< यसा 28 >
1 अफ़सोस इफ़्राईम के मतवालों के घमण्ड के ताज पर और उसकी शानदार शौकत के मुरझाये हुए फूल पर जो उन लोगों की शादाब वादी के सिरे पर है जो मय के मग़लूब हैं।
Woe [to] the proud crown of the drunkards of Ephraim. And the fading flower of the beauty of his glory, That [is] on the head of the fat valley of the broken down of wine.
2 देखो ख़ुदावन्द के पास एक ज़बरदस्त और ताक़तवर शख़्स है, जो उस आँधी की तरह जिसके साथ ओले हों और बाद समूम की तरह और सैलाब — ए — शदीद की तरह ज़मीन पर हाथ से पटक देगा।
Behold, a mighty and strong one [is] to the Lord, As a storm of hail—a destructive shower, As an inundation of mighty waters overflowing, He cast down to the earth with the hand.
3 इफ़्राईम के मतवालों के घमण्ड का ताज पामाल किया जाएगा;
The proud crown of the drunkards of Ephraim is trodden down by feet,
4 और उस शानदार शौकत का मुरझाया हुआ फूल जो उस शादाब वादी के सिरे पर है, पहले पक्के अंजीर की तरह होगा जो गर्मी के दिनों से पहले लगे; जिस पर किसी की निगाह पड़े और वह उसे देखते ही और हाथ में लेते ही निगल जाए।
And the fading flower of the beauty of his glory That [is] on the head of the fat valley, Has been as its first-fruit before summer, That its beholder sees; He swallows it while it [is] yet in his hand.
5 उस वक़्त रब्ब — उल — अफ़वाज अपने लोगों के बक़िये के लिए शौकत का अफ़सर और हुस्न का ताज होगा।
In that day YHWH of Hosts is For a crown of beauty, and for a circlet of glory, To the remnant of His people.
6 और 'अदालत की कुर्सी पर बैठने वाले के लिए इन्साफ़ की रूह, और फाटकों से लड़ाई को दूर करने वालों के लिए ताक़त होगा।
And for a spirit of judgment To him who is sitting in the judgment, And for might [to] those turning back the battle to the gate.
7 लेकिन यह भी मयख़्वारी से डगमगाते और नशे में लड़खड़ाते हैं; काहिन और नबी भी नशे में चूर और मय में ग़र्क़ हैं, वह नशे में झूमते हैं; वह रोया में ख़ता करते और 'अदालत में लगज़िश खाते हैं।
And even these have erred through wine, And have wandered through strong drink, Priest and prophet erred through strong drink, They have been swallowed up of the wine, They wandered because of the strong drink, They have erred in seeing, They have stumbled judicially.
8 क्यूँकि सब दस्तरख़्वान क़य और गन्दगी से भरे हैं कोई जगह बाक़ी नहीं।
For all tables have been full of vomit, Filth—without place!
9 वह किसको अक़्ल सिखाएगा? किसको तक़रीर करके समझाएगा? क्या उनको जिनका दूध छुड़ाया गया, जो छातियों से जुदा किए गए?
By whom does He teach knowledge? And by whom does He cause to understand the report? The weaned from milk, the removed from breasts,
10 क्यूँकि हुक्म पर हुक्म, हुक्म पर हुक्म; क़ानून पर क़ानून, क़ानून पर क़ानून है; थोड़ा यहाँ थोड़ा वहाँ।
For rule on rule, rule on rule, Line on line, line on line, A little here, a little there,
11 लेकिन वह बेगाना लबों और अजनबी ज़बान से इन लोगों से कलाम करेगा।
For by scorned lip, and by another tongue, Does He speak to this people.
12 जिनको उसने फ़रमाया, “यह आराम है, तुम थके मान्दों को आराम दो, और यह ताज़गी है;” लेकिन वह सुनने वाले न हुए।
To whom He has said, “This [is] the rest, give rest to the weary, And this—the refreshing”: And they have not been willing to hear,
13 तब ख़ुदावन्द का कलाम उनके लिए हुक्म पर हुक्म, हुक्म पर हुक्म, क़ानून पर क़ानून, क़ानून पर क़ानून, थोड़ा यहाँ, थोड़ा वहाँ होगा; ताकि वह चले जाएँ और पीछे गिरें और सिकश्त खाएँ और दाम में फसें और गिरफ़्तार हों।
And to whom a word of YHWH has been, Rule on rule, rule on rule, Line on line, line on line, A little here, a little there, So that they go and have stumbled backward, And been broken, and snared, and captured.
14 इसलिए ऐ ठट्ठा करने वालो, जो येरूशलेम के इन बाशिन्दों पर हुक्मरानी करते हो; ख़ुदावन्द का कलाम सुनो:
Therefore, hear a word of YHWH, you men of scorning, Ruling this people that [is] in Jerusalem.
