< यसा 60 >

1 उठ मुनव्वर हो क्यूँकि तेरा नूर आगया और ख़ुदावन्द का जलाल तुझ पर ज़ाहिर हुआ।
Surge illuminare Ierusalem: quia venit lumen tuum, et gloria Domini super te orta est.
2 क्यूँकि देख, तारीकी ज़मीन पर छा जाएगी और तीरगी उम्मतों पर; लेकिन ख़ुदावन्द तुझ पर ताले' होगा और उसका जलाल तुझ पर नुमायाँ होगा।
Quia ecce tenebrae operient terram, et caligo populos: super te autem orietur Dominus, et gloria eius in te videbitur.
3 और क़ौमें तेरी रोशनी की तरफ़ आयेंगी और सलातीन तेरे तुलू की तजल्ली में चलेंगे।
Et ambulabunt Gentes in lumine tuo, et reges in splendore ortus tui.
4 अपनी आँखें उठाकर चारों तरफ़ देख, वह सब के सब इकट्ठे होते हैं और तेरे पास आते हैं; तेरे बेटे दूर से आएँगे और तेरी बेटियों को गोद में उठाकर लाएँगे।
Leva in circuitu oculos tuos, et vide: omnes isti congregati sunt, venerunt tibi: filii tui de longe venient, et filiae tuae de latere surgent.
5 तब तू देखेगी और मुनव्वर होगी; हाँ, तेरा दिल उछलेगा और कुशादा होगा क्यूँकि समन्दर की फ़िरावानी तेरी तरफ फिरेगी और क़ौमों की दौलत तेरे पास फ़राहम होगी।
Tunc videbis, et afflues, mirabitur et dilatabitur cor tuum quando conversa fuerit ad te multitudo maris, fortitudo Gentium venerit tibi:
6 ऊँटों की कतारें और मिदयान और 'ऐफ़ा की सांडनियाँ आकर तेरे गिर्द बेशुमार होंगी; वह सब सबा से आएँगे, और सोना और लुबान लायेंगे और ख़ुदावन्द की हम्द का 'ऐलान करेंगे।
Inundatio camelorum operiet te, dromedarii Madian et Epha: omnes de Saba venient, aurum et thus deferentes, et laudem Domino annunciantes.
7 क़ीदार की सब भेड़ें तेरे पास जमा' होंगी, नबायोत के मेंढे तेरी ख़िदमत में हाज़िर होंगे; वह मेरे मज़बह पर मक़बूल होंगे और मैं अपनी शौकत के घर को जलाल बख़्शूँगा।
Omne pecus Cedar congregabitur tibi, arietes Nabaioth ministrabunt tibi: offerentur super placabili altari meo, et domum maiestatis meae glorificabo.
8 ये कौन हैं जो बादल की तरह उड़े चले आते हैं, और जैसे कबूतर अपनी काबुक की तरफ़?
Qui sunt isti, qui ut nubes volant, et quasi columbae ad fenestras suas?
9 यक़ीनन जज़ीरे मेरी राह देखेंगे, और तरसीस के जहाज़ पहले आएँगे कि तेरे बेटों को उनकी चाँदी और उनके सोने के साथ दूर से ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा और इस्राईल के क़ुददूस के नाम के लिए लाएँ; क्यूँकि उसने तुझे बुज़ुर्गी बख़्शी है।
Me enim insulae expectant, et naves maris in principio ut adducam filios tuos de longe: argentum eorum, et aurum eorum cum eis nomini Domini Dei tui, et sancto Israel, qui glorificavit te.
10 और बेगानों के बेटे तेरी दीवारें बनाएँगे और उनके बादशाह तेरी ख़िदमत गुज़ारी करेंगे अगरचे मैंने अपने क़हर से तुझे मारा पर अपनी महरबानी से मैं तुझ पर रहम करूँगा।
Et aedificabunt filii peregrinorum muros tuos, et reges eorum ministrabunt tibi: in indignatione enim mea percussi te: et in reconciliatione mea misertus sum tui.
11 और तेरे फाटक हमेशा खुले रहेंगे, वह दिन रात कभी बन्द न होंगे; ताकि क़ौमों की दौलत और उनके बादशाहों को तेरे पास लाएँ।
Et aperientur portae tuae iugiter: die ac nocte non claudentur, ut afferatur ad te fortitudo Gentium, et reges earum adducantur.
12 क्यूँकि वह क़ौम और वह ममलुकत जो तेरी ख़िदमत गुज़ारी न करेगी, बर्बाद हो जाएगी; हाँ, वह क़ौमें बिल्कुल हलाक की जाएँगी।
Gens enim et regnum, quod non servierit tibi, peribit: et Gentes solitudine vastabuntur.
