< यसा 24 >
1 देखो ख़ुदावन्द ज़मीन को ख़ाली और सरनगूँ करके वीरान करता है और उसके बाशिन्दों को तितर — बितर कर देता है।
Voici, l'Éternel va rendre le pays vide et le dépouiller; il en bouleversera la face et en dispersera les habitants.
2 और यूँ होगा कि जैसा र'इयत का हाल, वैसा ही काहिन का; जैसा नौकर का, वैसा ही उसके साहिब का; जैसा लौंडी का, वैसा ही उसकी बीबी का; जैसा ख़रीदार का, वैसा ही बेचनेवाले का; जैसा क़र्ज़ देनेवाले का, वैसा ही क़र्ज़ लेनेवाले का; जैसा सूद देनेवाले का, वैसा ही सूद लेनेवाले का।
Et il en sera du sacrificateur comme du peuple, du maître comme de son serviteur, de la maîtresse comme de la servante, du vendeur comme de l'acheteur, du prêteur comme de l'emprunteur, du créancier comme du débiteur.
3 ज़मीन बिल्कुल ख़ाली की जाएगी, और बशिद्दत ग़ारत होगी; क्यूँकि यह कलाम ख़ुदावन्द का है।
Le pays sera entièrement vidé et mis au pillage, car l'Éternel a prononcé cet arrêt.
4 ज़मीन ग़मगीन होती और मुरझाती है, जहाँ बेताब और पज़मुर्दा होता है, ज़मीन के 'आली क़द्र लोग नातवान होते हैं।
Le pays est triste et mort; la terre est morte et languissante; les grands du peuple du pays sont languissants.
5 ज़मीन अपने बाशिन्दों से नापाक हुई, क्यूँकि उन्होंने शरी'अत को 'उदूल किया, क़ानून से मुन्हरिफ़ हुए, हमेशा के 'अहद को तोड़ा।
Le pays était profané par ses habitants; car ils ont transgressé les lois, ils ont violé l'ordonnance, ils ont enfreint l'alliance éternelle.
6 इस वजह से ला'नत ने ज़मीन को निगल लिया और उसके बाशिन्दे मुजरिम ठहरे, और इसीलिए ज़मीन के लोग भसम हुए और थोड़े से आदमी बच गए।
C'est pourquoi la malédiction dévore le pays, et ses habitants portent leur peine; c'est pourquoi les habitants du pays ont été consumés, et il n'est resté que très peu d'hommes.
7 मय ग़मज़दा, ताक पज़मुर्दा है; और सब जो दिलशाद थे आह भरते हैं।
Le vin doux pleure, la vigne languit, tous ceux qui avaient le cœur joyeux soupirent;
8 ढोलकों की ख़ुशी बन्द हो गई, ख़ुशी मनानेवालों का गु़ल — ओ — शोर तमाम हुआ, बरबत की शादमानी जाती रही।
Le son joyeux des tambourins a cessé, le bruit de la gaieté a pris fin, le son joyeux de la harpe a cessé;
9 वह फिर गीत के साथ मय नहीं पीते, पीनेवालों को शराब तल्ख़ मा'लूम होगी।
On ne boit plus de vin en chantant; la boisson forte est amère à ceux qui la boivent.
10 सुनसान शहर वीरान हो गया, हर एक घर बन्द हो गया कि कोई अन्दर न जा सके।
Elle est détruite, la cité déserte; toute maison est fermée, on n'y entre plus.
11 मय के लिए बाज़ारों में वावैला हो रहा है; सारी ख़ुशी पर तारीकी छा गई, मुल्क की 'इश्रत जाती रही।
On crie dans les rues parce que le vin manque; toute joie a disparu; l'allégresse du pays s'en est allée!
12 शहर में वीरानी ही वीरानी है, और फाटक तोड़ फोड़ दिए गए।
Il ne reste dans la ville que désolation; la porte tombe en débris sous les coups!
13 क्यूँकि ज़मीन में लोगों के बीच यूँ होगा जैसा जै़तून का दरख़्त झाड़ा जाए, जैसे अंगूर तोड़ने के बाद ख़ोशा — चीनी।
Car il en est, au milieu du pays, parmi les peuples, comme lorsqu'on bat l'olivier, comme au grappillage après la vendange.
