< यसा 25 >
1 ऐ ख़ुदावन्द तू मेरा ख़ुदा है; मैं तेरी तम्जीद करूँगा; तेरे नाम की इबादत करूँगा क्यूँकि तूने 'अजीब काम किए हैं, तेरी मसलहत क़दीम से वफ़ादारी और सच्चाई हैं।
Domine Deus meus es tu, exaltabo te, et confitebor nomini tuo: quoniam fecisti mirabilia, cogitationes antiquas fideles, amen.
2 क्यूँकि तूने शहर को ख़ाक का ढेर किया; हाँ, फ़सीलदार शहर को खण्डर बना दिया और परदेसियों के महल को भी, यहाँ तक कि शहर न रहा; वह फिर ता'मीर न किया जाएगा।
Quia posuisti civitatem in tumulum, urbem fortem in ruinam, domum alienorum: ut non sit civitas, et in sempiternum non aedificetur.
3 इसलिए ज़बरदस्त लोग तेरी इबादत करेंगे और हैबतनाक क़ौमों का शहर तुझ से डरेगा।
Super hoc laudabit te populus fortis, civitas gentium robustarum timebit te.
4 क्यूँकि तू ग़रीब के लिए क़िला' और मोहताज के लिए परेशानी के वक़्त मल्जा और ऑधी से पनाहगाह और गर्मी से बचाने को साया हुआ, जिस वक़्त ज़ालिमों की साँस दिवारकन तूफ़ान की तरह हो।
Quia factus es fortitudo pauperi, fortitudo egeno in tribulatione sua: spes a turbine, umbraculum ab aestu. spiritus enim robustorum quasi turbo impellens parietem.
5 तू परदेसियों के शोर को ख़ुश्क मकान की गर्मी की तरह दूर करेगा और जिस तरह अब्र के साये से गरमी हलाक होती है उसी तरह ज़ालिमों का शादियाना बजाना ख़त्म होगा।
Sicut aestus in siti, tumultum alienorum humiliabis: et quasi calore sub nube torrente propaginem fortium marcescere facies.
6 और रब्ब — उल — अफ़वाज इस पहाड़ पर सब क़ौमों के लिए फ़रबा चीज़ों से एक ज़ियाफ़त तैयार करेगा बल्कि एक ज़ियाफ़त तलछट पर से निथरी हुई मय से; हाँ फ़रबा चीज़ों से जो पुरमग़्ज़ हों और मय से जो तलछट पर से ख़ूब निथरी हुई हो।
Et faciet Dominus exercituum omnibus populis in monte hoc convivium pinguium, convivium vindemiae, pinguium medullatorum, vindemiae defaecatae.
7 और वह इस पहाड़ पर उस पर्दे को, जो तमाम लोगों पर पड़ा है और उस नक़ाब को, जो सब क़ौमों पर लटक रहा है, दूर कर देगा।
Et praecipitabit in monte isto faciem vinculi colligati super omnes populos, et telam quam orditus est super omnes nationes.
8 वह मौत को हमेशा के लिए हलाक करेगा और ख़ुदावन्द खुदा सब के चहरों से आँसू पोंछ डालेगा, और अपने लोगों की रुस्वाई तमाम सरज़मीन पर से मिटा देगा; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने यह फ़रमाया है।
Praecipitabit mortem in sempiternum: et auferet Dominus Deus lacrymam ab omni facie, et opprobrium populi sui auferet de universa terra: quia Dominus locutus est.
9 और उस वक़्त यूँ कहा जाएगा, लो, यह हमारा ख़ुदा है; हम उसकी राह तकते थे और वही हम को बचाएगा। यह ख़ुदावन्द है, हम उसके इन्तिज़ार में थे। हम उसकी नजात से ख़ुश — ओ — ख़ुर्रम होंगे।
Et dicet in die illa: Ecce Deus noster iste, expectavimus eum, et salvabit nos: iste Dominus, sustinuimus eum, exultabimus, et laetabimur in salutari eius.
10 क्यूँकि इस पहाड़ पर ख़ुदावन्द का हाथ बरक़रार रहेगा और मोआब अपनी ही जगह में ऐसा कुचला जाएगा जैसे मज़बले के पानी में घास कुचली जाती है।
Quia requiescet manus Domini in monte isto: et triturabitur Moab sub eo, sicuti teruntur paleae in plaustro.
11 और वह उसमें उसकी तरह जो तैरते हुए हाथ फैलाता है, अपने हाथ फैलाएगा; लेकिन वह उसके ग़ुरूर को उसके हाथों के फ़न — धोखे के साथ पस्त करेगा।
Et extendet manus suas sub eo, sicut extendit natans ad natandum: et humiliabit gloriam eius cum allisione manuum eius.
12 और वह तेरी फ़सील के ऊँचे बुर्जों को तोड़कर पस्त करेगा, और ज़मीन के बल्कि ख़ाक के बराबर कर देगा।
Et munimenta sublimium murorum tuorum concident, et humiliabuntur, et detrahentur in terram usque ad pulverem.