< यर्म 32 >

1 वह कलाम जो शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह के दसवें बरस में जो नबूकदनज़र का अट्ठारहवाँ बरस था, ख़ुदावन्द की तरफ़ से यरमियाह पर नाज़िल हुआ।
הַדָּבָ֞ר אֲשֶׁר־הָיָ֤ה אֶֽל־יִרְמְיָ֙הוּ֙ מֵאֵ֣ת יְהוָ֔ה בשנת הָעֲשִׂרִ֔ית לְצִדְקִיָּ֖הוּ מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֑ה הִ֧יא הַשָּׁנָ֛ה שְׁמֹנֶֽה־עֶשְׂרֵ֥ה שָׁנָ֖ה לִנְבֽוּכַדְרֶאצַּֽר׃
2 उस वक़्त शाह — ए — बाबुल की फ़ौज येरूशलेम का घिराव किए पड़ी थी, और यरमियाह नबी शाह — ए — यहूदाह के घर में क़ैदख़ाने के सहन में बन्द था।
וְאָ֗ז חֵ֚יל מֶ֣לֶךְ בָּבֶ֔ל צָרִ֖ים עַל־יְרוּשָׁלִָ֑ם וְיִרְמְיָ֣הוּ הַנָּבִ֗יא הָיָ֤ה כָלוּא֙ בַּחֲצַ֣ר הַמַּטָּרָ֔ה אֲשֶׁ֖ר בֵּֽית־מֶ֥לֶךְ יְהוּדָֽה׃
3 क्यूँकि शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह ने उसे यह कह कर क़ैद किया, तू क्यूँ नबुव्वत करता और कहता है, कि 'ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: देख, मैं इस शहर को शाह — ए — बाबुल के हवाले कर दूँगा, और वह उसे ले लेगा;
אֲשֶׁ֣ר כְּלָא֔וֹ צִדְקִיָּ֥הוּ מֶֽלֶךְ־יְהוּדָ֖ה לֵאמֹ֑ר מַדּוּעַ֩ אַתָּ֨ה נִבָּ֜א לֵאמֹ֗ר כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה הִנְנִ֨י נֹתֵ֜ן אֶת־הָעִ֥יר הַזֹּ֛את בְּיַ֥ד מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֖ל וּלְכָדָֽהּ׃
4 और शाह — ए — यहूदाह सिदक़ियाह कसदियों के हाथ से न बचेगा, बल्कि ज़रूर शाह — ए — बाबुल के हवाले किया जाएगा, और उससे आमने — सामने बातें करेगा और दोनों की आँखें सामने होंगी।
וְצִדְקִיָּ֙הוּ֙ מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֔ה לֹ֥א יִמָּלֵ֖ט מִיַּ֣ד הַכַּשְׂדִּ֑ים כִּ֣י הִנָּתֹ֤ן יִנָּתֵן֙ בְּיַ֣ד מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֔ל וְדִבֶּר־פִּ֣יו עִם־פִּ֔יו וְעֵינָ֖יו אֶת־עינו תִּרְאֶֽינָה׃
5 और वह सिदक़ियाह को बाबुल में ले जाएगा, और जब तक मैं उसको याद न फ़रमाऊँ वह वहीं रहेगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है। हरचन्द तुम कसदियों के साथ जंग करोगे, लेकिन कामयाब न होगे?
