< यसा 36 >
1 और हिज़क़ियाह बादशाह की सल्तनत के चौदहवें बरस यूँ हुआ कि शाह — ए — असूर सनहेरिब ने यहूदाह के सब फ़सीलदार शहरों पर चढ़ाई की और उनको ले लिया।
In the fourteenth year of King Hezekiah, Sennacherib, king of Assyria, attacked all the fortified cities of Judah and captured them.
2 और शाह — ए — असूर ने रबशाक़ी को एक बड़े लश्कर के साथ लकीस से हिज़क़ियाह के पास येरूशलेम को भेजा, और उसने ऊपर के तालाब की नाली पर धोबियों के मैदान की राह में मक़ाम किया।
Then the king of Assyria sent the chief commander from Lachish to Jerusalem to King Hezekiah with a great army. He approached the conduit of the upper pool, on the highway to the launderers' field, and stood by it.
3 तब इलियाक़ीम बिन ख़िलक़ियाह जो घर का दीवान था, और शबनाह मुंशी और मुहर्रिर यूआख़ बिन आसिफ़ निकल कर उसके पास आए।
The Israelite officials who went out of the city to talk with them were Hilkiah's son Eliakim, the palace administrator, Shebna the king's secretary, and Asaph's son Joah, who wrote down the government decisions.
4 और रबशाक़ी ने उनसे कहा, तुम हिज़क़ियाह से कहो: कि मलिक — ए — मु'अज़म शाह — ए — असूर यूँ फ़रमाता है कि तू क्या एतमाद किए बैठा है?
The chief commander said to them, “Tell Hezekiah that the great king, the king of Assyria, says, 'What is the source of your confidence?
5 क्या मशवरत और जंग की ताक़त मुँह की बातें ही हैं आख़िर किस के भरोसे पर तूने मुझ से सरकशी की है?
You speak only useless words, saying there is counsel and strength for war. Now in whom are you trusting? Who has given you courage to rebel against me?
6 देख, तुझे उस मसले हुए सरकंडे के 'असा या'नी मिस्र पर भरोसा है; उस पर अगर कोई टेक लगाए, तो वह उसके हाथ में गड़ जाएगा और उसे छेद देगा। शाह — ए — मिस्र फ़िर'औन उन सब के लिए, जो उस पर भरोसा करते हैं ऐसा ही है।
Look, you are trusting in Egypt, that splintered reed that you use as a walking staff, but if a man leans on it, it will stick into his hand and pierce it. That is what Pharaoh king of Egypt is to anyone who trusts in him.
7 फ़िर अगर तू मुझ से यूँ कहे कि हमारा तवक्कुल ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा पर है, तो क्या वह वही नहीं है जिसके ऊँचे मक़ामों और मज़बहों को ढाकर हिज़क़ियाह ने यहूदाह और येरूशलेम से कहा है कि तुम इस मज़बह के आगे सिज्दा किया करो।
But if you say to me, “We are trusting in Yahweh our God,” is not he the one whose high places and altars Hezekiah has taken away, and has said to Judah and to Jerusalem, “You must worship before this altar in Jerusalem”?
8 इसलिए अब ज़रा मेरे आक़ा शाह — ए — असूर के साथ शर्त बाँध और मैं तुझे दो हज़ार घोड़े दूँगा, बशर्ते कि तू अपनी तरफ़ से उन पर सवार चढ़ा सके।
Now therefore, I want to make you a good offer from my master the king of Assyria. I will give you two thousand horses, if you are able to find riders for them.
9 भला तू क्यूँकर मेरे आक़ा के कमतरीन मुलाज़िमों में से एक सरदार का भी मुँह फेर सकता है? और तू रथों और सवारों के लिए मिस्र पर भरोसा करता है?
How could you resist even one captain of the least of my master's servants? You have put your trust in Egypt for chariots and horsemen!
10 और क्या अब मैंने ख़ुदावन्द के बे कहे ही इस मक़ाम को ग़ारत करने के लिए इस पर चढ़ाई की है? ख़ुदावन्द ही ने तो मुझ से कहा कि इस मुल्क पर चढ़ाई कर और इसे ग़ारत करदे
Now then, have I traveled up here without Yahweh to fight against this land and destroy it? Yahweh said to me, “Attack this land and destroy it.”'”
11 तब इलियाक़ीम और शबनाह और यूआख़ ने रबशाक़ी से 'अर्ज़ की कि अपने ख़ादिमों से अरामी ज़बान में बात कर, क्यूँकि हम उसे समझते हैं, और दीवार पर के लोगों के सुनते हुए यहूदियों की ज़बान में हम से बात न कर।
Then Eliakim son of Hilkiah, and Shebnah, and Joah said to the chief commander, “Please speak to your servants in the Aramean language, Aramaic, for we understand it. Do not speak with us in the language of Judah in the ears of the people who are on the wall.”
