ֣ס וּבְנֹ֔ף וּבְאֶ֥רֶץ פַּתְר֖וֹס לֵאמֹֽר׃ ס
2 कि 'रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: तुम ने वह तमाम मुसीबत जो मैं येरूशलेम पर और यहूदाह के सब शहरों पर लाया हूँ, देखी; और देखो, अब वह वीरान और ग़ैर आबाद हैं।
כֹּה־אָמַ֞ר יְהוָ֤ה צְבָאוֹת֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל אַתֶּ֣ם רְאִיתֶ֗ם אֵ֤ת כָּל־הָֽרָעָה֙ אֲשֶׁ֤ר הֵבֵ֙אתִי֙ עַל־יְר֣וּשָׁלִַ֔ם וְעַ֖ל כָּל־עָרֵ֣י יְהוּדָ֑ה וְהִנָּ֤ם חָרְבָּה֙ הַיּ֣וֹם הַזֶּ֔ה וְאֵ֥ין בָּהֶ֖ם יוֹשֵֽׁב׃
3 उस शरारत की वजह से जो उन्होंने मुझे गज़बनाक करने को की, क्यूँकि वह ग़ैर — मा'बूदों के आगे ख़ुशबू जलाने को गए, और उनकी इबादत की जिनको न वह जानते थे, न तुम न तुम्हारे बाप — दादा।
מִפְּנֵ֣י רָעָתָ֗ם אֲשֶׁ֤ר עָשׂוּ֙ לְהַכְעִסֵ֔נִי לָלֶ֣כֶת לְקַטֵּ֔ר לַעֲבֹ֖ד לֵאלֹהִ֣ים אֲחֵרִ֑ים אֲשֶׁר֙ לֹ֣א יְדָע֔וּם הֵ֖מָּה אַתֶּ֥ם וַאֲבֹתֵיכֶֽם׃
4 और मैंने अपने तमाम ख़िदमत — गुज़ार नबियों को तुम्हारे पास भेजा, उनको वक़्त पर यूँ कह कर भेजा कि तुम यह नफ़रती काम, जिससे मैं नफ़रत रखता हूँ, न करो।
וָאֶשְׁלַ֤ח אֲלֵיכֶם֙ אֶת־כָּל־עֲבָדַ֣י הַנְּבִיאִ֔ים הַשְׁכֵּ֥ים וְשָׁלֹ֖חַ לֵאמֹ֑ר אַל־נָ֣א תַעֲשׂ֗וּ אֵ֛ת דְּבַֽר־הַתֹּעֵבָ֥ה הַזֹּ֖את אֲשֶׁ֥ר שָׂנֵֽאתִי׃
5 लेकिन उन्होंने न सुना, न कान लगाया कि अपनी बुराई से बाज़ आएँ, और ग़ैर — मा'बूदों के आगे ख़ुशबू न जलाएँ।
וְלֹ֤א שָֽׁמְעוּ֙ וְלֹא־הִטּ֣וּ אֶת־אָזְנָ֔ם לָשׁ֖וּב מֵרָֽעָתָ֑ם לְבִלְתִּ֥י קַטֵּ֖ר לֵאלֹהִ֥ים אֲחֵרִֽים׃
6 इसलिए मेरा क़हर — ओ — ग़ज़ब नाज़िल हुआ, और यहूदाह के शहरों और येरूशलेम के बाज़ारों पर भड़का; और वह ख़राब और वीरान हुए जैसे अब हैं।
וַתִּתַּ֤ךְ חֲמָתִי֙ וְאַפִּ֔י וַתִּבְעַר֙ בְּעָרֵ֣י יְהוּדָ֔ה וּבְחֻצ֖וֹת יְרֽוּשָׁלִָ֑ם וַתִּהְיֶ֛ינָה לְחָרְבָּ֥ה לִשְׁמָמָ֖ה כַּיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ ס
7 और अब ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: तुम क्यूँ अपनी जानों से ऐसी बड़ी बुराई करते हो, कि यहूदाह में से मर्द — ओ — ज़न और तिफ़्ल — ओ — शीर ख़्वार काट डालें जाएँ और तुम्हारा कोई बाक़ी न रहे;
