< यसा 44 >

1 “लेकिन अब ऐ या'क़ूब, मेरे ख़ादिम और इस्राईल, मेरे बरगुज़ीदा, सुन!
Or, écoute, Jacob, ô mon serviteur! Israël, toi mon élu!
2 ख़ुदावन्द तेरा ख़ालिक़ जिसने रहम ही से तुझे बनाया और तेरी मदद करेगा, यूँ फ़रमाता है: कि ऐ या'क़ूब, मेरे ख़ादिम और यसूरून मेरे बरगुज़ीदा, ख़ौफ़ न कर!
Ainsi parle l’Eternel, ton auteur, qui t’a formé dès le sein maternel, et qui sera ton appui: "Sois sans crainte, ô mon serviteur Jacob, Yechouroun, mon élu!
3 क्यूँकि मैं प्यासी ज़मीन पर पानी उँडेलूँगा, और ख़ुश्क ज़मीन में नदियाँ जारी करूँगा; मैं अपनी रूह तेरी नस्ल पर और अपनी बरकत तेरी औलाद पर नाज़िल करूँगा
Car je veux répandre de l’eau sur le sol altéré, des rivières sur la terre aride; je veux répandre mon esprit sur ta postérité et ma bénédiction sur tes descendants.
4 और वह घास के बीच उगेंगे, जैसे बहते पानी के किनारे पर बेद हो।
Ils pousseront à travers les herbages comme les saules au bord des eaux courantes.
5 एक तो कहेगा, 'मैं ख़ुदावन्द का हूँ, और दूसरा अपने आपको या'क़ूब के नाम का ठहराएगा, और तीसरा अपने हाथ पर लिखेगा, 'मैं ख़ुदावन्द का हूँ,' और अपने आपको इस्राईल के नाम से मुलक़्क़ब करेगा।”
L’Un dira: "Je suis à l’Eternel," l’autre se réclamera du nom de Jacob; tel signera de sa main pour le Seigneur et se fera gloire du nom d’Isràël.
6 ख़ुदावन्द, इस्राईल का बादशाह और उसका फिदया देने वाला रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है, कि “मैं ही अव्वल और मैं ही आख़िर हूँ; और मेरे सिवा कोई ख़ुदा नहीं।
Ainsi parle l’Eternel, roi et libérateur d’Israël, l’Eternel-Cebaot: "Je suis le premier, je suis le dernier, hors moi point de Dieu!
7 और जब से मैंने पुराने लोगों की बिना डाली, कौन मेरी तरह बुलाएगा और उसको बयान करके मेरे लिए तरतीब देगा? हाँ, जो कुछ हो रहा है और जो कुछ होने वाला है, उसका बयान करे।
Qui est comme moi? Qu’il proclame, qu’il expose qu’il me déduise les faits, depuis que j’ai fondé les races primitives; et les faits prochains et ceux de l’avenir, qu’il les annonce!
8 तुम न डरो, और परेशान न हो; क्या मैंने पहले ही से तुझे ये नहीं बताया और ज़ाहिर नहीं किया? तुम मेरे गवाह हो। क्या मेरे 'अलावाह कोई और ख़ुदा है? नहीं, कोई चट्टान नहीं; मैं तो कोई नहीं जानता।”
Ne craignez rien, ne vous alarmez point: ne vous l’ai-je pas dès longtemps appris et révélé, et n’êtes-vous pas mes témoins? Est-il un Dieu autre que moi, un Rocher protecteur sans mon aveu?
9 खोदी हुई मूरतों के बनानेवाले, सबके सब बेकार हैं और उनकी पसंदीदा चीज़ें बे नफ़ा; उन ही के गवाह देखते नहीं और समझते नहीं, ताकि पशेमाँ हों।
Les fabricants d’images sculptées sont tous néant, et leurs beaux ouvrages ne servent de rien; eux-mêmes en sont témoins, mais ils ne voient ni ne comprennent, aussi seront-ils confondus.
10 किसने कोई बुत ख़ुदा के नाम से बनाया या कोई मूरत ढाली जिससे कुछ फ़ाइदा हो?
Qui donc va façonner un dieu, mouler une statue, incapables de se rendre utiles?
11 देख, उसके सब साथी शर्मिन्दा होंगे क्यूँकि बनानेवाले तो इंसान हैं; वह सब के सब जमा' होकर खड़े हों, वह डर जाएँगे, वह सब के सब शर्मिन्दा होंगे।
Certes tous ses adeptes seront confondus, les artisans eux-mêmes ne sont que des mortels. Qu’ils s’assemblent tous, qu’ils comparaissent! Ils seront terrifiés et confondus ensemble.