13 लुबनान का जलाल तेरे पास आएगा, सरौ और सनौबर और देवदार सब आएँगे ताकि मेरे घर को आरास्ता करें; और मैं अपने पाँव की कुर्सी को रौनक़ बख़्शूँगा।
Gloria Libani ad te veniet, abies et buxus, et pinus simul ad ornandum locum sanctificationis meae, et locum pedum meorum glorificabo.
14 और तेरे ग़ारत गरों के बेटे तेरे सामने झुकते हुए आयेंगे और तेरी तहक़ीर करने वाले सब तेरे कदमों पर गिरेंगे; और वह तेरा नाम ख़ुदावन्द का शहर, इस्राईल के क़ुददूस का सिय्यून रखेंगे।
Et venient ad te curvi filii eorum, qui humiliaverunt te, et adorabunt vestigia pedum tuorum omnes, qui detrahebant tibi, et vocabunt te Civitatem Domini, Sion sancti Israel.
15 इसलिए कि तू तर्क की गई और तुझसे नफ़रत हुई ऐसा कि किसी आदमी ने तेरी तरफ़ गुज़र भी न किया मैं तुझे हमेशा की फ़ज़ीलत और नसल दर नसल की ख़ुशी का ज़रिया' बनाऊंगा।
Pro eo quod fuisti derelicta, et odio habita, et non erat qui per te transiret, ponam te in superbiam saeculorum, gaudium in generatione et generationem:
16 तू क़ौमों का दूध भी पी लेगी; हाँ बादशाहों की छाती चूसेगी और तू जानेगी कि मैं ख़ुदावन्द तेरा नजात देनेवाला और या'क़ूब का क़ादिर तेरा फ़िदिया देने वाला हूँ।
et suges lac Gentium, et mamilla regum lactaberis: et scies quia ego Dominus salvans te, et redemptor tuus fortis Iacob.
17 मैं पीतल के बदले सोना लाऊँगा, और लोहे के बदले चाँदी और लकड़ी के बदले पीतल और पत्थरों के बदले लोहा; और मैं तेरे हाकिमों को सलामती, और तेरे 'आमिलों को सदाक़त बनाऊँगा
Pro aere afferam aurum, et pro ferro afferam argentum: et pro lignis aes, et pro lapidibus ferrum: et ponam visitationem tuam pacem, et praepositos tuos iustitiam.
18 फिर कभी तेरे मुल्क में ज़ुल्म का ज़िक्र न होगा, और न तेरी हदों के अन्दर ख़राबी या बर्बादी का; बल्कि तू अपनी दीवारों का नाम नजात और अपने फाटकों का हम्द रख्खेगी।
Non audietur ultra iniquitas in terra tua, vastitas et contritio in terminis tuis, et occupabit salus muros tuos, et portas tuas laudatio.
19 फिर तेरी रोशनी न दिन को सूरज से होगी न चाँद के चमकने से, बल्कि ख़ुदावन्द तेरा हमेशा का नूर और तेरा ख़ुदा तेरा जलाल होगा।
Non erit tibi amplius sol ad lucendum per diem, nec splendor lunae illuminabit te: sed erit tibi Dominus in lucem sempiternam, et Deus tuus in gloriam tuam.
20 तेरा सूरज फिर कभी न ढलेगा और तेरे चाँद को ज़वाल न होगा, क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरा हमेशा का नूर होगा और तेरे मातम के दिन ख़त्म हो जाएँगे।
Non occidet ultra sol tuus, et luna tua non minuetur: quia erit tibi Dominus in lucem sempiternam, et complebuntur dies luctus tui.
21 और तेरे लोग सब के सब रास्तबाज़ होंगे; वह हमेशा तक मुल्क के वारिस होंगे, या'नी मेरी लगाई हुई शाख़ और मेरी दस्तकारी ठहरेंगे ताकि मेरा जलाल ज़ाहिर हो।
Populus autem tuus omnes iusti, in perpetuum hereditabunt terram, germen plantationis meae, opus manus meae ad glorificandum.
22 सबसे छोटा एक हज़ार हो जाएगा और सबसे हक़ीर एक ज़बरदस्त क़ौम। मैं ख़ुदावन्द ठीक वक़्त पर ये सब कुछ जल्द करूँगा।
Minimus erit in mille, et parvulus in gentem fortissimam: ego Dominus in tempore eius subito faciam istud.

< यसा 60 >