< यर्म 12 >

1 ऐ ख़ुदावन्द अगर मैं तेरे साथ बहस करूँ तो तू ही सच्चा ठहरेगा; तो भी मैं तुझ से इस अम्र पर बहस करना चाहता हूँ कि शरीर अपने चाल चलन में क्यूँ कामयाब होते हैं? सब दग़ाबाज़ क्यूँ आराम से रहते हैं?
Du bleibst im Rechte, Jahwe, wenn ich mit dir hadern wollte! Doch zur Rede möchte ich dich stellen, warum das Treiben der Frevler Gelingen hat, warum alle, die treulos handeln, unangefochten bleiben?
2 तूने उनको लगाया और उन्होंने जड़ पकड़ ली, वह बढ़ गए बल्कि कामयाब हुए; तू उनके मुँह से नज़दीक पर उनके दिलों से दूर है।
Du pflanzest sie ein, sie schlagen auch Wurzel, sie gedeihen, bringen auch Frucht: nahe bist du ihnen ihren Reden nach, aber fern von ihrem Innern!
3 लेकिन ऐ ख़ुदावन्द, तू मुझे जानता है; तूने मुझे देखा और मेरे दिल को, जो तेरी तरफ़ है आज़माया है; तू उनको भेड़ों की तरह ज़बह होने के लिए खींच कर निकाल और क़त्ल के दिन के लिए उनको मख़्सूस कर।
Du aber, Jahwe, kennst mich, durchschaust mich und hast meine Gesinnung gegen dich erprobt: reiße sie fort wie Schafe zum Schlachten und weihe sie dem Tage des Würgens.
4 अहल — ए — ज़मीन की शरारत से ज़मीन कब तक मातम करे, और तमाम मुल्क की रोएदगी पज़मुर्दा हो? चरिन्दे और परिन्दे हलाक हो गए, क्यूँकि उन्होंने कहा, वह हमारा अंजाम न देखेगा।
Wie lange noch soll das Land trauern, und die Pflanzen überall auf der Flur verdorren? Ob der Bosheit der darin Wohnenden schwinden Tiere und Vögel dahin, - weil sie sagen: Er wird das Ende, das es mit uns nimmt, nicht sehen!
5 'अगर तू प्यादों के साथ दौड़ा और उन्होंने तुझे थका दिया, तो फिर तुझ में यह ताब कहाँ कि सवारों की बराबरी करे? तू सलामती की सरज़मीन में तो बे — ख़ौफ़ है, लेकिन यरदन के जंगल में क्या करेगा?
Wenn du mit Fußgängern läufst, und die dich schon ermüden, wie willst du da mit Rossen um die Wette laufen? - und fühlst du dich nur in friedlichem Lande sicher, wie wilst du da thun im Dickichte des Jordans?
6 क्यूँकि तेरे भाइयों और तेरे बाप के घराने ने भी तेरे साथ बेवफ़ाई की है; हाँ, उन्होंने बड़ी आवाज़ से तेरे पीछे ललकारा, उन पर भरोसा न कर, अगरचे वह तुझ से मीठी मीठी बातें करें।
Denn selbst deine Verwandten und deine Familie - auch sie sind treulos gegen dich, auch sie haben dir aus vollem Halse nachgeschrieen; traue ihnen nicht, wenn sie Freundliches zu dir reden!
7 मैंने अपने लोगों को छोड़ दिया, मैंने अपनी मीरास को रद्द कर दिया, मैंने अपने दिल की महबूबा को उसके दुश्मनों के हवाले किया।
Preisgegeben habe ich mein Haus, verstoßen mein Eigentum; was mir das Liebste ist, habe ich in die Gewalt seiner Feinde dahingegeben.
8 मेरी मीरास मेरे लिए जंगली शेर बन गई, उसने मेरे ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बलन्द की; इसलिए मुझे उससे नफ़रत है।
Mein Eigentum ward für mich gleich einem Löwen im Wald: es erhob ein Gebrüll wider mich, deshalb hasse ich es!
9 क्या मेरी मीरास मेरे लिए अबलक़ शिकारी परिन्दा है? क्या शिकारी परिन्दे उसको चारों तरफ़ घेरे हैं? आओ, सब जंगली जानवरों को जमा' करो; उनको लाओ कि वह खा जाएँ।
Ist denn mein Eigentum nicht für mich wie ein bunter Vogel? Sammeln sich nicht schon die Vögel von allen Seiten wider es? Wohlan! versammelt alle Tiere des Feldes, laßt sie herbeikommen zum Fraße!
