< याकूब 5 >

1 ऐ, दौलतमन्दों ज़रा सुनो; तुम अपनी मुसीबतों पर जो आने वाली हैं रोओ; और मातम करो;
हे धनवानों, सुनो, तुम अपनो आवन वाली विपत्तियों पर रोवो अऊर ऊचो आवाज सी विलाप करो।
2 तुम्हारा माल बिगड़ गया और तुम्हारी पोशाकों को कीड़ा खा गया।
तुम्हरो धन सड़ गयो हय अऊर तुम्हरो कपड़ा ख कीड़ा खाय गयो हंय।
3 तुम्हारे सोने चाँदी को ज़ँग लग गया और वो ज़ँग तुम पर गवाही देगा और आग की तरह तुम्हारा गोश्त खाएगा; तुम ने आख़िर ज़माने में ख़ज़ाना जमा किया है।
तुम्हरो सोना-चांदी म जंग लग गयो हय; अऊर ऊ जंग तुम पर गवाही देयेंन, अऊर आगी को जसो तुम्हरो मांस खाय जायेंन। तुम न आखरी युग म धन जमा करयो हय।
4 देखो जिन मज़दूरों ने तुम्हारे खेत काटे उनकी वो मज़दूरी जो तुम ने धोखा करके रख छोड़ी चिल्लाती है और फ़सल काटने वालों की फ़रियाद रब्ब'उल अफ़्वाज के कानों तक पहुँच गई है।
देखो, जिन मजूरों न तुम्हरो खेत काट्यो, उनकी वा मजूरी जो तुम न धोका दे क रख लियो हय चिल्लाय रही हय, अऊर काटन वालो की दुवा सर्वशक्तिमान प्रभु को कानो तक पहुंच गयी हय।
5 तुम ने ज़मीन पर ऐश'ओ — अशरत की और मज़े उड़ाए तुम ने अपने दिलों को ज़बह के दिन मोटा ताज़ा किया।
तुम धरती पर सुखविलास म लग्यो रह्यो अऊर बड़ोच सुख भोग्यो; तुम न यो वध को दिन लायी अपनो दिल को पालन-पोषन कर क् ओख मोटो-ताजो करयो।
6 तुम ने रास्तबाज़ शख़्स को क़ुसूरवार ठहराया और क़त्ल किया वो तुम्हारा मुक़ाबिला नहीं करता।
तुम न सच्चो ख दोषी ठहराय क मार डाल्यो, ऊ तुम्हरो सामना नहीं करय।
7 पस, ऐ भाइयों; ख़ुदावन्द की आमद तक सब्र करो देखो किसान ज़मीन की क़ीमती पैदावार के इन्तज़ार में पहले और पिछले बारिश के बरसने तक सब्र करता रहता है।
येकोलायी हे भाऊवों अऊर बहिनों, प्रभु को आगमन तक धीरज रखो। देखो, किसान जमीन की किमती फसल की आशा रखतो हुयो पहिली अऊर आखरी बारीश होन तक धीरज सी बाट देखतो रह्य हय।
8 तुम भी सब्र करो और अपने दिलों को मज़बूत रखो, क्यूँकि ख़ुदावन्द की आमद क़रीब है।
तुम भी धीरज रखो; अऊर अपनी आशा ख बनायो रखो, कहालीकि प्रभु को आगमन जवर हय।
9 ऐ, भाइयों! एक दूसरे की शिकायत न करो ताकि तुम सज़ा न पाओ, देखो मुन्सिफ़ दरवाज़े पर खड़ा है।
हे भाऊवों अऊर बहिनों, एक दूसरों को प्रति शिकायत मत करो, ताकि परमेश्वर तुम्हरो न्याय नहीं करे। देखो, शासक प्रगट होन पर हय।
10 ऐ, भाइयों! जिन नबियों ने ख़ुदावन्द के नाम से कलाम किया उनको दु: ख उठाने और सब्र करने का नमूना समझो।
हे भाऊवों अऊर बहिनों, जिन भविष्यवक्तावों न प्रभु को नाम सी बाते करी, उन ख दु: ख उठावन को समय उन्को धीरज को आदर्श समझो।
11 देखो सब्र करने वालों को हम मुबारिक़ कहते हैं; तुम ने अय्यूब के सब्र का हाल तो सुना ही है और ख़ुदावन्द की तरफ़ से जो इसका अन्जाम हुआ उसे भी मा'लूम कर लिया जिससे ख़ुदावन्द का बहुत तरस और रहम ज़ाहिर होता है।