12 लेकिन रबशाक़ी ने कहा, क्या मेरे आक़ा ने मुझे ये बातें कहने को तेरे आक़ा के पास या तेरे पास भेजा है? क्या उसने मुझे उन लोगों के पास नहीं भेजा, जो तुम्हारे साथ अपनी ही नजासत खाने और अपना ही क़ारूरा पीने को दीवार पर बैठे हैं?
But the chief commander said, “Has my master sent me to your master and to you to speak these words? Has he not sent me to the men who sit on the wall, who will have to eat their own dung and drink their own urine with you?”
13 फिर रबशाक़ी खड़ा हो गया और यहूदियों की ज़बान में बलन्द आवाज़ से यूँ कहने लगा, कि मुल्क — ए — मु'अज़म शाह — ए — असूर का कलाम सुनो!
Then the chief commander stood and shouted in a loud voice in the Jews' language, saying, “Listen to the words of the great king, the king of Assyria.
14 बादशाह यूँ फ़रमाता है: कि हिज़क़ियाह तुम को धोखा न दे, क्यूँकि वह तुम को छुड़ा नहीं सकेगा।
The king says, 'Do not let Hezekiah deceive you, for he will not be able to rescue you.
15 और न वह ये कह कर तुम से ख़ुदावन्द पर भरोसा कराए कि ख़ुदावन्द ज़रूर हम को छुड़ाएगा, और ये शहर शाह — ए — असूर के हवाले न किया जाएगा।
Do not let Hezekiah make you trust in Yahweh, saying, “Yahweh will surely rescue us; this city will not be given into the hand of the king of Assyria.”'
16 हिज़क़ियाह की न सुनो; क्यूँकि शाह — ए — असूर यूँ फ़रमाता है कि तुम मुझ से सुलह कर लो, और निकलकर मेरे पास आओ; तुम में से हर एक अपनी ताक और अपने अंजीर के दरख़्त का मेवा खाता और अपने हौज़ का पानी पीता रहे।
Do not listen to Hezekiah, for this is what the king of Assyria says: 'Make peace with me and come out to me. Then every one of you will eat from his own vine and from his own fig tree, and drink from the water in his own cistern.
17 जब तक कि मैं आकर तुम को ऐसे मुल्क में न ले जाऊँ, जो तुम्हारे मुल्क की तरह ग़ल्ला और मय का मुल्क, रोटी और ताकिस्तानों का मुल्क है।
You will do this until I come and take you away to a land like your own land, a land of grain and new wine, a land of bread and vineyards.'
18 ख़बरदार ऐसा न हो कि हिज़क़ियाह तुम को ये कह कर तरग़ीब दे, कि ख़ुदावन्द हम को छुड़ाएगा। क्या क़ौमों के मा'बूदों में से किसी ने भी अपने मुल्क को शाह — ए — असूर के हाथ से छुड़ाया है?
Do not let Hezekiah mislead you, saying, 'Yahweh will rescue us.' Has any of the gods of the peoples rescued them from the hand of the king of Assyria?
19 हमात और अरफ़ाद के मा'बूद कहाँ हैं? सिफ़वाइम के मा'बूद कहाँ हैं? क्या उन्होंने सामरिया को मेरे हाथ से बचा लिया?
Where are the gods of Hamath and Arpad? Where are the gods of Sepharvaim? Have they rescued Samaria from my power?
20 इन मुल्कों के तमाम मा'बूदों में से किस किस ने अपना मुल्क मेरे हाथ से छुड़ा लिया, जो ख़ुदावन्द भी येरूशलेम को मेरे हाथ से छुड़ा लेगा?
Among all the gods of these lands, is there any god who has rescued his land from my power, as if Yahweh could save Jerusalem from my power?”
21 लेकिन वह ख़ामोश रहे और उसके जवाब में उन्होंने एक बात भी न कही; क्यूँकि बादशाह का हुक्म ये था कि उसे जवाब न देना।
But the people remained silent and did not respond, for the king's order was, “Do not answer him.”
22 और इलियाक़ीम — बिन — ख़िलक़ियाह जो घर का दीवान था, और शबनाह मुंशी और यूआख़ — बिन — आसफ़ मुहर्रिर अपने कपड़े चाक किए हुए हिज़क़ियाह के पास आए और रबशाक़ी की बातें उसे सुनाई।
Then Eliakim son of Hilkiah, who was over the household, Shebna the scribe, and Joah son of Asaph, the recorder, came to Hezekiah with their clothes torn, and reported to him the words of the chief commander.