< यर्म 13 >
1 ख़ुदावन्द ने मुझे यूँ फ़रमाया कि “तू जाकर अपने लिए एक कतानी कमरबन्द ख़रीद ले और अपनी कमर पर बाँध, लेकिन उसे पानी में मत भिगो।”
haec dicit Dominus ad me vade et posside tibi lumbare lineum et pones illud super lumbos tuos et in aquam non inferes illud
2 तब मैंने ख़ुदावन्द के कलाम के मुवाफ़िक़ एक कमरबन्द ख़रीद लिया और अपनी कमर पर बाँधा।
et possedi lumbare iuxta verbum Domini et posui circa lumbos meos
3 और ख़ुदावन्द का कलाम दोबारा मुझ पर नाज़िल हुआ और उसने फ़रमाया,
et factus est sermo Domini ad me secundo dicens
4 कि “इस कमरबन्द को जो तूने ख़रीदा और जो तेरी कमर पर है, लेकर उठ और फ़रात को जा और वहाँ चट्टान के एक शिगाफ़ में उसे छिपा दे।”
tolle lumbare quod possedisti quod est circa lumbos tuos et surgens vade ad Eufraten et absconde illud ibi in foramine petrae
5 चुनाँचे मैं गया और उसे फ़रात के किनारे छिपा दिया, जैसा ख़ुदावन्द ने मुझे फ़रमाया था।
et abii et abscondi illud in Eufraten sicut praeceperat mihi Dominus
6 और बहुत दिनों के बाद यूँ हुआ कि ख़ुदावन्द ने मुझे फ़रमाया, कि उठ, फ़रात की तरफ़ जा और उस कमरबन्द को जिसे तूने मेरे हुक्म से वहाँ छिपा रख्खा है, निकाल ले।
et factum est post dies plurimos dixit Dominus ad me surge vade ad Eufraten et tolle inde lumbare quod praecepi tibi ut absconderes illud ibi
7 तब मैं फ़रात को गया और खोदा और कमरबन्द को उस जगह से जहाँ मैंने उसे गाड़ दिया था, निकाला और देख, वह कमरबन्द ऐसा ख़राब हो गया था कि किसी काम का न रहा।
et abii ad Eufraten et fodi et tuli lumbare de loco ubi absconderam illud et ecce conputruerat lumbare ita ut nullo usui aptum esset
8 तब ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
et factum est verbum Domini ad me dicens
9 कि “ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि इसी तरह मैं यहूदाह के ग़ुरूर और येरूशलेम के बड़े ग़ुरूर को तोड़ दूँगा।
haec dicit Dominus sic putrescere faciam superbiam Iuda et superbiam Hierusalem multam
10 यह शरीर लोग जो मेरा कलाम सुनने से इन्कार करते हैं और अपने ही दिल की सख़्ती के पैरौ होते, और ग़ैर मा'बूदों के तालिब होकर उनकी इबादत करते और उनको पूजते हैं, वह इस कमरबन्द की तरह होंगे जो किसी काम का नहीं।
populum istum pessimum qui nolunt audire verba mea et ambulant in pravitate cordis sui abieruntque post deos alienos ut servirent eis et adorarent eos et erunt sicut lumbare istud quod nullo usui aptum est
11 क्यूँकि जैसा कमरबन्द इंसान की कमर से लिपटा रहता है वैसा ही, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, मैंने इस्राईल के तमाम घराने और यहूदाह के तमाम घराने को लिया कि मुझसे लिपटे रहें; ताकि वह मेरे लोग हों और उनकी वजह से मेरा नाम हो, और मेरी सिताइश की जाए और मेरा जलाल हो; लेकिन उन्होंने न सुना।
sicut enim adheret lumbare ad lumbos viri sic adglutinavi mihi omnem domum Israhel et omnem domum Iuda dicit Dominus ut esset mihi in populum et in nomen et in laudem et in gloriam et non audierunt
12 तब तू उनसे ये बात भी कह दे कि ख़ुदावन्द, इस्राईल का ख़ुदा, यूँ फ़रमाता है कि 'हर एक मटके में मय भरी जाएगी। और वह तुझ से कहेंगे, 'क्या हम नहीं जानते कि हर एक मटके में मय भरी जाएगी?”