וּבָבֶ֞ל יוֹלִ֤ךְ אֶת־צִדְקִיָּ֙הוּ֙ וְשָׁ֣ם יִֽהְיֶ֔ה עַד־פָּקְדִ֥י אֹת֖וֹ נְאֻם־יְהוָ֑ה כִּ֧י תִֽלָּחֲמ֛וּ אֶת־הַכַּשְׂדִּ֖ים לֹ֥א תַצְלִֽיחוּ׃ פ
6 तब यरमियाह ने कहा कि “ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ और उसने फ़रमाया
וַיֹּ֖אמֶר יִרְמְיָ֑הוּ הָיָ֥ה דְּבַר־יְהוָ֖ה אֵלַ֥י לֵאמֹֽר׃
7 देख, तेरे चचा सलूम का बेटा हनमएल तेरे पास आकर कहेगा कि 'मेरा खेत जो 'अन्तोत में है, अपने लिए ख़रीद ले; क्यूँकि उसको छुड़ाना तेरा हक़ है।
הִנֵּ֣ה חֲנַמְאֵ֗ל בֶּן־שַׁלֻּם֙ דֹּֽדְךָ֔ בָּ֥א אֵלֶ֖יךָ לֵאמֹ֑ר קְנֵ֣ה לְךָ֗ אֶת־שָׂדִי֙ אֲשֶׁ֣ר בַּעֲנָת֔וֹת כִּ֥י לְךָ֛ מִשְׁפַּ֥ט הַגְּאֻלָּ֖ה לִקְנֽוֹת׃
8 तब मेरे चचा का बेटा हनमएल क़ैदख़ाने के सहन में मेरे पास आया, और जैसा ख़ुदावन्द ने फ़रमाया था, मुझसे कहा कि, मेरा खेत जो 'अन्तोत में बिनयमीन के 'इलाक़े में है, ख़रीद ले; क्यूँकि यह तेरा मौरूसी हक़ है और उसको छुड़ाना तेरा काम है, उसे अपने लिए ख़रीद ले।” तब मैंने जाना कि ये ख़ुदावन्द का कलाम है।
וַיָּבֹ֣א אֵ֠לַי חֲנַמְאֵ֨ל בֶּן־דֹּדִ֜י כִּדְבַ֣ר יְהוָה֮ אֶל־חֲצַ֣ר הַמַּטָּרָה֒ וַיֹּ֣אמֶר אֵלַ֡י קְנֵ֣ה נָ֠א אֶת־שָׂדִ֨י אֲשֶׁר־בַּעֲנָת֜וֹת אֲשֶׁ֣ר ׀ בְּאֶ֣רֶץ בִּנְיָמִ֗ין כִּֽי־לְךָ֞ מִשְׁפַּ֧ט הַיְרֻשָּׁ֛ה וּלְךָ֥ הַגְּאֻלָּ֖ה קְנֵה־לָ֑ךְ וָאֵדַ֕ע כִּ֥י דְבַר־יְהוָ֖ה הֽוּא׃
9 'और मैंने उस खेत को जो 'अन्तोत में था, अपने चचा के बेटे हनमएल से ख़रीद लिया और नक़द सत्तर मिस्काल चांदी तोल कर उसे दी।
וָֽאֶקְנֶה֙ אֶת־הַשָּׂדֶ֔ה מֵאֵ֛ת חֲנַמְאֵ֥ל בֶּן־דֹּדִ֖י אֲשֶׁ֣ר בַּעֲנָת֑וֹת וָֽאֶשְׁקֲלָה־לּוֹ֙ אֶת־הַכֶּ֔סֶף שִׁבְעָ֥ה שְׁקָלִ֖ים וַעֲשָׂרָ֥ה הַכָּֽסֶף׃
10 और मैंने एक कबाला लिखा और उस पर मुहर की और गवाह ठहराए, और चाँदी तराजू में तोलकर उसे दी
וָאֶכְתֹּ֤ב בַּסֵּ֙פֶר֙ וָֽאֶחְתֹּ֔ם וָאָעֵ֖ד עֵדִ֑ים וָאֶשְׁקֹ֥ל הַכֶּ֖סֶף בְּמֹאזְנָֽיִם׃
11 तब मैंने उस क़बाले को लिया, या'नी वह जो क़ानून और दस्तूर के मुताबिक़ सर — ब — मुहर था, और वह जो खुला था;