14 वह अपनी आवाज़ बलन्द करेंगे, वह गीत गाएँगे; ख़ुदावन्द के जलाल की वजह से समन्दर से ललकारेंगे।
Mais ceux-ci élèvent la voix, ils jettent des cris de joie; des bords de la mer ils chantent la majesté de l'Éternel:
15 तुम पूरब में ख़ुदावन्द की और समन्दर के जज़ीरों में ख़ुदावन्द के नाम की, जो इस्राईल का ख़ुदा है, तम्जीद करो।
Glorifiez donc l'Éternel aux lieux où naît la lumière; glorifiez le nom de l'Éternel, le Dieu d'Israël, dans les îles de la mer!
16 इन्तिहा — ए — ज़मीन से नग़मों की आवाज़ हम को सुनाई देती है, जलाल — ओ — 'अज़मत सादिक़ के लिए। लेकिन मैंने कहा, मैं गुदाज़ हो गया, मैं हलाक हुआ; मुझ पर अफ़सोस! दग़ाबाज़ों ने दग़ा की; हाँ, दग़ाबाज़ों ने बड़ी दग़ा की।
Du bout de la terre nous entendons chanter: Honneur au juste! Mais j'ai dit: Je suis perdu, je suis perdu! Malheur à moi! Les pillards pillent, les pillards s'acharnent au pillage!
17 ऐ ज़मीन के बाशिन्दे, ख़ौफ़ और गढ़ा और दाम तुझ पर मुसल्लित हैं।
La terreur, la fosse et le filet vont t'atteindre, habitant du pays!
18 और यूँ होगा कि जो ख़ौफ़नाक आवाज़ सुन कर भागे, गढ़े में गिरेगा; और जो गढ़े से निकल आए, दाम में फँसेगा; क्यूँकि आसमान की खिड़कियाँ खुल गईं, और ज़मीन की बुनियादें हिल रही हैं।
Et celui qui fuira au bruit de la terreur, tombera dans la fosse; et qui sera remonté de la fosse, tombera dans le filet. Car les écluses d'en haut s'ouvrent, et les fondements de la terre tremblent.
19 ज़मीन बिल्कुल उजड़ गई, ज़मीन यकसर शिकस्ता हुई, और शिद्दत से हिलाई गई।
La terre se brise, la terre se rompt, la terre chancelle.
20 वह मतवाले की तरह डगमगाएगी और झोपड़ी की तरह आगे पीछे सरकाई जाएगी; क्यूँकि उसके गुनाह का बोझ उस पर भारी हुआ, वह गिरेगी और फिर न उठेगी।
La terre chancelle comme un homme ivre; elle vacille comme une cabane; son péché pèse sur elle; elle tombe, et ne se relèvera plus!
21 और उस वक़्त यूँ होगा कि ख़ुदावन्द आसमानी लश्कर को आसमान पर और ज़मीन के बादशाहों को ज़मीन पर सज़ा देगा।
En ce jour-là, l'Éternel châtiera, en haut, l'armée d'en haut, et sur la terre, les rois de la terre.
22 और वह उन कै़दियों की तरह जो गढ़े में डाले जाएँ, जमा' किए जाएँगे और वह कै़दख़ाने में कै़द किए जाएँगे, और बहुत दिनों के बाद उनकी ख़बर ली जाएगी।
Et ils seront rassemblés captifs dans un cachot, et enfermés dans la prison; et après un grand nombre de jours ils seront châtiés.
23 और जब रब्ब — उल — अफ़वाज सिय्यून पहाड़ पर और येरूशलेम में अपने बुज़ुर्ग बन्दों के सामने हश्मत के साथ सल्तनत करेगा, तो चाँद मुज़्तरिब' सूरज शर्मिन्दा होगा।
La lune rougira, et le soleil sera honteux, quand l'Éternel des armées régnera sur la montagne de Sion, à Jérusalem; et devant ses anciens resplendira la gloire.