< यसा 4 >
1 उस वक़्त सात 'औरतें एक मर्द को पकड़ कर कहेंगी, कि हम अपनी रोटी खाएँगी और अपने कपड़े पहनेंगी; तू हम सबसे सिर्फ़ इतना कर कि तेरे नाम से कहलायें ताकि हमारी शर्मिंदगी मिटे।
et adprehendent septem mulieres virum unum in die illa dicentes panem nostrum comedemus et vestimentis nostris operiemur tantummodo vocetur nomen tuum super nos aufer obprobrium nostrum
2 तब ख़ुदावन्द की तरफ़ से रोएदगी ख़ूबसूरत — ओ — शानदार होगी, और ज़मीन का फल उनके लिए जो बनी — इस्राईल में से बच निकले, लज़ीज़ और ख़ुशनुमा होगा।
in die illa erit germen Domini in magnificentia et in gloria et fructus terrae sublimis et exultatio his qui salvati fuerint de Israhel
3 और यूँ होगा कि जो कोई सिय्यून में छूट जाएगा, और जो कोई येरूशलेम में बाक़ी रहेगा, बल्कि हर एक जिसका नाम येरूशलेम के ज़िन्दों में लिखा होगा, मुक़द्दस कहलाएगा।
et erit omnis qui relictus fuerit in Sion et residuus in Hierusalem sanctus vocabitur omnis qui scriptus est in vita in Hierusalem
4 जब ख़ुदावन्द सिय्यून की बेटियों की गन्दगी को दूर करेगा और येरूशलेम का ख़ून रूह — ए — 'अद्ल और रूह — ए — सोज़ान के ज़रिए' से धो डालेगा।
si abluerit Dominus sordem filiarum Sion et sanguinem Hierusalem laverit de medio eius spiritu iudicii et spiritu ardoris
5 तब ख़ुदावन्द फिर सिय्यून पहाड़ के हर एक मकान पर और उसकी मजलिसगाहों पर, दिन को बादल और धुवाँ और रात को रोशन शोला पैदा करेगा; तमाम जलाल पर एक सायबान होगा।
et creabit Dominus super omnem locum montis Sion et ubi invocatus est nubem per diem et fumum et splendorem ignis flammantis in nocte super omnem enim gloriam protectio
6 और एक ख़ेमा होगा जो दिन को गर्मी में सायादार मकान, और आँधी और झड़ी के वक़्त आरामगाह और पनाह की जगह हो।
et tabernaculum erit in umbraculum diei ab aestu et in securitatem et absconsionem a turbine et a pluvia