< यसा 58 >
1 गला फाड़ कर चिल्ला दरेग़ न कर नरसिंगे की तरह अपनी आवाज़ बलन्द कर, और मेरे लोगों पर उनकी ख़ता और या'क़ूब के घराने पर उनके गुनाहों को ज़ाहिर कर।
Crie à plein gosier, ne te ménage point! Comme le cor fais retentir ta voix! Et expose à mon peuple son iniquité, à la maison de Jacob ses péchés.
2 वह रोज़ — ब — रोज़ मेरे तालिब हैं और उस क़ौम की तरह जिसने सदाक़त के काम किए और अपने ख़ुदा के अहकाम को तर्क न किया, मेरी राहों को दरियाफ़्त करना चाहते हैं; वह मुझ से सदाक़त के अहकाम तलब करते हैं, वह ख़ुदा की नज़दीकी चाहते हैं।
Jour par jour ils s’adressent à moi et manifestent le désir de connaître mes voies; à la façon d’un peuple pratiquant la justice, qui n’aurait jamais trahi la loi de son Dieu, ils me demandent des règles de justice, ils sollicitent la présence de Dieu.
3 वह कहते है, 'हम ने किस लिए रोज़े रख्खे, जब कि तू नज़र नहीं करता; और हम ने क्यूँ अपनी जान को दुख दिया, जब कि तू ख़याल में नहीं लाता? देखो, तुम अपने रोज़े के दिन में अपनी ख़ुशी के तालिब रहते हो, और सब तरह की सख़्त मेहनत लोगों से कराते हो।
"Pourquoi jeûnons-nous, sans que tu t’en aperçoives? Mortifions-nous notre personne, sans que tu le remarques?" C’Est qu’au jour de votre jeûne, vous poursuivez vos intérêts et tyrannisez vos débiteurs.
4 देखो, तुम इस मक़सद से रोज़ा रखते हो कि झगड़ा — रगड़ा करो, और शरारत के मुक्के मारो; फ़िर अब तुम इस तरह का रोज़ा नहीं रखते हो कि तुम्हारी आवाज़ 'आलम — ए — बाला पर सुनी जाए।
Oui, vous jeûnez pour fomenter querelles et dissensions, pour frapper d’un poing brutal; vous ne jeûnez point à l’heure présente pour que votre voix soit entendue là-haut.
5 क्या ये वह रोज़ा है जो मुझ को पसन्द है? ऐसा दिन कि उसमें आदमी अपनी जान को दुख दे और अपने सिर को झाऊ की तरह झुकाए, और अपने नीचे टाट और राख बिछाए; क्या तू इसको रोज़ा और ऐसा दिन कहेगा जो ख़ुदावन्द का मक़बूल हो?
Est-ce là un jeûne qui peut m’être agréable, un jour où l’homme se mortifie lui-même? Courber la tête comme un roseau, se coucher sur le cilice et la cendre, est-ce là ce que tu appelles un jeûne, un jour bienvenu de l’Eternel?
6 “क्या वह रोज़ा जो मैं चाहता हूँ ये नहीं कि ज़ुल्म की ज़ंजीरें तोड़ें और जूए के बन्धन खोलें, और मज़लूमों को आज़ाद करें बल्कि हर एक जूए को तोड़ डालें?
Mais voici le jeûne que j’aime: c’est de rompre les chaînes de l’injustice, de dénouer les liens de tous les jougs, de renvoyer libres ceux qu’on opprime, de briser enfin toute servitude;
7 क्या ये नहीं कि तू अपनी रोटी भूकों को खिलाए, और ग़रीबों को जो आवारा हैं अपने घर में लाए; और जब किसी को नंगा देखे तो उसे पहिनाए, और तू अपने हमजिन्स से रूपोशी न करे?
puis encore, de partager ton pain avec l’affamé, de recueillir dans ta maison les malheureux sans asile; quand tu vois un homme nu, de le couvrir, de ne jamais te dérober à ceux qui sont comme ta propre chair!