וָאֶקַּ֖ח אֶת־סֵ֣פֶר הַמִּקְנָ֑ה אֶת־הֶֽחָת֛וּם הַמִּצְוָ֥ה וְהַחֻקִּ֖ים וְאֶת־הַגָּלֽוּי׃
12 और मैंने उस क़बाले को अपने चचा के बेटे हनमएल के सामने और उन गवाहों के सामने जिन्होंने अपने नाम क़बाले पर लिखे थे, उन सब यहूदियों के सामने जो क़ैदख़ाने के सहन में बैठे थे, बारूक — बिन — नेयिरियाह — बिन — महसियाह को सौंपा।
וָאֶתֵּ֞ן אֶת־הַסֵּ֣פֶר הַמִּקְנָ֗ה אֶל־בָּר֣וּךְ בֶּן־נֵרִיָּה֮ בֶּן־מַחְסֵיָה֒ לְעֵינֵי֙ חֲנַמְאֵ֣ל דֹּדִ֔י וּלְעֵינֵי֙ הָֽעֵדִ֔ים הַכֹּתְבִ֖ים בְּסֵ֣פֶר הַמִּקְנָ֑ה לְעֵינֵי֙ כָּל־הַיְּהוּדִ֔ים הַיֹּשְׁבִ֖ים בַּחֲצַ֥ר הַמַּטָּרָֽה׃
13 और मैंने उनके सामने बारूक की ताकीद की
וָֽאֲצַוֶּה֙ אֶת בָּר֔וּךְ לְעֵינֵיהֶ֖ם לֵאמֹֽר׃
14 कि 'रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: यह काग़ज़ात ले, या'नी यह क़बाला जो सर — ब — मुहर है, और यह जो खुला है, और उनको मिट्टी के बर्तन में रख ताकि बहुत दिनों तक महफ़ूज़ रहें।
כֹּֽה־אָמַר֩ יְהוָ֨ה צְבָא֜וֹת אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל לָק֣וֹחַ אֶת־הַסְּפָרִ֣ים הָאֵ֡לֶּה אֵ֣ת סֵפֶר֩ הַמִּקְנָ֨ה הַזֶּ֜ה וְאֵ֣ת הֶחָת֗וּם וְאֵ֨ת סֵ֤פֶר הַגָּלוּי֙ הַזֶּ֔ה וּנְתַתָּ֖ם בִּכְלִי־חָ֑רֶשׂ לְמַ֥עַן יַעַמְד֖וּ יָמִ֥ים רַבִּֽים׃ ס
15 क्यूँकि रब्ब — उल — अफ़वाज, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि: इस मुल्क में फिर घरों और ताकिस्तानों की ख़रीद — ओ — फ़रोख्त होगी।
כִּ֣י כֹ֥ה אָמַ֛ר יְהוָ֥ה צְבָא֖וֹת אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל ע֣וֹד יִקָּנ֥וּ בָתִּ֛ים וְשָׂד֥וֹת וּכְרָמִ֖ים בָּאָ֥רֶץ הַזֹּֽאת׃ פ
16 'बारूक — बिन — नेयिरियाह को क़बाला देने के बा'द, मैंने ख़ुदावन्द से यूँ दुआ की:
וָאֶתְפַּלֵּ֖ל אֶל־יְהוָ֑ה אַחֲרֵ֤י תִתִּי֙ אֶת־סֵ֣פֶר הַמִּקְנָ֔ה אֶל־בָּר֥וּךְ בֶּן־נֵרִיָּ֖ה לֵאמֹֽר׃
17 'आह, ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा! देख, तूने अपनी 'अज़ीम क़ुदरत और अपने बुलन्द बाज़ू से आसमान और ज़मीन को पैदा किया, और तेरे लिए कोई काम मुश्किल नहीं है;
