< यर्म 20 >
1 फ़शहूर — बिन — इम्मेर काहिन ने, जो ख़ुदावन्द के घर में सरदार नाज़िम था, यरमियाह को यह बातें नबुव्वत से कहते सुना।
Alors Pashur, fils d'Immer, sacrificateur et surintendant dans la maison de l'Éternel, entendit Jérémie qui prophétisait ces choses.
2 तब फ़शहूर ने यरमियाह नबी को मारा और उसे उस काठ में डाला, जो बिनयमीन के बालाई फाटक में ख़ुदावन्द के घर में था।
Et Pashur frappa le prophète Jérémie, et le mit dans la prison qui était à la porte supérieure de Benjamin, dans la maison de l'Éternel.
3 और दूसरे दिन यूँ हुआ कि फ़शहूर ने यरमियाह को काठ से निकाला। तब यरमियाह ने उसे कहा, ख़ुदावन्द ने तेरा नाम फ़शहूर नहीं, बल्कि मजूरमिस्साबीब रखा है।
Mais, le lendemain, Pashur fit sortir Jérémie de la prison. Et Jérémie lui dit: L'Éternel ne t'a pas appelé Pashur (en sécurité tout autour), mais Magor-Missabib (frayeur de tous côtés! )
4 क्यूँकि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि देख, मैं तुझ को तेरे लिए और तेरे सब दोस्तों के लिए दहशत का ज़रिया' बनाऊँगा; और वह अपने दुश्मनों की तलवार से क़त्ल होंगे और तेरी आँखे देखेंगी और मैं तमाम यहूदाह को शाह — ए — बाबुल के हवाले कर दूँगा, और वह उनको ग़ुलाम करके बाबुल में ले जाएगा और उनको तलवार से क़त्ल करेगा।
Car ainsi a dit l'Éternel: Voici, je te livrerai à la frayeur, toi et tous tes amis; ils tomberont par l'épée de leurs ennemis, et tes yeux le verront. Je livrerai aussi tout Juda entre les mains du roi de Babylone. Il les transportera à Babylone, et les frappera de l'épée.
5 और मैं इस शहर की सारी दौलत और इसके तमाम महासिल और इसकी सब नफ़ीस चीज़ों को, और यहूदाह के बादशाहों के सब ख़ज़ानों को दे डालूँगा; हाँ, मैं उनको उनके दुश्मनों के हवाले कर दूँगा, जो उनको लूटेंगे और बाबुल को ले जाएँगे।
Et je livrerai toutes les richesses de cette ville, et tout son travail, et tout ce qu'elle a de précieux, je livrerai tous les trésors des rois de Juda aux mains de leurs ennemis, qui les pilleront, les enlèveront et les emporteront à Babylone.
6 और ऐ फ़शहूर, तू और तेरा सारा घराना ग़ुलामी में जाओगे, और तू बाबुल में पहुँचेगा और वहाँ मरेगा और वहीं दफ़्न किया जाएगा तू और तेरे सब दोस्त जिनसे तूने झूटी नबुव्वत की।
Et toi, Pashur, et tous ceux qui demeurent dans ta maison, vous irez en captivité. Tu iras à Babylone, et là tu mourras; là tu seras enseveli, toi et tous tes amis, auxquels tu as prophétisé le mensonge.
7 ऐ ख़ुदावन्द, तूने मुझे तरग़ीब दी है और मैंने मान लिया; तू मुझसे तवाना था, और तू ग़ालिब आया। मैं दिन भर हँसी का ज़रिया' बनता हूँ, हर एक मेरी हँसी उड़ाता है।
O Éternel! tu m'as persuadé, et je me suis laissé persuader; tu m'as saisi, et tu as prévalu. Je suis un objet de raillerie chaque jour; chacun se moque de moi.
8 क्यूँकि जब — जब मैं कलाम करता हूँ, ज़ोर से पुकारता हूँ, मैंने ग़ज़ब और हलाकत का 'ऐलान किया, क्यूँकि ख़ुदावन्द का कलाम दिन भर मेरी मलामत और हँसी का ज़रिया' होता है।
Car depuis que je parle, je jette des cris; je crie violence et oppression. Et la parole de l'Éternel s'est tournée pour moi en opprobre et en moquerie tout le jour.