10 बहुत से चरवाहों ने मेरे ताकिस्तान को ख़राब किया, उन्होंने मेरे हिस्से को पामाल किया, मेरे दिल पसन्द हिस्से को उजाड़ कर वीरान बना दिया।
Zahlreiche Hirten haben meinen Weinberg verwüstet, mein Grundstück zertreten, haben das Grundstück, das meine Lust war, zur wüsten Trift gemacht.
11 उन्होंने उसे वीरान किया, वह वीरान होकर मुझसे फ़रयादी है। सारी ज़मीन वीरान हो गई तो भी कोई इसे ख़ातिर में नहीं लाता,
Zur Wüstenei hat man es gemacht, es trauert vor mir verwüstet; verwüstet ist das ganze Land, weil sich's niemand zu Herzen gehen läßt.
12 वीराने के सब पहाड़ों पर ग़ारतगर आ गए हैं; क्यूँकि ख़ुदावन्द की तलवार मुल्क के एक सिरे से दूसरे सिरे तक निगल जाती है और किसी बशर को सलामती नहीं।
Über alle kahlen Höhen in der Trift sind Verwüster gekommen; denn ein Schwert hat Jahwe, das von einem Ende des Landes bis zum anderen frißt, da bleibt keins von allen Geschöpfen unversehrt.
13 उन्होंने गेहूँ बोया, लेकिन काँटे जमा' किये उन्होंने मशक़्क़त खींची लेकिन फ़ायदा न उठाया; ख़ुदावन्द के बहुत ग़ुस्से की वजह से अपने अंजाम से शर्मिन्दा हो।
Sie haben Weizen gesät, aber Dornen geerntet; sie haben sich abgeplagt, ohne Nutzen davon zu haben, und so sollt ihr denn zu Schanden werden mit euren Erträgnissen durch die Zornglut Jahwes.
14 मेरे सब शरीर पड़ोसियों के ख़िलाफ़ ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है, देख, जिन्होंने उस मीरास को छुआ जिसका मैंने अपनी क़ौम इस्राईल को वारिस किया, मैं उनको उनकी सरज़मीन से उखाड़ डालूँगा और यहूदाह के घराने को उनके बीच से निकाल फेकूँगा।
So spricht Jahwe - über alle meine bösen Nachbarn, die das Eigentum, das ich meinem Volk Israel zu eigen gab, antasteten: Fürwahr, ich will sie hinwegreißen von ihrem Boden und will das Haus Juda aus ihrer Mitte herausreißen!
15 और इसके बाद कि मैं उनको उखाड़ डालूँगा, यूँ होगा कि मैं फिर उन पर रहम करूँगा और हर एक को उसकी मीरास में और हर एक को उसकी ज़मीन में फिर लाऊँगा;
Darnach aber, nachdem ich sie hinweggerissen habe, will ich mich ihrer wieder erbarmen und will sie heimbringen, einen jeden in seinen Besitz und einen jeden in sein Land.
16 और यूँ होगा कि अगर वह दिल लगा कर मेरे लोगों के तरीके़ सीखेंगे, कि मेरे नाम की क़सम खाएँ कि ख़ुदावन्द ज़िन्दा है। जैसा कि उन्होंने मेरे लोगों को सिखाया कि बा'ल की क़सम खाएँ, तो वह मेरे लोगों में शामिल होकर क़ाईम हो जाएँगे'।
Wenn sie sich alsdann an die Weise meines Volks gewöhnen werden, daß sie bei meinem Namen schwören: So wahr Jahwe lebt! gleichwie sie mein Volk daran gewöhnt haben, beim Baal zu schwören, sollen sie inmitten meines Volkes aufgebaut werden;
17 लेकिन अगर वह शर्मिंदा न होंगे, तो मैं उस क़ौम को बिल्कुल उखाड़ डालूँगा और हलाक — ओ — बर्बाद कर दूँगा ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
wenn sie aber nicht hören, werde ich selbiges Volk ganz und gar ausreißen und vertilgen - ist der Spruch Jahwes.

< यर्म 12 >