אֲהָהּ֮ אֲדֹנָ֣י יְהוִה֒ הִנֵּ֣ה ׀ אַתָּ֣ה עָשִׂ֗יתָ אֶת־הַשָּׁמַ֙יִם֙ וְאֶת־הָאָ֔רֶץ בְּכֹֽחֲךָ֙ הַגָּד֔וֹל וּבִֽזְרֹעֲךָ֖ הַנְּטוּיָ֑ה לֹֽא־יִפָּלֵ֥א מִמְּךָ֖ כָּל־דָּבָֽר׃
18 तू हज़ारों पर शफ़क़त करता है, और बाप — दादा की बदकिरदारी का बदला उनके बाद उनकी औलाद के दामन में डाल देता है; जिसका नाम ख़ुदा — ए — 'अज़ीम — ओ — क़ादिर रब्ब — उल — अफ़वाज है;
עֹ֤שֶׂה חֶ֙סֶד֙ לַֽאֲלָפִ֔ים וּמְשַׁלֵּם֙ עֲוֺ֣ן אָב֔וֹת אֶל־חֵ֥יק בְּנֵיהֶ֖ם אַחֲרֵיהֶ֑ם הָאֵ֤ל הַגָּדוֹל֙ הַגִּבּ֔וֹר יְהוָ֥ה צְבָא֖וֹת שְׁמֽוֹ׃
19 मश्वरत में बुज़ुर्ग, और काम में क़ुदरत वाला है; बनी — आदम की सब राहें तेरे ज़ेर — ए — नज़र हैं; ताकि हर एक को उसके चाल चलन के मुवाफ़िक़ और उसके 'आमाल के फल के मुताबिक़ बदला दे।
גְּדֹל֙ הָֽעֵצָ֔ה וְרַ֖ב הָעֲלִֽילִיָּ֑ה אֲשֶׁר־עֵינֶ֣יךָ פְקֻח֗וֹת עַל־כָּל־דַּרְכֵי֙ בְּנֵ֣י אָדָ֔ם לָתֵ֤ת לְאִישׁ֙ כִּדְרָכָ֔יו וְכִפְרִ֖י מַעֲלָלָֽיו׃
20 जिसने मुल्क — ए — मिस्र में आज तक, और इस्राईल और दूसरे लोगों में निशान और 'अजायब दिखाए और अपने लिए नाम पैदा किया, जैसा कि इस ज़माने में है।
אֲשֶׁר־שַׂ֠מְתָּ אֹת֨וֹת וּמֹפְתִ֤ים בְּאֶֽרֶץ־מִצְרַ֙יִם֙ עַד־הַיּ֣וֹם הַזֶּ֔ה וּבְיִשְׂרָאֵ֖ל וּבָֽאָדָ֑ם וַתַּעֲשֶׂה־לְּךָ֥ שֵׁ֖ם כַּיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃
21 क्यूँकि तू अपनी क़ौम इस्राईल को मुल्क — ए — मिस्र से निशान और 'अजायब और क़वी हाथ और बलन्द बाज़ू से, और बड़ी हैबत के साथ निकाल लाया;
וַתֹּצֵ֛א אֶת־עַמְּךָ֥ אֶת־יִשְׂרָאֵ֖ל מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם בְּאֹת֣וֹת וּבְמוֹפְתִ֗ים וּבְיָ֤ד חֲזָקָה֙ וּבְאֶזְר֣וֹעַ נְטוּיָ֔ה וּבְמוֹרָ֖א גָּדֽוֹל׃
22 और यह मुल्क उनको दिया जिसे देने की तूने उनके बाप — दादा से क़सम खायी थी ऐसा मुल्क जिसमे दूध और शहद बहता है।
וַתִּתֵּ֤ן לָהֶם֙ אֶת־הָאָ֣רֶץ הַזֹּ֔את אֲשֶׁר־נִשְׁבַּ֥עְתָּ לַאֲבוֹתָ֖ם לָתֵ֣ת לָהֶ֑ם אֶ֛רֶץ זָבַ֥ת חָלָ֖ב וּדְבָֽשׁ׃