8 तब तेरी रोशनी सुबह की तरह फूट निकलेगी और तेरी सेहत की तरक्की जल्द जाहिर होगी; तेरी सदाक़त तेरी हरावल होगी और ख़ुदावन्द का जलाल तेरा चन्डावल होगा।
C’Est alors que ta lumière poindra comme l’aube, que ta guérison sera prompte à éclore; ta vertu marchera devant toi, et derrière toi la majesté de l’Eternel fermera la marche.
9 तब तू पुकारेगा और ख़ुदावन्द जवाब देगा, तू चिल्लाएगा और वह फ़रमाएगा, 'मैं यहाँ हूँ।” अगर तू उस जूए को और उंगलियों से इशारा करने की, और हरज़ागोई को अपने बीच से दूर करेगा,
Alors tu appelleras et le Seigneur répondra, tu supplieras et il dira: "Me voici!" Oui, si tu bannis de ton sein toute oppression, le geste violent et la parole malfaisante,
10 और अगर तू अपने दिल को भूके की तरफ़ माइल करे और आज़ुर्दा दिल को आसूदा करे, तो तेरा नूर तारीकी में चमकेगा और तेरी तीरगी दोपहर की तरह हो जाएगी।
si tu témoignes ta bienveillance à l’affamé et rassasies celui qui est torturé par le besoin, ta lumière brillera au milieu des ténèbres, et ta nuit sera comme le plein midi.
11 और ख़ुदावन्द हमेशा तेरी रहनुमाई करेगा, और ख़ुश्क साली में तुझे सेर करेगा और तेरी हड्डियों को कु़व्वत बख़्शेगा; तब तू सेराब बाग़ की तरह होगा और उस चश्मे की तरह जिसका पानी कम न हो।
Et constamment l’Eternel te guidera, il prodiguera à ton âme des jouissances pures, et fortifiera tes membres; et tu seras comme un jardin bien arrosé, comme une source jaillissante, dont les eaux ne causent aucune déception.
12 और तेरे लोग पुराने वीरान मकानों को ता'मीर करेंगे, और तू पुश्त — दर — पुश्त की बुनियादों को खड़ा करेगा, और तू रख़ने का बन्द करनेवाला और आबादी के लिए राह का दुरुस्त करने वाला कहलाएगा।
On restaurera, grâce à toi, les ruines antiques, tu relèveras des fondations qui datent des siècles passés, et tu seras proclamé le réparateur des brèches, le restaurateur des routes désormais populeuses.
13 “अगर तू सबत के रोज़ अपना पाँव रोक रख्खे, और मेरे मुक़द्दस दिन में अपनी ख़ुशी का तालिब न हो, और सबत को राहत और ख़ुदावन्द का मुक़द्दस और मु'अज़्ज़म कहे और उसकी ता'ज़ीम करे, अपना कारोबार न करे, और अपनी ख़ुशी और बेफ़ाइदा बातों से दस्तबरदार रहे;
Si tu cesses de fouler aux pieds le sabbat, de vaquer à tes affaires en ce jour qui m’est consacré, si tu considères le sabbat comme un délice, la sainte journée de l’Eternel comme digne de respect, si tu le tiens en honneur en t’abstenant de suivre tes voies ordinaires, de t’occuper de tes intérêts et d’en faire le sujet de tes entretiens,
14 तब तू ख़ुदावन्द में मसरूर होगा और मैं तुझे दुनिया की बलन्दियों पर ले चलूँगा, और मैं तुझे तेरे बाप या'क़ूब की मीरास से खिलाऊँगा; क्यूँकि ख़ुदावन्द ही के मुँह से ये इरशाद हुआ है।”
alors tu te délecteras dans le Seigneur et je te ferai dominer sur les hauteurs de la terre et jouir—de l’héritage de ton aïeul Jacob… C’Est la bouche de l’Eternel qui l’a dit.