וְעַתָּ֡ה כֹּֽה־אָמַ֣ר יְהוָה֩ אֱלֹהֵ֨י צְבָא֜וֹת אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל לָמָה֩ אַתֶּ֨ם עֹשִׂ֜ים רָעָ֤ה גְדוֹלָה֙ אֶל־נַפְשֹׁ֣תֵכֶ֔ם לְהַכְרִ֨ית לָכֶ֧ם אִישׁ־וְאִשָּׁ֛ה עוֹלֵ֥ל וְיוֹנֵ֖ק מִתּ֣וֹךְ יְהוּדָ֑ה לְבִלְתִּ֛י הוֹתִ֥יר לָכֶ֖ם שְׁאֵרִֽית׃
8 कि तुम मुल्क — ए — मिस्र में, जहाँ तुम बसने को गए हो, अपने 'आमाल से और ग़ैर — मा'बूदों के आगे ख़ुशबू जलाकर मुझको ग़ज़बनाक करते हो, कि हलाक किए जाओ और इस ज़मीन की सब क़ौमों के बीच ला'नत — ओ — मलामत का ज़रिया' बनो।
לְהַכְעִסֵ֙נִי֙ בְּמַעֲשֵׂ֣י יְדֵיכֶ֔ם לְקַטֵּ֞ר לֵאלֹהִ֤ים אֲחֵרִים֙ בְּאֶ֣רֶץ מִצְרַ֔יִם אֲשֶׁר־אַתֶּ֥ם בָּאִ֖ים לָג֣וּר שָׁ֑ם לְמַ֙עַן֙ הַכְרִ֣ית לָכֶ֔ם וּלְמַ֤עַן הֱיֽוֹתְכֶם֙ לִקְלָלָ֣ה וּלְחֶרְפָּ֔ה בְּכֹ֖ל גּוֹיֵ֥י הָאָֽרֶץ׃
9 क्या तुम अपने बाप — दादा की शरारत और यहूदाह के बादशाहों और उनकी बीवियों की और ख़ुद अपनी और अपनी बीवियों की शरारत, जो तुम ने यहूदाह के मुल्क में और येरूशलेम के बाज़ारों में की, भूल गए हो?
הַֽשְׁכַחְתֶּם֩ אֶת־רָע֨וֹת אֲבוֹתֵיכֶ֜ם וְאֶת־רָע֣וֹת ׀ מַלְכֵ֣י יְהוּדָ֗ה וְאֵת֙ רָע֣וֹת נָשָׁ֔יו וְאֵת֙ רָעֹ֣תֵכֶ֔ם וְאֵ֖ת רָעֹ֣ת נְשֵׁיכֶ֑ם אֲשֶׁ֤ר עָשׂוּ֙ בְּאֶ֣רֶץ יְהוּדָ֔ה וּבְחֻצ֖וֹת יְרוּשָׁלִָֽם׃
10 वह आज के दिन तक न फ़रोतन हुए, न डरे और मेरी शरी'अत — ओ — आईन पर, जिनको मैंने तुम्हारे और तुम्हारे बाप — दादा के सामने रख्खा, न चले।
לֹ֣א דֻכְּא֔וּ עַ֖ד הַיּ֣וֹם הַזֶּ֑ה וְלֹ֣א יָרְא֗וּ וְלֹֽא־הָלְכ֤וּ בְתֽוֹרָתִי֙ וּבְחֻקֹּתַ֔י אֲשֶׁר־נָתַ֥תִּי לִפְנֵיכֶ֖ם וְלִפְנֵ֥י אֲבוֹתֵיכֶֽם׃ ס
11 “इसलिए रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है: देखो, मैं तुम्हारे ख़िलाफ़ ज़ियानकारी पर आमादा हूँ ताकि तमाम यहूदाह को हलाक करूँ।
לָכֵ֗ן כֹּֽה־אָמַ֞ר יְהוָ֤ה צְבָאוֹת֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל הִנְנִ֨י שָׂ֥ם פָּנַ֛י בָּכֶ֖ם לְרָעָ֑ה וּלְהַכְרִ֖ית אֶת־כָּל־יְהוּדָֽה׃