23 और वह आकर उसके मालिक हो गए, लेकिन वह न तेरी आवाज़ को सुना और न तेरी शरी'अत पर चले, और जो कुछ तूने करने को कहा उन्होंने नहीं किया। इसलिए तू यह सब मुसीबत उन पर लाया।
וַיָּבֹ֜אוּ וַיִּֽרְשׁ֣וּ אֹתָ֗הּ וְלֹֽא־שָׁמְע֤וּ בְקוֹלֶ֙ךָ֙ ובתרותך לֹא־הָלָ֔כוּ אֵת֩ כָּל־אֲשֶׁ֨ר צִוִּ֧יתָה לָהֶ֛ם לַעֲשׂ֖וֹת לֹ֣א עָשׂ֑וּ וַתַּקְרֵ֣א אֹתָ֔ם אֵ֥ת כָּל־הָרָעָ֖ה הַזֹּֽאת׃
24 दमदमों को देख, वह शहर तक आ पहुँचे हैं कि उसे फ़तह कर लें, और शहर तलवार और काल और वबा की वजह से कसदियों के हवाले कर दिया गया है, जो उस पर चढ़ आए और जो कुछ तूने फ़रमाया पूरा हुआ, और तू आप देखता है।
הִנֵּ֣ה הַסֹּלְל֗וֹת בָּ֣אוּ הָעִיר֮ לְלָכְדָהּ֒ וְהָעִ֣יר נִתְּנָ֗ה בְּיַ֤ד הַכַּשְׂדִּים֙ הַנִּלְחָמִ֣ים עָלֶ֔יהָ מִפְּנֵ֛י הַחֶ֥רֶב וְהָרָעָ֖ב וְהַדָּ֑בֶר וַאֲשֶׁ֥ר דִּבַּ֛רְתָּ הָיָ֖ה וְהִנְּךָ֥ רֹאֶֽה׃
25 तो भी, ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा, तूने मुझसे फ़रमाया कि वह खेत रुपया देकर अपने लिए ख़रीद ले और गवाह ठहरा ले, हालाँकि यह शहर कसदियों के हवाले कर दिया गया।
וְאַתָּ֞ה אָמַ֤רְתָּ אֵלַי֙ אֲדֹנָ֣י יְהוִ֔ה קְנֵֽה־לְךָ֧ הַשָּׂדֶ֛ה בַּכֶּ֖סֶף וְהָעֵ֣ד עֵדִ֑ים וְהָעִ֥יר נִתְּנָ֖ה בְּיַ֥ד הַכַּשְׂדִּֽים׃
26 तब ख़ुदावन्द का कलाम यरमियाह पर नाज़िल हुआ:
וַיְהִי֙ דְּבַר־יְהוָ֔ה אֶֽל־יִרְמְיָ֖הוּ לֵאמֹֽר׃
27 देख, मैं ख़ुदावन्द, तमाम बशर का ख़ुदा हूँ, क्या मेरे लिए कोई काम दुश्वार है?
הִנֵּה֙ אֲנִ֣י יְהוָ֔ה אֱלֹהֵ֖י כָּל־בָּשָׂ֑ר הֲֽמִמֶּ֔נִּי יִפָּלֵ֖א כָּל־דָּבָֽר׃
28 इसलिए ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: देख, मैं इस शहर को कसदियों के और शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र के हवाले कर दूँगा, और वह इसे ले लेगा;
לָכֵ֕ן כֹּ֖ה אָמַ֣ר יְהוָ֑ה הִנְנִ֣י נֹתֵן֩ אֶת־הָעִ֨יר הַזֹּ֜את בְּיַ֣ד הַכַּשְׂדִּ֗ים וּבְיַ֛ד נְבֽוּכַדְרֶאצַּ֥ר מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֖ל וּלְכָדָֽהּ׃
29 और कसदी जो इस शहर पर चढ़ाई करते हैं, आकर इसको आग लगाएँगे और इसे उन घरों के साथ जलाएँगे, जिनकी छतों पर लोगों ने बा'ल के लिए ख़ुशबू जलायी और ग़ैरमा'बूदों के लिए तपावन तपाए कि मुझे ग़ज़बनाक करें।