12 लुहार कुल्हाड़ा बनाता है और अपना काम अंगारों से करता है, और उसे हथौड़ों से दुरुस्त करता और अपने बाज़ू की क़ुव्वत से गढ़ता है; हाँ वह भूका हो जाता हैं और उसका ज़ोर घट जाता है वह पानी नहीं पीता और थक जाता है।
L’Ouvrier qui travaille le fer manie une hache, attise les charbons, façonne la chose à coups de marteau; il y dépense toute la force de son bras, endure et la faim qui l’exténue et la soif qui l’épuise.
13 बढ़ई सूत फैलाता है और नुकेले हथियार से उसकी सूरत खींचता है, वह उसको रंदे से साफ़ करता है और परकार से उस पर नक़्श बनाता है; वह उसे इंसान की शक्ल बल्कि आदमी की ख़ूबसूरत शबीह बनाता है, ताकि उसे घर में खड़ा करें।
L’Ouvrier qui travaille le bois étend le cordeau, dessine l’idole avec la craie, la polit avec le rabot et la proportionne à l’aide du compas; il la modèle d’après la forme humaine, magnifique simulacre d’homme, pour être à demeure fixe dans la maison!
14 वह देवदारों को अपने लिए काटता है और क़िस्म — क़िस्म के बलूत को लेता है, और जंगल के दरख़्तों से जिसको पसन्द करता है; वह सनोबर का दरख़्त लगाता है और मेंह उसे सींचता है।
Il s’est coupé des cèdres, il a pris un rouvre et un chêne, en les choisissant vigoureux parmi les arbres de la forêt; il a planté des pins, que la pluie fait grandir.
15 तब वह आदमी के लिए ईधन होता है; वह उसमें से कुछ सुलगाकर तापता है, वह उसको जलाकर रोटी पकाता है, बल्कि उससे बुत बना कर उसको सिज्दा करता वह खोदी हुई मूरत ख़ुदा के नाम से बनाता है और उसके आगे मुँह के बल गिरता है।
Tout cela sert à l’homme de combustible; il en prend une partie pour se chauffer, une autre pour allumer le feu qui doit faire cuire son pain; puis encore il fait un dieu et tombe à genoux, en taille une idole et se courbe devant elle!
16 उसका एक टुकड़ा लेकर आग में जलाता है, और उसी के एक टुकड़े पर गोश्त कबाब करके खाता और सेर होता है; फिर वह तापता और कहता है, “अहा, मैं गर्म हो गया, मैंने आग देखी!”
La moitié donc, il la livre au feu; sur cette moitié il met rôtir sa viande, la mange et s’en rassasie; ou bien il s’y chauffe et dit: "Ah! la bonne chaleur! Je sens la flamme!"
17 फिर उसकी बाक़ी लकड़ी से देवता या'नी खोदी हुई मूरत बनाता है, और उसके आगे मुँह के बल गिर जाता है और उसे सिज्दा करता है और उससे इल्तिजा करके कहता है “मुझे नजात दे, क्यूँकि तू मेरा ख़ुदा है!”
Et puis le reste, il en fait un dieu, son idole; il l’adore, il se prosterne, il lui adresse des prières et s’écrie: "Protège-moi, car, tu es mon Dieu!"
18 वह नहीं जानते और नहीं समझते; क्यूँकि उनकी आँखें बन्द हैं तब वह देखते नहीं, और उनके दिल सख़्त हैं लेकिन वह समझते नहीं।
Ils ne savent pas, ils ne comprennent pas! Non, leur œil est trop obtus pour voir, leur cœur pour comprendre.
19 बल्कि कोई अपने दिल में नहीं सोचता़ और न किसी को मा'रिफ़त और तमीज़ है कि “मैंने तो इसका एक टुकड़ा आग में जलाया, और मैंने इसके अंगारों पर रोटी भी पकाई, और मैंने गोश्त भूना और खाया; अब क्या मैं इसके बक़िये से एक मकरूह चीज़ बनाऊँ? क्या मैं दरख़्त के कुन्दे को सिज्दा करूँ?”
Pas un ne réfléchit en lui-même, n’a de sens ni de raison pour dire: "J’Ai employé la moitié à faire du feu, et sur ses charbons j’ai cuit le pain, rôti la viande dont je me nourris, et du restant je ferais une impure idole, je rendrais hommage à une souche de bois!"