12 और मैं यहूदाह के बाक़ी लोगों को, जिन्होंने मुल्क — ए — मिस्र का रुख़ किया है कि वहाँ जाकर बसें, पकड़ूँगा; और वह मुल्क — ए — मिस्र ही में हलाक होंगे, वह तलवार और काल से हलाक होंगे; उनके अदना — ओ — 'आला हलाक होंगे और वह तलवार और काल से फ़ना हो जाएँगे; और ला'नत — ओ — हैरत और ता'न — ओ — तशनी' का ज़रिया' होंगे।
וְלָקַחְתִּ֞י אֶת־שְׁאֵרִ֣ית יְהוּדָ֗ה אֲשֶׁר־שָׂ֨מוּ פְנֵיהֶ֜ם לָב֣וֹא אֶֽרֶץ־מִצְרַיִם֮ לָג֣וּר שָׁם֒ וְתַ֨מּוּ כֹ֜ל בְּאֶ֧רֶץ מִצְרַ֣יִם יִפֹּ֗לוּ בַּחֶ֤רֶב בָּֽרָעָב֙ יִתַּ֔מּוּ מִקָּטֹן֙ וְעַד־גָּד֔וֹל בַּחֶ֥רֶב וּבָרָעָ֖ב יָמֻ֑תוּ וְהָיוּ֙ לְאָלָ֣ה לְשַׁמָּ֔ה וְלִקְלָלָ֖ה וּלְחֶרְפָּֽה׃
13 और मैं उनको जो मुल्क — ए — मिस्र में बसने को जाते हैं, उसी तरह सज़ा दूँगा जिस तरह मैंने येरूशलेम को तलवार और काल और वबा से सज़ा दी है;
וּפָקַדְתִּ֗י עַ֤ל הַיּֽוֹשְׁבִים֙ בְּאֶ֣רֶץ מִצְרַ֔יִם כַּאֲשֶׁ֥ר פָּקַ֖דְתִּי עַל־יְרֽוּשָׁלִָ֑ם בַּחֶ֥רֶב בָּרָעָ֖ב וּבַדָּֽבֶר׃
14 तब यहूदाह के बाक़ी लोगों में से, जो मुल्क — ए — मिस्र में बसने को जाते हैं, न कोई बचेगा, न बाक़ी रहेगा कि वह यहूदाह की सरज़मीन में वापस आएँ, जिसमें आकर बसने के वह मुश्ताक़ हैं; क्यूँकि भाग कर बच निकलने वालों के अलावा कोई वापस न आएगा।”
וְלֹ֨א יִהְיֶ֜ה פָּלִ֤יט וְשָׂרִיד֙ לִשְׁאֵרִ֣ית יְהוּדָ֔ה הַבָּאִ֥ים לָגֽוּר־שָׁ֖ם בְּאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם וְלָשׁ֣וּב ׀ אֶ֣רֶץ יְהוּדָ֗ה אֲשֶׁר־הֵ֜מָּה מְנַשְּׂאִ֤ים אֶת־נַפְשָׁם֙ לָשׁוּב֙ לָשֶׁ֣בֶת שָׁ֔ם כִּ֥י לֹֽא־יָשׁ֖וּבוּ כִּ֥י אִם־פְּלֵטִֽים׃ ס
15 तब सब मर्दों ने, जो जानते थे कि उनकी बीवियों ने ग़ैर — मा'बूदों के लिए ख़ुशबू जलायी है, और सब 'औरतों ने जो पास खड़ी थीं, एक बड़ी जमा'अत या'नी सब लोगों ने जो मुल्क — ए — मिस्र में फ़तरूस में जा बसे थे, यरमियाह को यूँ जवाब दिया:
וַיַּעֲנ֣וּ אֶֽת־יִרְמְיָ֗הוּ כָּל־הָאֲנָשִׁ֤ים הַיֹּֽדְעִים֙ כִּֽי־מְקַטְּר֤וֹת נְשֵׁיהֶם֙ לֵאלֹהִ֣ים אֲחֵרִ֔ים וְכָל־הַנָּשִׁ֥ים הָעֹמְד֖וֹת קָהָ֣ל גָּד֑וֹל וְכָל־הָעָ֛ם הַיֹּשְׁבִ֥ים בְּאֶֽרֶץ־מִצְרַ֖יִם בְּפַתְר֥וֹס לֵאמֹֽר׃