וּבָ֣אוּ הַכַּשְׂדִּ֗ים הַנִּלְחָמִים֙ עַל־הָעִ֣יר הַזֹּ֔את וְהִצִּ֜יתוּ אֶת־הָעִ֥יר הַזֹּ֛את בָּאֵ֖שׁ וּשְׂרָפ֑וּהָ וְאֵ֣ת הַבָּתִּ֡ים אֲשֶׁר֩ קִטְּר֨וּ עַל־גַּגּֽוֹתֵיהֶ֜ם לַבַּ֗עַל וְהִסִּ֤כוּ נְסָכִים֙ לֵאלֹהִ֣ים אֲחֵרִ֔ים לְמַ֖עַן הַכְעִסֵֽנִי׃
30 क्यूँकि बनी — इस्राईल और बनी यहूदाह अपनी जवानी से अब तक सिर्फ़ वही करते आए हैं जो मेरी नज़र में बुरा है; क्यूँकि बनी — इस्राईल ने अपने 'आमाल से मुझे ग़ज़बनाक ही किया, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
כִּֽי־הָי֨וּ בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֜ל וּבְנֵ֣י יְהוּדָ֗ה אַ֣ךְ עֹשִׂ֥ים הָרַ֛ע בְּעֵינַ֖י מִנְּעֻרֹֽתֵיהֶ֑ם כִּ֣י בְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֗ל אַ֣ךְ מַכְעִסִ֥ים אֹתִ֛י בְּמַעֲשֵׂ֥ה יְדֵיהֶ֖ם נְאֻם־יְהוָֽה׃
31 क्यूँकि यह शहर जिस दिन से उन्होंने इसे ता'मीर किया, आज के दिन तक मेरे क़हर और ग़ज़ब का ज़रिया' हो रहा है; ताकि मैं इसे अपने सामने से दूर करूँ
כִּ֧י עַל־אַפִּ֣י וְעַל־חֲמָתִ֗י הָ֤יְתָה לִּי֙ הָעִ֣יר הַזֹּ֔את לְמִן־הַיּוֹם֙ אֲשֶׁ֣ר בָּנ֣וּ אוֹתָ֔הּ וְעַ֖ד הַיּ֣וֹם הַזֶּ֑ה לַהֲסִירָ֖הּ מֵעַ֥ל פָּנָֽי׃
32 बनी — इस्राईल और बनी यहूदाह की तमाम बुराई के ज़रिए' जो उन्होंने और उनके बादशाहों ने, और हाकिम और काहिनों और नबियों ने, और यहूदाह के लोगों और येरूशलेम के बशिन्दों ने की, ताकि मुझे ग़ज़बनाक करें।
עַל֩ כָּל־רָעַ֨ת בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֜ל וּבְנֵ֣י יְהוּדָ֗ה אֲשֶׁ֤ר עָשׂוּ֙ לְהַכְעִסֵ֔נִי הֵ֤מָּה מַלְכֵיהֶם֙ שָֽׂרֵיהֶ֔ם כֹּהֲנֵיהֶ֖ם וּנְבִֽיאֵיהֶ֑ם וְאִ֣ישׁ יְהוּדָ֔ה וְיֹשְׁבֵ֖י יְרוּשָׁלִָֽם׃
33 क्यूँकि उन्होंने मेरी तरफ़ पीठ की और मुँह न किया, हर चन्द मैंने उनको सिखाया और वक़्त पर ता'लीम दी, तो भी उन्होंने कान न लगाया कि तरबियत पज़ीर हों,
וַיִּפְנ֥וּ אֵלַ֛י עֹ֖רֶף וְלֹ֣א פָנִ֑ים וְלַמֵּ֤ד אֹתָם֙ הַשְׁכֵּ֣ם וְלַמֵּ֔ד וְאֵינָ֥ם שֹׁמְעִ֖ים לָקַ֥חַת מוּסָֽר׃
