< यसा 34 >

1 ऐ क़ौमों नज़दीक आकर सुनो, ऐ उम्मतों कान लगाओ! ज़मीन और उसकी मा'मूरी, दुनिया और सब चीजें जो उसमें हैं सुने,
Tretet herzu, ihr Nationen, um zu hören; und ihr Völkerschaften, merket auf! Es höre die Erde und ihre Fülle, der Erdkreis [Eig. das Erdreich] und alles, was ihm entsproßt!
2 क्यूँकि ख़ुदावन्द का क़हर तमाम क़ौमों पर और उसका ग़ज़ब उनकी सब फ़ौजों पर है; उसने उनको हलाक कर दिया, उसने उनको ज़बह होने के लिए हवाले किया।
Denn der Zorn Jehovas ergeht wider alle Nationen, und sein Grimm [Eig. Denn Jehova hat einen Zorn und einen Grimm; d. h. er ist im Begriff, ihn zu verwirklichen] wider all ihr Heer. Er hat sie der Vertilgung geweiht, [Eig. sie verbannt, mit dem Banne belegt] zur Schlachtung hingegeben.
3 और उनके मक़तूल फेंक दिए जायेंगे बल्कि उनकी लाशों से बदबू उठेगी और पहाड़ उनके ख़ून से बह जाएँगे।
Und ihre Erschlagenen werden hingeworfen, und der Gestank ihrer Leichname steigt auf, und die Berge zerfließen von ihrem Blute.
4 और तमाम अजराम — ए — फ़लक गुदाज़ हो जायेंगे और आसमान तूमार की तरह लपेटे जाएँगे; और उनकी तमाम अफ़्वाज ताक और अंजीर के मुरझाये हुए पत्तों की तरह गिर जाएँगी।
Und alles Heer der Himmel zerschmilzt; und die Himmel werden zusammengerollt wie ein Buch; und all ihr Heer fällt herab, wie das Blatt vom Weinstock abfällt und wie das Verwelkte [Eig. das Abfallende] vom Feigenbaum.
5 क्यूँकि मेरी तलवार आसमान में मस्त हो गई है; देखो, वह अदोम पर और उन लोगों पर जिनको मैंने मल'ऊन किया है सज़ा देने को नाज़िल होगी।
Denn trunken ist im Himmel mein Schwert; siehe, auf Edom fährt es herab und auf das Volk meines Bannes [d. h. welches ich mit dem Banne belegt, der Vertilgung geweiht habe; vergl. v 2] zum Gericht.
6 ख़ुदावन्द की तलवार ख़ून आलूदा है; वह चर्बी और बर्रों और बकरों के ख़ून से, और मेंढों के गुर्दों की चर्बी से चिकना गई। क्यूँकि ख़ुदावन्द के लिए बुसराह में एक क़ुर्बानी और अदोम के मुल्क में बड़ी ख़ूँरेज़ी है।
Das Schwert Jehovas ist voll Blut, es ist getränkt von Fett, vom Blute der Fettschafe und Böcke, vom Nierenfett der Widder; denn Jehova hat ein Schlachtopfer in Bozra und eine große Schlachtung im Lande Edom.
7 और उनके साथ जंगली साँड और बछड़े और बैल ज़बह होंगे और उनका मुल्क ख़ून से सेराब हो जाएगा और उनकी गर्द चर्बी से चिकना जाएगी।
Und Büffel stürzen mit ihnen hin, und Farren samt Stieren; und ihr Land wird trunken von Blut, und ihr Staub von Fett getränkt.
8 क्यूँकि ये ख़ुदावन्द का इन्तक़ाम लेने का दिन और बदला लेने का साल है, जिसमें वह सिय्यून का इन्साफ़ करेगा।
Denn Jehova hat einen Tag der Rache, ein Jahr der Vergeltungen für die Rechtssache Zions. -
9 और उसकी नदियाँ राल होजाएगी और उसकी ख़ाक गंधक और उसकी ज़मीन जलती हुई राल होगी।
Und Edoms [Eig. seine] Bäche verwandeln sich in Pech, und sein Staub in Schwefel; und sein Land wird zu brennendem Peche.