16 कि “यह बात जो तूने ख़ुदावन्द का नाम लेकर हम से कही, हम कभी न मानेंगे।
הַדָּבָ֛ר אֲשֶׁר־דִּבַּ֥רְתָּ אֵלֵ֖ינוּ בְּשֵׁ֣ם יְהוָ֑ה אֵינֶ֥נּוּ שֹׁמְעִ֖ים אֵלֶֽיךָ׃
17 बल्कि हम तो उसी बात पर 'अमल करेंगे, जो हम ख़ुद कहते हैं कि हम आसमान की मलिका के लिए ख़ुशबू जलाएँगे और तपावन तपाएँगे, जिस तरह हम और हमारे बाप — दादा, हमारे बादशाह और हमारे सरदार, यहूदाह के शहरों और येरूशलेम के बाज़ारों में किया करते थे; क्यूँकि उस वक़्त हम ख़ूब खाते — पीते और ख़ुशहाल और मुसीबतों से महफ़ूज़ थे।
כִּ֩י עָשֹׂ֨ה נַעֲשֶׂ֜ה אֶֽת־כָּל־הַדָּבָ֣ר ׀ אֲשֶׁר־יָצָ֣א מִפִּ֗ינוּ לְקַטֵּ֞ר לִמְלֶ֣כֶת הַשָּׁמַיִם֮ וְהַסֵּֽיךְ־לָ֣הּ נְסָכִים֒ כַּאֲשֶׁ֨ר עָשִׂ֜ינוּ אֲנַ֤חְנוּ וַאֲבֹתֵ֙ינוּ֙ מְלָכֵ֣ינוּ וְשָׂרֵ֔ינוּ בְּעָרֵ֣י יְהוּדָ֔ה וּבְחֻצ֖וֹת יְרוּשָׁלִָ֑ם וַנִּֽשְׂבַּֽע־לֶ֙חֶם֙ וַנִּֽהְיֶ֣ה טוֹבִ֔ים וְרָעָ֖ה לֹ֥א רָאִֽינוּ׃
18 लेकिन जबसे हम ने आसमान की मलिका के लिए ख़ुशबू जलाना और तपावन तपाना छोड़ दिया, तब से हम हर चीज़ के मोहताज हैं, और तलवार और काल से फ़ना हो रहे हैं।
וּמִן־אָ֡ז חָדַ֜לְנוּ לְקַטֵּ֨ר לִמְלֶ֧כֶת הַשָּׁמַ֛יִם וְהַסֵּֽךְ־לָ֥הּ נְסָכִ֖ים חָסַ֣רְנוּ כֹ֑ל וּבַחֶ֥רֶב וּבָרָעָ֖ב תָּֽמְנוּ׃
19 और जब हम आसमान की मलिका के लिए ख़ुशबू जलाती और तपावन तपाती थीं, तो क्या हम ने अपने शौहरों के बग़ैर, उसकी इबादत के लिए कुल्चे पकाए और तपावन तपाए थे?”
וְכִֽי־אֲנַ֤חְנוּ מְקַטְּרִים֙ לִמְלֶ֣כֶת הַשָּׁמַ֔יִם וּלְהַסֵּ֥ךְ לָ֖הּ נְסָכִ֑ים הֲמִֽבַּלְעֲדֵ֣י אֲנָשֵׁ֗ינוּ עָשִׂ֨ינוּ לָ֤הּ כַּוָּנִים֙ לְהַ֣עֲצִבָ֔ה וְהַסֵּ֥ךְ לָ֖הּ נְסָכִֽים׃ פ
20 तब यरमियाह ने उन सब मर्दों और 'औरतों या'नी उन सब लोगों से, जिन्होंने उसे जवाब दिया था, कहा,
וַיֹּ֥אמֶר יִרְמְיָ֖הוּ אֶל־כָּל־הָעָ֑ם עַל־הַגְּבָרִ֤ים וְעַל־הַנָּשִׁים֙ וְעַל־כָּל־הָעָ֔ם הָעֹנִ֥ים אֹת֛וֹ דָּבָ֖ר לֵאמֹֽר׃
21 “क्या वह ख़ुशबू, जो तुम ने और तुम्हारे बाप दादा और तुम्हारे बादशाहों और हाकिम ने र'इयत के साथ यहूदाह के शहरों और येरूशलेम के बाज़ारों में जलाया, ख़ुदावन्द को याद नहीं? क्या वह उसके ख़याल में नहीं आया?