34 बल्कि उस घर में जो मेरे नाम से कहलाता है, अपनी मकरूहात रख्खीं ताकि उसे नापाक करें।
וַיָּשִׂ֣ימוּ שִׁקּֽוּצֵיהֶ֗ם בַּבַּ֛יִת אֲשֶׁר־נִקְרָֽא־ שְׁמִ֥י עָלָ֖יו לְטַמְּאֽוֹ׃
35 और उन्होंने बा'ल के ऊँचे मक़ाम जो बिन हिनूम की वादी में हैं बनाए, ताकि अपने बेटों और बेटियों को मोलक के लिए आग में से गुज़ारें, जिसका मैंने उनको हुक्म नहीं दिया और न मेरे ख़याल में आया कि वह ऐसा मकरूह काम करके यहूदाह को गुनाहगार बनाएँ।
וַיִּבְנוּ֩ אֶת־בָּמ֨וֹת הַבַּ֜עַל אֲשֶׁ֣ר ׀ בְּגֵ֣יא בֶן־הִנֹּ֗ם לְ֠הַעֲבִיר אֶת־בְּנֵיהֶ֣ם וְאֶת־בְּנוֹתֵיהֶם֮ לַמֹּלֶךְ֒ אֲשֶׁ֣ר לֹֽא־צִוִּיתִ֗ים וְלֹ֤א עָֽלְתָה֙ עַל־לִבִּ֔י לַעֲשׂ֖וֹת הַתּוֹעֵבָ֣ה הַזֹּ֑את לְמַ֖עַן החטי אֶת־יְהוּדָֽה׃ ס
36 और अब इस शहर के बारे में, जिसके हक़ में तुम कहते हो, 'तलवार और काल और वबा के वसीले से वह शाह — ए — बाबुल के हवाले किया जाएगा, ख़ुदावन्द, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है:
וְעַתָּ֕ה לָכֵ֛ן כֹּֽה־אָמַ֥ר יְהוָ֖ה אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל אֶל־הָעִ֨יר הַזֹּ֜את אֲשֶׁ֣ר ׀ אַתֶּ֣ם אֹמְרִ֗ים נִתְּנָה֙ בְּיַ֣ד מֶֽלֶךְ־בָּבֶ֔ל בַּחֶ֖רֶב וּבָרָעָ֥ב וּבַדָּֽבֶר׃
37 देख, मैं उनको उन सब मुल्कों से जहाँ मैंने उनको गैज़ — ओ — ग़ज़ब और बड़े ग़ुस्से से हॉक दिया है, जमा' करूँगा और इस मक़ाम में वापस लाऊँगा और उनको अम्न से आबाद करूँगा।
הִנְנִ֤י מְקַבְּצָם֙ מִכָּל־הָ֣אֲרָצ֔וֹת אֲשֶׁ֨ר הִדַּחְתִּ֥ים שָׁ֛ם בְּאַפִּ֥י וּבַחֲמָתִ֖י וּבְקֶ֣צֶף גָּד֑וֹל וַהֲשִֽׁבֹתִים֙ אֶל־הַמָּק֣וֹם הַזֶּ֔ה וְהֹשַׁבְתִּ֖ים לָבֶֽטַח׃
38 और वह मेरे लोग होंगे और मैं उनका ख़ुदा हूँगा।
וְהָ֥יוּ לִ֖י לְעָ֑ם וַאֲנִ֕י אֶהְיֶ֥ה לָהֶ֖ם לֵאלֹהִֽים׃
39 मैं उनको यकदिल और यकरविश बना दूँगा, और वह अपनी और अपने बाद अपनी औलाद की भलाई कि लिए हमेशा मुझसे डरते रहेंगे।
וְנָתַתִּ֨י לָהֶ֜ם לֵ֤ב אֶחָד֙ וְדֶ֣רֶךְ אֶחָ֔ד לְיִרְאָ֥ה אוֹתִ֖י כָּל־הַיָּמִ֑ים לְט֣וֹב לָהֶ֔ם וְלִבְנֵיהֶ֖ם אַחֲרֵיהֶֽם׃