20 वह राख खाता है; फ़रेबख़ुर्दा ने उसको ऐसा गुमराह कर दिया है कि वह अपनी जान बचा नहीं सकता और नहीं कहता क्या मेरे दहने हाथ में बतालत नहीं?
Il se repaît de cendres, son cœur abusé l’égare, il ne sait pas s’affranchir lui-même en disant: "N’Est-ce pas le mensonge qu’étreint ma main?"
21 ऐ या'क़ूब, ऐ इस्राईल, इन बातों को याद रख; क्यूँकि तू मेरा बन्दा है, मैंने तुझे बनाया है, तू मेरा ख़ादिम है; ऐ इस्राईल, मैं तुझ को फ़रामोश न करूँगा।
Songe à ceci, Jacob, et toi, ô Israël, car tu es mon serviteur; je t’ai formé expressément, toi, pour être mon serviteur: Israël, ne m’oublie pas!
22 मैंने तेरी ख़ताओं को घटा की तरह और तेरे गुनाहों को बादल की तरह मिटा डाला; मेरे पास वापस आ जा, क्यूँकि मैंने तेरा फ़िदिया दिया है।
J’Ai dissipé tes méfaits comme un brouillard et tes péchés comme un nuage. Reviens à moi, je suis ton libérateur.
23 ऐ आसमानो, गाओ कि ख़ुदावन्द ने ये किया, ऐ असफ़ल — ए — ज़मीन, ललकार; ऐ पहाड़ो, ऐ जंगल और उसके सब दरख़्तो, नग़मापरदाज़ी करो! क्यूँकि ख़ुदावन्द ने या'क़ूब का फ़िदिया दिया, और इस्राईल में अपना जलाल ज़ाहिर करेगा।
Chantez, cieux, car l’Eternel a agi; résonnez, profondeurs de la terre; éclatez en cris de joie, montagnes et vous, forêts, avec tous vos arbres! Car l’Eternel a délivré Jacob, et il s’est rendu glorieux en Israël.
24 ख़ुदावन्द तेरा फ़िदिया देनेवाला, जिसने रहम ही से तुझे बनाया यूँ फ़रमाता है, कि मैं ख़ुदावन्द सबका ख़ालिक़ हूँ, मैं ही अकेला आसमान को तानने और ज़मीन को बिछाने वाला हूँ, कौन मेरा शरीक है?
Ainsi parle l’Eternel, ton libérateur, qui t’a formé dès le sein maternel: "Je suis l’Eterne!, L’Auteur de toute chose, je déploie les cieux à moi seul, j’étends la terre, et personne ne me seconde.
25 मैं झूटों के निशान — आत को बातिल करता, और फ़ालगीरों को दीवाना बनाता हूँ और हिकमत वालों को रद्द करता और उनकी हिकमत को हिमाक़त ठहराता हूँ
J’Annule les présages des diseurs de mensonges, je frappe de démence les devins, force les sages de reculer et fais taxer de folie leur science.
26 अपने ख़ादिम के कलाम को साबित करता, और अपने रसूलों की मसलहत को पूरा करता हूँ जो येरूशलेम के ज़रिए' कहता हूँ, कि' वह आबाद हो जाएगा, और यहूदाह के शहरों के ज़रिए', कि' वह ता'मीर किए जाएँगे, और मैं उसके खण्डरों को ता'मीर करूँगा।
J’Accomplis la parole de mon serviteur et fais aboutir le dessein de mes mandataires, je dis de Jérusalem "Elle sera habitée!" et des villes de Juda: "Elles seront rebâties, je relèverai leurs ruines!"
27 जो समन्दर को कहता हूँ, 'सूख जा और मैं तेरी नदियाँ सुखा डालूँगा;
Je dis aux eaux profondes: "Desséchez-vous!" Je tarirai tes fleuves.
28 जो ख़ोरस के हक़ में कहता हूँ, कि वह मेरा चरवाहा है और मेरी मर्ज़ी बिल्कुल पूरी करेगा; और येरूशलेम के ज़रिए' कहता हूँ,' वह ता'मीर किया जाएगा, और हैकल के ज़रिए' कि उसकी बुनियाद डाली जायेगी।
Je dis à Cyrus: "Tu es mon berger!" Lui, il exécutera ma volonté tout entière quand il dira à Jérusalem: "Sois rebâtie!" et au sanctuaire: "Sois fondé!"

< यसा 44 >