9 और अगर मैं कहूँ कि 'मैं उसका ज़िक्र न करूँगा, न फिर कभी उसके नाम से कलाम करूँगा, तो उसका कलाम मेरे दिल में जलती आग की तरह है जो मेरी हड्डियों में छिपा है, और मैं ज़ब्त करते करते थक गया और मुझसे रहा नहीं जाता।
Et quand je dis: je ne ferai plus mention de lui, et je ne parlerai plus en son nom, il y a dans mon cœur comme un feu ardent renfermé dans mes os; je m'efforce de le contenir, mais je ne le puis.
10 क्यूँकि मैंने बहुतों की तोहमत सुनी। चारों तरफ़ दहशत है! “उसकी शिकायत करो! वह कहते हैं, हम उसकी शिकायत करेंगे, मेरे सब दोस्त मेरे ठोकर खाने के मुन्तज़िर हैं और कहते हैं, शायद वह ठोकर खाए, तब हम उस पर ग़ालिब आएँगे और उससे बदला लेंगे।”
Car j'ai entendu les propos de plusieurs: “Frayeur de toutes parts! Dénoncez-le, disent-ils, et nous le dénoncerons! “Tous ceux qui étaient en paix avec moi, épient pour voir si je ne broncherai point. Peut-être, disent-ils, se laissera-t-il surprendre; alors nous aurons le dessus, et nous nous vengerons de lui.
11 लेकिन ख़ुदावन्द बड़े बहादुर की तरह मेरी तरफ़ है, इसलिए मुझे सताने वालों ने ठोकर खाई और ग़ालिब न आए, वह बहुत शर्मिन्दा हुए इसलिए कि उन्होंने अपना मक़सद न पाया; उनकी शर्मिन्दगी हमेशा तक रहेगी, कभी फ़रामोश न होगी।
Mais l'Éternel est avec moi, comme un héros puissant et redoutable; c'est pourquoi mes persécuteurs tomberont et n'auront pas le dessus. Pour n'avoir point sagement agi, ils rougiront d'une honte éternelle, qui ne s'oubliera jamais.
12 इसलिए, ऐ रब्बउल — अफ़वाज, तू जो सादिक़ों को आज़माता और दिल — ओ — दिमाग़ को देखता है, उनसे बदला लेकर मुझे दिखा; इसलिए कि मैंने अपना दा'वा तुझ पर ज़ाहिर किया है।
Éternel des armées, qui sondes le juste, qui pénètres les reins et le cœur, je verrai ta vengeance s'exercer contre eux; car je t'ai découvert ma cause.
13 ख़ुदावन्द की मदहसराई करो; ख़ुदावन्द की सिताइश करो! क्यूँकि उसने ग़रीब की जान को बदकिरदारों के हाथ से छुड़ाया है।
Chantez à l'Éternel, louez l'Éternel! Car il a délivré l'âme du pauvre de la main des méchants.
14 ला'नत उस दिन पर जिसमें मैं पैदा हुआ! वह दिन जिस में मेरी माँ ने मुझ को पैदा किया, हरगिज़ मुबारक न हो!
Maudit soit le jour où je naquis! Que le jour où ma mère m'enfanta ne soit point béni!
15 ला'नत उस आदमी पर जिसने मेरे बाप को ये कहकर ख़बर दी, तेरे यहाँ बेटा पैदा हुआ, और उसे बहुत ख़ुश किया।
Maudit soit l'homme qui porta cette nouvelle à mon père: un enfant mâle t'est né, et qui le combla de joie!
16 हाँ, वह आदमी उन शहरों की तरह हो, जिनको ख़ुदावन्द ने शिकस्त दी और अफ़सोस न किया; और वह सुबह को ख़ौफ़नाक शोर सुने और दोपहर के वक़्त बड़ी ललकार,
Que cet homme soit comme les villes que l'Éternel a détruites, sans s'en repentir! Qu'il entende la clameur au matin, le cri de guerre au temps de midi!
17 इसलिए कि उसने मुझे रिहम ही में क़त्ल न किया, कि मेरी माँ मेरी क़ब्र होती, और उसका रिहम हमेशा तक भरा रहता।
Que ne m'a-t-on fait mourir dans le sein de ma mère? Que n'a-t-elle été mon tombeau? Et pourquoi sa grossesse n'a-t-elle été sans terme?
18 मैं पैदा ही क्यूँ हुआ कि मशक़्क़त और रंज देखूँ, और मेरे दिन रुस्वाई में कटें?
Pourquoi suis-je né pour ne voir que tourment et qu'ennui, et pour consumer mes jours dans la honte?