40 मैं उनसे हमेशा का 'अहद करूँगा कि उनके साथ भलाई करने से बाज़ न आऊँगा, और मैं अपना ख़ौफ़ उनके दिल में डालूँगा ताकि वह मुझसे फिर न जाएँ।
וְכָרַתִּ֤י לָהֶם֙ בְּרִ֣ית עוֹלָ֔ם אֲשֶׁ֤ר לֹֽא־אָשׁוּב֙ מֵאַ֣חֲרֵיהֶ֔ם לְהֵיטִיבִ֖י אוֹתָ֑ם וְאֶת־יִרְאָתִי֙ אֶתֵּ֣ן בִּלְבָבָ֔ם לְבִלְתִּ֖י ס֥וּר מֵעָלָֽי׃
41 हाँ, मैं उनसे ख़ुश होकर उनसे नेकी करूँगा, और यक़ीनन दिल — ओ — जान से उनको इस मुल्क में लगाऊँगा।
וְשַׂשְׂתִּ֥י עֲלֵיהֶ֖ם לְהֵטִ֣יב אוֹתָ֑ם וּנְטַעְתִּ֞ים בָּאָ֤רֶץ הַזֹּאת֙ בֶּאֱמֶ֔ת בְּכָל־לִבִּ֖י וּבְכָל־נַפְשִֽׁי׃ ס
42 “क्यूँकि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि: जिस तरह मैं इन लोगों पर यह तमाम बला — ए — 'अज़ीम लाया हूँ, उसी तरह वह तमाम नेकी जिसका मैंने उनसे वा'दा किया है, उनसे करूँगा।
כִּֽי־כֹה֙ אָמַ֣ר יְהוָ֔ה כַּאֲשֶׁ֤ר הֵבֵ֙אתִי֙ אֶל־הָעָ֣ם הַזֶּ֔ה אֵ֛ת כָּל־הָרָעָ֥ה הַגְּדוֹלָ֖ה הַזֹּ֑את כֵּ֣ן אָנֹכִ֞י מֵבִ֤יא עֲלֵיהֶם֙ אֶת־כָּל־הַטּוֹבָ֔ה אֲשֶׁ֥ר אָנֹכִ֖י דֹּבֵ֥ר עֲלֵיהֶֽם׃
43 और इस मुल्क में जिसके बारे में तुम कहते हो कि 'वह वीरान है, वहाँ न इंसान है न हैवान, वह कसदियों के हवाले किया गया,' फिर खेत ख़रीदे जाएँगे।
וְנִקְנָ֥ה הַשָּׂדֶ֖ה בָּאָ֣רֶץ הַזֹּ֑את אֲשֶׁ֣ר ׀ אַתֶּ֣ם אֹמְרִ֗ים שְׁמָמָ֥ה הִיא֙ מֵאֵ֤ין אָדָם֙ וּבְהֵמָ֔ה נִתְּנָ֖ה בְּיַ֥ד הַכַּשְׂדִּֽים׃
44 बिनयमीन के ''इलाक़े में और येरूशलेम के 'इलाक़े में और यहूदाह के शहरों में और पहाड़ी के, और वादी के, और दख्खिन के शहरों में लोग रुपया देकर खेत ख़रीदेंगे; और क़बाले लिखाकर उन पर मुहर लगाएँगे और गवाह ठहराएँगे, क्यूँकि मैं उनकी ग़ुलामी को ख़त्म कर दूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।”
שָׂד֞וֹת בַּכֶּ֣סֶף יִקְנ֗וּ וְכָת֨וֹב בַּסֵּ֥פֶר ׀ וְחָתוֹם֮ וְהָעֵ֣ד עֵדִים֒ בְּאֶ֨רֶץ בִּנְיָמִ֜ן וּבִסְבִיבֵ֣י יְרוּשָׁלִַ֗ם וּבְעָרֵ֤י יְהוּדָה֙ וּבְעָרֵ֣י הָהָ֔ר וּבְעָרֵ֥י הַשְּׁפֵלָ֖ה וּבְעָרֵ֣י הַנֶּ֑גֶב כִּֽי־אָשִׁ֥יב אֶת־שְׁבוּתָ֖ם נְאֻם־יְהוָֽה׃ פ

< यर्म 32 >