देखो, हम धीरज धरन वालो उन भविष्यवक्तावों ख धन्य कहजे हंय। तुम न अय्युब को धीरज को बारे म त सुन्योच हय, अऊर प्रभु को तरफ सी जो ओको प्रतिफल भयो ओख भी जान लियो हय, जेकोसी प्रभु की अत्यन्त करुना अऊर दया प्रगट होवय हय।
12 मगर ऐ, मेरे भाइयों; सब से बढ़कर ये है क़सम न खाओ, न आसमान की न ज़मीन की न किसी और चीज़ की बल्कि हाँ की जगह हाँ करो और नहीं की जगह नहीं ताकि सज़ा के लायक़ न ठहरो।
पर हे मोरो भाऊवों अऊर बहिनों, सब सी अच्छी बात या हय कि कसम मत खाजो, नहीं स्वर्ग की, नहीं धरती की, नहीं कोयी अऊर चिज की; पर तुम्हरी बातचीत हव की हव, अऊर नहीं की नहीं हो, कि तुम परमेश्वर को न्याय को लायक नहीं ठहरो।
13 अगर तुम में कोई मुसीबत ज़दा हो तो दुआ करे, अगर ख़ुश हो तो हम्द के गीत गाए।
तुम म कोयी विपत्ति म पड़्यो हय? त उन्न प्रार्थना करनो चाहिये। का तुम म कोयी खुश हय, त उन न स्तुति को भजन गानो चाहिये।
14 अगर तुम में कोई बीमार हो तो कलीसिया के बुज़ुर्गों को बुलाए और वो ख़ुदावन्द के नाम से उसको तेल मलकर उसके लिए दु: आ करें।
का तुम म कोयी रोगी हय? त उन्ख चाहिये कि मण्डली को बुजूर्गों ख बुलाये कि हि प्रार्थना करे उन पर प्रभु को नाम सी तेल मले,
15 जो दु: आ ईमान के साथ होगी उसके ज़रिए बीमार बच जाएगा; और ख़ुदावन्द उसे उठा कर खड़ा करेगा, और अगर उसने गुनाह किए हों, तो उनकी भी मु'आफ़ी हो जाएगी।
अऊर विश्वास की प्रार्थना को द्वारा रोगी बच जायेंन अऊर प्रभु ओख फिर सी स्वस्थ शरीर प्रदान करेंन; अऊर यदि ओन पाप भी करयो होना, त उन्की भी माफी होय जायेंन।
16 पस तुम आपस में एक दूसरे से अपने अपने गुनाहों का इक़रार करो और एक दूसरे के लिए दु: आ करो ताकि शिफ़ा पाओ रास्तबाज़ की दु: आ के असर से बहुत कुछ हो सकता है।
येकोलायी तुम आपस म एक दूसरों को आगु अपनो-अपनो पापों ख मान लेवो, अऊर एक दूसरों को लायी प्रार्थना करो, जेकोसी चंगो होय जावो: सच्चो लोग की प्रार्थना सामर्थीकारक अऊर प्रभावशाली होवय हय।
17 एलियाह हमारी तरह इंसान था, उसने बड़े जोश से दु: आ की कि पानी न बरसे, चुनाँचे साढ़े तीन बरस तक ज़मीन पर पानी न बरसा।
एलिय्याह भी त हमरो जसो दु: ख-सुख भोग्यो आदमी होतो; अऊर ओन गिड़गिड़ाय क प्रार्थना करी कि पानी नहीं बरसे; अऊर साढ़े तीन साल तक धरती पर पानी नहीं बरस्यो।
18 फिर उसी ने दु: आ की तो आसमान से पानी बरसा और ज़मीन में पैदावार हुई।
तब ओन प्रार्थना करी, त आसमान सी बरसात भयी, अऊर धरती फलवन्त भयी।
19 ऐ, मेरे भाइयों! अगर तुम में कोई राहे हक़ से गुमराह हो जाए और कोई उसको वापस लाए।
हे मोरो भाऊवों अऊर बहिनों, यदि तुम म कोयी सच को रस्ता सी भटक जाये अऊर कोयी ओख फिर सी लाये,
20 तो वो ये जान ले कि जो कोई किसी गुनाहगार को उसकी गुमराही से फेर लाएगा; वो एक जान को मौत से बचा लेगा और बहुत से गुनाहों पर पर्दा डालेगा।
त ऊ यो जान ले कि जो कोयी कोयी भटक्यो हुयो पापी ख ओको गलत रस्ता सी फिर सी लाये, ऊ पापी को जीव ख मरन सी बचायेंन अऊर ओको कुछ पापों ख माफी करयो जान को कारण बनेंन।

< याकूब 5 >