10 जो शब — ओ — रोज़ कभी न बुझेगी; उससे हमेशा तक धुँवा उठता रहेगा। नस्ल — दर — नस्ल वह उजाड़ रहेगी, हमेशा से हमेशा तक कोई उधर से न गुज़रेगा।
Tag und Nacht erlischt es nicht, ewiglich steigt sein Rauch empor. Von Geschlecht zu Geschlecht liegt es verödet, für immer und ewig zieht niemand hindurch.
11 लेकिन हवासिल और ख़ारपुश्त उसके मालिक होंगे उल्लू और कौवे उसमें बसेंगे; और उस पर वीरानी का सूत' पड़ेगा, और सुनसानी का साहूल डाला जाएगा।
Und Pelikan und Igel nehmen es in Besitz, und Eule und Rabe wohnen darin. Und er zieht darüber die Meßschnur der Öde und das Senkblei der Leere.
12 उसके अशराफ़ में से कोई न होगा जिसे वह बुलाएँ कि हुक्मरानी करे और उसके सब सरदार नाचीज़ होंगे।
Seine Edlen-keine sind da, welche das Königtum ausrufen; und alle seine Fürsten sind zu nichts geworden.
13 और उसके क़स्रों में कॉटे और उसके क़िलों' में बिच्छू बूटी और ऊँट कटारे उगेंगे और वह गीदड़ों की माँदें और शुतरमुर्ग़ के रहने का मक़ाम होगा।
Und in seinen Palästen schießen Dornen auf, Nesseln und Disteln in seinen Burgen; und es wird zur Wohnstätte der Schakale, zur Wohnung der Strauße. [O. zum grasigen Platze für Strauße]
14 और दश्ती दरिन्दे भेड़ियों से मुलाक़ात करेंगे और छगमास अपने साथी को पुकारेगा; हाँ इफ़रात — ए — शब वहाँ आराम करेगा और अपने टिकने की जगह पायेगा।
Und Wüstentiere treffen mit wilden Hunden zusammen, und Böcke [S. die Anm. zu Kap. 13,21] begegnen einander; [O. rufen einander zu] ja, dort rastet die Lilith [eine Nachtgottheit] und findet einen Ruheplatz für sich.
15 वहाँ उड़नेवाले साँप का आशियाना होगा और अंडे देना और सैना और अपने साए में जमा' करना होगा वहाँ गिद्ध जमा' होंगे और हर एक के साथ उसकी मादा होगी।
Dorthin nistet die Pfeilschlange und legt Eier [Eig. und gebiert und legt] und brütet sie aus in ihrem Schatten; ja, daselbst versammeln sich die Geier, einer zum anderen. -
16 तुम ख़ुदावन्द की किताब में ढूंडो और पढ़ो: इनमें से एक भी कम न होगा, और कोई बेजुफ़्त न होगा; क्यूँकि मेरे मुँह ने यही हुक्म किया है और उसकी रूह ने इनको जमा' किया है।
Forschet nach im Buche Jehovas und leset! Es fehlt nicht eines von diesen, keines vermißt das andere. Denn mein Mund, er hat es geboten; und sein Geist, [O. sein Hauch] er hat sie zusammengebracht;
17 और उसने इनके लिए पर्ची डाली और उसके हाथ ने इनके लिए उसको जरीब से तक़सीम किया। इसलिए वह हमेशा तक उसके मालिक होंगे और नसल दर नसल उसमें बसेगे।
und er selbst hat ihnen das Los geworfen, und seine Hand hat es [das Land Edom] ihnen zugeteilt mit der Meßschnur. Ewiglich werden sie es besitzen, von Geschlecht zu Geschlecht darin wohnen.

< यसा 34 >