הֲל֣וֹא אֶת־הַקִּטֵּ֗ר אֲשֶׁ֨ר קִטַּרְתֶּ֜ם בְּעָרֵ֤י יְהוּדָה֙ וּבְחֻצ֣וֹת יְרוּשָׁלִַ֔ם אַתֶּ֧ם וַאֲבֽוֹתֵיכֶ֛ם מַלְכֵיכֶ֥ם וְשָׂרֵיכֶ֖ם וְעַ֣ם הָאָ֑רֶץ אֹתָם֙ זָכַ֣ר יְהוָ֔ה וַֽתַּעֲלֶ֖ה עַל־לִבּֽוֹ׃
22 इसलिए तुम्हारे बद'आमाल और नफ़रती कामों की वजह से ख़ुदावन्द बर्दाश्त न कर सका; इसलिए तुम्हारा मुल्क वीरान हुआ और हैरत — ओ — ला'नत का ज़रिया' बना, जिसमें कोई बसने वाला न रहा, जैसा कि आज के दिन है।
וְלֹֽא־יוּכַל֩ יְהוָ֨ה ע֜וֹד לָשֵׂ֗את מִפְּנֵי֙ רֹ֣עַ מַעַלְלֵיכֶ֔ם מִפְּנֵ֥י הַתּוֹעֵבֹ֖ת אֲשֶׁ֣ר עֲשִׂיתֶ֑ם וַתְּהִ֣י אַ֠רְצְכֶם לְחָרְבָּ֨ה וּלְשַׁמָּ֧ה וְלִקְלָלָ֛ה מֵאֵ֥ין יוֹשֵׁ֖ב כְּהַיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃
23 चूँकि तुम ने ख़ुशबू जलाया और ख़ुदावन्द के गुनाहगार ठहरे, और उसकी आवाज़ को न सुना और न उसकी शरी'अत, न उसके क़ानून, न उसकी शहादतों पर चले; इसलिए यह मुसीबत जैसी कि अब है, तुम पर आ पड़ी।”
מִפְּנֵי֩ אֲשֶׁ֨ר קִטַּרְתֶּ֜ם וַאֲשֶׁ֧ר חֲטָאתֶ֣ם לַיהוָ֗ה וְלֹ֤א שְׁמַעְתֶּם֙ בְּק֣וֹל יְהוָ֔ה וּבְתֹרָת֧וֹ וּבְחֻקֹּתָ֛יו וּבְעֵדְוֺתָ֖יו לֹ֣א הֲלַכְתֶּ֑ם עַל־כֵּ֞ן קָרָ֥את אֶתְכֶ֛ם הָרָעָ֥ה הַזֹּ֖את כַּיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ ס
24 और यरमियाह ने सब लोगों और सब 'औरतों से यूँ कहा कि “ऐ तमाम बनी यहूदाह, जो मुल्क — ए — मिस्र में हो, ख़ुदावन्द का कलाम सुनो।
וַיֹּ֤אמֶר יִרְמְיָ֙הוּ֙ אֶל־כָּל־הָעָ֔ם וְאֶ֖ל כָּל־הַנָּשִׁ֑ים שִׁמְעוּ֙ דְּבַר־יְהוָ֔ה כָּל־יְהוּדָ֕ה אֲשֶׁ֖ר בְּאֶ֥רֶץ מִצְרָֽיִם׃ ס
25 रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: तुम ने और तुम्हारी बीवियों ने अपनी ज़बान से कहा कि 'आसमान की मलिका के लिए ख़ुशबू जलाने और तपावन तपाने की जो नज़्रें हम ने मानी हैं, ज़रूर अदा करेंगे, और तुमने अपने हाथों से ऐसा ही किया; इसलिए अब तुम अपनी नज़्रों को क़ाईम रख्खो और अदा करो
כֹּֽה־אָמַ֣ר יְהוָֽה־צְבָאוֹת֩ אֱלֹהֵ֨י יִשְׂרָאֵ֜ל לֵאמֹ֗ר אַתֶּ֨ם וּנְשֵׁיכֶ֜ם וַתְּדַבֵּ֣רְנָה בְּפִיכֶם֮ וּבִידֵיכֶ֣ם מִלֵּאתֶ֣ם ׀ לֵאמֹר֒ עָשֹׂ֨ה נַעֲשֶׂ֜ה אֶת־נְדָרֵ֗ינוּ אֲשֶׁ֤ר נָדַ֙רְנוּ֙ לְקַטֵּר֙ לִמְלֶ֣כֶת הַשָּׁמַ֔יִם וּלְהַסֵּ֥ךְ לָ֖הּ נְסָכִ֑ים הָקֵ֤ים תָּקִ֙ימְנָה֙ אֶת־נִדְרֵיכֶ֔ם וְעָשֹׂ֥ה תַעֲשֶׂ֖ינָה אֶת־נִדְרֵיכֶֽם׃ פ
26 इसलिए ऐ तमाम बनी यहूदाह, जो मुल्क — ए — मिस्र में बसते हो, ख़ुदावन्द का कलाम सुनो; देखो, ख़ुदावन्द फ़रमाता है: मैंने अपने बुज़ुर्ग नाम की क़सम खाई है कि अब मेरा नाम यहूदाह के लोगों में तमाम मुल्क — ए — मिस्र में किसी के मुँह से न निकलेगा, कि वह कहें ज़िन्दा ख़ुदावन्द ख़ुदा की क़सम।
