< यसा 31 >

1 उसपर अफ़सोस, जो मदद के लिए मिस्र को जाते और घोड़ों पर एतमाद करते हैं और रथों पर भरोसा रखते हैं इसलिए कि वह बहुत हैं, और सवारों पर इसलिए कि वह बहुत ताक़तवर हैं; लेकिन इस्राईल के क़ुददूस पर निगाह नहीं करते और ख़ुदावन्द के तालिब नहीं होते।
¡Ay de los que descienden a Egipto por ayuda; y confían en caballos; y en carros ponen su esperanza, porque son muchos; y en caballeros, porque son valientes; y no miraron al Santo de Israel, ni buscaron al SEÑOR!
2 लेकिन वह भी तो 'अक़्लमन्द है और बला नाज़िल करेगा, और अपने कलाम को बातिल न होने देगा वह शरीरों के घराने पर और उन पर जो बदकिरदारों की हिमायत करते हैं चढ़ाई करेगा।
Mas él también es sabio, para guiar el mal, ni hará mentirosas sus palabras. Se levantará, pues, contra la casa de los malignos, y contra el auxilio de los obradores de iniquidad.
3 क्यूँकि मिस्री तो इंसान हैं ख़ुदा नहीं। और उनके घोड़े गोश्त हैं रूह नहीं सो जब ख़ुदावन्द अपना हाथ बढ़ाएगा तो हिमायती गिर जाएगा, और वह जिसकी हिमायत की गई पस्त हो जाएगा, और वह सब के सब इकट्ठे हलाक हो जायेंगे।
Y el egipcio hombre es, no Dios; y sus caballos carne, y no espíritu, de manera que al extender el SEÑOR su mano, caerá el ayudador, y caerá el ayudado, y todos ellos desfallecerán a una.
4 क्यूँकि ख़ुदावन्द ने मुझ से यूँ फ़रमाया है कि जिस तरह शेर बबर हाँ जवान शेर बबर अपने शिकार पर से ग़ुर्राता है और अगर बहुत से गड़रिये उसके मुक़ाबिले को बुलाए जाएँ तो उनकी ललकार से नहीं डरता, और उनके हुजूम से दब नहीं जाता; उसी तरह रब्ब — उल — अफ़वाज सिय्यून पहाड़ और उसके टीले पर लड़ने को उतरेगा।
Porque el SEÑOR me dijo a mí de esta manera: Como el león, y el cachorro del león, brama sobre su presa, contra el cual, si se llega cuadrilla de pastores, no temerá por sus voces, ni se acobardará por el tropel de ellos; así el SEÑOR de los ejércitos descenderá a pelear por el Monte de Sion, y por su collado.
5 मंडलाते हुए परिन्दे की तरह रब्ब — उल — अफ़्वाज येरूशलेम की हिमायत करेगा; वह हिमायत करेगा और रिहाई बख़्शेगा, रहम करेगा और बचा लेगा।
Como las aves que vuelan, así amparará el SEÑOR de los ejércitos a Jerusalén, amparando, librando, pasando, y salvando.
6 ऐ बनी इस्राईल तुम उसकी तरफ़ फिरो जिससे तुम ने सख़्त बग़ावत की है।
Convertíos a aquel contra quien os habéis profundamente rebelado, oh hijos de Israel.
7 क्यूँकि उस वक़्त उनमें से हर एक अपने चाँदी के बुत और अपनी सोने की मूरतें, जिनको तुम्हारे हाथों ने ख़ताकारी के लिए बनाया, निकाल फेंकेगा
Porque en aquel día arrojará el hombre los ídolos de su plata, y los ídolos de su oro, que os hicieron vuestras manos pecadoras.
8 तब असूर उसी तलवार से गिर जाएगा जो इंसान की नहीं, और वही तलवार जो आदमी की नहीं उसे हलाक करेगी; वह तलवार के सामने से भागेगा और उसके जवान मर्द ख़िराज गुज़ार बनेंगे।
Entonces caerá el Assur por espada no de varón; y cuchillo, no de hombre lo consumirá; y huirá de la presencia de la espada, y sus jóvenes desmayarán.
9 और वह ख़ौफ़ की वजह से अपने हसीन मकान से गुज़र जाएगा, और उसके सरदार झण्डे से ख़ौफ़ज़दह हो जाएँगे, ये ख़ुदावन्द फ़रमाता है, जिसकी आग सिय्यून में और भट्टी येरूशलेम में है।
Y de miedo se pasará a su fortaleza; y sus príncipes tendrán pavor de la bandera, dice el SEÑOR, al cual hay fuego en Sion, y al cual hay horno en Jerusalén.

< यसा 31 >