dices ergo ad eos sermonem istum haec dicit Dominus Deus Israhel omnis laguncula implebitur vino et dicent ad te numquid ignoramus quia omnis laguncula implebitur vino
13 तब तू उनसे कहना, 'ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि देखो, मैं इस मुल्क के सब बाशिन्दों को, हाँ, उन बादशाहों को जो दाऊद के तख़्त पर बैठते हैं, और काहिनों और नबियों और येरूशलेम के सब बाशिन्दों को मस्ती से भर दूँगा।
et dices ad eos haec dicit Dominus ecce ego implebo omnes habitatores terrae huius et reges qui sedent de stirpe David super thronum eius et sacerdotes et prophetas et omnes habitatores Hierusalem ebrietate
14 और मैं उनको एक दूसरे पर, यहाँ तक कि बाप को बेटों पर दे मारूँगा, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, मैं न शफ़कत करूँगा, न रि'आयत और न रहम करूँगा कि उनको हलाक न करूँ।
et dispergam eos virum a fratre suo et patres et filios pariter ait Dominus non parcam et non concedam neque miserebor ut non disperdam eos
15 सुनो और कान लगाओ, ग़ुरूर न करो, क्यूँकि ख़ुदावन्द ने फ़रमाया है।
audite et auribus percipite nolite elevari quia Dominus locutus est
16 ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की तम्जीद करो, इससे पहले के वह तारीकी लाए और तुम्हारे पाँव गहरे अन्धेरे में ठोकर खाएँ; और जब तुम रोशनी का इन्तिज़ार करो, तो वह उसे मौत के साये से बदल डाले और उसे सख़्त तारीकी बना दे।
date Domino Deo vestro gloriam antequam contenebrescat et antequam offendant pedes vestri ad montes caligosos expectabitis lucem et ponet eam in umbram mortis et in caliginem
17 लेकिन अगर तुम न सुनोगे, तो मेरी जान तुम्हारे ग़ुरूर की वजह से ख़िल्वतख़ानों में ग़म खाया करेगी; हाँ, मेरी आँखें फूट फूटकर रोएँगी और आँसू बहाएँगी, क्यूँकि ख़ुदावन्द का गल्ला ग़ुलामी में चला गया।
quod si hoc non audieritis in abscondito plorabit anima mea a facie superbiae plorans plorabit et deducet oculus meus lacrimam quia captus est grex Domini
18 बादशाह और उसकी वालिदा से कह, ''आजिज़ी करो और नीचे बैठो, क्यूँकि तुम्हारी बुज़ुर्गी का ताज तुम्हारे सिर पर से उतार लिया गया है।
dic regi et dominatrici humiliamini sedete quoniam descendit de capite vestro corona gloriae vestrae
19 दख्खिन के शहर बन्द हो गए और कोई नहीं खोलता, सब बनी यहूदाह ग़ुलाम हो गए; सबको ग़ुलाम करके ले गए।
civitates austri clausae sunt et non est qui aperiat translata est omnis Iudaea transmigratione perfecta
20 'अपनी आँखें उठा और उनको जो उत्तर से आते हैं, देख। वह गल्ला जो तुझे दिया गया था, तेरा ख़ुशनुमा गल्ला कहाँ है?
levate oculos vestros et videte qui venitis ab aquilone ubi est grex qui datus est tibi pecus inclitum tuum
21 जब वह तुझ पर उनको मुक़र्रर करेगा जिनको तूने अपनी हिमायत की ता'लीम दी है, तो तू क्या कहेगी? क्या तू उस 'औरत की तरह जिसे पैदाइश का दर्द हो, दर्द में मुब्तिला न होगी?
quid dices cum visitaverit te tu enim docuisti eos adversum te et erudisti in caput tuum numquid non dolores adprehendent te quasi mulierem parturientem
22 और अगर तू अपने दिल में कहे कि यह हादसे मुझ पर क्यूँ गुज़रे? तेरी बदकिरदारी की शिद्दत से तेरा दामन उठाया गया और तेरी एड़ियाँ जबरन बरहना की गईं।
quod si dixeris in corde tuo quare venerunt mihi haec propter multitudinem iniquitatis tuae revelata sunt verecundiora tua pollutae sunt plantae tuae
23 हब्शी अपने चमड़े को या चीता अपने दाग़ों को बदल सके, तो तुम भी जो बदी के 'आदी हो नेकी कर सकोगे।
si mutare potest Aethiops pellem suam aut pardus varietates suas et vos poteritis bene facere cum didiceritis malum
24 इसलिए मैं उनको उस भूसे की तरह जो वीराने की हवा से उड़ता फिरता है, तितर — बितर करूँगा।
et disseminabo eos quasi stipulam quae vento raptatur in deserto
25 ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि मेरी तरफ़ से यही तेरा हिस्सा, तेरा नपा हुआ हिस्सा है; क्यूँकि तूने मुझे फ़रामोश करके बेकारी पर भरोसा किया है।
haec sors tua parsque mensurae tuae a me dicit Dominus quia oblita es mei et confisa es in mendacio
26 फिर मैं भी तेरा दामन तेरे सामने से उठा दूँगा, ताकि तू बेपर्दा हो।
unde et ego nudavi femora tua contra faciem tuam et apparuit ignominia tua
27 मैंने तेरी बदकारी, तेरा हिनहिनाना, तेरी हरामकारी और तेरे नफ़रतअंगेज़ काम जो तूने पहाड़ों पर और मैदानों में किए, देखे हैं। ऐ येरूशलेम, तुझ पर अफ़सोस! तू अपने आपको कब तक पाक — ओ — साफ़ न करेगी?
adulteria tua et hinnitus tuus scelus fornicationis tuae super colles in agro vidi abominationes tuas vae tibi Hierusalem non mundaberis post me usquequo adhuc