15 चूँकि तुम कहा करते हो, कि “हम ने मौत से 'अहद बाँधा, और पाताल से पैमान कर लिया है; जब सज़ा का सैलाब आएगा तो हम तक नहीं पहुँचेगा, क्यूँकि हम ने झूठ को अपनी पनाहगाह बनाया है और दरोग़गोई की आड़ में छिप गए हैं;” (Sheol )
Because you have said: “We have made a covenant with death, And we have made a provision with Sheol, An overflowing scourge, when it passes over, Does not meet us, Though we have made a lie our refuge, And have been hidden in falsehood.” (Sheol )
16 इसलिए ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है देखो मैं सिय्यून में बुनियाद के लिए एक पत्थर रख्खूँगा, आज़मूदा पत्थर मुहकम बुनियाद के लिए कोने के सिरे का क़ीमती पत्थर: जो कोई ईमान लाता है क़ाईम रहेगा।
Therefore, thus said Lord YHWH: “Behold, I am laying a foundation in Zion, A stone—a tried stone, a precious corner stone, a settled foundation, He who is believing does not make haste.
17 और मैं 'अदालत को सूत, सदाक़त को साहूल बनाऊँगा; और ओले झूठ की पनाहगाह को साफ़ कर देंगे, और पानी छिपने के मकान पर फैल जायेगा।
And I have put judgment for a line, And righteousness for a plummet, And hail sweeps away the refuge of lies, And waters overflow the secret hiding place.
18 और तुम्हारा 'अहद जो मौत से हुआ मन्सूख़ हो जाएगा और तुम्हारा पैमान जो पाताल से हुआ क़ाईम न रहेगा; जब सज़ा का सैलाब आएगा, तो तुम को पामाल करेगा। (Sheol )
And your covenant with death has been annulled, And your provision with Sheol does not stand, An overflowing scourge, when it passes over, Then you have been to it for a treading-place. (Sheol )
19 और गुज़रते वक़्त तुम को बहा ले जाएगा सुबह और शब — ओ — रोज़ आएगा बल्कि उसका ज़िक्र सुनना भी ख़ौफ़नाक होगा।
From the fullness of its passing over it takes you, For it passes over morning by morning, By day and by night, And it has been only a trembling to consider the report.
20 क्यूँकि पलंग ऐसा छोटा है कि आदमी उस पर दराज़ नहीं हो सकता; और लिहाफ़ ऐसा तंग है कि वह अपने आपको उसमें लपेट नहीं सकता।
For the bed has been shorter Than to stretch one’s self out in, And the covering has been narrower Than to wrap one’s self up in.
21 क्यूँकि ख़ुदावन्द उठेगा जैसा कोह — ए — पराज़ीम में, और वह ग़ज़बनाक होगा जैसा जिबा'ऊन की वादी में; ताकि अपना काम बल्कि अपना 'अजीब काम करे और अपना काम, हाँ अपना अनोखा, काम पूरा करे।
For as YHWH rises [at] Mount Perazim, As He is troubled [at] the valley in Gibeon, To do His work—strange [is] His work, And to do His deed—strange [is] His deed.”
22 इसलिए अब तुम ठठ्ठा न करो, ऐसा न हो कि तुम्हारे बंद सख़्त हो जाएं क्यूँकि मैंने ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़्वाज से सुना है कि उसने कामिल और मुसमम्म इरादा किया है कि सारी सर ज़मीन को तबाह करे।
And now, do not show yourselves scorners, Lest your bands are strong, For a consumption, that is determined, I have heard, by the Lord, YHWH of Hosts, [Is] for all the land.
23 कान लगा कर मेरी आवाज़ सुनो, सुनने वाले होकर मेरी बात पर दिल लगाओ।
Give ear, and hear my voice, Attend, and hear my saying:
24 क्या किसान बोने के लिए हर रोज़ हल चलाया करता है? क्या वह हर वक़्त अपनी ज़मीन को खोदता और उसके ढेले फोड़ा करता है?
Does the plowman plow the whole day to sow? He opens and harrows his ground!
25 जब उसको हमवार कर चुका, तो क्या वह अजवाइन को नहीं छांटता, और ज़ीरे को डाल नहीं देता, और गेहूँ को कतारों में नहीं बोता, और जौ को उसके मु'अय्यन मकान में, और कठिया गेहूँ को उसकी ख़ास क्यारी में नहीं बोता?
Has he not, if he has made its face level, Then scattered fitches, and sprinkles cumin, And has placed the principal wheat, And the appointed barley, And the rye [in] its own border?
26 क्यूँकि उसका ख़ुदा उसको तरबियत करके उसे सिखाता है।
And his God instructs him for judgment, He directs him.
27 कि अजवाइन को दावने के हेंगे से नहीं दावते, और ज़ीरे के ऊपर गाड़ी के पहिये नहीं घुमाते; बल्कि अजवाइन को लाठी से झाड़ते है और ज़ीरे को छड़ी से।
For fitches are not threshed with a sharp-pointed thing, And the wheel of a cart turned around on cumin, For fitches are beaten out with a staff, And cumin with a rod.
28 रोटी के ग़ल्ले पर दाँय चलाता है, लेकिन वह हमेशा उसे कूटता नहीं रहता; और अपनी गाड़ी के पहिये और घोड़ों को उस पर हमेशा फिराता नहीं उसे सरासर नहीं कुचलेगा।
Bread-[grain] is beaten small, For he does not severely thresh it forever, Nor has a wheel of his cart crushed [it], Nor do his hooves beat it small.
29 यह भी रब्ब — उल — अफ़वाज से मुक़र्रर हुआ है, जिसकी मसलहत 'अजीब और दानाई 'अज़ीम है।
Even this from YHWH of Hosts has gone out, He has made counsel wonderful, He has made wisdom great!