לָכֵן֙ שִׁמְע֣וּ דְבַר־יְהוָ֔ה כָּל־יְהוּדָ֕ה הַיֹּשְׁבִ֖ים בְּאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם הִנְנִ֨י נִשְׁבַּ֜עְתִּי בִּשְׁמִ֤י הַגָּדוֹל֙ אָמַ֣ר יְהוָ֔ה אִם־יִהְיֶה֩ ע֨וֹד שְׁמִ֜י נִקְרָ֣א ׀ בְּפִ֣י ׀ כָּל־אִ֣ישׁ יְהוּדָ֗ה אֹמֵ֛ר חַי־אֲדֹנָ֥י יְהוִ֖ה בְּכָל־אֶ֥רֶץ מִצְרָֽיִם׃
27 देखो, मैं नेकी कि लिए नहीं, बल्कि बुराई के लिए उन पर निगरान हूँगा; और यहूदाह के सब लोग, जो मुल्क — ए — मिस्र में हैं, तलवार और काल से हलाक होंगे यहाँ तक कि बिल्कुल नेस्त हो जाएँगे।
הִנְנִ֨י שֹׁקֵ֧ד עֲלֵיהֶ֛ם לְרָעָ֖ה וְלֹ֣א לְטוֹבָ֑ה וְתַמּוּ֩ כָל־אִ֨ישׁ יְהוּדָ֜ה אֲשֶׁ֧ר בְּאֶֽרֶץ־מִצְרַ֛יִם בַּחֶ֥רֶב וּבָרָעָ֖ב עַד־כְּלוֹתָֽם׃
28 और वह जो तलवार से बचकर मुल्क — ए — मिस्र से यहूदाह के मुल्क में वापस आएँगे, थोड़े से होंगे और यहूदाह के तमाम बाक़ी लोग, जो मुल्क — ए — मिस्र में बसने को गए, जानेंगे कि किसकी बात क़ाईम रही, मेरी या उनकी।
וּפְלִיטֵ֨י חֶ֜רֶב יְשֻׁב֨וּן מִן־אֶ֧רֶץ מִצְרַ֛יִם אֶ֥רֶץ יְהוּדָ֖ה מְתֵ֣י מִסְפָּ֑ר וְֽיָדְע֞וּ כָּל־שְׁאֵרִ֣ית יְהוּדָ֗ה הַבָּאִ֤ים לְאֶֽרֶץ־מִצְרַ֙יִם֙ לָג֣וּר שָׁ֔ם דְּבַר־מִ֥י יָק֖וּם מִמֶּ֥נִּי וּמֵהֶֽם׃
29 और तुम्हारे लिए यह निशान है, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, कि मैं इसी जगह तुम को सज़ा दूँगा, ताकि तुम जानो कि तुम्हारे ख़िलाफ़ मेरी बातें मुसीबत के बारे में यक़ीनन क़ाईम रहेंगी:
וְזֹאת־לָכֶ֤ם הָאוֹת֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה כִּֽי־פֹקֵ֥ד אֲנִ֛י עֲלֵיכֶ֖ם בַּמָּק֣וֹם הַזֶּ֑ה לְמַ֙עַן֙ תֵּֽדְע֔וּ כִּי֩ ק֨וֹם יָק֧וּמוּ דְבָרַ֛י עֲלֵיכֶ֖ם לְרָעָֽה׃ ס
30 ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है, कि देखो, मैं शाह — ए — मिस्र फ़िर'औन हुफ़रा' को उसके मुख़ालिफ़ों और जानी दुश्मनों के हवाले कर दूँगा; जिस तरह मैंने शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह को शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र के हवाले कर दिया, जो उसका मुख़ालिफ़ और जानी दुश्मन था।”
כֹּ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה הִנְנִ֣י נֹ֠תֵן אֶת־פַּרְעֹ֨ה חָפְרַ֤ע מֶֽלֶךְ־מִצְרַ֙יִם֙ בְּיַ֣ד אֹֽיְבָ֔יו וּבְיַ֖ד מְבַקְשֵׁ֣י נַפְשׁ֑וֹ כַּאֲשֶׁ֨ר נָתַ֜תִּי אֶת־צִדְקִיָּ֣הוּ מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֗ה בְּיַ֨ד נְבוּכַדְרֶאצַּ֧ר מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֛ל אֹיְב֖וֹ וּמְבַקֵּ֥שׁ נַפְשֽׁוֹ׃ ס

< यर्म 44 >